Wednesday 4 September 2024

*उन सभी बेटे,बहुओं और बेटी,दामादों से मेरा निवेदन है कि यदि आपके साथ रहने वाले वृद्ध माता पिता आर्थिक रूप से पूरी तरह आप पर आश्रित हैं,उनकी कोई पेंशन/ब्याज रूपी कोई आमदनी नही है तो अपनी हैसियत के अनुसार उनके हाथ में कुछ रुपए जेब खर्च की तरह अवश्य रखें।**अपने स्वाभिमान के चलते वो आपसे कभी कहेंगे नही किंतु हाथ में पैसे की जरूरत सबको होती है।**कुछ खाने पीने की इच्छा होने पर,कुछ छोटा मोटा खर्च,नाती पोतों को कुछ खिलाने,खिलौना दिलाने की इच्छा होने पर आर्थिक परवशता होने की वजह से मन मसोस कर रह जाना,हर बात पर मुँह ताकना,छोटे छोटे खर्च के लिए मुँह खोलकर बार बार पैसे मांगना कितना खलता है वो हम आप शायद उनकी जगह पर होंगे तभी समझ सकेंगे।**साथ ही ऐसे माता पिता से मिलने जब बेटी-दामाद या वो बेटे बहू जाएं जो उनके साथ नही रहते तो उनको कुछ पैसे अवश्य देकर आएं या प्रति महीने थोड़ा जेब खर्च उनके अकाउंट में डाल दें ताकि एक ही बेटे या बेटी पर ही सारा खर्च न पड़े।**कोई भी बुजुर्ग फिजूल खर्च नही करते उन्होने तो पहले ही अपनी* *आवश्यकता को सिमित कर लिया है सिर्फ खाने के मामले मे थोडी ईच्छा रहती है क्योकि ज़िन्दगी भर बच्चो का भविष्य ,पढ़ाई ,शादी-ब्याह, पोते पोती,दोहिता दोहिति, के ख्वाहिश पुरी करने मे लगा दी सोचा उम्र तो पडी है बाद मे अराम से खायेंगे लेकिन अफसोस वह समय कभी आता नही और बुढापा और शारीरिक कष्ट धेर लेते है और धुमने* *खाने,दान करना ,सामाजिक कार्य, के लिए बजट नही होता**खुद्दार आदमी के लिए पैसे मागना बहुत मुश्किल है और गल्ती से माग भी ले तो मिलते नही है या अभी नही अगले महीने और अगला महीना कभी आता नही*🙏🙏🙏🙏