Thursday, 21 May 2020

तेरे अनेक रूप है नारीसरस्वती बन संस्कार देती है नारीलक्ष्मी बन सुख समृद्धि लाती है नारीदुर्गा बन दुख संकट से लड़ती है नारीअनपूर्णा बन अन से परिपूर्ण करती है नारीये अर्धांगिनी घर को स्वर्ग बनाती है नारी