घर में बंटवारा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारदो भाईयों में कलह हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारपड़ोसी से झगड़ा हो जाए तो स्त्री ज़िम्मेदारअपने बलात्कार के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारअपनी छेड़खानी के लिए भी स्त्री ज़िम्मेदारसमाज में नैतिक पतन के लिए भी स्त्रियों की आज़ाद ख़याली ज़िम्मेदारमल्लब पुरुष तो भोला भाला बच्चा है, निरीह प्राणी है. सारा दोष स्त्रियों का है! है कि नहीं? कुछ लोग मेरी पोस्ट पे कमेंट भी कर देते हैं कि सारे अपराधों की जड़ हैं: जर, जोरू, ज़मीन! मतलब कि स्त्री को ये समाज धन और ज़मीन की तरह ही एक वस्तु मानकर समस्याओं की जड़ मानता है!भारतीय मर्द वास्तव में इस धरती के सबसे अजीब जंतु हैं!