फूल को यदि उड़ना आता तो नि:संदेह उड़कर जाता और खोज लाता रूठी तितली कोजो अब तक नहीं आई,और बसंत उसकी राह तककरचला भी गया.ख़त को यदि पता मालूम होता तोनि:संदेह पहुँच जाता उस चौखट परजिसके लिए लिखा गया थालेकिन डाकिया पता बताने वाले की राह तककर चला भी गया.हमें ज़रा भी समझ होती तो नि:संदेह पढ़ लेते तुम्हारी आँखें कि जिसमें सिर्फ़ मेरी इबारत लिखी थीलेकिन हम निपट अनपढ़ और प्रेम हमारे इकरार की राह तककर चला भी गया.जीवन में ठहरे हर पतझड़ काबस अंत हो,बसंत हो....