Thursday, 6 February 2020

*नीँव ही कमजोर पङ रही है गृहस्थी की ।*आज हर दिन किसी न किसी का घर खराब हो रहा है ।इसके कारण और जङ पर कोई नहीँ जा रहा ।1 माँ बाप की अनावश्यक दखलँदाजी ।2 संस्कार विहिन शिक्षा 3 आपसी तालमेल का अभाव 4 जुबान 5 सहनशक्ति की कमी6 आधुनिकता का आडम्बर 7 समाज का भय न होना8 घमंड झुठे ज्ञान का 9 समाज से अधिक गैरोँ की राय10 परिवार से कटना ।मेरे ख्याल से बस यही 10 कारण है शायद ?पहले भी तो परिवार होता था ।और वो भी बङा ।लेकिन वर्षो निभता था ।भय भी था प्रेम भी था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही भी ।पहले माँ बाप ये कहते थे कि मेरी बेटी गृह कार्य मे दक्ष है और अब मेरी बेटी नाजोँ से पली है आज तक हमने तिनका नहीँ उठवाया ।तो फिर करेगी क्या शादी के बाद ?शिक्षा के घमँड मे आदर सिखाना और परिवार चलाने के सँस्कार नहीँ देते ।माँए खुद की रसोई से ज्यादा बेटी के घर मे क्या बना इसपर ध्यान देती है ।भले ही खुद के घर मे रसोई मे सब्जी जल रही हो ।ऐसे मे वो दो घर खराब करती है ।मोबाईल तो है ही रात दिन बात करने को ।परिवार के लिये किसी के पास समय नहीँ ।या तो tv या फिर पङौसन से एक दुसरे की बुराई या फिर दुसरे के घरोँ मेँ ताक झाँक ।जितने सदस्य उतने मोबाईल ।बस लगे रहो ।बुजुर्गोँ को तो बोझ समझते है ।पुरा परिवार साथ बैठकर भोजन तक नहीँ कर सकता ।सब अपने कमरे मे ।वो भी मोबाईल पर ।बङे घरोँ का हाल तो और भी खराब है ।कुत्ता बिल्ली के लिये समय है ।परिवार के लिये नहीँ ।सबसे ज्यादा गिरावट तो इन दिनो महिलाओँ मे आई है ।दिन भर मनोरँजन मोबाईल स्कूटी समय बचे तो बाजार और ब्यूटि पार्लर ।जहाँ घँटो लाईन भले ही लगानी पङे ।भोजन बनाने या परिवार के लिये समय नहीँ ।होटल रोज नये खुल रहे है ।जिसमेँ स्वाद के नाम पर कचरा बिक रहा है ।और साथ ही बिक रही ह बिमारी और फैल रही ह घर की अशाँति ।क्यूँकि घर के शुद्ध खाने मे पोष्टिकता तो है ही प्रेम भी है ।लेकिन ये सब पिछङापन हो गया है ।आधुनिकता तो होटलबाजी मे है ।बुजुर्ग तो है ही घर मे चौकीदार ।पहले शादी ब्याह मे महिलाएँ गृहकार्य मे हाथ बँटाने जाती थी ।और अब नृत्य सिखकर ।क्योँकि लेडिज सँगीत मे अपनी प्रतिभा दिखानी है ।घर के काम मे तबियत खराब रहती है वो भी घँटो नाच सकती है ।👌🏼घूँघट और साङी हटना तो ठीक है ।लेकिन बदन दिखाउ कपङे ?ये कैसी आधुनिकति है ?बङे छोटे की शर्म या डर रहेगा क्या ?वरमाला मे पुरी फुहङता ।कोई लङके को उठा रहा है ।कोई लङकी को उठा रहा है ये सब क्या है ?और हम ये तमाशा देख रहे है मौन रहकर ।सब अच्छा है 👌🏼माँ बाप बच्ची को शिक्षा दे रहे है ।ये अच्छी बात है 🙏🏼लैकिन उस शिक्षा के पिछे की सोच ?ये सोच नहीँ है कि परिवार को शिक्षित करे ।बल्कि दिमाग मे ये है कि कहीँ तलाक वलाक हो जाये तो अपने पाँव पर खङी हो जाये ।कमा खा ले ।जब ऐसी अनिष्ट सोच और आशंका पहले ही दिमाग मे हो तो रिजल्ट तो वही सामने आना है ।साइँस ये कहता है कि गर्भवती महिला आगर कमरे मे सुन्दर शिशु की तस्वीर टाँग ले तो शिशु भी सुन्दर और हष्ट पुष्ट होगा ।मतलब हमारी सोच का रिश्ता मविष्य से है ।बस यही सोच कि पाँव पर खङी हो जायेगी गलत है ।संतान सभी को प्रिय है ।लेकिन ऐसे लाङ प्यार मे हम उसका जीवन खराब कर रहे है ।पहले स्त्री छोङो पुरुष भी कोर्ट कचहरी से घबराते थे ।और शर्म भी करते थे ।अब तो फैशन हो गया है ।पढे लिखे युवा तलाकनामा तो जेब मे लेकर घुमते है ।पहले समाज के चार लोगोँ की राय मानी जाती थी ।और अब माँ बाप तक को जुत्ते पर रखते है ।अगर गलत हो तो बिना औलाद से पुछे या एक दुसरे को दिखाये रिश्ता करके दिखाओ तो जानूँ ?ऐसे मे समाज यि पँच क्या कर लेगा ।सिवाय बोलकर फजीयत कराने के ?सबसे खतरनाक है औरत की जुबान ।कभी कभी न चाहते हुए भी चुप रहकर घर को बिगङने से बचाया जा सकता है ।लेकिन चुप रहना कमजोरी समझती है ।आखिर शिक्षित है ।और हम किसी से कम नहीँ वाली सोच जो विरासत मे लेकर आई है ।आखिर झुक गयी तो माँ बाप की इज्जत चली जायेगी ।इतिहास गवाह है कि द्रोपदी के वो दो शब्द ..अंधे का पुत्र अंधा ने महाभारत करवा दी ।काश चुप रहती ।गोली से बङा घाव बोली का होता है ।आज समाज सरकार व सभी चैनल केवल महिलाओँ के हित की बात करते है ।पुरुष जैसे अत्याचारी और नरभक्षी होँ ।बेटा भी तो पुरुष ही है ।एक अच्छा पति भी तो पुरुष ही है ।जो खुद सुबह से शाम तक दौङता है परिवार की खुशहाली के लिये ।खुद के पास भले ही पहनने के कपङे न हो ।घरवाली के लिये हार के सपने देखता है ।बच्चोँ को महँगी शिक्षा देता है ।मै मानता हूँ पहले नारी अबला थी ।माँ बाप से एक चिठ्ठी को मोहताज ।और बङे परिवार के काम का बोझ ।अब ऐसा ह क्या ?सारी आजादी ।मनोरँजन हेतू tvकपडा धोनै वाशिँग मशीन मशाला पिसने मिक्सी रेडिमेड आटा पानी की मोटर पैसे है तो नोकर चाकरघूमने को स्कूटी या कार फिर भी और आजादी चाहिये ।आखिर ये मृगतृष्णा का अंत कब और कैसे होगा ।घर मे कोई काम ही नहीँ बचा ।दो लोगोँ का परिवार ।उस पर भी ताना ।।कि रात दिन काम कर रही हूँ ।ब्यूटि पार्लर आधे घँटे जाना आधे घँटे आना और एक घँटे सजना नहीँ अखरता ।लेकिन दो रोटी बनाना अखर जाता है ।कोई कुछ बोला तो क्यूँ बोला ?बस यही सब वजह है घर बिगङने की ।खुद की जगह घर को सजाने मै ध्यान दे तो ये सब न हो ।समय होकर भी समय कम है परिवार के लिये ।ऐसे मे परिवार तो टुटेँगे ही ।पहले की हवेलियाँ सैकङो बरस से खङी है ।और पुराने रिश्ते भी ।आज बिङला सिमेन्ट वाले मजबूत घर कुछ दिनोँ मे ही धराशायी ।और रिश्ते भी महिनोँ मे खतम ।इसका कारण है ।घरोँ को बनाने मे भ्रष्टाचारऔर रिश्तोँ मे गलत सँस्कार ।खैर हम तो जी लिये ।सोचे आनेवाली पीढी ।घर चाहिये यि दिखावे की आजादी ।दिनभर घुमने के बाद रात तो घर मे ही महफूज रखती है ।🙏🏼मेरी बात कयी को हो सकती है बुरी लगी हो ।विशेषकर महिलाओँ को ।लेकिन सच तो यही है ।समाज को छोङो ।आपने इर्द गिर्द पङौस मे देखो ।सब कुछ साफ दिख जायेगा ।यही हर समाज के घर घर की कहानी है ।जो युवा बहने है और जिनको बुरा लगा हो वो थोङा इँतजार करो ।क्यूँकि सास भी कभी बहू थी के समय मे देरी है ।लेकिन आयेगा जरुर 🙏🏼मुझे क्या है जो जैसा सोचेगा सुख दुख उन्हीँ के खाते मे आना है 🙏🏼बस तकलीफ इस बात की है कि हमारी गल्ती से बच्चोँ का घर खराब हो रहा है ।वो नादान है ।क्या हम भी है ?शराब का नशा मजा देता है ।लेकिन उतरता जरुर है ।फिर बस चिन्तन ही बचता है कि क्या खोया क्या पाया ?पैसोँ की और घर की बर्बादी ।उसके बाद भी इसका चलन का बढना आज की आधुनिक शिक्षा को दर्शाता है ।अपना अपना घर देखो सभी ।अभी भी वक्त है ।नहीँ तो व्हाटसप मे आडियो भेजते रहना ।जग हँसाई के खातिर ।कोई भी समाजसेवक कुछ नहीँ कर पायेगा ।सिवाय उपदेश के ।आपकी हर समस्या का निदान केवल आप कर सकते हो ।सोच के जरिये ।रिश्ते झुकने पर ही टिकते है ।तनने पर टुट जाते है ।इस खुबी को निरक्षर बुजुर्ग जानते थे ।आज का मूर्ख शिक्षित नहीँ ।काश सब जान पाते ।किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा 🙏🏼लेकिन इस पर टिप्पणी करके जागरुकता का परिचय अवश्य देँ 🙏🏼