लबो पे उसके कभी बद्दुआ नही होतीएक माँ ही है जो कभी खफा नही होती इस तरहा मेरे गुनाहों कोवो धो देती है बहुत गुस्से मे हो जब तब वो रो देती है मैंने रोते हुए पोंछे थेअपने आंसू मुद्दतों माँ ने नही धोयादुपट्टा अपना अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नही होगा मैं जब भी घर से निकलता हु उनकी दुआएं साथ चलती है जब भी कश्ती मेरी सैलाब मे आ जाती है माँ दुआयें करती है खवाब मे आ जाती है मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं" माँ " से इस क़दर लिपटु कि " बच्चा हो जाऊं " इस "MOTHER DAY " पर सबकी माँ के लिए ढेर सारा प्यार ।