Saturday, 29 February 2020

रिश्ते निभाने के भी क्या अंदाज हैं लोगों के....कोई “मोम” की तरह “पिघल” कर निभाता है...तो कोई “आग” की तरह जलकर .।?

इक पल भी मेरा किरदार ना निभा सकेंगे वो लोग..! जो मिलते है मुझसे तो मशवरे हज़ार देते हैं ..!!

बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो,मजबूरियों को मत कोसो हर हाल में चलना सीखो.

फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते हैं ..... सूखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते.....  कदर किरदार की  होती है... वरना तो कद में साया भी इंसान से बड़ा होता है।"

फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते हैं ..... सूखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते.....  कदर किरदार  होती है... वरना तो कद में साया भी इंसान से बड़ा होता है।"

अपनी जिंदगी में ऐसे “दोस्त ” को शामिल करो..जो “आइना” और “साया” बनकर आपके साथ रहे...क्योंकि आइना “झूठ” नहीं बोलता और साया “साथ ”नहीं छोड़ता ।

Friday, 28 February 2020

बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.

मुझे रिश्तों की लंबी कतारोँ से मतलब नही ... कोई “दिल” से हो मेरा , तो एक शख्स ही काफी है..।

भगवान कहते हैं कि ,तू करता वही है जो तू चाहता है... पर होता वही है जो मैं चाहता हूँ... तू कर वही जो मैं चाहता हूँ... फिर होगा वही जो तू चाहता है !!

भगवान कहते हैं कि ,तू करता वही है जो तू चाहता है... पर होता वही है जो मैं चाहता हूँ... तू कर वही जो मैं चाहता हूँ... फिर होगा वही जो तू चाहता है !!

मुझे रिश्तों की लंबी कतारोँ से मतलब नही ... कोई “दिल” से हो मेरा , तो एक शख्स ही काफी है..।

किसी दूसरे को “कष्ट” देकर , “हासिल” किए हुए “सुख” की उम्र बहुत छोटी होती है।

रिश्तों को गलतियां इतना कमजोर नहीं करती... जितना गलतफहमियां कमजोर कर देती हैं ।

रिश्तों को गलतियां इतना कमजोर नहीं करती... जितना गलतफहमियां कमजोर कर देती हैं ।

मत किया कर इतना गुरूर... ऐ इंसान अपने आप पर ... ना जाने कितने मिटा डाले ..“खुदा” ने तेरे जैसे बनाकर।

“किसी ने एक विद्वान से पूछा” आज के समय में सच्ची “इज्जत” किसकी होती है..? विद्वान ने जवाब दिया ...“इज्जत” किसी इंसान की नहीं होती...जरूरत की होती है... जरूरत खत्म... इज्जत खत्म ...यही दुनिया का रिवाज है..।

कौन कहता है ...तेरे दर से मांगने वाला गरीब होता है ... जो तेरे दर तक पहुंच जाये ...वो सबसे बड़ा खुशनसीब होता है ।

Wednesday, 26 February 2020

चांद की कई खूबियां हैं। पहली तो खूबी यह कि चांद की रोशनी चांद की नहीं होती; सूरज की होती है। दिन भर चांद सूरज की रोशनी पीता है, और रात भर सूरज की रोशनी को बिखेरता है। चांद की कोई अपनी रोशनी नहीं होती। जैसे तुम एक दीया जलाओ और दर्पण में से दीया रोशनी फेंके। दर्पण की कोई रोशनी नहीं होती; रोशनी तो दीए की है। मगर तुम्हारा दीए से अभी मिलना नहीं हो सकता। और अभी दीए को देखोगे, तो जल पाओगे। आंखें जल जाएंगी। अभी रोशनी को सामने से तुम सीधा देखोगे, सूरज को, तो आंखें फूट जाएंगी। यूं ही अंधे हो--और आंखें फूट जाएंगी!अभी परमात्मा से तुम्हारा सीधा मिलन नहीं हो सकता। अभी तो परमात्मा का बहुत सौम्यरूप चाहिए, जिसको तुम पचा सको। चंद्रमा सौम्य है। रोशनी तो सूरज की ही है। गुरु में जो प्रकट हो रहा है, वह तो सूरज ही है, परमात्मा ही है। मगर गुरु के माध्यम से सौम्य हो जाता है।चंद्रमा की वही कला है, कीमिया है। वह उसका जादू! कि सूरज कि रोशनी को पीकर और शीतल कर देता है। सूरज को देखोगे, तो गर्म है, उत्तप्त है; और चांद को देखोगे, तो तुम शीतलता से भर जाओगे।सूरज पुरुष है, पुरुष है। चंद्रमा स्त्रैण है, मधुर है, प्रसादपूर्ण है। परमात्मा तो पुरुष है, कठोर है, सूरज जैसा है। उसको पचाना सीधा-सीधा, आसान नहीं। उसे पचाने के लिए सदगुरु से गुजरना जरूरी है। - ओशो**

Sunday, 23 February 2020

इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन उसका दिमाग होता है ।पकड़-पकड़ के लाता है , उन लम्हों को जो तकलीफ देते हैं। ?

“नफ़रत” करके क्यों बढ़ाते हो , अहमियत किसकी...माफ करके “शरमिंदा” करने का तरीका भी तो गलत नहीं है ।

ख़ुश होना है तो ...बेवजह हो जाइए जनाब...वजहें आजकल महँगी हो गई हैं ।

ठोकरें ख़ाता हूँ …. पर “शान” से चलता हूँ।मैं खुले आसमान के नीचे … सीना तान के चलता हूँ।मुश्किलें तो आएँगी ही ज़िंदगी में “आने दो-आने दो”…..उठूंगा, गिरूंगा फिर उठूंगा और आखिर में “जीतूंगा …. ये मैं “ठान” के चलता हूँ ।

रिश्ते तोड़ने तो नहीं चाहिएलेकिन जहां कदर ना हो वहां निभाए भी नहीं जाते ॥

राजनीति मे रिश्ते हों तो कोई तकलीफ नहीं...किन्तु , रिश्तों में राजनीति नहीं होनी चाहिए.।

Wednesday, 19 February 2020

टूटे तो बहुत चुभते हैं ...क्या कांच क्या रिश्ते ।

टूटे तो बहुत चुभते हैं ...क्या कांच क्या रिश्ते ।

गुस्सा और अहंकार जीवन में क्रेडिट कार्ड की तरह है ... अभी उपयोग कीजिये और बाद में भुगतान

वो जो दूसरो के लिए, दुआ करता है, दुआएँ खुद उसकी, खुदा करता है।

“सोचो ” तो आप बिल्कुल अकेले हो...और ठीक से “सोचो” तो यही “सच ” है ।

“सुख” व्यक्ति के “अहंकार” की परीक्षा लेता है ...जबकि “दुःख” व्यक्ति के “धैर्य ”की परीक्षा लेता है.. दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण व्यक्ति का जीवन ही सफल जीवन है। 

ਤੱਤੀ ਵਾਅ ਨਾ ਲੱਗੇ ਮੇਰੇ ਡਾਢਿਆ ਰੱਬਾ.ਜਿਹਨਾਂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਵਣ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਘਰ-ਘਰ ਦੀ ਸ਼ਾਨ ਬਣ ਗਈਆਂ ਨੇ.ਕਲਪਨਾ, ਹਿਮਾ, ਵਰਗੀਆਂ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਸਿਰੋਂ ਲਾਹ ਛੱਤਾਂ ਪੁੱਤ ਮਾਪੇ ਨੰਗੇ ਕਰਤੇ.ਉਹ ਬੁਢੇਪੇ ਤੇ ਚਾਦਰਾਂ ਤਾਣਨ ਇਹ ਧੀਆਂ ਨੀਂ,,ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਆਬਾਦ ਰੱਖਣਾ ਉਹਨਾਂ ਘਰਾਂ ਨੂੰ. ਤੇ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਰੱਖਿਓ ਲਾਡਲੀਆਂ ਧੀਆਂ ਦੀ,,ਕਹਿੰਦੇ ਸਮਾਂ ਨਿਕਲੇਗਾ, ਸੋਚ ਬਦਲੇਗੀ.ਜਿਤਿਆ ਹੱਥ ਜੋੜੀ ਖੜ੍ਹਨਗੇ ਉਹੋ.ਜਿਹਨਾਂ ਕੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਮਾਰੀਆਂ ਧੀਆਂ ਸੀ,,

अपनी कमज़ोरी उन्हें ही बताएँ ,जो हर हाल में मजबूती से आपके साथ खड़े हों।क्योंकि “रिश्ता” हो या “मोबाइल” ,नेटवर्क ना होने पर लोग “गेम ” खेलने लगते हैं ।

Monday, 17 February 2020

When I DieI don’t want flowers.I don’t want tears.Icertainly don’t want people flying to come and say goodbye.If you love me that muchWhat are you waiting for?Send me flowers now.Come see me now.Please don’t wait till I’m gone.Love Me Today!

Respect Your Parents In Their Old Age एक 90वर्षीय वृद्ध व्यक्ति अपने उच्च शिक्षित बेटे के साथ घर में बैठा था। वृद्धा अवस्था में अक्सर इंसान की याददाश्त कमजोर हो ही जाती है अचानक बाहर खिड़की पर कौवा बैठ गया।पिता ने अपने बेटे से पूछा, "यह क्या है?" बेटे ने जवाब दिया "यह एक कौवा है"। कुछ मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा, "यह क्या है?" बेटे ने कहा "पिता, मैंने अभी आपको बताया था " की यह एक कौवा है।थोड़ी देर बाद, बूढ़े पिता ने फिर से अपने बेटे से तीसरी बार पूछा, यह क्या है? " इस समय बेटे के बोलने के तरीके में थोड़ा सा गुस्से का भाव महसूस हुआ, जब उसने अपने पिता ऊँची आवाज़ में कहा । “यह एक कौआ, एक कौआ, एक कौवा है"। थोड़ी देर बाद, पिता ने अपने बेटे से चौथी बार पूछा, "यह क्या है?"इस बार बेटा अपने पिता पर चिल्लाया, “आप मुझसे बार-बार एक ही सवाल क्यों पूछते रहते हैं, हालांकि मैंने आपको कई बार 'कहा है। की ये एक कौवा है।क्या आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं? ”थोड़ी देर बाद पिता अपने कमरे में गए और एक पुरानी पुरानी डायरी लेकर आए, जिसे उन्होंने अपने बेटे के जन्म के बाद से बनाए रखा था। एक पेज खोलने पर, उन्होंने अपने बेटे को उस पेज को पढ़ने के लिए कहा। जब बेटे ने इसे पढ़ा, तो उसमे लिखा हुआ था:: -“आज मेरा तीन साल का छोटा बेटा सोफे पर मेरे साथ बैठा था, जब खिड़की पर एक कौवा बैठा था। मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौवा था। मैंने उसे हर बार प्यार से गले लगाया और उसने मुझसे 23 बार फिर से वही सवाल पूछा। मुझे बिल्कुल भी चिढ़ नहीं हुई, बल्कि मैंने अपने मासूम बच्चे के लिए स्नेह महसूस किया।जबकि छोटे बच्चे ने उससे 23 बार पूछा "यह क्या है", पिता को 23 बार पूरे सवाल पर एक ही सवाल के जवाब में कोई गुस्सा नहीं आया था.और आज जब पिता ने अपने बेटे से सिर्फ 4 बार यही सवाल पूछा, तो बेटा चिढ़ गया और नाराज हो गया।इसलिए यदि आपके माता-पिता वृद्धावस्था को प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्हें पीछे न छोड़ें या उन्हें एक बोझ के रूप में न देखें, बल्कि उनके साथ दयालु शब्द बोलें, शांत, आज्ञाकारी, विनम्र और उनके प्रति दया भाव बनाये रखे ।अपने माता-पिता के प्रति विचारशील रहें। आज से यह जोर से कहें, “मैं अपने माता-पिता को हमेशा खुश देखना चाहता हूं। जब से मैं छोटा बच्चा था, उन्होंने मेरी देखभाल की। उन्होंने हमेशा मुझ पर अपने निस्वार्थ प्रेम की वर्षा की है। उन्होंने आज समाज में मुझे एक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करने के लिए तूफान और गर्मी को देखे बिना सभी पहाड़ों और घाटियों को पार किया ”।शिक्षा : एक प्रण लें के मैं आज के बाद हमेशा , “अपने बूढ़े माता-पिता की बहुत अच्छे तरीके से सेवा करूंगा। मैं अपने प्यारे माता-पिता को सभी अच्छे और प्यार भरे शब्द कहूंगा, चाहे वे कैसा भी व्यवहार करें। ”

Sunday, 16 February 2020

संसार का सबसे सुरक्षित बीमा है "परमात्मा पर भरोसा" बस याद रखें, और "अच्छे कर्मों की किश्त" समय से भरते रहें!!!

घर में किचन सेट , डिनर सेट ,सोफा सेट , सोने चाँदी के सेट , सब कुछ “वेल सेट” हो पर..घर मे रहने वाले ही “अपसेट” हो तो सब कुछ व्यर्थ है..।?।

“रिश्तों ” की “डोरी ” तब “कमजोर” होती है ,जब इंसान “ग़लतफहमी” में पैदा होने वाले सवालों का “जवाब” खुद ही बना लेता है ।

ऐसा नहीं है कि दुःख बढ़ गए है बल्कि सच्चाई यह है किलोगों में सहनशीलता कम हो गयी है।

Saturday, 15 February 2020

सलाह सबकी सुनो, पर करो वह जिसके लिए तुम्हारा साहस और विवेक समर्थन करे।"

झाडू बहुत सुबह जाग जाती हैऔर शुरु कर देती है अपना काम,बुहारते हुए अपनी अटपटी भाषा में,वो लगातार बड़बड़ाती है,कचरा बुहारने की चीज़ है, घबराने की नहींकि अब भी बनाई जा सकती है,जगह रहने के लायक...

सलाह सबकी सुनो, पर करो वह जिसके लिए तुम्हारा साहस और विवेक समर्थन करे।"

दुनिया की सबसे सस्ती चीज़ है “सलाह”,एक से मांगो, हजारों से मिलती है।और सबसे महंगा है “सहयोग”,हजारों से मांगो, तब कहीं एक से मिलता है।"

जिंदगी तू भी कच्ची पेंसिल की तरह है... हर रोज छोटी होती जा रही है।

Thursday, 13 February 2020

होंठों से प्यार के फ़साने नहीं आते; साहिल पे समंदर के मोती नहीं आते; ले लो अभी ज़िंदगी में दोस्ती का मज़ा; फिर लौट के हम जैसे दीवाने नहीं आते!” वैलेंटाइन्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं! हैप्पी वैलेंटाइन डे!

सांप के दांत में...बिच्छू के डंक में...मक्खी के सिर में...और इंसान के मन में...कितना जहर है ...बता पाना मुश्किल है ।

किस किस को सफाई देते फिरें...? हम बुरे हैं बस.. बात खत्म ।

नमक ‘ की तरह‘ कड़वा ‘ ज्ञान देने वाला ही‘ सच्चा मित्र ‘ होता है..‘ मीठी ‘ बात करने वाले तो‘ चापलूस ‘ भी होते है..इतिहास गवाह है की आज तक कभी ‘ नमक ‘ में ‘ कीड़े ‘ नहीं पड़े..और ‘ मिठाई ‘ में तो अक़्सर ‘ कीड़े ‘ पड़ जाया करते है.

Tuesday, 11 February 2020

“दुनिया” में कम लोग ही ऐसे होते हैं ....जो जैसे लगते हैं वैसे होते हैं ।

बातें इतनी बड़ी नहीं होती आप सोच सोच कर बड़ा बना देते हो ।

“फरेब” और “झूठ” की रफ्तार भले ही तेज होती हैै... पर जीत तो हमेशा “सत्य ”की ही होगी’।

जवाब नहीं वक्त बोलता है अच्छे अच्छों के राज खोलता है ।

अगर कोई आपसे “रिश्ता” नहीं रखना चाहता तो उस शख्स से दूर हो जाओ... क्योंकि “वक़्त” खुद सीखा देगा उसे “कदर” करना और तुम्हें “सब्र” करना।

कुदरत का एक उसूल है, जो बांटोगे वही तुम्हारे पास बेहिसाब होगा ...फिर चाहे वो “दौलत” हो “इज़्ज़त” है “नफरत” हो या फिर “मोहब्बत” हो । सुप्रभातम ?

इंसान नहीं बोलता, उसके दिन बोलते हैंजब दिन नहीं बोलते तो, इंसान चाहे लाख बोले उसकी कोई नहीं सुनता...!

जीवन में इतना तो “संघर्ष” कर लेना चाहिए , की अपने बच्चे का “आत्मविश्वास ”बढ़ाने के लिए दूसरों का उदाहरण न देना पड़े।"

Monday, 10 February 2020

अगर कोई आपसे “रिश्ता” नहीं रखना चाहता तो उस शख्स से दूर हो जाओ... क्योंकि “वक़्त” खुद सीखा देगा उसे “कदर” करना और तुम्हें “सब्र” करना।

यदि आप हमेशा गुस्सा या शिकायत करते रहते हैं तो, लोगों के पास आपके लिए समय नहीं रहेगा ।

वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर होता देखा है .. ! कर सको.. तो किसी को खुश करो दुःख देते.. हुए.. तो हजारों को देखा है

वक्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर होता देखा है .. ! कर सको.. तो किसी को खुश करो दुःख देते.. हुए.. तो हजारों को देखा है

Sunday, 9 February 2020

जीवन में सुख साधन संपन्न व्यक्ति भाग्यशाली तो होते ही हैं , लेकिन परम सौभाग्यशाली वो होते हैं... जिनके पास भोजन के साथ-साथ भूख भी है... बिस्तर के साथ-साथ नींद भी है...धन के साथ- साथ धर्म भी है...विशिष्टता के साथ-साथ शिष्टता भी है... सुन्दर रूप के साथ-साथ सुन्दर चरित्र भी है... सम्पत्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य भी है ... बुद्धि के साथ-साथ विवेक भी है... परिवार के साथ-साथ प्यार भी है... सामर्थ्य के साथ-साथ दया भी है... और पद के साथ-साथ प्रतिष्ठा भी है।आप परम सौभाग्यशाली बनें ।

Lesson of the day:Don't pressure yourself on pleasing people to like you. If they don't like you, it's not your problem.

वो कमियां ढूंढ रहे हैं मुझमें...खुद भगवान हों जैसे।

कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।

एक अच्छा “इन्सान” मतलबी नहीं होता ..बस दूर हो जाता है उन लोगों से ...जिन्हें उनकी “कदर” नही होती।

“वक़्त” तेरा लाख शुक्रिया जो भी सीखा... तुझसे ही सीखा.।

“वक़्त” तेरा लाख शुक्रिया जो भी सीखा... तुझसे ही सीखा.।

Thursday, 6 February 2020

*नीँव ही कमजोर पङ रही है गृहस्थी की ।*आज हर दिन किसी न किसी का घर खराब हो रहा है ।इसके कारण और जङ पर कोई नहीँ जा रहा ।1 माँ बाप की अनावश्यक दखलँदाजी ।2 संस्कार विहिन शिक्षा 3 आपसी तालमेल का अभाव 4 जुबान 5 सहनशक्ति की कमी6 आधुनिकता का आडम्बर 7 समाज का भय न होना8 घमंड झुठे ज्ञान का 9 समाज से अधिक गैरोँ की राय10 परिवार से कटना ।मेरे ख्याल से बस यही 10 कारण है शायद ?पहले भी तो परिवार होता था ।और वो भी बङा ।लेकिन वर्षो निभता था ।भय भी था प्रेम भी था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही भी ।पहले माँ बाप ये कहते थे कि मेरी बेटी गृह कार्य मे दक्ष है और अब मेरी बेटी नाजोँ से पली है आज तक हमने तिनका नहीँ उठवाया ।तो फिर करेगी क्या शादी के बाद ?शिक्षा के घमँड मे आदर सिखाना और परिवार चलाने के सँस्कार नहीँ देते ।माँए खुद की रसोई से ज्यादा बेटी के घर मे क्या बना इसपर ध्यान देती है ।भले ही खुद के घर मे रसोई मे सब्जी जल रही हो ।ऐसे मे वो दो घर खराब करती है ।मोबाईल तो है ही रात दिन बात करने को ।परिवार के लिये किसी के पास समय नहीँ ।या तो tv या फिर पङौसन से एक दुसरे की बुराई या फिर दुसरे के घरोँ मेँ ताक झाँक ।जितने सदस्य उतने मोबाईल ।बस लगे रहो ।बुजुर्गोँ को तो बोझ समझते है ।पुरा परिवार साथ बैठकर भोजन तक नहीँ कर सकता ।सब अपने कमरे मे ।वो भी मोबाईल पर ।बङे घरोँ का हाल तो और भी खराब है ।कुत्ता बिल्ली के लिये समय है ।परिवार के लिये नहीँ ।सबसे ज्यादा गिरावट तो इन दिनो महिलाओँ मे आई है ।दिन भर मनोरँजन मोबाईल स्कूटी समय बचे तो बाजार और ब्यूटि पार्लर ।जहाँ घँटो लाईन भले ही लगानी पङे ।भोजन बनाने या परिवार के लिये समय नहीँ ।होटल रोज नये खुल रहे है ।जिसमेँ स्वाद के नाम पर कचरा बिक रहा है ।और साथ ही बिक रही ह बिमारी और फैल रही ह घर की अशाँति ।क्यूँकि घर के शुद्ध खाने मे पोष्टिकता तो है ही प्रेम भी है ।लेकिन ये सब पिछङापन हो गया है ।आधुनिकता तो होटलबाजी मे है ।बुजुर्ग तो है ही घर मे चौकीदार ।पहले शादी ब्याह मे महिलाएँ गृहकार्य मे हाथ बँटाने जाती थी ।और अब नृत्य सिखकर ।क्योँकि लेडिज सँगीत मे अपनी प्रतिभा दिखानी है ।घर के काम मे तबियत खराब रहती है वो भी घँटो नाच सकती है ।👌🏼घूँघट और साङी हटना तो ठीक है ।लेकिन बदन दिखाउ कपङे ?ये कैसी आधुनिकति है ?बङे छोटे की शर्म या डर रहेगा क्या ?वरमाला मे पुरी फुहङता ।कोई लङके को उठा रहा है ।कोई लङकी को उठा रहा है ये सब क्या है ?और हम ये तमाशा देख रहे है मौन रहकर ।सब अच्छा है 👌🏼माँ बाप बच्ची को शिक्षा दे रहे है ।ये अच्छी बात है 🙏🏼लैकिन उस शिक्षा के पिछे की सोच ?ये सोच नहीँ है कि परिवार को शिक्षित करे ।बल्कि दिमाग मे ये है कि कहीँ तलाक वलाक हो जाये तो अपने पाँव पर खङी हो जाये ।कमा खा ले ।जब ऐसी अनिष्ट सोच और आशंका पहले ही दिमाग मे हो तो रिजल्ट तो वही सामने आना है ।साइँस ये कहता है कि गर्भवती महिला आगर कमरे मे सुन्दर शिशु की तस्वीर टाँग ले तो शिशु भी सुन्दर और हष्ट पुष्ट होगा ।मतलब हमारी सोच का रिश्ता मविष्य से है ।बस यही सोच कि पाँव पर खङी हो जायेगी गलत है ।संतान सभी को प्रिय है ।लेकिन ऐसे लाङ प्यार मे हम उसका जीवन खराब कर रहे है ।पहले स्त्री छोङो पुरुष भी कोर्ट कचहरी से घबराते थे ।और शर्म भी करते थे ।अब तो फैशन हो गया है ।पढे लिखे युवा तलाकनामा तो जेब मे लेकर घुमते है ।पहले समाज के चार लोगोँ की राय मानी जाती थी ।और अब माँ बाप तक को जुत्ते पर रखते है ।अगर गलत हो तो बिना औलाद से पुछे या एक दुसरे को दिखाये रिश्ता करके दिखाओ तो जानूँ ?ऐसे मे समाज यि पँच क्या कर लेगा ।सिवाय बोलकर फजीयत कराने के ?सबसे खतरनाक है औरत की जुबान ।कभी कभी न चाहते हुए भी चुप रहकर घर को बिगङने से बचाया जा सकता है ।लेकिन चुप रहना कमजोरी समझती है ।आखिर शिक्षित है ।और हम किसी से कम नहीँ वाली सोच जो विरासत मे लेकर आई है ।आखिर झुक गयी तो माँ बाप की इज्जत चली जायेगी ।इतिहास गवाह है कि द्रोपदी के वो दो शब्द ..अंधे का पुत्र अंधा ने महाभारत करवा दी ।काश चुप रहती ।गोली से बङा घाव बोली का होता है ।आज समाज सरकार व सभी चैनल केवल महिलाओँ के हित की बात करते है ।पुरुष जैसे अत्याचारी और नरभक्षी होँ ।बेटा भी तो पुरुष ही है ।एक अच्छा पति भी तो पुरुष ही है ।जो खुद सुबह से शाम तक दौङता है परिवार की खुशहाली के लिये ।खुद के पास भले ही पहनने के कपङे न हो ।घरवाली के लिये हार के सपने देखता है ।बच्चोँ को महँगी शिक्षा देता है ।मै मानता हूँ पहले नारी अबला थी ।माँ बाप से एक चिठ्ठी को मोहताज ।और बङे परिवार के काम का बोझ ।अब ऐसा ह क्या ?सारी आजादी ।मनोरँजन हेतू tvकपडा धोनै वाशिँग मशीन मशाला पिसने मिक्सी रेडिमेड आटा पानी की मोटर पैसे है तो नोकर चाकरघूमने को स्कूटी या कार फिर भी और आजादी चाहिये ।आखिर ये मृगतृष्णा का अंत कब और कैसे होगा ।घर मे कोई काम ही नहीँ बचा ।दो लोगोँ का परिवार ।उस पर भी ताना ।।कि रात दिन काम कर रही हूँ ।ब्यूटि पार्लर आधे घँटे जाना आधे घँटे आना और एक घँटे सजना नहीँ अखरता ।लेकिन दो रोटी बनाना अखर जाता है ।कोई कुछ बोला तो क्यूँ बोला ?बस यही सब वजह है घर बिगङने की ।खुद की जगह घर को सजाने मै ध्यान दे तो ये सब न हो ।समय होकर भी समय कम है परिवार के लिये ।ऐसे मे परिवार तो टुटेँगे ही ।पहले की हवेलियाँ सैकङो बरस से खङी है ।और पुराने रिश्ते भी ।आज बिङला सिमेन्ट वाले मजबूत घर कुछ दिनोँ मे ही धराशायी ।और रिश्ते भी महिनोँ मे खतम ।इसका कारण है ।घरोँ को बनाने मे भ्रष्टाचारऔर रिश्तोँ मे गलत सँस्कार ।खैर हम तो जी लिये ।सोचे आनेवाली पीढी ।घर चाहिये यि दिखावे की आजादी ।दिनभर घुमने के बाद रात तो घर मे ही महफूज रखती है ।🙏🏼मेरी बात कयी को हो सकती है बुरी लगी हो ।विशेषकर महिलाओँ को ।लेकिन सच तो यही है ।समाज को छोङो ।आपने इर्द गिर्द पङौस मे देखो ।सब कुछ साफ दिख जायेगा ।यही हर समाज के घर घर की कहानी है ।जो युवा बहने है और जिनको बुरा लगा हो वो थोङा इँतजार करो ।क्यूँकि सास भी कभी बहू थी के समय मे देरी है ।लेकिन आयेगा जरुर 🙏🏼मुझे क्या है जो जैसा सोचेगा सुख दुख उन्हीँ के खाते मे आना है 🙏🏼बस तकलीफ इस बात की है कि हमारी गल्ती से बच्चोँ का घर खराब हो रहा है ।वो नादान है ।क्या हम भी है ?शराब का नशा मजा देता है ।लेकिन उतरता जरुर है ।फिर बस चिन्तन ही बचता है कि क्या खोया क्या पाया ?पैसोँ की और घर की बर्बादी ।उसके बाद भी इसका चलन का बढना आज की आधुनिक शिक्षा को दर्शाता है ।अपना अपना घर देखो सभी ।अभी भी वक्त है ।नहीँ तो व्हाटसप मे आडियो भेजते रहना ।जग हँसाई के खातिर ।कोई भी समाजसेवक कुछ नहीँ कर पायेगा ।सिवाय उपदेश के ।आपकी हर समस्या का निदान केवल आप कर सकते हो ।सोच के जरिये ।रिश्ते झुकने पर ही टिकते है ।तनने पर टुट जाते है ।इस खुबी को निरक्षर बुजुर्ग जानते थे ।आज का मूर्ख शिक्षित नहीँ ।काश सब जान पाते ।किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा 🙏🏼लेकिन इस पर टिप्पणी करके जागरुकता का परिचय अवश्य देँ 🙏🏼

खलता है पर....सब कुछ चलता है....१० रू का मुठठी भर Chipsबडे चाव से खाते मेरे Lips११०० रू किलो माणिक चंदचलता है..पर १० रू किलो टमाटरखलता है....Weekend पर Hotel मे खाना,Multiplex मे Movie जाना,१० का Popcorn 80 मेवहाँ चलता है....पर कामवाली १० रू Extra मांगे,खलता है...Whatsapp पर Chatइन्टरनेट का पैक,लग गयी घंटो वाट..सौ-सौ Friends के साथOnline याराना चलता है,पर दो मिनट पड़ोसी के साथहँसना खलता है..यारो संग हो इकठ्ठा,Cricket मे हारा कितना सट्टा..Share Market मे लाखो काहेर-फेर चलता है..पर भाई को दो इंच जमीनExtra जाये खलता है...समझ बड़ी दयनीयऔरविचार हो गए मतलबी..कहाँ रह गया वो इन्सानी रिश्ताबस यूँ ही चलता है..माचिस की जरूरत ही नहीं यहाँ परभाई सेे भाई जलता है.. सब कुछ चलता है...

“दर्द ” हमेशा अपने ही देते हैं... “वरना” गैरों को क्या पता कि “तकलीफ़” किस बात से होती है ।

Wednesday, 5 February 2020

जो “दिल” में है उसे कहने की “हिम्मत ”रखिए... और जो दूसरो के “दिल” में है उसे समझने का हुनर रखिए ... रिश्ते कभी नहीँ टूटेंगे ।

जिंदगी भले छोटी दे देना, ऐ खुदा...मगर देना ऐसी , कि मुद्दतों तक लोगों के दिलों में जिंदा रहें ....! Good morning.

“खुशियाँ ” मिलती नहीं मांगने से, “मंजिल” मिलती नहीं राह पर रुक जाने से, “भरोसा” रखना खुद पर और उस “रब” पर, सब कुछ देता है वो सही वक्त आने पर।

जो हाथों की लकीरों में न हो उसे अपनी किस्मत बनाने की ज़िद्द होनी चाहिए !!

किसी के साथ धोखा और छल करके अगर आपको खुशी महसूस होती है तो आपको ...बहुत कुछ समझने की जरुरत है ...!

आप चाह कर भी अपने प्रति लोगों की धारणा को कभी बदल नहीं सकते... इसलिए सुकून से अपनी जिंदगी जिंए ..।

इंसान के अंदर जो समा जाये वो स्वाभिमान और जो इंसान के अन्दर से बाहर छलक जाए वो अभिमान।"हिंदी विचार की व्याख्या - यह विचार हमें स्वाभिमान और अभिमान का अंतर समझाता है।  स्वाभिमानी व्यक्ति कभी भी अपने बारे में या अपने काम के बारे में बड़ा चढ़ा कर नहीं कहता। वहीँ अभिमानी व्यक्ति अपने बारे या अपने काम के बारे बहुत बड़ा चढ़ा कर कहता है।  इसलिए यह कहा गया है कि स्वाभिमान इंसान के अंदर समा जाता है और अभिमान बाहर छलक जाता है।  

Monday, 3 February 2020

पन्नों के परे भी है एक ज़िन्दगी,सब किरदार, किताबों में नहीं होते।

टूटे हुए “सपनों ”और रूठे हुए “अपनों ”ने उदास कर दिया,वरना लोग.. हमसे “मुस्कराने” का राज पुछा करते थे।

लोग हमेशा गलत इंसान से धोखा खाने के बादअच्छे इंसान से बदला लेते हैं।

"नदी" जब निकलती है,कोई नक्‍शा पास नहीं होता कि"सागर" कहां है।बिना नक्‍शे के सागर तक पहुंच जाती है।ऐसा नहीँ है कि नदी कुछ नहीँ करती है।उसको "सागर" तक पहुंचने के लिए लगातार "बहना" अर्थात "कर्म" करना पड़ता है।इसलिए "कर्म" करते रहिये,नक्शा तो भगवान् पहले ही बनाकर बैठे है ।हमको तो सिर्फ "बहना" ही है ।।

हमेशा “स्पैशल” बनिए ...“आम” बनोगे तो दुनिया अचार बना डालेगी ।