"फर्ज....जाओ तो ये लिस्ट लेते जाना किराने के सामान की...सुधा ने नवीन को एक लिस्ट देते हुए कहापापा मेरी चाँकलेट....बेटा बोला...पापा मेरे लिए अंकल चिप्स.... आराध्या पेंट हिलाते हुए बोली ....हां......बेटा ....मगर नवीन के दिमाग में तो सुबह फोन पर बाँस से हुई बातचीत के कहे शब्द गूंज रहे थे...नवीन बाबू ....इस बार भी आधी सैलरी ही मिलेगी ....बैठे बिठाए जो मिले चुपचाप ले लो ....सुधा ....नवीन को दवा की पर्ची दे दी ...जी मां जी ....पहले ही दे दी .....उफ्फ.... ये बीमारी कोरोना ....कमर तोड दी हम प्राइवेट कम्पनी वर्कर की ....उसपर ये लाँकडाउन ......हरबार बढ जाता है ....अब आधी सैलरी मे कैसे ......मां की दवाई.... किरानेवाले का महीने के राशन के पैसे... मकान का किराया ....दूधवाले का पैसा....कया दूं कया रखूं...... उसपर चार महीने पहले नयी स्कूटी ली थी ....सोचा था सुधा और बच्चों को स्कूल छोडने को काम आएगी ....अब इएमआई ....ऐसी अनेकों परेशानियों को सोचते हुए नवीन राशन लेने बाहर निकल पडा ....अभी कुछ ही दूरी पर पहुंचा था की स्कूटी की टी ...टी ...सुनाई दी ...सुधा थी स्कूटी पर ....स्कूटी रोककर नवीन को मास्क देते हुए बोली ...ये लीजिए ....और ये भी लीजिए ....पर्स से पैसे निकाल कर देते हुए बोली ...ये इतने पैसे.... तुम्हारे पास ....कैसे ....हमारे पास तो हर महीने कुछ नही बचता तो ....सुधा मुसकुराते हुए बोली - आपके आँफिस जाने के बाद बच्चों को टयूशन पढाकर उन्हीं से बचाए हुए हैं ....कुछ और बच्चों को टयूशन देने लगी थी आपको नही बताया था सोचा था कभी एमरजेंसी मे काम आएंगे .....सबके सामने नही देना चाहती थी ....इसलिए पीछे पीछे चली आई ....तुम बिल्कुल मां की तरह मेरी हर परेशानियों को चेहरे पर से पढ लेती हो ....हां ...मां ही तो हूं ....मगर तुम्हारी नही तुम्हारे बच्चों की ...हां एक पत्नी का फर्ज निभा रही हूं जैसे तुम हर मोड पर हर वक्त मेरे साथ मेरे हमकदम बनकर साथ रहते हो ...आखिर हम जीवनसाथी जो है ...सुख दुख के ...मुसकुरा कर वो स्कूटी लिए चली गई ...वहीं भीगी हुई पलकों से नवीन भी हंसते हुए उसे देख रहा था...एक दोस्त की सुंदर रचना...🙏🙏🙏