Saturday, 29 February 2020
Friday, 28 February 2020
Thursday, 27 February 2020
Wednesday, 26 February 2020
चांद की कई खूबियां हैं। पहली तो खूबी यह कि चांद की रोशनी चांद की नहीं होती; सूरज की होती है। दिन भर चांद सूरज की रोशनी पीता है, और रात भर सूरज की रोशनी को बिखेरता है। चांद की कोई अपनी रोशनी नहीं होती। जैसे तुम एक दीया जलाओ और दर्पण में से दीया रोशनी फेंके। दर्पण की कोई रोशनी नहीं होती; रोशनी तो दीए की है। मगर तुम्हारा दीए से अभी मिलना नहीं हो सकता। और अभी दीए को देखोगे, तो जल पाओगे। आंखें जल जाएंगी। अभी रोशनी को सामने से तुम सीधा देखोगे, सूरज को, तो आंखें फूट जाएंगी। यूं ही अंधे हो--और आंखें फूट जाएंगी!अभी परमात्मा से तुम्हारा सीधा मिलन नहीं हो सकता। अभी तो परमात्मा का बहुत सौम्यरूप चाहिए, जिसको तुम पचा सको। चंद्रमा सौम्य है। रोशनी तो सूरज की ही है। गुरु में जो प्रकट हो रहा है, वह तो सूरज ही है, परमात्मा ही है। मगर गुरु के माध्यम से सौम्य हो जाता है।चंद्रमा की वही कला है, कीमिया है। वह उसका जादू! कि सूरज कि रोशनी को पीकर और शीतल कर देता है। सूरज को देखोगे, तो गर्म है, उत्तप्त है; और चांद को देखोगे, तो तुम शीतलता से भर जाओगे।सूरज पुरुष है, पुरुष है। चंद्रमा स्त्रैण है, मधुर है, प्रसादपूर्ण है। परमात्मा तो पुरुष है, कठोर है, सूरज जैसा है। उसको पचाना सीधा-सीधा, आसान नहीं। उसे पचाने के लिए सदगुरु से गुजरना जरूरी है। - ओशो**
Tuesday, 25 February 2020
Monday, 24 February 2020
Sunday, 23 February 2020
Saturday, 22 February 2020
Friday, 21 February 2020
Thursday, 20 February 2020
Wednesday, 19 February 2020
ਤੱਤੀ ਵਾਅ ਨਾ ਲੱਗੇ ਮੇਰੇ ਡਾਢਿਆ ਰੱਬਾ.ਜਿਹਨਾਂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਵਣ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਘਰ-ਘਰ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਬਣ ਗਈਆਂ ਨੇ.ਕਲਪਨਾ, ਹਿਮਾ, ਵਰਗੀਆਂ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਸਿਰੋਂ ਲਾਹ ਛੱਤਾਂ ਪੁੱਤ ਮਾਪੇ ਨੰਗੇ ਕਰਤੇ.ਉਹ ਬੁਢੇਪੇ ਤੇ ਚਾਦਰਾਂ ਤਾਣਨ ਇਹ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਆਬਾਦ ਰੱਖਣਾ ਉਹਨਾਂ ਘਰਾਂ ਨੂੰ. ਤੇ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਰੱਖਿਓ ਲਾਡਲੀਆਂ ਧੀਆਂ ਦੀ,,ਕਹਿੰਦੇ ਸਮਾਂ ਨਿਕਲੇਗਾ, ਸੋਚ ਬਦਲੇਗੀ.ਜਿਤਿਆ ਹੱਥ ਜੋੜੀ ਖੜ੍ਹਨਗੇ ਉਹੋ.ਜਿਹਨਾਂ ਕੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਮਾਰੀਆਂ ਧੀਆਂ ਸੀ,,
Tuesday, 18 February 2020
ਤੱਤੀ ਵਾਅ ਨਾ ਲੱਗੇ ਮੇਰੇ ਡਾਢਿਆ ਰੱਬਾ.ਜਿਹਨਾਂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਵਣ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਘਰ-ਘਰ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਬਣ ਗਈਆਂ ਨੇ.ਕਲਪਨਾ, ਹਿਮਾ, ਵਰਗੀਆਂ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਸਿਰੋਂ ਲਾਹ ਛੱਤਾਂ ਪੁੱਤ ਮਾਪੇ ਨੰਗੇ ਕਰਤੇ.ਉਹ ਬੁਢੇਪੇ ਤੇ ਚਾਦਰਾਂ ਤਾਣਨ ਇਹ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਆਬਾਦ ਰੱਖਣਾ ਉਹਨਾਂ ਘਰਾਂ ਨੂੰ. ਤੇ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਰੱਖਿਓ ਲਾਡਲੀਆਂ ਧੀਆਂ ਦੀ,,ਕਹਿੰਦੇ ਸਮਾਂ ਨਿਕਲੇਗਾ, ਸੋਚ ਬਦਲੇਗੀ.ਜਿਤਿਆ ਹੱਥ ਜੋੜੀ ਖੜ੍ਹਨਗੇ ਉਹੋ.ਜਿਹਨਾਂ ਕੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਮਾਰੀਆਂ ਧੀਆਂ ਸੀ,,
Monday, 17 February 2020
Respect Your Parents In Their Old Age एक 90वर्षीय वृद्ध व्यक्ति अपने उच्च शिक्षित बेटे के साथ घर में बैठा था। वृद्धा अवस्था में अक्सर इंसान की याददाश्त कमजोर हो ही जाती है अचानक बाहर खिड़की पर कौवा बैठ गया।पिता ने अपने बेटे से पूछा, "यह क्या है?" बेटे ने जवाब दिया "यह एक कौवा है"। कुछ मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा, "यह क्या है?" बेटे ने कहा "पिता, मैंने अभी आपको बताया था " की यह एक कौवा है।थोड़ी देर बाद, बूढ़े पिता ने फिर से अपने बेटे से तीसरी बार पूछा, यह क्या है? " इस समय बेटे के बोलने के तरीके में थोड़ा सा गुस्से का भाव महसूस हुआ, जब उसने अपने पिता ऊँची आवाज़ में कहा । “यह एक कौआ, एक कौआ, एक कौवा है"। थोड़ी देर बाद, पिता ने अपने बेटे से चौथी बार पूछा, "यह क्या है?"इस बार बेटा अपने पिता पर चिल्लाया, “आप मुझसे बार-बार एक ही सवाल क्यों पूछते रहते हैं, हालांकि मैंने आपको कई बार 'कहा है। की ये एक कौवा है।क्या आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं? ”थोड़ी देर बाद पिता अपने कमरे में गए और एक पुरानी पुरानी डायरी लेकर आए, जिसे उन्होंने अपने बेटे के जन्म के बाद से बनाए रखा था। एक पेज खोलने पर, उन्होंने अपने बेटे को उस पेज को पढ़ने के लिए कहा। जब बेटे ने इसे पढ़ा, तो उसमे लिखा हुआ था:: -“आज मेरा तीन साल का छोटा बेटा सोफे पर मेरे साथ बैठा था, जब खिड़की पर एक कौवा बैठा था। मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौवा था। मैंने उसे हर बार प्यार से गले लगाया और उसने मुझसे 23 बार फिर से वही सवाल पूछा। मुझे बिल्कुल भी चिढ़ नहीं हुई, बल्कि मैंने अपने मासूम बच्चे के लिए स्नेह महसूस किया।जबकि छोटे बच्चे ने उससे 23 बार पूछा "यह क्या है", पिता को 23 बार पूरे सवाल पर एक ही सवाल के जवाब में कोई गुस्सा नहीं आया था.और आज जब पिता ने अपने बेटे से सिर्फ 4 बार यही सवाल पूछा, तो बेटा चिढ़ गया और नाराज हो गया।इसलिए यदि आपके माता-पिता वृद्धावस्था को प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्हें पीछे न छोड़ें या उन्हें एक बोझ के रूप में न देखें, बल्कि उनके साथ दयालु शब्द बोलें, शांत, आज्ञाकारी, विनम्र और उनके प्रति दया भाव बनाये रखे ।अपने माता-पिता के प्रति विचारशील रहें। आज से यह जोर से कहें, “मैं अपने माता-पिता को हमेशा खुश देखना चाहता हूं। जब से मैं छोटा बच्चा था, उन्होंने मेरी देखभाल की। उन्होंने हमेशा मुझ पर अपने निस्वार्थ प्रेम की वर्षा की है। उन्होंने आज समाज में मुझे एक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करने के लिए तूफान और गर्मी को देखे बिना सभी पहाड़ों और घाटियों को पार किया ”।शिक्षा : एक प्रण लें के मैं आज के बाद हमेशा , “अपने बूढ़े माता-पिता की बहुत अच्छे तरीके से सेवा करूंगा। मैं अपने प्यारे माता-पिता को सभी अच्छे और प्यार भरे शब्द कहूंगा, चाहे वे कैसा भी व्यवहार करें। ”
Sunday, 16 February 2020
Saturday, 15 February 2020
Friday, 14 February 2020
🌹"हैप्पी वेलेंटाइन डे "🌹"पहला गुलाब 🌹 प्रभु भगवंत को, जिन्होंने हमें बनाया है"."दूसरा गुलाब 🌹 माता पिता को, जिन्होंने हमें अपनी गोद में खिलाया है""तीसरा गुलाब 🌹 गुरूजनो को, जिन्होंने हमको पुष्टि मार्ग की दीक्षा और उसका ज्ञान सिखाया है"."चौथा और सबसे महत्वपूर्ण गुलाब 🌹 "आप सभी जनों को ", "जिनकी वजह से हम सभी के खास बन पाये "🌹🌹
Thursday, 13 February 2020
Wednesday, 12 February 2020
Tuesday, 11 February 2020
Monday, 10 February 2020
Sunday, 9 February 2020
जीवन में सुख साधन संपन्न व्यक्ति भाग्यशाली तो होते ही हैं , लेकिन परम सौभाग्यशाली वो होते हैं... जिनके पास भोजन के साथ-साथ भूख भी है... बिस्तर के साथ-साथ नींद भी है...धन के साथ- साथ धर्म भी है...विशिष्टता के साथ-साथ शिष्टता भी है... सुन्दर रूप के साथ-साथ सुन्दर चरित्र भी है... सम्पत्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य भी है ... बुद्धि के साथ-साथ विवेक भी है... परिवार के साथ-साथ प्यार भी है... सामर्थ्य के साथ-साथ दया भी है... और पद के साथ-साथ प्रतिष्ठा भी है।आप परम सौभाग्यशाली बनें ।
Saturday, 8 February 2020
Friday, 7 February 2020
Thursday, 6 February 2020
*नीँव ही कमजोर पङ रही है गृहस्थी की ।*आज हर दिन किसी न किसी का घर खराब हो रहा है ।इसके कारण और जङ पर कोई नहीँ जा रहा ।1 माँ बाप की अनावश्यक दखलँदाजी ।2 संस्कार विहिन शिक्षा 3 आपसी तालमेल का अभाव 4 जुबान 5 सहनशक्ति की कमी6 आधुनिकता का आडम्बर 7 समाज का भय न होना8 घमंड झुठे ज्ञान का 9 समाज से अधिक गैरोँ की राय10 परिवार से कटना ।मेरे ख्याल से बस यही 10 कारण है शायद ?पहले भी तो परिवार होता था ।और वो भी बङा ।लेकिन वर्षो निभता था ।भय भी था प्रेम भी था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही भी ।पहले माँ बाप ये कहते थे कि मेरी बेटी गृह कार्य मे दक्ष है और अब मेरी बेटी नाजोँ से पली है आज तक हमने तिनका नहीँ उठवाया ।तो फिर करेगी क्या शादी के बाद ?शिक्षा के घमँड मे आदर सिखाना और परिवार चलाने के सँस्कार नहीँ देते ।माँए खुद की रसोई से ज्यादा बेटी के घर मे क्या बना इसपर ध्यान देती है ।भले ही खुद के घर मे रसोई मे सब्जी जल रही हो ।ऐसे मे वो दो घर खराब करती है ।मोबाईल तो है ही रात दिन बात करने को ।परिवार के लिये किसी के पास समय नहीँ ।या तो tv या फिर पङौसन से एक दुसरे की बुराई या फिर दुसरे के घरोँ मेँ ताक झाँक ।जितने सदस्य उतने मोबाईल ।बस लगे रहो ।बुजुर्गोँ को तो बोझ समझते है ।पुरा परिवार साथ बैठकर भोजन तक नहीँ कर सकता ।सब अपने कमरे मे ।वो भी मोबाईल पर ।बङे घरोँ का हाल तो और भी खराब है ।कुत्ता बिल्ली के लिये समय है ।परिवार के लिये नहीँ ।सबसे ज्यादा गिरावट तो इन दिनो महिलाओँ मे आई है ।दिन भर मनोरँजन मोबाईल स्कूटी समय बचे तो बाजार और ब्यूटि पार्लर ।जहाँ घँटो लाईन भले ही लगानी पङे ।भोजन बनाने या परिवार के लिये समय नहीँ ।होटल रोज नये खुल रहे है ।जिसमेँ स्वाद के नाम पर कचरा बिक रहा है ।और साथ ही बिक रही ह बिमारी और फैल रही ह घर की अशाँति ।क्यूँकि घर के शुद्ध खाने मे पोष्टिकता तो है ही प्रेम भी है ।लेकिन ये सब पिछङापन हो गया है ।आधुनिकता तो होटलबाजी मे है ।बुजुर्ग तो है ही घर मे चौकीदार ।पहले शादी ब्याह मे महिलाएँ गृहकार्य मे हाथ बँटाने जाती थी ।और अब नृत्य सिखकर ।क्योँकि लेडिज सँगीत मे अपनी प्रतिभा दिखानी है ।घर के काम मे तबियत खराब रहती है वो भी घँटो नाच सकती है ।👌🏼घूँघट और साङी हटना तो ठीक है ।लेकिन बदन दिखाउ कपङे ?ये कैसी आधुनिकति है ?बङे छोटे की शर्म या डर रहेगा क्या ?वरमाला मे पुरी फुहङता ।कोई लङके को उठा रहा है ।कोई लङकी को उठा रहा है ये सब क्या है ?और हम ये तमाशा देख रहे है मौन रहकर ।सब अच्छा है 👌🏼माँ बाप बच्ची को शिक्षा दे रहे है ।ये अच्छी बात है 🙏🏼लैकिन उस शिक्षा के पिछे की सोच ?ये सोच नहीँ है कि परिवार को शिक्षित करे ।बल्कि दिमाग मे ये है कि कहीँ तलाक वलाक हो जाये तो अपने पाँव पर खङी हो जाये ।कमा खा ले ।जब ऐसी अनिष्ट सोच और आशंका पहले ही दिमाग मे हो तो रिजल्ट तो वही सामने आना है ।साइँस ये कहता है कि गर्भवती महिला आगर कमरे मे सुन्दर शिशु की तस्वीर टाँग ले तो शिशु भी सुन्दर और हष्ट पुष्ट होगा ।मतलब हमारी सोच का रिश्ता मविष्य से है ।बस यही सोच कि पाँव पर खङी हो जायेगी गलत है ।संतान सभी को प्रिय है ।लेकिन ऐसे लाङ प्यार मे हम उसका जीवन खराब कर रहे है ।पहले स्त्री छोङो पुरुष भी कोर्ट कचहरी से घबराते थे ।और शर्म भी करते थे ।अब तो फैशन हो गया है ।पढे लिखे युवा तलाकनामा तो जेब मे लेकर घुमते है ।पहले समाज के चार लोगोँ की राय मानी जाती थी ।और अब माँ बाप तक को जुत्ते पर रखते है ।अगर गलत हो तो बिना औलाद से पुछे या एक दुसरे को दिखाये रिश्ता करके दिखाओ तो जानूँ ?ऐसे मे समाज यि पँच क्या कर लेगा ।सिवाय बोलकर फजीयत कराने के ?सबसे खतरनाक है औरत की जुबान ।कभी कभी न चाहते हुए भी चुप रहकर घर को बिगङने से बचाया जा सकता है ।लेकिन चुप रहना कमजोरी समझती है ।आखिर शिक्षित है ।और हम किसी से कम नहीँ वाली सोच जो विरासत मे लेकर आई है ।आखिर झुक गयी तो माँ बाप की इज्जत चली जायेगी ।इतिहास गवाह है कि द्रोपदी के वो दो शब्द ..अंधे का पुत्र अंधा ने महाभारत करवा दी ।काश चुप रहती ।गोली से बङा घाव बोली का होता है ।आज समाज सरकार व सभी चैनल केवल महिलाओँ के हित की बात करते है ।पुरुष जैसे अत्याचारी और नरभक्षी होँ ।बेटा भी तो पुरुष ही है ।एक अच्छा पति भी तो पुरुष ही है ।जो खुद सुबह से शाम तक दौङता है परिवार की खुशहाली के लिये ।खुद के पास भले ही पहनने के कपङे न हो ।घरवाली के लिये हार के सपने देखता है ।बच्चोँ को महँगी शिक्षा देता है ।मै मानता हूँ पहले नारी अबला थी ।माँ बाप से एक चिठ्ठी को मोहताज ।और बङे परिवार के काम का बोझ ।अब ऐसा ह क्या ?सारी आजादी ।मनोरँजन हेतू tvकपडा धोनै वाशिँग मशीन मशाला पिसने मिक्सी रेडिमेड आटा पानी की मोटर पैसे है तो नोकर चाकरघूमने को स्कूटी या कार फिर भी और आजादी चाहिये ।आखिर ये मृगतृष्णा का अंत कब और कैसे होगा ।घर मे कोई काम ही नहीँ बचा ।दो लोगोँ का परिवार ।उस पर भी ताना ।।कि रात दिन काम कर रही हूँ ।ब्यूटि पार्लर आधे घँटे जाना आधे घँटे आना और एक घँटे सजना नहीँ अखरता ।लेकिन दो रोटी बनाना अखर जाता है ।कोई कुछ बोला तो क्यूँ बोला ?बस यही सब वजह है घर बिगङने की ।खुद की जगह घर को सजाने मै ध्यान दे तो ये सब न हो ।समय होकर भी समय कम है परिवार के लिये ।ऐसे मे परिवार तो टुटेँगे ही ।पहले की हवेलियाँ सैकङो बरस से खङी है ।और पुराने रिश्ते भी ।आज बिङला सिमेन्ट वाले मजबूत घर कुछ दिनोँ मे ही धराशायी ।और रिश्ते भी महिनोँ मे खतम ।इसका कारण है ।घरोँ को बनाने मे भ्रष्टाचारऔर रिश्तोँ मे गलत सँस्कार ।खैर हम तो जी लिये ।सोचे आनेवाली पीढी ।घर चाहिये यि दिखावे की आजादी ।दिनभर घुमने के बाद रात तो घर मे ही महफूज रखती है ।🙏🏼मेरी बात कयी को हो सकती है बुरी लगी हो ।विशेषकर महिलाओँ को ।लेकिन सच तो यही है ।समाज को छोङो ।आपने इर्द गिर्द पङौस मे देखो ।सब कुछ साफ दिख जायेगा ।यही हर समाज के घर घर की कहानी है ।जो युवा बहने है और जिनको बुरा लगा हो वो थोङा इँतजार करो ।क्यूँकि सास भी कभी बहू थी के समय मे देरी है ।लेकिन आयेगा जरुर 🙏🏼मुझे क्या है जो जैसा सोचेगा सुख दुख उन्हीँ के खाते मे आना है 🙏🏼बस तकलीफ इस बात की है कि हमारी गल्ती से बच्चोँ का घर खराब हो रहा है ।वो नादान है ।क्या हम भी है ?शराब का नशा मजा देता है ।लेकिन उतरता जरुर है ।फिर बस चिन्तन ही बचता है कि क्या खोया क्या पाया ?पैसोँ की और घर की बर्बादी ।उसके बाद भी इसका चलन का बढना आज की आधुनिक शिक्षा को दर्शाता है ।अपना अपना घर देखो सभी ।अभी भी वक्त है ।नहीँ तो व्हाटसप मे आडियो भेजते रहना ।जग हँसाई के खातिर ।कोई भी समाजसेवक कुछ नहीँ कर पायेगा ।सिवाय उपदेश के ।आपकी हर समस्या का निदान केवल आप कर सकते हो ।सोच के जरिये ।रिश्ते झुकने पर ही टिकते है ।तनने पर टुट जाते है ।इस खुबी को निरक्षर बुजुर्ग जानते थे ।आज का मूर्ख शिक्षित नहीँ ।काश सब जान पाते ।किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा 🙏🏼लेकिन इस पर टिप्पणी करके जागरुकता का परिचय अवश्य देँ 🙏🏼
खलता है पर....सब कुछ चलता है....१० रू का मुठठी भर Chipsबडे चाव से खाते मेरे Lips११०० रू किलो माणिक चंदचलता है..पर १० रू किलो टमाटरखलता है....Weekend पर Hotel मे खाना,Multiplex मे Movie जाना,१० का Popcorn 80 मेवहाँ चलता है....पर कामवाली १० रू Extra मांगे,खलता है...Whatsapp पर Chatइन्टरनेट का पैक,लग गयी घंटो वाट..सौ-सौ Friends के साथOnline याराना चलता है,पर दो मिनट पड़ोसी के साथहँसना खलता है..यारो संग हो इकठ्ठा,Cricket मे हारा कितना सट्टा..Share Market मे लाखो काहेर-फेर चलता है..पर भाई को दो इंच जमीनExtra जाये खलता है...समझ बड़ी दयनीयऔरविचार हो गए मतलबी..कहाँ रह गया वो इन्सानी रिश्ताबस यूँ ही चलता है..माचिस की जरूरत ही नहीं यहाँ परभाई सेे भाई जलता है.. सब कुछ चलता है...
Wednesday, 5 February 2020
इंसान के अंदर जो समा जाये वो स्वाभिमान और जो इंसान के अन्दर से बाहर छलक जाए वो अभिमान।"हिंदी विचार की व्याख्या - यह विचार हमें स्वाभिमान और अभिमान का अंतर समझाता है। स्वाभिमानी व्यक्ति कभी भी अपने बारे में या अपने काम के बारे में बड़ा चढ़ा कर नहीं कहता। वहीँ अभिमानी व्यक्ति अपने बारे या अपने काम के बारे बहुत बड़ा चढ़ा कर कहता है। इसलिए यह कहा गया है कि स्वाभिमान इंसान के अंदर समा जाता है और अभिमान बाहर छलक जाता है।
Monday, 3 February 2020
Sunday, 2 February 2020
Saturday, 1 February 2020
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