ढ़ोल-नगाड़ों से विदा करो उन रिश्तों को,जहाँ ज़िंदगी भर आप रोते ही रह गए।जो पास रहकर भी, अजनबी से लगते रहे।जहाँ आपकी क़ीमत आँसुओं से भी सस्ती कर दी गई।💥 अब वक्त है तालियों और नगाड़ों से अलविदा कहने का,क्योंकि रो-रोकर जिए रिश्ते, रिश्ते नहीं, कैदखाने होते हैं।जहाँ मोहब्बत की जगह ताने मिलें,जहाँ चाहत की जगह धोखा मिले,वहाँ टिके रहना खुद से गद्दारी है।🔥 रिश्ते वही निभाओ जहाँ आपकी हँसी की इज़्ज़त हो,वरना बोझ उठाने से बेहतर हैउसे ढोल-नगाड़ों में बहा देना…!!