Thursday, 28 May 2020

कल के नौसीखिए.. सिकंदर हो गए...हल्की हवा के झोंके.. बवंडर हो गए... हम लड़ते रहे.. उसूलों की पतवार थामें...हम कतरा ही रहे ... लोग समन्दर हो गए.।