Monday, 21 October 2019

स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नरक का डर छोड़ दो, कौन जाने क्या पाप, क्या पुण्य, बस किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए, बाक़ी सब कुदरत पर छोड़ दो।