Monday 30 September 2024

#pati #patni #story #beautifullife #hindisuvichar #kahan. कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 50 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ... और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि ... "दुख की बात है .. वह हमारे साथ नहीं रही " ... दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. _ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ _वह कहती रहती थी .. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, .. मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "।मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि क्या परिवार को किसी सहारे की जरूरत है. मुझे लगा कि उनके पति बहुत परेशान होंगे .. अचानक से सारी ज़िम्मेदारियों को निभाना है, उम्र बढ़ने के साथ साथ .. माता-पिता, बच्चे, अपनी नौकरी , इस पर अकेलापन उम्र .. कैसे होंगे बेचारे ?फोन कुछ समय के लिए बजा ..नही उठाया ... एक घंटे के बाद उन्होंने वापस कॉल किया.. उसने माफी मांगी कि वह मेरे कॉल का जवाब नहीं दे पाए. क्यूँकि अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलना शुरू किया था और दोस्तों से मिलना वग़ैरह भी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका समय ठीक से गुजर जाए। यहां तक कि उन्होंने पुणे में ट्रान्स्फ़र करवा लिया। इसलिए अब ट्रैवल नही करना पड़ता ।"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;उन्होंने जवाब दिया, एक रसोइया रख लिया है .. थोड़ा और पेमेंट किया तो वह किराने का सामान और सब्ज़ी फल वग़ैरह भी ला देगा । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए फ़ुल टाइम केयर टेकर रख ली थी। "ठीक चल रहा है ... बच्चे भी ठीक हैं। जीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है “... उन्होंने कहा।मैं मुश्किल से एक-दो वाक्य बोल पायी और हमारी बात पूरी हो गयी ।मेरी आंखों में आंसू आ गए।मेरी सहेली मेरे ख्यालों में आ रही थी ... उसने अपनी सास की छोटी सी बीमारी के लिए हमारे स्कूल के पुनर्मिलन को छोड़ दिया था। वो अपनी भतीजी की शादी में नही गयी क्योंकि उसको अपने घर में मरम्मत के काम की देखरेख करनी थी।वह कई मजेदार पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा थी और उसे खाना बनाना था, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था ...उसने हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।आज मुझे उसका कहने का मन हो रहा है ।।यहाँ कोई भी अपरिहार्य नहीं है।और कोई भी याद नहीं किया जाएगा .. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम है।शायद यह सांत्वना है .. या यूँ कहें की हमारे समझने का तरीक़ा... जब आप दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं उसके मरने के बाद उन्होंने दो और नौकरानियाँ रख ली गईं और घर ठीक चल रहा था इसीलिये मन का यह वहम हटा दो कि मैं अपरिहार्य हूं और मेरे बिना घर नहीं चलेगा ........... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... ..... अतः 👇सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए समय निकालें ..अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहें ... बात करें, हंसें और आनंद लेंअपने शौक़ पूरे करो, अपने जुनून को जियो, अपनी जिंदगी को जिओहर किसी को आपकी ज़रूरत है, लेकिन आपको भी अपनी देखभाल और प्यार की ज़रूरत है।हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है। #story #,pati #,patni ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है💃🏾💃🏾#हर_बेटी_मेरी#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

जिस पर अहंकार का साया होता है,, उसके लिए अपना भी पराया होता है...

Friday 27 September 2024

जब अक्ल पर पर्दा पड़ता है तो सबसे पहले समझाने वाला ही बुरा लगता है...

कभी किसी के सामने अपनी सफाई पेश मत करना क्योंकि जिसे तुम पर विश्वास है उसे जरुरत नहीं और जिसे तुम पर विश्वास नहीं वो मानेगा ही नहीं...

बहुत नम्रता चाहिए रिश्ते निभाने के लिए,, छल कपट से तो.. महाभारत रची जाती है..!

ज़िंदगी में कुछ शिकायतें बनी रहे तो बेहतर है …चाशनी में डूबे रिश्ते अक्सर वफ़ादार नहीं होते …

जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, पर किसी की मजबूरी का नहीं, अगर जिंदगी मौका देती है, तो धोखा भी देती है।

श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा"अरे! भाई बुढापे का कोई ईलाज नहीं होता . अस्सी पार चुके हैं . अब बस सेवा कीजिये ." डाक्टर पिता जी को देखते हुए बोला ."डाक्टर साहब ! कोई तो तरीका होगा . साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है .""शंकर बाबू ! मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकता हूँ . बस आप इन्हें खुश रखिये . इस से बेहतर और कोई दवा नहीं है और इन्हें लिक्विड पिलाते रहिये जो इन्हें पसंद है ." डाक्टर अपना बैग सम्हालते हुए मुस्कुराया और बाहर निकल गया .शंकर पिता को लेकर बहुत चिंतित था . उसे लगता ही नहीं था कि पिता के बिना भी कोई जीवन हो सकता है . माँ के जाने के बाद अब एकमात्र आशीर्वाद उन्ही का बचा था . उसे अपने बचपन और जवानी के सारे दिन याद आ रहे थे . कैसे पिता हर रोज कुछ न कुछ लेकर ही घर घुसते थे . बाहर हलकी-हलकी बारिश हो रही थी . ऐसा लगता था जैसे आसमान भी रो रहा हो . शंकर ने खुद को किसी तरह समेटा और पत्नी से बोला -"सुशीला ! आज सबके लिए मूंग दाल के पकौड़े , हरी चटनी बनाओ . मैं बाहर से जलेबी लेकर आता हूँ ."पत्नी ने दाल पहले ही भिगो रखी थी . वह भी अपने काम में लग गई . कुछ ही देर में रसोई से खुशबू आने लगी पकौड़ों की . शंकर भी जलेबियाँ ले आया था . वह जलेबी रसोई में रख पिता के पास बैठ गया . उनका हाथ अपने हाथ में लिया और उन्हें निहारते हुए बोला -"बाबा ! आज आपकी पसंद की चीज लाया हूँ . थोड़ी जलेबी खायेंगे ."पिता ने आँखे झपकाईं और हल्का सा मुस्कुरा दिए . वह अस्फुट आवाज में बोले -"पकौड़े बन रहे हैं क्या ?""हाँ, बाबा ! आपकी पसंद की हर चीज अब मेरी भी पसंद है . अरे! सुषमा जरा पकौड़े और जलेबी तो लाओ ." शंकर ने आवाज लगाईं ."लीजिये बाबू जी एक और . " उसने पकौड़ा हाथ में देते हुए कहा."बस ....अब पूरा हो गया . पेट भर गया . जरा सी जलेबी दे ." पिता बोले .शंकर ने जलेबी का एक टुकड़ा हाथ में लेकर मुँह में डाल दिया . पिता उसे प्यार से देखते रहे ."शंकर ! सदा खुश रहो बेटा. मेरा दाना पानी अब पूरा हुआ ." पिता बोले."बाबा ! आपको तो सेंचुरी लगानी है . आप मेरे तेंदुलकर हो ." आँखों में आंसू बहने लगे थे .वह मुस्कुराए और बोले - "तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है . अगला मैच खेलना है . तेरा पोता बनकर आऊंगा , तब खूब खाऊंगा बेटा ."पिता उसे देखते रहे . शंकर ने प्लेट उठाकर एक तरफ रख दी . मगर पिता उसे लगातार देखे जा रहे थे . आँख भी नहीं झपक रही थी . शंकर समझ गया कि यात्रा पूर्ण हुई . तभी उसे ख्याल आया , पिता कहा करते थे -"श्राद्ध खाने नहीं आऊंगा कौआ बनकर , जो खिलाना है अभी खिला दे ."माँ बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखे। #shradh #beautifullife #suvichar #hindi #श्राद्ध #

जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, पर किसी की मजबूरी का नहीं, अगर जिंदगी मौका देती है, तो धोखा भी देती है।

Wednesday 25 September 2024

ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त ज़रुर होना चाहिए, जिससे आप जब चाहें कॉल कर सकें, मैसेज कर सकें, सलाह-मशवरा ले सकें, सुख-दुःख बाँट सकें, डांट सकें, लड़ सकें, कंधे पर सिर रख कर रो सकें, खुलकर हँस सकें, घूम सकें, जब चाहें मिल सकें, बेझिझक होकर निःसंकोच सब कुछ उसे बता सकें बिना इस बात की परवाह किये कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोचेगा...? अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो वाकई आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं..हो सके तो किसी के अच्छे दोस्त बनिए, किसी को सुनने का प्रयास करिए, क्योंकि अधिकांश लोग अकेलेपन के अवसाद से ग्रसित हैं, आये दिन आत्महत्याएँ होती हैं, कभी सोचा है क्यों?? क्योंकि इनके पास सुनाने वाले तो बहुत हैं पर सुनने वाला कोई नहीं...!#काश मेरा भी कोई ऐसा दोस्त होता..!! ❤️❤️💓❤️💓❤️💓❤️#depression

याद रखना मां बाप उम्र से नहीं फिक्र से बूढ़े होते हैं, जब बच्चा रोता हैं तो पूरी बिल्डिंग को पता चलता हैं, लेकिन साहब जब मां बाप रोते हैं, तो बाजू वाले को भी पता नहीं चलता हैं, ये जिंदगी की सच्चाई हैं..!!#beautifullife #motivationalquotes

Saturday 21 September 2024

कहने से कठिन सुनना होता है, और सुनने से कठिन सहना, किन्तु सबसे कठिन होता है, सब भूल जाना और सामान्य रहना !

माता-पिता के साथ बिताए हुए पल संभाल कर रखना। क्योंकि यह पल आपको याद तो आएंगे पर वापस नहीं आएंगे।। #beautifullife #hindisuvichar

उपवास करना है तोविचारों का करें भूखे रहने सेभगवान खुश होते तो ग़रीब सबसेसुखी होते।

सवाल घमंड का नहीं इज्जत का है, कोई अगर लहजा बदले तो हम रास्ता बदल लेते हैं !!

जिंदगी में "चालाकियां कितनी भी कर लो लेकिन तुम्हें मिलेगा तो तुम्हारी - "नियत" के हिसाब से ही।

Monday 16 September 2024

एक फकीर ने सत्य कहा था कि चिंता मत कर वो भी रोएगा, जो आज तुझे रुला रहा है...

🌷🌿बहुत कठिन है किसी का सब कुछ स्वीकार करना उसका क्रोध, घृणा, अवहेलना, विछोह और कटु वचन।उसका बिछड़कर पुनः मिलना फिर क्षमा कर देना।पर यदि प्रेम में हो तो ये सब भी सुखद ही लगता है। प्रेम इंसान को सहनशील बनाता है। जिसने प्रेम में मिले पीड़ा, क्रोध, विछोह स्वीकारा न हो, आंसुओं के भय से रिश्ता संवारा न हो टूट कर पुनः जोड़ना और अपने प्रेम को सहेजना सीखा न हो .. वो प्रेम नहीं बस आकर्षण है।किसी का जाना और पुनः लौट आना उसकी गलतियों को भुला कर पुनः स्वीकार करना ये केवल वही कर सकता है जो अथाह और निःस्वार्थ प्रेम करता है🌷🌿💓💓

Sunday 15 September 2024

#Umar #60sal सठिया जाना उतना भी बुरा नही जितना आप समझ बैठे हैं।साठ का बंदा यदि गाँठ का पूरा हो तो वो आपके चरण स्पर्श का अधिकारी भी है और आपको सरेबाजार गरिया देने का हक भी रखता है।उसके बाल धूप मे सफेद नही होते उसकी अकलमंदी की डाई से जगमगाते हैं।वो जो कहता है वो आकाशवाणी होती है।वो मानता है कि वो जो कह गया है वही सही है और जो उसे गलत मानते है वो मुश्किल में पड़ते हैं।पुराने जमाने मे इस उम्र तक आते आते बंदा या तो दीवार पर टँगी फोटो का हिस्सा होता था या खाँसते खखराते किसी खटिया पर झूला झूलता था।पर आजकल ऐसा है नही।आजकल इस उम्र वाले पार्कों में दौड़ते है ,दौड़ कर सीढ़ियाँ चढ़ते है और वो सब करते है जो जिसकी हसरत उनकी अपनी नौजवानी के दिनों मे बाकी रह गई थी।राजनीति हो ,धर्म हो शिक्षा हो या बिज़नेस हो।ये हर जगह काबिज है।और किसी भी सूरत में कमउम्रों को इन इलाक़ों में घुसने नही देते।और तो और हिंदी फ़िल्मों के टाप स्टार भी यही हैं और मोटे मेहनताने के साथ अपने से आधी उम्र की लड़कियों से इश्क फ़रमाने के मजे भी यही लूट रहे हैं।आजकल किसी भी टूरिस्ट प्लेस पर चले जाइए।पहाड़ हो समंदर हो रेगिस्तान हो।आप वहाँ रंगीन फूलदार टी शर्ट पहने बुज़ुर्गवारों का जमावड़ा ही पाएँगे।वो दुनिया देख रहे हैं और दुनिया उन्हें देख रही है।बीयर बार रेस्टोरेन्ट होटले इन्हीं की दम पर गुलज़ार है आजकल।उनकी जेबें भरी हुई हैं।उन्होंने ख़र्च करना सीख लिया है।और बाज़ारों मे जितनी भी दम बची है उनकी वजह भी यही हैं।मंदिर मस्जिद नई उम्र के लड़कों के लिए छोड़ देता है वो।खुद किसी ऊँची इमारत के टॉप फ़्लोर पर रहता हुआ कभी कभार भगवान को धन्यवाद कहता है।किताबें पढ़ता है।लता रफ़ी के साथ सुनिधि चौहान को सुनता है।थियेटरों मे जाने के बजाय नेटफ्लिक्स पर हॉलीवुड की मूवीज देखता है।दवाएँ लेने के बावजूद मनचाहा खाता पीता है वो।घूमता है मौज करता है ,खर्च करता है।किसी से नहीं डरता।अपने नाती पोतों के साथ खेलता है और उससे भी ज़्यादा सुखी होता है जितने की आप उम्मीद नही कर रहे होते है।वो बस इतना चाहता है कि लोग उसे पचास का समझे।पैंतालीस टाईप की निगाह से देखें।साठ का समझे भी तो मुँह बंद रखें।उससे उसके रिटायरमेंट बीमा और बीमारियों की चर्चा न करें।वसीयत की बात करना तो ज़हर होगा आपके लिए।उसकी तारीफ़ करें पर मन मे उसके प्रति दया करूणा जैसे विचार न रखे।यकीन करें वो भी कभी जवान था और आपसे ज़्यादा ही था और इस बात की भी पूरी गुंजाइश है कि वो आज भी आपसे ज़्यादा ही हो।साठ साल का बंदा यदि खुशमिजाज है।और फिर यदि ताने देने मे माहिर और जेब से भरा पूरा भी है तो उसे बुजुर्ग मानना आपको दिक़्क़त में डाल सकता है।खुद को बुजुर्ग मानने मे उसकी हेठी होती है।वो होता है पर मानता नही।और यदि वो नही मानता तो उससे इन सभी नाज़ुक मुद्दों पर चर्चा करना नुक़सान का सौदा हो सकता है।ऐसे मे आपकी जान पहचान के।आसपास के।खानदान का कोई बंदा साठ का हो जाए तो ऊपर लिखी मेरी ये हिदायतें ज़रूर पढ़ लें।यह यकीनन आपके हक में अच्छा होगा।#hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात

Saturday 14 September 2024

#pati#patni #story #beautifullife #hindi #पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है।** 🌍 राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया अदा कीजिए। 🙏 आपकी सुविधा-असुविधा, आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। 😔 वह आपके सुख में खुश और आपके दुःख में दुःखी होती है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं, लेकिन उसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता। 🍵 चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ—ये सब उसकी दिनचर्या बन जाती हैं। 😓 और हम? "कब अक्ल आएगी तुम्हें?" जैसे ताने मारते हैं। 😠 असल में, उसके पास बुद्धि है और उसी की वजह से आप खुशहाल जीवन जी रहे हैं। वरना दुनिया में आपको कोई नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है! 💔 घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का अंतिम दर्शन* चल रहा था। उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते-जाते जो कह रही है, उसका वर्णन: "मैं जा रही हूँ, अब फिर कभी नहीं मिलेंगे। जिस दिन शादी के फेरे लिए थे, उस वक्त साथ-साथ जीने का वचन दिया था, पर अब अकेले जाना पड़ रहा है। मुझे जाने दो। अपने आंगन में अपना शरीर छोड़कर जा रही हूँ। 😢 बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैं मजबूर हूँ। अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नहीं मान रहा, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती। मुझे जाने दो। बेटा और बहू रो रहे हैं, देखो। 😭 मैं ऐसा नहीं देख सकती और उन्हें दिलासा भी नहीं दे सकती हूँ। पोता 'बा बा बा' कर रहा है, उसे शांत करो। हाँ, और आप भी मन मजबूत रखना और ढीले न होना। मुझे जाने दो। अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी। उसे संभालना और शांत करना। और आप भी बिल्कुल नहीं रोना। 😔 मुझे जाने दो। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है, वह यहाँ से ऊपर गया है। धीरे-धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नहीं करना। और इस जीवन में फिर से काम में डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल लेना। मुझे जाने दो। आपने इस जीवन में मेरी बात कभी नहीं मानी। अब जिद छोड़कर विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़कर जाते हुए मुझे बहुत चिंता हो रही है, लेकिन मैं मजबूर हूँ। 😥 मुझे जाने दो। आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा मत खाना, अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय देर से मिले तो बहू पर गुस्सा मत करना। अब मैं नहीं हूँ, यह समझकर जीना सीख लेना। मुझे जाने दो। बेटा और बहू कुछ कहें तो चुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा मत करना। 😊 हमेशा मुस्कुराते रहना, कभी उदास मत होना। मुझे जाने दो। अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जीना, ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आए तो चुपचाप रो लेना, लेकिन कभी कमजोर मत होना। मुझे जाने दो। मेरा रूमाल कहाँ है, मेरी चाबी कहाँ है—अब ऐसे चिल्लाना नहीं। 😅 सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहू भूल जाए तो खुद से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले, प्यार से खा लेना और गुस्सा मत करना। मेरी अनुपस्थिति खलेगी, पर कमजोर मत होना। मुझे जाने दो। बुढ़ापे की छड़ी भूलना नहीं और धीरे-धीरे चलना। 😌 अगर बीमार हो गए और बिस्तर पर लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा। मुझे जाने दो। रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी पास में रख लेना। प्यास लगे तो ही पानी पी लेना। अगर रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं, इसका ध्यान रखना। मुझे जाने दो। शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। ❤️ परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उन फूलों की सुगंध मुझे नहीं मिलेगी। मुझे जाने दो। अब सुबह कोई नहीं कहेगा कि उठो, सुबह हो गई। अब अपने आप उठने की आदत डाल लेना। किसी की प्रतीक्षा मत करना। मुझे जाने दो। और हाँ, एक बात छिपाई है, माफ कर देना। आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किए हैं। 😇 मेरी दादी ने सिखाया था। एक-एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया। इसमें से पाँच-पाँच लाख बहू और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना अपने लिए। मुझे जाने दो। भगवान की भक्ति और पूजा करना मत भूलना। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे! मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ कर देना।"🙏#पत्नी_की_महत्ता #जीवन_का_सच्चा_साथ #परिवार_का_आधार**

दुश्मन से ज़्यादा उस इंसान से सतर्क रहो, जो आपके दुश्मन का भी दोस्त हो और आपका भी दोस्त हो।

Thursday 12 September 2024

एक अज्ञात कवि की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Tuesday 10 September 2024

सीमा जी अरे आपको किसने कह दिया कि हम अपना मकान बेचने वाले हैं। हम अपने बेटे के घर जरूर जा रहे हैं, पर मकान नहीं बेचेंगे। वसुधा जी गुस्से में बोली।अरे नहीं बहन... थोड़ी उड़ती -उड़ती बातें सुनाई दी थी कान में। तो मैंने सोचा चलूँ मिल भी लूँ और पूछ भी लूँ।नहीं !नहीं सीमा जी इस घर में पूरी जिंदगी बिता दी। अपने मेहनत की कमाई से जिसे बनवाया उसको अपने जीते जी नहीं बेचूंगी। समर के पापा भी यही चाहते हैं। बनारस शहर में मकान कुछ ही लोगों का होता है, और हमारे कई रिश्तेदार भी यही हैं। यह सब बातें सुन थोड़ी देर में सीमा जी चाय पी कर चली गई।रात में दोनों अनिल जी व वसुधा जी सोने के लिए बिस्तर पर लेट गए। अनिल जी करवट बदल रहे थे। वसुधा जी बोली नींद नहीं आ रही क्या? हां......अब बेटे ने आकर अपने पास रहने को कह दिया। हम अपना घर छोड़कर रह पाएंगे क्या वसुधा? हम लोग क्यों बीमार रहने लगे? देखो वसुधा मैं अपनी दवा करा कर ठीक होते ही अपने घर आ जाऊंगा। दुखी मन से बोले।अरे अनिल जी आप इतना विचलित क्यों हो रहे हैं? बेटे ने इतने प्यार से टिकट भेज कर बुलाया है तो जाना तो पड़ेगा ना।यही तो.... तभी तो मैं भी मना नहीं कर पाया। कल की टिकट है अनिल जी भारी मन से बोले।अपने सारे जरूरी सामान रख ली वसुधा। थोड़ी देर में अनिल जी ने पूछा।हां रख लिया और अपने लड्डू गोपाल जी भी। शादी के बाद से मैं अभी तक उनकी सेवा कर रही थी इसलिए इनको भी अपने साथ रख लिया। इन्होंने ही मेरी जिंदगी इतने आराम से बिना कोई विपदा के चलाया है।अगले दिन की ट्रेन पकड़कर वसुधा जी व अनिल जी अब ना जाने कब तक के लिए अपने घर को छोड़ बेटे के घर मुंबई रहने चले गए।समर ने मुंबई शहर में एक तीन कमरे का फ्लैट ले रखा था। उसमें समर, शुभी व उनके दो प्यारे-प्यारे बच्चे रहते थे काजल और अभी। जब दोनों छोटे थे तो साथ रहते थे पर अब गेस्ट रूम खाली रहने से दोनों ने एक-एक कमरे ले लिए थे ।शुभी ने 9 साल की काजल को बोला कि मैंने तुम्हारा सामान अभी भैया के कमरे में शिफ्ट कर दिया है और अब तुम हमारे कमरे में आकर रहना।पर मम्मा अब तो मैं बड़ी हो गई। मैं कई महीने से वहां रह रही थी।कोई बात नहीं बेटा... अब आपके दादा-दादी रहेंगे वहां।ठीक है मम्मा मैं... आपके कमरे में आ जाऊंगी।काजल शुभी के साथ रहना शुरू कर दी।समर और शुभी दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। वह सुबह निकल जाते और शाम तक वापस आते। घर में काम वालों की कमी नहीं थी सफाई ,बर्तनों, खाने के लिए शुभी ने कामवाली बाई लगा रखी थी। बेटा बहू के ऑफिस जाने से तथा बच्चों के स्कूल चले जाने से अनिल जी व वसुधा जी को शुरु- शुरु में तो ठीक लगा। पर कुछ दिनों बाद उन्हें अपने पड़ोसियों, घर तथा शहर की बहुत याद आने लगी। बड़े शहरों में लोग ज्यादा बिजी होने से आसपास के लोगों से मिलने नहीं आते। यहां यही लाइफ स्टाइल है अकेले रहना। बहुत ही खालीपन लगता था दोनों को।बेटे समर को कुछ दिनों में उनकी मायूसी का अंदाजा हुआ उसने बोला आपकी उम्र के लोग नीचे सोसाइटी में सुबह टहलते हैं। आप लोग भी चले जाया करिए।अगले दिन से दोनों लोग वॉक पर जाने लगे। धीरे-धीरे उनके दोस्त बनने लगे तथा उनका मन लगने लगा।एक दिन अनिल जी अपने कुछ दोस्तों को लेकर घर आ गए। समर घर से ही ऑफिस का काम कर रहा था उसने देखा कई लोगों को पापा लेकर आ गए घर में, और सब बहुत ही शोर गुल कर रहे थे। जिससे उसको ऑफिस के काम में तथा बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई जो चल रही थी उसमें दिक्कत होने लगी। उसे यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।दो -चार बार ऐसे और होते ही उसने पापा से बोल दिया। पापा आप इन लोगों से नीचे ही मिल लिया करें। ऊपर लाने की कोई जरूरत नहीं। यहां कोई किसी को अपने घर नहीं बुलाता।पर बेटा अब ऐसे ही तो हमारा समय बीतेगा। जब हम उन्हें बुलाएंगे, तभी तो वह हमें बुलाएंगे।नहीं पापा यह सब छोटे शहर में ही होता है। बड़े शहरों में लोग अपने काम से काम रखते हैं। वैसे भी बनारस में आसपास सारे अपने रिश्तेदार होने से वह अक्सर आकर मिल लिया करते थे। आप को लोगों से जितना मिलना है आप नीचे ही मिले या फोन पर बात कर लिया करिए। समर इस तरह से उखड़ कर बोला।अनिल जी व वसुधा जी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उस रात वह दोनों ठीक से सो नहीं पाए। उन्हें लग रहा था कि उन्होंने यहाँ रहने का सोच के कुछ ग़लत तो नहीं किया। उनका मन किया कि जल्द अपने घर चले जाएं पर सोचा कि अभी कहेंगे तो बेटे को बुरा लगेगा।वसुधा जी का भी मन कम लगे। ना करने को कोई काम, ना किसी से मिलना जुलना, बस फोन पर ही अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से बातों में लगी रहती।एक दिन फोन पर बात कर रही थी शुभी ने सुन लिया। बाद में उसने भी टोकते हुए बोली "मेरी घर की बात आप किसी को भी ना बताया करें।वसुधा जी भी मायूस रह गईं, बहुत बंधापन व अनजानापन लगने लगा था उस घर में। ऐसा लगा कि खूब सुख सुविधा तो है पर अपनी इच्छाओं पर किसी ने लगाम लगा दिया हो।तभी एक दिन लैंडलाइन पर बनारस जहाँ उनका घर था वहां से फोन आया। सौभाग्य से समर के व्यस्त होने से अनिल जी ने फोन उठा लिया। फोन करने वाले ने बताया कि मैं प्रॉपर्टी डीलर बोल रहा हूं। आपके मकान के बहुत अच्छे दाम मिल रहे हैं समर जी।मैं अनिल बोल रहा हूं समर के पापा ने बोला।प्रॉपर्टी डीलर बोला मुझे समर जी से बात करनी है।अनिल जी बोले कौन से मकान की बात कर रहे होअरे जो लहुराबीर पर है। समर जी ने बोला था कस्टमर ढूंढने के लिए। बहुत ही मोटी पार्टी मिली है। सुनते ही अनिल जी को मानो काटो तो खून नहीं। उनकी जान बसती थी उस मकान में। उन्होंने तुरंत गुस्से से तेज आवाज में बोला नहीं हमें कोई मकान नहीं बेचना कह फोन काट दिया ।उनकी तेज आवाज से समर वा वसुधा जी दौड़ते हुए आए। क्या हुआ पापा? अनिल जी की सांस फूलने लगी। वह वही निठाल सोफे पर होकर बैठ गए।बताइए किसका फोन था पापा।" समर भी घबराहट में प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहा था। वसुधा जी दौड़ के पानी लेने गई। पानी पीने के बाद अनिल जी ने अपने को संभाला।पापा कैसी तबीयत है अनिल जी थोड़ी देर बाद गहरी सांस लेते हुए बोला मैं बिल्कुल ठीक हूं। पापा किसका फोन था?प्रॉपर्टी डीलर का.... मकान बेचने को तुमने बोला है? मैं अपने जीते जी उस मकान को नहीं बेच सकता। मुझे अब जाना है अपने घर। बेटा हमारा टिकट करवा दो।वसुधा जी भी बोली हां बेटा कई महीने हो गए। कुछ दिन वहां पर भी रह आए। तेरे पापा की तबीयत भी दवा से बहुत बेहतर हो गई है। अब हमें जाने दे।समर ने कहा आप लोग यही रहिए।नहीं बेटा फिर आएंगे अभी हमें जाना है। कह अनिल जी और वसुधा जी के आंखों में आंसू आ गए।अरे पापा मम्मी आप लोग इतने मायूस मत होइए। मैं आज ही आपका टिकट करा देता हूं। मुझे लगा अब हम लोग साथ ही रहेंगे। तो वह मकान बेच दूं। समर अपनी बात की सफाई देते हुए बोला।अनिल जी फिर गुस्से से बोले मुझसे पूछे बिनापापा के इस भाव को देखकर समर को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बोला माफ कर दीजिएगा पापा। मुझसे गलती हो गई ।अनिल जी बोले वह मेरी और तेरी मां की खून पसीने की कमाई का बना हमारा एक खूबसूरत सपना है। उसे तुम हमारे मरने के बाद ही बेचना, अभी नहीं। समर आंखों में आंसू लेकर गिड़गिड़ाते हुए पापा के पैरों पर आ गया था। फिर बोला माफ कर दीजिए पापा। आगे से ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा।ठीक है बेटा... पर अभी तो हमें जाना है। हमें अपने घर की याद आ रही है।समर ने अगले हफ्ते का उनका बनारस जाने का टिकट करा दिया। आज बहुत ही खुश थे। अनिल जी व वसुधा जी अपने घर जाने के एहसास से। वो दोनों फिर से वही अपनी आजादी, अपनी छूटी दुनिया व अपनी कर्मस्थली से जो मिलने वाले थे। चाहे कितने भी ऐशो आराम मिल जायें पर व्यक्ति तभी सुकून पाता है जब उसे बन्दिशों की बेड़ियोँ से स्वतंत्रता मिलती है।

चित्र नही चरित्र की पूजा करो, व्यक्ति नही व्यक्तित्व की पूजा करो ।

रोती हुई आंखें कभी झूठ नहीं बोलती क्योंकि आंसू तभी आते हैं जब अपना कोई दर्द देता है।।

Monday 9 September 2024

अहंकार में तीनों गए धन, वैभव और वंश यकीन ना आये तो देख लो रावण, कौरव और कंस.

जो मनुष्य जीवन में सत्य का मार्ग चुनता हैं, उसका सफ़र ईश्वर तक पहुँचकर ही समाप्त होता हैं।

खटकते हैं उनको जहाँ हम झुकते नहीं हैं । बाकी जिनको अच्छे लगते हैं वो कहीं झुकने भी नहीं देते ।

##*वर्तमान समाज में पैर पसारते कलयुग के अशुभ लक्षण*1. कुटुम्ब कम हुआ 2. सम्बंध कम हुए 3. नींद कम हुई. 4. बाल कम हुए 5. प्रेम कम हुआ 6. कपड़े कम हुए 7. शिष्टाचार कम हुआ 8. लाज-लज्जा कम हुई 9. मर्यादा कम हुई 10. बच्चे कम हुए 11. घर में खाना कम हुआ 12. पुस्तक वाचन कम हुआ 13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15. चलना कम हुआ 16. खानपान की शुद्धता कम हुई 17. खुराक कम हुई 18. घी-मक्खन कम हुआ 19. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए 20. सुख-चैन कम हुआ 21. अतिथि कम हुए 22. सत्य कम हुआ 23. सभ्यता कम हुई 24. मन-मिलाप कम हुआ 25. समर्पण कम हुआ 26. बड़ों का सम्मान कम हुआ। 27 सहनशक्ति कम हुई । 28 धैर्य कम हुआ 29 श्रद्धा-विश्वास कम हुआ ।और भी बहुत कुछ कम हुआ जिससे जीवन सहज था, सरल था।संतान को दोष न देंबालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम' में पढ़ाया...'अंग्रेजी' बोलना सिखाया।'बर्थ डे' और 'मैरिज एनिवर्सरी'जैसे जीवन के 'शुभ प्रसंगों' को 'अंग्रेजी कल्चर' के अनुसार जीने को ही 'श्रेष्ठ' माना।माता-पिता को 'मम्मी' और'डैड' कहना सिखाया।जब 'अंग्रेजी कल्चर' से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको 'समय' नहीं देता, आपकी 'भावनाओं' को नहीं समझता, आप को 'तुच्छ' मानकर 'जुबान लड़ाता' है और आप को बच्चों में कोई 'संस्कार' नजर नहीं आता है, तब घर के वातावरण को 'गमगीन किए बिना'... या...'संतान को दोष दिए बिना'...कहीं 'एकान्त' में जाकर 'रो लें'...क्योंकि...पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,'भारतीय संस्कारों' के बजाय,मंदिर जाने की जगह,'केक' कैसे काटा जाता है सिखाने वाले आप ही हैं...'हवन कुण्ड में आहुति' कैसे दी जाए... 'मंत्र, आरती, हवन, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...केवल 'फर्राटेदार अंग्रेजी' बोलने को ही,अपनी 'शान' समझने वाले भी शायद आप ही हैं...बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे'प्रणाम-आशीर्वाद' के बदले'बाय-बाय' कहना सिखाने वाले आप...परीक्षा देने जाते समय'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने' के बदले'Best of Luck'कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...बालक या बालिका के 'सफल' होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर 'खुशियाँ' मनाने के बदले...'होटल में पार्टी मनाने' की 'प्रथा' को बढ़ावा देने वाले आप...बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...'कुल देवता / देव दर्शन' को भेजने से पहले... 'हनीमून' के लिए 'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट' भेजने की तैयारी करने वाले आप...ऐसी ही ढेर सारी 'अंग्रेजी कल्चर्स' को हमने जाने-अनजाने 'स्वीकार' कर लिया है...अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के 'पैर छूने' में भी 'शर्म' आती है...गलती किसकी..? मात्र आपकी '(माँ-बाप की)'...अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा' है... कामकाज हेतु इसे 'सीखना'है,अच्छी बात है परइसकी 'संस्कृति' को,'जीवन में उतारने' की तो कोई बाध्यता नहीं थी? अपनी समृद्ध संस्कृति को त्यागकर नैतिक मूल्यों,मानवीय संवेदनाओं से रहित अन्य सभ्यताओं की जीवनशैली अपनाकर हमनें क्या पाया? अवैध संबंध? टूटते परिवार? व्यसनयुक्त तन? थकेहारे मन? छलभरे रिश्ते? अभद्र,अनुशासनहीन संतानें? असुरक्षित समाज? भयावह भविष्य?*एक बार विचार अवश्य कीजिएगा कि* *संस्कारवान पीढ़ी क्यों आवश्यक है... ##hindimotivationalquotes#hindiinspirationalquotes#hindisuvichar #Goodthoughts #hindithoughts#hindishayari#हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani#hindishayri #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #बात #hindimotivationalstatus #9sep2024

Sunday 8 September 2024

पति का हाथ पकड़ कर उसकी प्रेमिका को सौंप आई एक पत्नीबोली पकड़ो, संभालो, यह अब तुम्हारा हुआइसे गैस, बीपी, कोलेस्ट्रॉल, डॉयबिटीज़ और बावासीर हैफलां फलां दवाईयाँ है, समय से देनाखाने में नमक ज़्यादा हो तो थाली फ़ेक देता है, तुम ख़्याल रखनाहर रात पीठ दिखाकर सोता है,पूरी रात खर्राटे भरता है और गैस छोड़ता है,सुबह उठते ही फोन पे लगता है और रात मे सोने से पहले तक फोन नहीं छोड़तातुमसे ही तो प्रेम प्रेम खेलता हैथककर फोन ही इसे छोड़कर बिस्तर पर गिर जाता हैतुम एडजस्ट कर लेनाकर ही लोगीतुम्हारी वॉट्सऐप चैट पढ़ी मैंनेतुमने लिखा था आई लव यूतो लव शव में तो क्या खर्राटे, क्या गैसनाक के बाल जिस ट्रिमर से काटता है, उसे समय पर चार्ज करती रहनातलवों की मालिश रोज़ करना, वरना नींद नहीं आयेगी इसेगाली देने में पीएचडी की है इसनेतुम्हें शायद न बके दोएक महीनेपर जब बके तो गर्दन नीचे करके सुन लेना वरना तो तुम्हें मार भी सकता हैले जाओ इसेइसे तुम जीत चुकी होपरंतु सेक्स करने से पहले प्रोटेक्शन रख लेना, तीन बार अलग अलग औरतों के साथ अलग अलग होटलों में पाया गया हैबहादुर हो तुम, ठीक आदमी चुना तुमनेतुम्हें जो हार तोहफे में दिया है, उसे मेरे पिता ने कर्ज़ लेकर बनवाया था, तुम पहनना, बेच न देना, पिता स्वर्ग से तुम्हें भी आशीष देंगेपत्नियाँ अब क्लेश नहीं कर रहींरोना, पीटना, मन्नत, धागे कुछ नहीं कर रहींएक्सट्रा मैरिटल अफेयर के पता चलते ही प्रेमिकाओं को सौंप कर आ रही हैंकोई कह रहा था "वैसी" औरतों को प्रेमिका नहीं कहते, उनके लिए कुछ और शब्द है।क्या शब्द है वो? उसका पहले पुल्लिंग वर्ज़न तो बनाओबनाओ पहले पुल्लिंग वर्ज़न और बताओ "वैसे" यानि उस तरह के पुरूष को क्या कहते हैं?

शादी की सुहागसेज पर बैठी एक स्त्री का पति जब भोजनका थाल लेकर अंदर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया रोमांचित उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यहीं बुला लेते तो हम तीनों साथ बैठकर भोजन करते। पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होंगी आओ हम साथ में भोजन करते है प्यार से, उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नहीं मैंने उन्हें खाते हुए नहीं देखा है, तो पति ने जवाब दिया कि क्यों तुम जिद कर रही हो शादी के कार्यों से थक गयी होंगी इसलिए सो गई होंगी, नींद टूटेगी तो खुद भोजन कर लेंगी। तुम आओ हम प्यार से खाना खाते हैं। उस स्त्री ने तुरंत Divorce लेने का फैसला कर लिया और Divorce लेकर उसने दूसरी शादी कर ली और इधर उसके पहले पति ने भी दूसरी शादी कर ली। दोनों अलग- अलग सुखी घर गृहस्ती बसा कर खुशी खुशीरहने लगे।इधर उस स्त्री के दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील और आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री ६० वर्ष की हुई तो वह बेटों को बोली में चारो धाम की यात्रा करना चाहती हूँ ताकि तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना कर सकूँ। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारों धाम की यात्रा पर निकल गये। एक जगह तीनों माँ बेटे भोजन के लिए रुके और बेटे भोजन परोस कर मां से खानेकी विनती करने लगे। उसी समय उस स्त्री की नजर सामने एक फटेहाल, भूखे और गंदे से एक वृद्ध पुरुष पर पड़ी जो इस स्त्री के भोजन और बेटों की तरफ बहुत ही कातर नजर से देख रहा था। उस स्त्री को उस पर दया आ गईं और बेटों को बोली जाओ पहले उस वृद्ध को नहलाओ और उसे वस्त्र दो फिर हम सब मिलकर भोजन करेंगे। बेटे जब उस वृद्ध को नहलाकर कपड़े पहनाकर उसे उस स्त्री के सामने लाये तो वह स्त्रीआश्चर्यचकित रह गयी वह वृद्ध वही था जिससे उसने शादी की सुहागरात को ही divorce ले लिया था। उसने उससे पूछा कि क्या हो गया जो तुम्हारी हालत इतनी दयनीय हो गई तो उस वृद्ध ने नजर झुका के कहा किसब कुछ होते ही मेरे बच्चे मुझे भोजन नहीं देते थे, मेरा तिरस्कार करते थे, मुझे घर से बाहर निकाल दिया। उस स्त्री ने उस वृद्ध से कहा कि इस बात का अंदाजा तो मुझेतुम्हारे साथ सुहागरात को ही लग गया था जब तुमने पहले अपनी बूढ़ी माँ को भोजन कराने के बजाय उस स्वादिष्ट भोजन की थाल लेकर मेरेकमरे में आ गए और मेरे बार-बार कहने के बावजूद भी आप ने अपनी माँ का तिरस्कार किया। उसी का फल आज आप भोग रहे हैं।जैसा व्यहवार हम अपनेबुजुर्गों के साथ करेंगे उसीदेखा-देख कर हमारे बच्चोंमें भी यह गुण आता है किशायद यही परंपरा होती हैसदैव माँ बाप की सेवा हीहमारा दायित्व बनता हैजिस घर में माँ बाप हँसते हैवहीं प्रभु बसते है!

Saturday 7 September 2024

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l ** सु:खमय वृद्धावस्था **---------------------------------1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें !2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं ! 4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें ! 7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩‍🏫👨‍🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷‍♂ परेशानियां चलती रहतीं हैं !11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵‍♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें ! 12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा ! 13 :- किसी भी तरह के टकराव 🤫🤔 को टालें एंव तनाव रहित जीवन को जिएं ! 😊14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं 💁‍♀🤦🏻‍♂🙅‍♀भी नहीं, बात का विश्वास करें ! 15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक 🚗🏡💰👩‍👩‍👦‍👦🙋‍♀🙋‍♂ पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !! 🙏😊🙏😊🙏😊🙏😊🙏

Friday 6 September 2024

ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं…और क्या जुर्म है पता ही नहीं…

पुरुष के पास पैसा हो तो औरत नंगी हो जाती है,और अगर पैसे ना हो तो पुरुष नंगा हो जाता है... जब एक पुरूष की एक महिला से शादी की बात चल रही थी, तो लगता था कि ये वही लड़की है जिसे भगवान ने उसके लिए बनाया है..जल्दी ही वे इतना घुल मिल गए, की जिम्मेदारियों की बाते शारीरिक संबंध तक पहुंच गईं..अब तो मानो ऐसा लगता था जैसे कि बस जल्दी शादी हो..पुरुष का कहना था कि वो मुझसे ज्यादा मेरे मां बाप को प्यार करेगी एक पुरुष को क्या चाहिए ऐसी लड़की जो उसे जी भर शारीरिक सुख दे उसका और उसके मां बाप का ध्यान रख सके...दोनों की शादी होती है, और उनके बीच सब अच्छा चलता है, शादी के बाद ही पता चला कि जिस चीज को करने की आदमी को इतनी जल्दी होती है, उससे कहीं ज्यादा तड़प एक औरत में होती है.. पुरुष को भी महिला पर इतना प्यार आता था, कि मन करता था उसकी हर ख्वाइश पूरी करे और प्रयास भी करता था..लेकिन समय के साथ जिम्मेदारियां बड़ी और पुरुष ने महिला को बोला कि हम दोनों को जीवन साथ काटना है इस लिए खर्चे पर थोड़ा ध्यान देना होगा.. इसे सुन के उसने तुरंत बोला कि अब क्या कटौती करनी है , ऑलरेडी मन मार कर रहती हूं..पुरुष ने मन में सोचा कि वह तो इसकी हर ख्वाइश पूरी करता है फिर ये ऐसे कैसे बोल सकती है कि मन मार के रहती हूं...पुरुष बोला आखिर क्या कमी है जो तुम बोल रही हो मन मार के रहती हो..उसने पुरुष को गिनाया, की मैं भी बड़ी गाड़ी में घूमना चाहती हूं मैं भी चाहती हूं कि साल में कम से कम ४- ५ ट्रिप करूं मैं भी चाहती हूं कि मेरा घर सजा रहे . मैं मेकअप के सामान ब्रांडेड इस्तेमाल करूं..पुरुष बोला खुद ३००० की लिपस्टिक लगाती हो ५००० का पाऊडर और क्या चाहिए जवाब में महिला ने ऐसी बात बोली मानो एहसान गिना रही हो।कि किसी चीज की डिमांड नहीं करती है...और पुरुष को खुद पर आत्म ग्लानि होने लगी कि उसकी पत्नी की ख्वाइश वह पूरा नहीं कर पा रहा, पुरुष ने दोबारा बात नहीं की इस बारें में... और साइड में भी २-३ काम करना शुरू किया, जिससे एडिशनल अर्निंग हो जाए, तभी उसका बर्थडे आने वाला था, उसने एक ड्रेस पसंद की थी दुकान पर जिसकी कीमत १२००० रूपये थी.. पुरुष ऑफिस से आता है, और वो पुरुष गले लगाती है, पानी देती है, और बोलती है पैसे देदो, जाके ड्रेस लेलूँ..पुरूष भी मजाक के मूड में था, और बोला कि अरे डियर पैसे तो नहीं हो पाएं हैं क्यों कि इस महीने सैलेरी मिलने में काफी दिक्कत होगी....इस बार साथ में बर्थडे मनाते हैं ड्रेस तुम अगले महीने ले लेना और साथ में अपनी महंगी वाली लिपस्टिक भी...तभी वो पुरुष को अपने से दूर जाने को बोलने लगी... क्या यार आपसे एक चीज बोली थी वो भी आपने लाकर दी, मैने शॉप वाले को बोल के रखा था ले लुंगी बेचना मत...अब बेइज्जती हो गई तुरंत पुरुष बोला, कि अरे इसमें बेइज्जती कैसी शॉप है, बिक भी जाए तो फिर उसी में का मंगवा लेना... अच्छा मंगवा लूंगी और जो मैने अपने फ्रेंड्स को बोला है कि मैं बर्थडे में वही ड्रेस पहनूंगी उसका क्या क्या ये मेरी बेइज्जती नहीं हैइस बात पर पुरुष बोला तो क्या मैं चोरी करने जाऊं अगर ऑफिस में वेतन लेट हो रहा तो मेरी क्या गलती है...उसने तुरंत बोला यार तुम्हारा हर बार का नाटक यही है एक तो मैं कभी कुछ मांगती नहीं हूं और मांग रही हूं तो तुम ऐसी बात कर रहे हो...हट जाओ मुझसे बात मत करना और पूरी शाम उसने पुरुष से बात नहीं की। रात में भी ठीक से खाना नहीं बनाया और बेड रूम में चली गई पुरुष भी सोने वाला था और उसे 12000 रुपए ड्रेस के और 10000 पार्टी के दिए..पैसे देखते ही उसने पुरुष को बोला कि अरे बाबू जब पैसे लाए थे तो बताया क्यों नहीं और गले लगा कर सोरी बोलने लगी,और बोला ना जाने क्या क्या बोल दिया आप को बाबू पुरुष कुछ बोला नहीं सो गया,अगले दिन सुबह उठते ही उसने पुरुष को सॉरी बोला और करीब आके शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की,पर इस बार पुरूष का अंदर से मन भी नहीं था पुरूष ने उससे मना कर दिया..ऑफिस जाते टाइम महिला ने पुरूष को बोला गलती हो गई माफ कर दो,पुरुष बोला गलती तुमसे नहीं हुई है मुझसे हुईं है तुम मुझसे प्यार करती ही नहीं तुम्हें बस मेरे पैसे से प्यार है और पुरुष ऑफिस चला गया और सोचने लगा कि आजकल की महिलाएं ऐसी हैं, की अगर मेरे पास पैसा है तो वो मेरे लिए नंगी हो जाएंगी और अगर मेरे पास पैसे ना हो तो मुझे नंगा कर देगी पुरूष शाम को घर आया पर बात नहीं की 3 दिन बाद उसका बर्थडे था, अच्छे से मनाया और घर आके बोला कि अब बैंगलोर में नहीं रहूंगा, पुरुष ने ऑफिस से वर्क फ्रॉम होम ले लिया है.. अब पुरूष बोला गांव चल कर मां बाप के साथ रहूंगा, महिला बोली अरे क्यों वहां इतनी दिक्कत है, लाइट नहीं रहती है फिर मैने बोला कि ठीक है मां बाप को यहां बुला लेते हैं इसपर महिला का जवाब आया कि अरे वो यहां आएंगे तो उनका मन नहीं लगेगा बड़ी बड़ी बंद बिल्डिंग में गांव के खुले मौसम में रहने वाले कहा रह पाएंगे. पुरुष बोला बस इसी लिए उनके पास जाना है क्यों कि वो मुझसे बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं मेरे पैसे पर तुमसे पहले उनका अधिकार है..ऐसा बोल के पुरुष ने सामान पैक किया और बोला चलना है तो चलो यहां रहना है तो यहां रहो..महिला ने चलने को मना कर दिया, पुरुष भी उसे वहीं छोड़ के घर आगया..घर आकर पापा और मां को बात बताई तो उन्होंने पुरूष को ही गलत समझा.. पर पुरुष सच्चाई जनता था, उसे बुलाया पर वो नहीं आई कुछ दिन पुरुष पैसे भेजता था, लेकिन ४ महीने बाद जब उसने एक बार ये भी बोला कि उसे भी साथ आके रहना है तो पुरुष ने भी पैसे। देने बंद कर दिए.. जैसे ही पैसे बंद हुए उसका महिला का चेहरा सामने आया उसने पुरुष पर ही केस किया कि शादी के बाद भी पत्नी को शारीरिक सुख देने में समर्थ नहीं है इस लिए उसे तलाक चाहिए और बदले में हर महीने एक फिक्स धनराशि कोर्ट में जब पुरुष ने अपनी बात रखी कि ये मुझसे नहीं सिर्फ मेरे पैसे से प्यार करती थी..और ये मेरे मां बाप के साथ नहीं रहना चाहती थी, तो पता चला ऐसा तो कोई कानून नहीं है जिसमें महिला को मां बाप की सेवा करना जरूरी हो.. पुरुष केस हार गया और आज भी हर महीने ४०००० महिला को देता है और अपने मां बाप के साथ गांव में रहता है एक बात पता चली बहुत खुश मुनासिब होते हैं वो लोग जिनको प्रेम करने वाली पत्नी मिलती हैं क्यों की आज के समय में सिर्फ 2 लोग ही हैं जो बिना किसी स्वार्थ के आपसे प्रेम करते हैं और बदले में किसी चीज की उम्मीद नहीं रखते वो हैं माता पिता एक बार गांव की कम सुंदर दिखने वाली लड़की से व्याह कर लेना पर शहर की सुंदर लड़कियों से करने से पहले १० बार सोचना..

1. पहले के जमाई के जब आने का पता चलता तो ससुर जी दाढ़ी बनाकर और नए कपङे पहनकर स्वागत के लिए कम्पलीट रहते थे ।2. जमाई आ जाते तो बहुत मान मनवार मिलती और छोरी दौड़कर रसोई में घुस जाती थी ।सासुजी पानी पिलातीं और धीरे से कहती :-“आग्या कांई ?”3. आने का समाचार मिलते ही गली मोहल्ले के लोग चाय के लिए बुलाते थे,और काकी सासुजी या भाभियां तो आटे का हलवा भी बनाती थी ।4. जमाई खुद को ऐसा महसूस करता था कि वो पूरे गांव का जमाई है ।5. जमाई के घर में आने के बाद घर के सब लोग डिसिप्लिन में आ जाते थे।6. जमाई बाथरूम से निकलते तो उनके हाथ सन्तूर साबुन से धुलवाते, भले खुद उजाला साबुन से नहाते थे ।7. जमाई अगर रात में रुक जाते तो सुबह उनका साला पेस्ट और ब्रश हाथ में लेकर आस पास घूमता रहता था ।8. जब जमाई का अपनी बीवी को लेकर जाने का समय हो जाता तो वो स्कूटर को पहले गैर में डालकर भन्ना भोट निकालते थे, जिससे उनका ससुराल में प्रभाव बना रहता था ।.अब आज के जमाई की दुर्दशा :-------------------------------------1. आज के जमाई से कोई भी लुगाई लाज नहीं करती है, खुद की बीवी भीसलवार कुर्ते में आस पास घूमती रहती है ।.काकी सासुजी और भाभी कोई दूसरी रिश्तेदारी निकाल कर बोलती हैं :- ” अपने तो जमाई वाला रिश्ता है ही नहीं ।”.2. साला अगर कुंवारा है और अगर उसकी सगाई नहीं हो पा रही है तो इसका ताना जमाई को सुनाया जाएगा :- “तुम्हारा हो गया इसका भी तो कुछ सेट करो ।”.3. पानी पीना हो तो खुद रसोई में जाना पड़ेगा, कोई लाकर देने वाला नहीं है ।.4. ससुराल पक्ष की किसी शादी में जमाई को इसीलिए ज्यादा मनवार करके बुलाया जाता है ताकि जमाई बच्चों को संभाल सके, बीवी और सासुजी आराम से महिला संगीत में डांस कर सके।.5. जरा सा अगर बीवी को ससुराल में कुछ कह दिया तो सासुजी की तरफ से तुरंत जवाब आता हैं, ”एक से एक रिश्ते आऐ थे, पर ये ही मिला था छोरी को दुखी करने के लिए,

एक शिक्षक कहा करते थे, आप जीवन में कुछ भी करें, लेकिन आपको खुश करने के लिए किसी और को खोजने की कोशिश न करें। कभी भी किसी पर इस हद तक निर्भर न रहें कि आपकी उम्मीदें पूरी न होने पर आप उदास हो जाएं। विशेषकर मानसिक रूप से. आप परेशान हैं, हेमंत का संगीत सुनें, अपने लिए एक गर्म कप कॉफी बनाएं, दोपहर की मीठी धूप में खुद से बात करें, अपने पसंदीदा लेखक की किताब पढ़ें। अगर आपमें कोई खास रचनात्मकता है तो खुद को उसमें व्यस्त रखें। 🥀 दूसरों पर व्यंग्य करके स्टेटस लिखना, अपने दुख, कमजोरी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना किसी बुद्धिमान व्यक्ति का काम नहीं है। अगर आप बहुत परेशान हैं तो कमरे में अंधेरा कर दें और चुपचाप बैठ जाएं। अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना करें. यादें ताजा करें, हंसें, रोएं, जो भी हो, अपने साथ एक खूबसूरत रिश्ता बनाएं ताकि दुख के दिनों में आपको कंधे की जरूरत न पड़े। अगर आप किसी चीज में सफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, अगर आप असफल होते हैं तो खुद पर गर्व करें, खुद से एक वादा करें। लेकिन किसी और की नज़रों में अपनी पूर्णता खोजने की कोशिश न करें। आपको कष्ट तब होगा जब दूसरों की नजरें आपके दोषों में आपके गुण नहीं ढूंढ पाएंगी, यदि आप ढूंढ सकते हैं, तो आप ढूंढ सकते हैं। रेस्तरां में अकेले खाना खाना सामान्य होना चाहिए, पार्क में अपने साथ समय बिताना क्यों हास्यास्पद होगा? यदि संभव हो तो वित्तीय लोगों को भी खुद को स्थापित करना चाहिए। ताकि आप गंभीर मूड स्विंग्स में खुद को चॉकलेट दे सकें, आप अपने जन्मदिन पर खुद को एक उपहार दे सकें या वंचित बच्चों के साथ जन्मदिन की खुशी साझा कर सकें, आप अपनी पसंदीदा पोशाक खरीद सकें, भले ही आप अपने लिए पैसे बचा सकें।कभी-कभी अपने आप को कुछ फूल दीजिए। घर के एक कोने में फूल होंगे, मनमोहक खुशबू फैलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। हर किसी को खुश रखना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, हर किसी को खुश रखना दुनिया में किसी के लिए भी संभव नहीं है। जहां आप नहीं कह सकते, वहां "नहीं" कहना सीखें। मेरे माता-पिता मेरी कद्र नहीं करते, मेरे दोस्त मुझे समय नहीं देते, मेरे करीबी मुझसे ठीक से बात नहीं करते, मेरे लिए उनके पास समय नहीं है, इससे कोई परेशानी नहीं होगी। हमारी भाषा में ध्यान दूसरों के लिए अनावश्यक तनाव मात्र है। दूसरों को परेशान क्यों करें? एक खूबसूरत व्यक्तित्व होना मुश्किल नहीं है, बस खुद से इतना प्यार करें कि दूसरों की नजरों में अपने लिए प्यार ढूंढने की जरूरत न पड़े। चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में लोगों का दिमाग प्लास्टिक की तरह हो गया है। इसलिए खुद को अपने तक ही सीमित रखना बेहतर लगता है।

Thursday 5 September 2024

घर में बंटवारा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारदो भाईयों में कलह हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारपड़ोसी से झगड़ा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारअपने बलात्कार के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारअपनी छेड़खानी के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारसमाज में नैतिक पतन के लिए भी स्त्रियों की आज़ाद ख़याली ज़िम्मेदारमल्लब पुरुष तो भोला भाला बच्चा है, निरीह प्राणी है. सारा दोष स्त्रियों का है! है कि नहीं? कुछ लोग मेरी पोस्ट पे कमेंट भी कर देते हैं कि सारे अपराधों की जड़ हैं: जर, जोरू, ज़मीन! मतलब कि स्त्री को ये समाज धन और ज़मीन की तरह ही एक वस्तु मानकर समस्याओं की जड़ मानता है!भारतीय मर्द वास्तव में इस धरती के सबसे अजीब जंतु हैं!

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , पहला चरण - कैंची दूसरा चरण - डंडा तीसरा चरण - गद्दी ...*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।**"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !*पहला चरण कैंची**दूसरा चरण डंडा**तीसरा चरण गद्दी।*● *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैंCopy paste 🙂🙂

Wednesday 4 September 2024

*बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।* एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, *छोड़ दीजिए* बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, *छोड़ दीजिए।* गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, *छोड़ दीजिए।* एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, *छोड़ दीजिए।* अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ दीजिए।* हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, *छोड़ दीजिए।* बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।* उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड दीजिए।* मैसेज अच्छा लगे तो ठीक, न लगे तो फारवर्ड करने का विचार, *छोड़ दीजिये।* #budahpa

*उन सभी बेटे,बहुओं और बेटी,दामादों से मेरा निवेदन है कि यदि आपके साथ रहने वाले वृद्ध माता पिता आर्थिक रूप से पूरी तरह आप पर आश्रित हैं,उनकी कोई पेंशन/ब्याज रूपी कोई आमदनी नही है तो अपनी हैसियत के अनुसार उनके हाथ में कुछ रुपए जेब खर्च की तरह अवश्य रखें।**अपने स्वाभिमान के चलते वो आपसे कभी कहेंगे नही किंतु हाथ में पैसे की जरूरत सबको होती है।**कुछ खाने पीने की इच्छा होने पर,कुछ छोटा मोटा खर्च,नाती पोतों को कुछ खिलाने,खिलौना दिलाने की इच्छा होने पर आर्थिक परवशता होने की वजह से मन मसोस कर रह जाना,हर बात पर मुँह ताकना,छोटे छोटे खर्च के लिए मुँह खोलकर बार बार पैसे मांगना कितना खलता है वो हम आप शायद उनकी जगह पर होंगे तभी समझ सकेंगे।**साथ ही ऐसे माता पिता से मिलने जब बेटी-दामाद या वो बेटे बहू जाएं जो उनके साथ नही रहते तो उनको कुछ पैसे अवश्य देकर आएं या प्रति महीने थोड़ा जेब खर्च उनके अकाउंट में डाल दें ताकि एक ही बेटे या बेटी पर ही सारा खर्च न पड़े।**कोई भी बुजुर्ग फिजूल खर्च नही करते उन्होने तो पहले ही अपनी* *आवश्यकता को सिमित कर लिया है सिर्फ खाने के मामले मे थोडी ईच्छा रहती है क्योकि ज़िन्दगी भर बच्चो का भविष्य ,पढ़ाई ,शादी-ब्याह, पोते पोती,दोहिता दोहिति, के ख्वाहिश पुरी करने मे लगा दी सोचा उम्र तो पडी है बाद मे अराम से खायेंगे लेकिन अफसोस वह समय कभी आता नही और बुढापा और शारीरिक कष्ट धेर लेते है और धुमने* *खाने,दान करना ,सामाजिक कार्य, के लिए बजट नही होता**खुद्दार आदमी के लिए पैसे मागना बहुत मुश्किल है और गल्ती से माग भी ले तो मिलते नही है या अभी नही अगले महीने और अगला महीना कभी आता नही*🙏🙏🙏🙏

Tuesday 3 September 2024

ज़िन्दगीजिनके पास अपने हैं, वो अपनों से झगड़ते हैं... जिनका कोई नहीं अपना, वो अपनों को तरसते हैं..। कल न हम होंगे न गिला होगा। सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें। * जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।

*मुंशी प्रेमचंद जी की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*ख्वाहिश नहीं, मुझेमशहूर होने की," _आप मुझे "पहचानते" हो,_ _बस इतना ही "काफी" है।_😇_अच्छे ने अच्छा और__बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_ _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_ _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!__जिन्दगी का "फलसफा" भी__कितना अजीब है,_ _"शामें "कटती नहीं और_ -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!__एक अजीब सी__'दौड़' है ये जिन्दगी,_ -"जीत" जाओ तो कई_ -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और__हार जाओ तो,__अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥_बैठ जाता हूँ__मिट्टी पे अक्सर,_ _मुझे अपनी_ _"औकात" अच्छी लगती है।__मैंने समंदर से__"सीखा "है जीने का तरीका,_ _चुपचाप से "बहना "और_ _अपनी "मौज" में रहना।__ऐसा नहीं कि मुझमें__कोई "ऐब "नहीं है,_ _पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।__जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,_मेरे "दुश्मन",_ -एक मुद्दत से मैंने_ _न तो "मोहब्बत बदली"_ _और न ही "दोस्त बदले "हैं।__एक "घड़ी" खरीदकर_,_हाथ में क्या बाँध ली,_ _"वक्त" पीछे ही_ _पड़ गया मेरे!_😓_सोचा था घर बनाकर__बैठूँगा "सुकून" से,_ -पर घर की जरूरतों ने_ _"मुसाफिर" बना डाला मुझे!__"सुकून" की बात मत कर--बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥_जीवन की "भागदौड़" में__क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_ -हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है!_😢_एक सबेरा था__जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊 -और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_ _ही "शाम" हो जाती है!_😓_कितने "दूर" निकल गए__रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘 _खुद को "खो" दिया हमने_ _अपनों को "पाते-पाते"।_😥_लोग कहते हैं__हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊 _और हम थक गए_, _"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥_खुश हूँ और सबको__"खुश "रखता हूँ,_ _ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_* *-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏**_मालूम है_**कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_* *कुछ "अनमोल" लोगों से_* *-"रिश्ते" रखता हूँ।*

Sunday 1 September 2024

भारत में अगर आप 10km तक गाड़ी बिना गाली दिए चला सकते हो .. तो आप खुद को छोटा - मोटा संत मान सकते हो .................. ......#successstory

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l ** सु:खमय वृद्धावस्था **---------------------------------1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें !2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते हैं ! 4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें ! 6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन व्यतीत करें ! 7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩‍🏫👨‍🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें ! 8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें !9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷‍♂ परेशानियां चलती रहतीं हैं !11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵‍♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें, खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें ! 12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपके जीने का नज़रिया भी बदलेगा ! 13 :- किसी भी तरह के टकराव 🤫🤔 को टालें एंव तनाव रहित जीवन को जिएं ! 😊14 :- जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं रहता , चिंताएं 💁‍♀🤦🏻‍♂🙅‍♀भी नहीं, बात का विश्वास करें ! 15 :- अपने सामाजिक दायित्वों, जिम्मेदारियों को अपने रिटायरमेंट तक 🚗🏡💰👩‍👩‍👦‍👦🙋‍♀🙋‍♂ पूरा कर लें, याद रखें .. !! जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं .. !! 🙏😊🙏😊🙏😊🙏😊🙏#Repost #हर_बेटी_मेरी