Tuesday 12 February 2019

क्यों डरे की ज़िन्दगी मैं क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे की बुरा होगा, बढ़ते रहे मंज़िलों की ओर कुछ न भी मिला तो क्या? तजुर्बा तो नया होगा।