Sunday, 31 May 2020
Saturday, 30 May 2020
Friday, 29 May 2020
Thursday, 28 May 2020
Wednesday, 27 May 2020
Tuesday, 26 May 2020
*कोरोना को हल्के में लेते हुए लॉक डाऊन में बाहर निकलने वालों का हश्र . . .* एक दिन अचानक बुख़ार आता है ! गले में दर्द होता है ! साँस लेने में कष्ट होता है ! Covid टेस्ट की जाती है ! 1 दिन तनाव में बीतत हैं . . अब टेस्ट + ve आने पर रिपोर्ट नगर पालिका जाती है ! रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है ! फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है ! कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हें देखते हैं ! कुछ लोग आपके लिए टिप्पणियां करते है ! कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं ! एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते हैं ! बेचारे घरवाले तुम्हें जी भर कर देखते हैं ! ओर वो भी टेन्सन में आ जाते है ,और सोचने लगते है कि अब किसका नम्बर है ! तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं ! तभी . . . प्रशासन बोलता है... चलो जल्दी बैठो आवाज़ दी जाती है ...एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द . . . सायरन बजाते रवानगी . . . फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है ..फिर कॉलोनी सील कर दी जाती है . . . 14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है . . . दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है . . . Tv , Mobile सब अदृश्य हो जाते हैं . . सामने की खाली दीवार पर अतीत , और भविष्य के दृश्य दिखने लगते..ओर वहा पर बुरे बुरे सपने आने लगते है..अब आप ठीक हो गए तो ठीक . . .वो भी जब *3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ* . . .तो घर वापसी . . . लेकिन इलाज के दौरान यदि आपके साथ कोई अनहोनी हो गई तो . . .?तो आपके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह . . . शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं . . . कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं . . . सिर्फ परिजनों को एक *डेथ सर्टिफिकेट..📝* वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए..और . . . . खेल खत्म...बेचारा चला गया . . . अच्छा था ...इसीलिए बेवजह बाहर मत निकलिए . . . घर में सुरक्षित रहिए . बाह्यजगत का मोह.. और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्यागिए . . . 2020 काम धंधे का , कमाई करने का नहीं है ..पिछले वर्षों में कमाया उसे खर्च करिये ..मार्च 20 से दिसम्बर 20 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही है.. जीवन बचाने का वर्ष है ..*जीवन अनमोल है ....*🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐*कड़वा है किंतु यही सत्य है*Lockdown में छूट सरकार ने दी है, कोरोना ने नही...
Monday, 25 May 2020
"फर्ज....जाओ तो ये लिस्ट लेते जाना किराने के सामान की...सुधा ने नवीन को एक लिस्ट देते हुए कहापापा मेरी चाँकलेट....बेटा बोला...पापा मेरे लिए अंकल चिप्स.... आराध्या पेंट हिलाते हुए बोली ....हां......बेटा ....मगर नवीन के दिमाग में तो सुबह फोन पर बाँस से हुई बातचीत के कहे शब्द गूंज रहे थे...नवीन बाबू ....इस बार भी आधी सैलरी ही मिलेगी ....बैठे बिठाए जो मिले चुपचाप ले लो ....सुधा ....नवीन को दवा की पर्ची दे दी ...जी मां जी ....पहले ही दे दी .....उफ्फ.... ये बीमारी कोरोना ....कमर तोड दी हम प्राइवेट कम्पनी वर्कर की ....उसपर ये लाँकडाउन ......हरबार बढ जाता है ....अब आधी सैलरी मे कैसे ......मां की दवाई.... किरानेवाले का महीने के राशन के पैसे... मकान का किराया ....दूधवाले का पैसा....कया दूं कया रखूं...... उसपर चार महीने पहले नयी स्कूटी ली थी ....सोचा था सुधा और बच्चों को स्कूल छोडने को काम आएगी ....अब इएमआई ....ऐसी अनेकों परेशानियों को सोचते हुए नवीन राशन लेने बाहर निकल पडा ....अभी कुछ ही दूरी पर पहुंचा था की स्कूटी की टी ...टी ...सुनाई दी ...सुधा थी स्कूटी पर ....स्कूटी रोककर नवीन को मास्क देते हुए बोली ...ये लीजिए ....और ये भी लीजिए ....पर्स से पैसे निकाल कर देते हुए बोली ...ये इतने पैसे.... तुम्हारे पास ....कैसे ....हमारे पास तो हर महीने कुछ नही बचता तो ....सुधा मुसकुराते हुए बोली - आपके आँफिस जाने के बाद बच्चों को टयूशन पढाकर उन्हीं से बचाए हुए हैं ....कुछ और बच्चों को टयूशन देने लगी थी आपको नही बताया था सोचा था कभी एमरजेंसी मे काम आएंगे .....सबके सामने नही देना चाहती थी ....इसलिए पीछे पीछे चली आई ....तुम बिल्कुल मां की तरह मेरी हर परेशानियों को चेहरे पर से पढ लेती हो ....हां ...मां ही तो हूं ....मगर तुम्हारी नही तुम्हारे बच्चों की ...हां एक पत्नी का फर्ज निभा रही हूं जैसे तुम हर मोड पर हर वक्त मेरे साथ मेरे हमकदम बनकर साथ रहते हो ...आखिर हम जीवनसाथी जो है ...सुख दुख के ...मुसकुरा कर वो स्कूटी लिए चली गई ...वहीं भीगी हुई पलकों से नवीन भी हंसते हुए उसे देख रहा था...एक दोस्त की सुंदर रचना...🙏🙏🙏
Thursday, 21 May 2020
"फर्ज....जाओ तो ये लिस्ट लेते जाना किराने के सामान की...सुधा ने नवीन को एक लिस्ट देते हुए कहापापा मेरी चाँकलेट....बेटा बोला...पापा मेरे लिए अंकल चिप्स.... आराध्या पेंट हिलाते हुए बोली ....हां......बेटा ....मगर नवीन के दिमाग में तो सुबह फोन पर बाँस से हुई बातचीत के कहे शब्द गूंज रहे थे...नवीन बाबू ....इस बार भी आधी सैलरी ही मिलेगी ....बैठे बिठाए जो मिले चुपचाप ले लो ....सुधा ....नवीन को दवा की पर्ची दे दी ...जी मां जी ....पहले ही दे दी .....उफ्फ.... ये बीमारी कोरोना ....कमर तोड दी हम प्राइवेट कम्पनी वर्कर की ....उसपर ये लाँकडाउन ......हरबार बढ जाता है ....अब आधी सैलरी मे कैसे ......मां की दवाई.... किरानेवाले का महीने के राशन के पैसे... मकान का किराया ....दूधवाले का पैसा....कया दूं कया रखूं...... उसपर चार महीने पहले नयी स्कूटी ली थी ....सोचा था सुधा और बच्चों को स्कूल छोडने को काम आएगी ....अब इएमआई ....ऐसी अनेकों परेशानियों को सोचते हुए नवीन राशन लेने बाहर निकल पडा ....अभी कुछ ही दूरी पर पहुंचा था की स्कूटी की टी ...टी ...सुनाई दी ...सुधा थी स्कूटी पर ....स्कूटी रोककर नवीन को मास्क देते हुए बोली ...ये लीजिए ....और ये भी लीजिए ....पर्स से पैसे निकाल कर देते हुए बोली ...ये इतने पैसे.... तुम्हारे पास ....कैसे ....हमारे पास तो हर महीने कुछ नही बचता तो ....सुधा मुसकुराते हुए बोली - आपके आँफिस जाने के बाद बच्चों को टयूशन पढाकर उन्हीं से बचाए हुए हैं ....कुछ और बच्चों को टयूशन देने लगी थी आपको नही बताया था सोचा था कभी एमरजेंसी मे काम आएंगे .....सबके सामने नही देना चाहती थी ....इसलिए पीछे पीछे चली आई ....तुम बिल्कुल मां की तरह मेरी हर परेशानियों को चेहरे पर से पढ लेती हो ....हां ...मां ही तो हूं ....मगर तुम्हारी नही तुम्हारे बच्चों की ...हां एक पत्नी का फर्ज निभा रही हूं जैसे तुम हर मोड पर हर वक्त मेरे साथ मेरे हमकदम बनकर साथ रहते हो ...आखिर हम जीवनसाथी जो है ...सुख दुख के ...मुसकुरा कर वो स्कूटी लिए चली गई ...वहीं भीगी हुई पलकों से नवीन भी हंसते हुए उसे देख रहा था...एक दोस्त की सुंदर रचना...🙏🙏🙏
Wednesday, 20 May 2020
Tuesday, 19 May 2020
Monday, 18 May 2020
Sunday, 17 May 2020
🙏ਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਗੁੰਦੋ ਲੜੀ ਹੀਰਿਆਂ ਦੇ ਹਾਰ ਦੀਜੰਗ ਵਿਚੋਂ ਲੜ ਕੇ ਸਿਪਾਹੀ ਮੇਰੇ ਆਣਗੇਚੰਨਾਂ ਦਿਆਂ ਚਿਹਰਿਆਂ 'ਚੋਂ ਚੰਨ ਮੁਸਕਾਣਗੇਵਿਹੜੇ ਵਿਚ ਠਾਠਾਂ ਮਾਰੂ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਸੰਸਾਰ ਦੀਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਕੂਲੇ ਕੂਲੇ ਹੱਥ ਕਿਰਪਾਨਾਂ ਵਿਚ ਗੋਰੀਆਂਕੱਲ੍ਹ ਨੇ ਸਵੇਰ ਦੀਆਂ ਜੋੜੀਆਂ ਮੈਂ ਤੋਰੀਆਂਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਿਛੋੜਾ ਮੈਂ ਨਾ ਪਲ ਸੀ ਸਹਾਰਦੀਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਘੋੜੀਆਂ ਦੇ ਪੌੜ ਜਦੋਂ ਕੰਨਾਂ ਸੁਣੇ ਵੱਜਦੇਵੇਖਣ ਨੂੰ ਨੈਣ ਆਏ ਬੂਹੇ ਵੱਲ ਭੱਜਦੇਲਹੂ ਵਿਚ ਭਿੱਜੀ ਘੋੜੀ ਵੇਖੀ ਭੁੱਬਾਂ ਮਾਰਦੀਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਲੱਗੇ ਹੋਏ ਕਾਠੀ ਉਤੇ ਲਹੂ ਨੇ ਇਹ ਦੱਸਿਆਮਾਏਂ ਤੇਰਾ ਜੋੜਾ ਦਾਦੇ ਕੋਲ ਹੈ ਜਾ ਵੱਸਿਆਛੱਡ ਦੇ ਉਡੀਕ ਹੁਣ ਹੰਸਾਂ ਦੀ ਡਾਰ ਦੀਚੁੰਮ ਚੁੰਮ ਰੱਖੋ ਨੀ ਇਹ ਕਲਗੀ ਜੁਝਾਰ ਦੀਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਗੁੰਦੋ ਲੜੀ ਹੀਰਿਆਂ ਦੇ ਹਾਰ ਦੀ🙏🙏🙏🙏🙏
पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें ।*पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ।*"पुस्तक के बीच विद्या , *पौधे की पत्ती* *और मोरपंख रखने* से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"। कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था ।*हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था ।**माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी , न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी* । सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । *एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा* हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं । *स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?*पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी , "पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" , पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा। *हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था* ।आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं ।*हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे ।*कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे ।अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।*हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए ।*👨🎨👩🏻🚒"REMEMBER YOUR CHILDHOODS" 😎😎😎😎
Saturday, 16 May 2020
Friday, 15 May 2020
Thursday, 14 May 2020
बड़ी दौड़ धूप के बाद,वो आज ऑफिस पहुंचा,उसका पहला इंटरव्यू था,घर से निकलते हुए वो सोच रहा था,काश ! इंटरव्यू में आज कामयाब हो गया,तो अपने पुश्तैनी मकान को अलविदा कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा..मम्मी पापा की रोज़ की चिक चिक,मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा ।सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ ।जब सो कर उठो,तो पहले बिस्तर ठीक करो,फिर बाथरूम जाओ,बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है "नल बंद कर दिया ?"तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया ? नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है"पंखा बंद किया या चल रहा है ?" क्या क्या सुनें यार,नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा..ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठे थे,बॉस का इंतज़ार कर रहे थे,दस बज गए,उसने देखा पैसेज की बत्ती अभी तक जल रही है, माँ याद आ गई,तो बत्ती बुझा दी ।ऑफिस के दरवाज़े पर कोई नहीं था,बग़ल में रखे वाटर कूलर से पानी टपक रहा था,पापा की डांट याद आ गयी,पानी बन्द कर दिया ।बोर्ड पर लिखा था,इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा ।सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी,बंद करके आगे बढ़ा,तो एक कुर्सी रास्ते में थी,उसे हटाकर ऊपर गयातो देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते,पता किया तो मालूम हुआ बॉस फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं,वापस भेज देते हैं ।मेरा नंबर आने पर मैंने फाइल मेनेजर की तरफ बढ़ा दी । कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा "कब ज्वाइन कर रहे हो ?"उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे मज़ाक़ हो,वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे,ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं,सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा,सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप,जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया ।अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से,मुझे जो सबक़ हासिल हुआ,उसके मुक़ाबले,मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं,तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है ।संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है ।जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹
Wednesday, 13 May 2020
Tuesday, 12 May 2020
Monday, 11 May 2020
बड़ी दौड़ धूप के बाद,वो आज ऑफिस पहुंचा,उसका पहला इंटरव्यू था,घर से निकलते हुए वो सोच रहा था,काश ! इंटरव्यू में आज कामयाब हो गया,तो अपने पुश्तैनी मकान को अलविदा कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा..मम्मी पापा की रोज़ की चिक चिक,मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा ।सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ ।जब सो कर उठो,तो पहले बिस्तर ठीक करो,फिर बाथरूम जाओ,बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है "नल बंद कर दिया ?"तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया ? नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है"पंखा बंद किया या चल रहा है ?" क्या क्या सुनें यार,नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा..ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठे थे,बॉस का इंतज़ार कर रहे थे,दस बज गए,उसने देखा पैसेज की बत्ती अभी तक जल रही है, माँ याद आ गई,तो बत्ती बुझा दी ।ऑफिस के दरवाज़े पर कोई नहीं था,बग़ल में रखे वाटर कूलर से पानी टपक रहा था,पापा की डांट याद आ गयी,पानी बन्द कर दिया ।बोर्ड पर लिखा था,इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा ।सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी,बंद करके आगे बढ़ा,तो एक कुर्सी रास्ते में थी,उसे हटाकर ऊपर गयातो देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते,पता किया तो मालूम हुआ बॉस फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं,वापस भेज देते हैं ।मेरा नंबर आने पर मैंने फाइल मेनेजर की तरफ बढ़ा दी । कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा "कब ज्वाइन कर रहे हो ?"उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे मज़ाक़ हो,वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे,ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं,सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा,सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप,जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया ।अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से,मुझे जो सबक़ हासिल हुआ,उसके मुक़ाबले,मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं,तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है ।संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है ।जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹
पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें ।*पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ।*"पुस्तक के बीच विद्या , *पौधे की पत्ती* *और मोरपंख रखने* से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"। कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था ।*हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था ।**माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी , न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी* । सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । *एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा* हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं । *स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?*पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी , "पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" , पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा। *हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था* ।आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं ।*हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे ।*कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे ।अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।*हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए ।*👨🎨👩🏻🚒"REMEMBER YOUR CHILDHOODS" 😎😎😎😎
🙏..PLZZ frnds read this story..🙏 एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई । जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ... और... मेरी जगह नुकसान आ रहा है । तैयार हो जाओ।लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो। सुनार बहुत समझदार था।उसने 🙏 विनती की नुकसान आए तो आने दो ।लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे। 🤔बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा। कुछ दिन के बाद :-सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी।उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी।तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई । उनकी सास ने भी ऐसा किया। शाम को सबसे पहले सुनार आया। पहला निवाला मुह में लिया। देखा बहुत ज्यादा नमक है।लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया।पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?सभी ने उत्तर दिया :- " हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए।पहले वालो के बारे में पूछते और.. चुपचाप खाना खा कर चले गए। रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा : - "मै जा रहा हूँ।" सुनार ने पूछा :- क्यों ?तब नुकसान (हानि ) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए ।लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।" *निचोङ*⭐झगड़ा कमजोरी , हानि , नुकसान की पहचान है। 👏जहाँ प्रेम है , वहाँ लक्ष्मी का वास है।🔃सदा प्यार - प्रेम बांटते रहे। छोटे -बङे की कदर करे । जो बङे हैं , वो बङे ही रहेंगे ।चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो। 🙏🙏🙏🙏 ☘☘ *- जय मां लक्ष्मी-* ☘☘
एक 60 वर्षीय महिला ने अचानक ही 🏘️🏕️🏰 जाना छोड़कर स्विमिंग सीखने जाना शुरू कर दिया !किसी ने कारण पूछा तो महिला ने बताया कि अक्सर मेरे बेटे और बहू का झगड़ा होता रहता है और बहू हमेशा पूछती रहती है कि अगर तुम्हारी माँ और मैं दोनो पानी में डूब रहे हों तो तुम पहले किसे बचाओगे ! मैं अपने बेटे को किसी धर्मसंकट में नही डालना चाहती इसीलिये मैंने स्विमिंग सीख ली !कुछ दिनों बाद फिर से पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ और पत्नी ने फिर वही बात पूछी कि अगर तुम्हारी माँ और मैं डूब रहे होंगे तो तुम किसे पहले बचाओगे ?पति ने जवाब दिया मुझे पानी में उतरने की जरूरत ही नही पड़ेगी क्योंकि मेरी माँ ने स्विमिंग सीख ली है, वो तुम्हे बचा लेगी !पत्नी ने हार नही मानी और बोली नही-नही तुम्हे पानी में कूदकर हम दोनों में से किसी एक को तो बचाना ही पड़ेगा !पति ने जवाब दिया : फिर तो पक्का तुम ही डूबोगी ।क्योंकि मुझे तो तैरना आता नही और मेरी माँ हम दोनों में से 100% मुझे ही बचायेगी !😁😂🤣😜😛
🌻🌾🌻✨ ओम श्री साई नाथ ✨🌻🌾🌻🌻 जब हम कोई कर्म करके फल की चिंता करते हुए,🍀 कर्म करते हैं तो, उसके करने से पहले ही उसका फल सोच लेते हैं,,,🌻 कर्म करने के बाद, जल्दी ही भगवान से फल की इच्छा भी रखने लगते हैं। 🍀 जब मंदिर जाते हैं तो, देवताओं से अपनी मुराद मांगने के लिए |🌻 अपने साथ मन में एक लिस्ट भी ले जाते हैं !🍀 पांच रुपए का प्रसाद चढ़ाकर, पांच हजार रुपये के काम,🌻 हो जाने का वरदान मांगते हैं,,,🍀 यदि उस देवता से मुराद पूरी हो गई तो ठीक, 🌻 नहीं तो मंदिर या देवता बदल लेते हैं !!🍀 इस तरह से जिस देवता के सामने इच्छा पूरी होती रहे, 🌻 उसको अपना इष्ट मान लेते हैं |🍀 यह पूजा नहीं सौदा है !!!🌻 देखा जाए तो हम प्रभु को पाने के लिए प्रार्थना नहीं करते,🍀 बल्कि अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनको पूजते हैं !🌻 वैसे तो इसमें कुछ गलत नहीं हैं, 🍀 अगर हम प्रभु से नहीं मांगेंगे तो किससे मांगेंगे ?🌻 हम यह भूल जाते हैं कि भगवान को बिना मांगे भी पता है,🍀 कि मेरे भक्त को क्या चाहिए ?🌻 ध्यान रहे, आसक्त होकर देवता को पूजने से,🍀 कर्मों के फल तो मिल जाएंगे,🌻 लेकिन देवत्व कभी नहीं मिलेगा.,,,,!!! 🌹👣🌻🙏ॐ साई राम🙏🌻👣🌹
Sunday, 10 May 2020
लबो पे उसके कभी बद्दुआ नही होतीएक माँ ही है जो कभी खफा नही होती इस तरहा मेरे गुनाहों कोवो धो देती है बहुत गुस्से मे हो जब तब वो रो देती है मैंने रोते हुए पोंछे थेअपने आंसू मुद्दतों माँ ने नही धोयादुपट्टा अपना अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नही होगा मैं जब भी घर से निकलता हु उनकी दुआएं साथ चलती है जब भी कश्ती मेरी सैलाब मे आ जाती है माँ दुआयें करती है खवाब मे आ जाती है मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं" माँ " से इस क़दर लिपटु कि " बच्चा हो जाऊं " इस "MOTHER DAY " पर सबकी माँ के लिए ढेर सारा प्यार ।
हर शब्द कम है तेरी तारीफ को, अ शब्द माँजो बचाता धरा पर जीवन को, माँ तो वो वरदान हैदुःखो से सुलगती रूह को माँ, लेप राहत का लगातीऔलाद की छोटी से छोटी चोट पर माँ, हजारों मोती बहातीमाँ की दुआ ले आती देवों को जमीन पर खींचकरऔलाद को सुखी देखने के लिये माँ हर दुःख को हंसते हंसते सह जातीहमारी आँखों के अंशु अपनी आँखों में समां लेती है माँअपने होठो की हंसी हम पर लुटा देती है माँ,हमारी खुशियों में सामिल होकर अपने गम भुला देती है माँ|जब भी कभी ठोकर लगे हमे याद आती है माँ,दुनिया की तपिश में हमे अंचल की शीतल छाया देती है माँ|खुद चाहे कितनी भी थकी हो हमे देख कर अपनी थकान भुला जाती है माँ,प्यार भरे हाथो से हमेशा हमारी थकान मिटा देती है माँ|बात जब भी हो लालिज खाने की तो हमे याद आती है माँ,रिस्तो को खूबसूरती से निभाहना सिखाती है माँ|लवजो मे जिसे बाया नहीं किया जा साके ऐसी होती है माँ,भगवान भी जिसकी ममता के आगे छुक जाये ऐसी होती है माँ| 🙏🌹हैप्पी मदर्स डे🌹🙏
Saturday, 9 May 2020
Friday, 8 May 2020
Thursday, 7 May 2020
Wednesday, 6 May 2020
Have you read the covid proverb twists? *20 New Proverbs to be included....* 😅😎1) Divided we live, United we die! 2) A sneeze, in time... infects nine!3) All that sniffles has caught a cold!4) Homestay is the best policy!5) One man's mask is another man's poison!6) When things get cough, the smart get going!7) An unmasked guy is the Covid's workshop!8) As you spray, so shall they reap!9) Snot is weaker than Sanitizer!10) Better to be poor & healthy than being rich & sick!11) Curiosity killed the doc!12) Don't count your chickens before next March!13) Every cough has its spray!14) Out at night is out of mind15) Rome wasn't infected in a day!16) The grass is cleaner on your side of the fence!17) When the cough is away, you can come out & play!18) When in Rome, die as the Romans do!19) Cough goes around, comes around!20) When one door shuts, another door... shuts.
Tuesday, 5 May 2020
Monday, 4 May 2020
Sunday, 3 May 2020
एक लडकी ने एक लडके का प्यार कबुल नही किया तो लडके नेलडकी के मुँह पर तेजाब फेक दिया तो लडकी ने लडके से चंदपंक्तीयाँ कही आप एक बार इन पंक्तीयो को जरुर पढना👏NEXT👉चलो, फेंक दियासो फेंक दिया....@अब कसूर भी बता दो मेरातुम्हारा इजहार थामेरा इन्कार थाबस इतनी सी बात परफूंक दिया तुमनेचेहरा मेरा....@गलती शायद मेरी थीप्यार तुम्हारा देख न सकीइतना पाक प्यार थाकि उसको मैं समझ ना सकी....@अब अपनी गलती मानती हूँक्या अब तुम ... अपनाओगे मुझको?क्या अब अपना ... बनाओगे मुझको?@क्या अब ... सहलाओगे मेरे चहरे को?जिन पर अब फफोले हैं...@मेरी आंखों में आंखें डालकर देखोगे?जो अब अन्दर धस चुकी हैंजिनकी पलकें सारी जल चुकी हैंचलाओगे अपनी उंगलियाँ मेरे गालों पर?जिन पर पड़े छालों से अब पानी निकलता हैहाँ, शायद तुम कर लोगे....@तुम्हारा प्यार तो सच्चा है ना?अच्छा! एक बात तो बताओये ख्याल 'तेजाब' का कहाँ से आया?क्या किसी ने तुम्हें बताया?या जेहन में तुम्हारे खुद ही आया?अब कैसा महसूस करते हो तुम मुझे जलाकर?गौरान्वित..???@या पहले से ज्यादाऔर भी मर्दाना...???@तुम्हें पता हैसिर्फ मेरा चेहरा जला हैजिस्म अभी पूरा बाकी हैएक सलाह दूँ!...@एक तेजाब का तालाब बनवाओफिर इसमें मुझसे छलाँग लगवाओजब पूरी जल जाऊँगी मैंफिर शायद तुम्हारा प्यार मुझमेंऔर गहरा और सच्चा होगा....@एक दुआ है....@अगले जन्म मेंमैं तुम्हारी बेटी बनूँऔर मुझे तुम जैसाआशिक फिर मिलेशायद तुम फिर समझ पाओगेतुम्हारी इस हरकत सेमुझे और मेरे परिवार कोकितना दर्द सहना पड़ा है।...@तुमने मेरा पूरा जीवनबर्बाद कर दिया है(शेयर कर देना)दोस्तो एक बार.SHARE TO MAXIMUM😊
Saturday, 2 May 2020
Friday, 1 May 2020
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