Tuesday, 30 June 2020
Monday, 29 June 2020
Sunday, 28 June 2020
Saturday, 27 June 2020
Friday, 26 June 2020
Thursday, 25 June 2020
Wednesday, 24 June 2020
Tuesday, 23 June 2020
Sunday, 21 June 2020
"खुदकुशी के किस्से कितने आम हो गएबिन बुलाए मौत के मेहमान हो गएकईयों का दर्द गुमनामी तले दब गयाकईयों का दर्द किताबों में छप गया"खुदकुशी जैसा इतना बड़ा कदम उठाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं।इसे मुमकिन बनाता है उसके मन पे पड़ा बोझ ऊपर से तन्हाई।जब उसके हाल को कोई जान के भी अनजान बना रहे तब यही अकेलापन उसे तोड़ देता है।अपने ही मरने पे मजबूर कर के बाद में कहते हैं__"कायर था जो बिन बताए चला गयाअनाथ अपने ही बच्चों को खुद बनाए चला गयाक्या नहीं करते उसके लिए जो दिल खोल के वो दिखाताहर दर्द अपने दिल में ही दबाए चला गया" किसी का भी अपने परिवार को बीच मझधार छोड़ के जाने का दिल नहीं करता ऐसे वक़्त में उसे बस एक साथी चाहिए होता है जो कहे__"वक़्त जैसा भी हो गुजर जाएगातेरे हर दुख में साथ हूं तू जो भी बताएगाबस हार के भी कभी ज़िन्दगी न वारनातेरा हारना तेरे अपनों को तुझसे पहले हराएगा" बस इतनी सी बात उसे जीने का हौसला देगी वरना उसके दुख उसकी रूह भी बयान करेगी__
Saturday, 20 June 2020
कविता for all Daddy's👤वो पिता👤 होता हैवो पिता👤 ही होता हैजो अपने बच्चो को अच्छेविद्यालय में पढ़ाने के लिएदौड भाग करता है...उधार लाकर donation भरताहै, जरूरत पड़ी तो किसी के भीहाथ पैर भी पड़ता है....... वो पिता👤 होता हैं ।।हर कोलेज में साथ👥साथघूमता है, बच्चे के रहने केलिए होस्टल ढुँढता है...स्वतः फटे कपडे पहनता हैऔर बच्चे के लिए नयी जीन्स👖टी-शर्ट लाता है.......... वो पिता👤 होता है ।।खुद खटारा फोन वपरता है परबच्चे के लिए स्मार्ट फोन लाता है...बच्चे की एक आवाज सुनने केलिए, उसके फोन में पैसा भरता है....... वो पिता👤 होता है ।बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय परवो नाराज़ होता है और गुस्सेमें कहता है सब ठीक से देखलिया है ना, "आपको कुछसमजता भी है?" यह सुन करबहुत रोता है.......वो पिता👤 होता हैं ।।बेटी की विदाई पर दिल कीगहराई से रोता है,मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथजोड़ कर कहता है......... वो पिता👤 होता है ।।पिता का प्यार दिखता नहीं हैसिर्फ महसूस किया जाता है।माँ पर तो बहुत कविता लिखीगयी है पर पिता पर नहीं।पिता का प्यार क्या है दुनियाको बता दो।Miss you PAPAI love you
बाल सफेद करने मे जिंदगी निकल जाती है.....काले तो आघे घंटे मेहो जाते है!!_"खुशीयां बटोरते बटोरते उमर गुजर गई ,पर खुश ना हो सके,_एक दिन एहसास हुआ ,खुश तो वो लोग थे जो खुशीयां बांट रहे थे."दौलत की भूख ऐसी की कमाने निकल गए ।दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए ।बच्चों के साथ रहने की फुर्सत ना मिल सकी ।और जब फुर्सत मिली तो बच्चे खुद ही दौलत कमाने निकल गए ।।।।।।।Jisane Bhi likha hai.....Sach Likha haiआज सवेरे,सवेरे,अख़बार मेशोक समाचार के कालम मे,अपनी फ़ोटो को देखँ हैरान था,आश्चर्य,,क्या मैं मर गया हू,?या किसी मसखरे का शिकार हो गया हू,रुको,,थोड़ा सोचता हू,पिछली रात ही तोमेरे सीने में भारी दर्द उठा था,और मैं पसीने से तरबतर हो गया थाफिर मुझे कुछ याद नही,मैं शायद गहरी नींद में सो गया था,और अब सुबह के ८ बज चुके है,बिना काफ़ी मेरी आँख नहीं खुलती,आज आफ़िस में फिर लेट होने वाला हू,चिढचिढे बास का फिर भाषण सुनने वाला हूपर ये क्या? क्यूँ मेरे घर मे भीड़ हो रही है,सारी भीड़ क्यूँ रो रही है,यहाँ बरामदे मे क्यूँ हाहाकार मचा पड़ा है मेरा शरीर सफ़ेद कपड़ों में लिपटा,ज़मीन पर क्यूँ पड़ा हैमैं यहाँ हूँ, मैं चिल्लाता हू,कोई इधर देखो,सुनो, मैं यहाँ हून कोई ध्यान देता है ,न कोई सुन पाता है,हर कोई कातर नज़र से बस मेरे शरीर को निहारता है,मैं अपने कमरे में वापस आ जाता हू,बाहर कोहराम मचा है,ये,क्या मेरी बीबी रो रही है,बहुत दुखी और उजडी सी दिख रही हैमेरे बेटे को शायद नही कुछ एहसास है,वह केवल इसलिये रो रहा है कि,क्यूँकि उसकी माँ बदहवास है,लगता है मैं मर गया हू,मैं कैसे मर सकता हू,अपने बेटे से कहे बेगैर,कि मैं उसे सच बहुत प्यार करता हू,मैं उसका बेहद ख़्याल रखता हू,मैं कैसे मर सकता हू अपनी बीबी से कहे बग़ैर,कि वह दूनिया की सबसे ख़ूबसूरत और ख़्याल रखने वाली बीबी हैकैसे मर सकता हू माँ ,बाप से कहे बग़ैर,कि वे है तो ही ,मैं हू,कैसे मर सकता हू अपने दोस्तों से कहे बग़ैर कि,वे मेरे जीवन के सारे ग़लत फ़ैसलों पर भी वे मेरे साथ थे,पर मैं ही अधिकान्शत: मैं वहाँ स्वयं नहीं पहुँच पाया था ,जब उन्हें मेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत का वास्ता थाऔर वे ज़्यादा ज़रूरतमन्द थेमैं एक बन्दे को देख रहा हू,जो कोने में खड़ा आँसू छिपाने की कोशिश कर रहा है,कभी हम अतिप्रिय अभिन्न मित्र थे,छोटी सी ग़लतफ़हमी ने हमें जुदा कर दिया,उन दिनों हम ईगो की पराकाष्ठा में थे,हमने कभी एकदुसरे को माफ़ नहीं कियामैं उसके पास जाता हूअपने दोनो हाथों को आगे बढ़ाता हूदोस्त मैं अपनी ग़लतियों के लिये क्षमा माँगता हूहम आज भी अच्छे दोस्त है,मुझे माफँ कर दो,ये क्या उसके तरफ़ से कोई रिसपान्स ही नहीं मिलता,क्या वह आज भी उसी ईगो में है,मैं जबकि माफ़ी माँग रहा हू, फिर भी,उसका मिज़ाज नहीं मिलतापर वह निरन्तर रोता जा रहा है,पर एक सेकेण्ड।शायद वह मुझे और मेरे हाथ को नहीं देख पा रहा है,तो क्या मैं सच में मर गया हू?ज़मीन पर लेटे मैं अपने शरीर के पास बैठँ जाता हू,क्या करूँ कैसे करु किसे पुकारू कुछ समझ नहीं पाता हूदिल करता है कि मैं फूट,फूट के रोऊँ।एकदम से हुई इस अनहोनी पर कहा अपना सिर धुनु और फोड़ू,,हे भगवान ,मुझे कुछ समय और दो,मैं अपने बेटे,बीबी,माँ बाप दोस्तों कोबताना चाहता हू कि मैं उनसे कितना प्यार करता हूमेरी बीबी कमरे में आती है,तुम बहुत सुन्दर हो मैं प्यार से बार,बार दोहराता हूवह मेरे शब्दों को नहीं सुन पाती हैसच ये है कि जीवन मे उसने ये शब्द मेरे मुँह से कभी सुनें ही नही,हा,मैंने कभी कहा भी तो नही,हे भगवान मुझे थोड़े दिन और दे केवल एक बारक्यूँकि,,,मैं अपने बेटे को अपने सीने से लगाना चाहता हूअपनी माँ को मुस्कुराते देखना चाहता हू,अपने पिता को अपने ऊपर गर्व करवाना चाहता हू,केवल एक बार बस एक बार अपने दोस्तों को साँरी कहना चाहता हू,मैं तो उन्हें कभी समय नहीं दे पाया, पर आज भी वे मेरे साथ है,इसका धन्यवाद देना चाहता हू,मैंने ऊपर देखामैं चिल्लाया भगवान ,,केवल एक मौक़ा और,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम सपने में चिल्ला रहे हो,उठो,क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा,मेरी बीबी ने मुझे थपथपाया,मेरा बेटा मेरी बग़ल में था,मेरी बीबी वही थी,वह मुझे सुन सकती थी मैंने लम्बी साँस ली ,उसे गले लगायाऔर कहा,तुम मेरा ख़याल रखने वाली,दुनिया की सबसे हसीन बीबी हो,मैं सच तुमसे बहुत प्यार करता हूउसकी आँखों की नमी और चेहरे पे आई प्यारी मुस्कान इस मोहक मुस्कान को मैं ही समझ सकता था,भगवान ,,इस दुसरे मौक़े के लिये धन्यवाद ,मैंने मन ही मन दोहराया।मित्रों!अभी भी देर नहीं हुई है। अपने झूठे ईगो,अतीत के पुराने विवाद और मतभेदों को भुलाकर अपने प्रियजनों और मित्रों से खुलकर अपने प्यार को जतायें और झगड़े और मनमुटाव को भुलाकर नईं शुरुवात करें क्योंकि ज़िन्दगी में दूसरा अवसर नहीं मिलता है।खुश रहें और सभी को भी खुश रखें।अवश्य शेयर करें।
Friday, 19 June 2020
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत ने कहा है कि भारत का हर व्यक्ति भारतीय सेना के बारे में नीचे लिखे वाक्यों को अवश्य पढ़े। ✌🎖भारतीय सेना के 10 सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन: अवश्य पढें।इन्हें पढकर सच्चे गर्व की अनुभूति होती है...1." मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन मैं वापस अवश्य आऊंगा।”- कैप्टन विक्रम बत्रा, परम वीर चक्र2." जो आपके लिए जीवनभर का असाधारण रोमांच है, वो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है।”- लेह-लद्दाख राजमार्ग पर साइनबोर्ड (भारतीय सेना)3." यदि अपना शौर्य सिद्ध करने से पूर्व मेरी मृत्यु आ जाए तो ये मेरी कसम है कि मैं मृत्यु को ही मार डालूँगा।”- कैप्टन मनोज कुमार पाण्डे,परम वीर चक्र, 1/11 गोरखा राइफल्स4." हमारा झण्डा इसलिए नहीं फहराता कि हवा चल रही होती है, ये हर उस जवान की आखिरी साँस से फहराता है जो इसकी रक्षा में अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देता है।”- भारतीय सेना5.“हमें पाने के लिए आपको अवश्य ही अच्छा होना होगा, हमें पकडने के लिए आपको तीव्र होना होगा, किन्तु हमें जीतने के लिए आपको अवश्य ही बच्चा होना होगा।”- भारतीय सेना6." ईश्वर हमारे दुश्मनों पर दया करे, क्योंकि हम तो करेंगे नहीं।"- भारतीय सेना7." हमारा जीना हमारा संयोग है, हमारा प्यार हमारी पसंद है, हमारा मारना हमारा व्यवसाय है।”- अॉफीसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई8." यदि कोई व्यक्ति कहे कि उसे मृत्यु का भय नहीं है तो वह या तो झूठ बोल रहा होगा या फिर वो इंडियन आर्मी का ही होगा।”- फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ9." आतंकवादियों को माफ करना ईश्वर का काम है, लेकिन उनकी ईश्वर से मुलाकात करवाना हमारा काम है।”- भारतीय सेना10." इसका हमें अफसोस है कि अपने देश को देने के लिए हमारे पास केवल एक ही जीवन है।”💐💐 🙏🙏🙏 💐💐इसे आगे बढाते जाएं... 👍सबको इंडियन आर्मी से रूबरू कराये।।।जयहिंद...... 🙏💐⚔ भारतीय थल सेना ⚔💐🙏
Wednesday, 17 June 2020
जब कोई चीज मुफ्त मिल रही हो, तो समझ लेना कि आपको इसकी कोई बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।नोबेल विजेता डेसमंड टुटू ने एक बार कहा था कि ‘जब मिशनरी अफ्रीका आए, तो उनके पास बाईबल थी, और हमारे पास जमीन। उनहोंने कहा 'हम आपके लिए प्रार्थना करने आये हैं।’ हमने आखें बंद कर लीं,,, जब खोलीं तो हमारे हाथ में बाईबल थी, और उनके पास हमारी जमीन।’इसी तरह जब सोशल नैटवर्क साइट्स आईं, तो उनके पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे, और हमारे पास आजादी और निजता थी।उन्होंनें कहा 'ये मुफ्त है।’ हमने आखें बंद कर लीं, और जब खोलीं तो हमारे पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे, और उनके पास हमारी आजादी और निजी जानकारियां।जब भी कोई चीज मुफ्त होती है, तो उसकी कीमत हमें हमारी आजादी दे कर चुकानी पड़ती है। “ज्ञान से शब्द समझ आते हैं, और अनुभव से अर्थ” अनुवाद...
Tuesday, 16 June 2020
*दादी और पोती*💞*गजब लिखा है लिखने वाले ने।**"अम्मा मैं सुषमा और डॉली के साथ मॉल जा रहा हूं तुम घर का ख्याल रखना**" ठीक है बेटा. तुम जाओ वैसे भी मेरे पैर में दर्द हो रहा है मैं मॉल में नही जाना चाहती तुम लोग जाओ* *" दादी आपको भी मॉल चलना पड़ेगा" 10 साल की पोती डॉली बोली ...**" तुम्हारी दादी मॉल में सीढियां नही चढ़ सकती उन्हें escalator चढ़ना भी नही आता. और कयुंकि वहां कोई मंदिर नही है इसलिए दादी का मॉल जाने में कोई interest नही है वो सिर्फ मंदिर जाने में interested रहती हैं" बहू सुषमा अपनी बेटी डॉली से बोली।* *इस बात से दादी सहमत हो गई पर उनकी पोती डॉली जिद पर अड़ गई की वो भी मॉल नही जाएगी अगर दादी नही चली, यद्यपि दादी कह चुकी थीं कि वो मॉल जाने में interested नही है।**अंत मे 10 साल की पोती के सामने दादी की नही चली और वो भी साथ जाने को तैयार हो गई, जिसपर पोती डॉली बहुत खुश हो गई**पिता ने सबको तैयार हों जाने को कहा। इससे पहले की मम्मी पापा तैयार होते सबसे बुजुर्ग दादी और सबसे छोटी लड़की तैयार हो गए।* *पोती दादी को बालकनी में ले गई और पोती ने एक फिट की दूरी से दो लकीर चाक से बना दी* *पोती ने दादी से कहा कि ये एक गेम है और आपको एक पक्षी की acting करनी है* *आपको एक पैर इन दो लाइन्स के बीच मे रखना है और दूसरा पैर 3 ऊंच ऊपर उठाना है* *ये क्या है बेटी?, दादी ने पूछा, ये bird game है मैं आपको सिखाती हूं**जब तक पापा कार लाये तब तक दादी पोती ने काफी देर ये गेम खेला**वो मॉल पहुंचे और जैसे ही वो escalator के पास पहुंचे, मम्मी पापा परेशान हो गए कि दादी कैसे escalator में चलेंगी।* *पर मम्मी पापा आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने देखा कि दादी आराम से escalator में सीढ़ियां चढ़ रही थी और बल्कि पोती दादी escalator में बार बार ऊपर नीचे जाकर खूब मज़े ले रहे थे (दरअसल पोती ने दादी से कह दिया था कि यहां पर दादी को वोही Bird Game खेलना है दादी ने अपना दायां पैर उठाना है और एक चलती हुई सीढी पर रखना है और फिर बायां पैर 3 इंच उठाकर चलती हुई अगली सीढ़ी पर रखना है)* *इस तरह दादी आसानी से escalator पर चढ़ पा रही थी और दादी पोती खूब बार escalator में ऊपर नीचे जाकर मज़े भी ले रही थीं* *उसके बाद वो पिक्चर हॉल गए जहां अंदर ठंडा था तो पोती ने चेहरे पर एक शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ अपने बैग से एक शाल निकालकर दादी को उढ़ा दिया की वो पहले से तैयारी के साथ आई थी* *Movie के बाद सब रेस्टारेंट में खाना खाने गए. बेटे ने अपनी माँ (डॉली की दादी) से पूछा कि आपके लिए कौन सी डिश order करनी है* *पर डॉली ने पापा के हाथ से menu झपटकर जबरन अपनी दादी के हाथ मे दे दिया कि आपको पढ़ना आता है आप ही पढ़ कर deside कीजिये कि क्या खाना order करना है दादी ने मुस्कुराते हुए items फाइनल किये की क्या order करना है**खाने के बाद दादी और पोती ने video games खेले जो घर मे वो पहले ही खेलते थे**घर के लिए निकलने के पहले दादी वॉशरूम गई तो उनकी अनुपस्तिथि का फायदा उठा कर पापा ने बेटी से पूछ लिया कि तुम्हे दादी के बारे में इतना कैसे पता है जो बेटा होते हुए मुझे पता नही है?**तपाक से जवाब आया कि पापा जब आप छोटे से थे तो आपको घर मे नही छोड़ते थे और आपको घर से बाहर ले जाने के पहले आपकी मां कितनी तैयारी करती थीं? दूध की बोतलें, diapers, आपके कपड़े, खाने पीने का समान??* *आप क्यों सोचते हैं कि आपकी मां को सिर्फ मंदिर जाने में रुचि है उनकी भी वोही साधारण इच्छाएं होती हैं कि मॉल में जाएं सबके साथ खूब मज़ा करे खाएं पियें, पर बुजुर्गों को लगता है कि वो साथ जाकर आपके मज़े को किरकिरा करेंगे, इसलिए वो खुद पीछे हट जाते हैं और अपने दिल की बात ज़ुबा पर नही ला पाते।* *पिता का मुंह खुला का खुला रह गया हालांकि वो खुश थे कि उनकी 10 साल की बिटिया ने उन्हें कितना नया और सुंदर पाठ पढ़ाया* *कृपया अपने परिवार और दोस्तो में ज़रूर प्रेषित कीजिये अगर आप उन्हें मॉ बाप से प्यार व लगाव करने देना चाहते हैं* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊
माँ के जाने के बाद माएका खतम हो जाता है , ये हमने बहुत सुना है , लेकिन सास के जाने के बाद ससुराल भी खतम हो जाता है या कम सुनने को मिलता है !!! ससुराल-----------अक्सर कहा जाता है कि मायका माँ के साथ ही,खत्म हो जाता है !सच कहूं तो ,ससुराल भी सास के साथ ही खत्म हो जाता है !रह जाती हैं बस यादें..उनकी उस न्यौछावर की,जो मुझ पर वार कर, दिया करतीथीं वो मिसरानी को! वो ताक़ीद जो मेहँदी माँडने वाली को बीच-बीच में आके दे जाती थीं...*बाई सुंदर सी माँडना, मोटी मत कर देना*उनकी उस ढाल की जो,छूछक में मायके से आए सामानके लिए रिश्तेदार महिलाओं के सामने*डिज़ाइन तो एक से एक है!* कहकर...सहलाती नज़रों से मेरा मुँह देखने लगी थीं...!उनकी उस 'ख़ुश रहो!'वाले आशीष की,जो अपने गठजोड़ संग उनके चरण स्पर्श करते ही मिली थी!उनकी उस चेतावनी की,जो हर त्यौहार से पहले मिल जाया करती थी... *कल त्यौंहार है, मेहंदी लगा लेना* उनकी उस दूरदृष्टि की जो,मेरी अपूर्ण ख्वाहिशों के मलाल को सांत्वना देते दिखतीं कि'ग़म खाने से देर-सबेर सब मिला करता है!'उनके उस घबराहट की,जो डिलीवरी के लिये अस्पतालजाने के नाम से तैयार हो जाता कि*पता नहीं क्यों जी घबड़ा रहा है!*उनके उस उलाहने की,जो बच्चों संग सख्ती के दौरान सुनाया जाता,*हमने तो कभी नहीं मारा!*उनके उस कुबूलनामे की, जो अक्सर पीठ पीछे करतीं…*"न दिन देखती है न रात, काम तो बहोत जल्दी सीखा इसने! *मिनटों में काम निपटाती है!*"अब तो मैं बायने के त्योंहार परअक्सर मेहँदी लगाना भूल जाती हूँ,अब कोई नहीं जो याद दिलाये!सच ही है....सास के बाद ससुराल भी ख़त्म हो जाता है..!🙏😔सच मे यदि👆 ये कविता दिल को छूई तो शब्दो से या इमोजी से लाइक जरुर करना 🙏🙏
Monday, 15 June 2020
Sunday, 14 June 2020
*तनाव के उन क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं..*वो लोग जिनके पास सब कुछ है ..*शान ... शौकत ... रुतबा ... पैसा .. इज्जत* इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता .. तो फिर क्या कमी रह जाती है ???*कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर एक अदद दोस्त की**कमी होती है उस मुकाम पर एक अदद राजदार की*एक ऐसे दोस्त की जिसके साथ *"चांदी सोने के कपों"* में नहीं ,*किसी छोटी सी चाय के दुकान पर भी बैठ सकते ..*जो उन्हें बेतुकी बातों से जोकर बन कर हंसा पाता ...वह जिससे अपनी दिल की बात कह हल्के हो सके..वह जिसको देखकरअपना स्ट्रेस भूल सके*वह दोस्त**वह यार* *वह राजदार* *वह हमप्याला*उनके पास नहीं होता जो कह सके तू सब छोड़ ... *चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ...*और आखिर में यही मायने कर जाता है...सारी दुनिया की धन दौलत एकतरफ...सारा तनाव एक तरफ ..*वह दोस्त वह एक तरफ !!!**लेकिन अगर आपके पास वह दोस्त है वह यार है**तो कीमत समझिये उसकी...* चले जाइए एक शाम उसके साथ चाय पर ... जिंदगी बहुत हसीन बन जाएगी...... *याद रखिए आपके तनाव से यदि कोई लड़ सकता है तो वो है आपका दोस्त और उसके साथ की एक कप गर्म चाय !!!**सभी दोस्तों को समर्पित ।*🙏 * 🙏
Saturday, 13 June 2020
Friday, 12 June 2020
#विज्ञान_वनाम_शास्त्र_विधि🌻जब किसी की मृत्यु होती थी तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था। यही Isolation period था। क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है। यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया।जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक। उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे। तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।तब भी आप बहुत हँसे थे। bloody indians कहकर मजाक बनाया था। जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी। और नारीवादियों को कौन कहे वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं उन्होंने जो जहर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं।जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके, कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है, इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने।आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं। जब कोई भी बहू लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर, हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों, तब तक। खूब मजाक बनाया था न। इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब क वह स्नान से शुद्ध न हो जाय। ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़, बकरी, मुर्गा, कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे।ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी।यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग, टी बी, चिकन पॉक्स, छोटी माता, बड़ी माता, जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया।आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं। Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।पर शास्त्रों के उन्हीं वचनों को तो ब्राह्मणवाद/मनुवाद कहकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था।आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है।याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को।यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें।लेकिन सब आपने भुला दिया। आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता।अरे समझो अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा।तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए।अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो। उनको मानो। बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है। उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके।लेकिन गाली मत दो उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो।जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है correlate कर सकता है और समझा भी सकता है |पता नहीं कि आप इसे पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा।यह भी अनुरोध है कि आप भले ही किसी भी जाति/समाज से हों धर्म के नियमों का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों सुधरेगा। ॥सर्वे भवन्तु सुखिनः सवेँसनतु निरामया:॥ 🔱जयशिवा 🔱#COPY_PASTE
Monday, 8 June 2020
#विज्ञान_वनाम_शास्त्र_विधि🌻जब किसी की मृत्यु होती थी तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था। यही Isolation period था। क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है। यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया।जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक। उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे। तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।तब भी आप बहुत हँसे थे। bloody indians कहकर मजाक बनाया था। जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी। और नारीवादियों को कौन कहे वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं उन्होंने जो जहर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं।जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके, कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है, इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने।आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं। जब कोई भी बहू लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर, हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों, तब तक। खूब मजाक बनाया था न। इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब क वह स्नान से शुद्ध न हो जाय। ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़, बकरी, मुर्गा, कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे।ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी।यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग, टी बी, चिकन पॉक्स, छोटी माता, बड़ी माता, जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया।आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं। Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।पर शास्त्रों के उन्हीं वचनों को तो ब्राह्मणवाद/मनुवाद कहकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था।आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है।याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को।यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें।लेकिन सब आपने भुला दिया। आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता।अरे समझो अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा।तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए।अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो। उनको मानो। बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है। उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके।लेकिन गाली मत दो उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो।जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है correlate कर सकता है और समझा भी सकता है |पता नहीं कि आप इसे पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा।यह भी अनुरोध है कि आप भले ही किसी भी जाति/समाज से हों धर्म के नियमों का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों सुधरेगा। ॥सर्वे भवन्तु सुखिनः सवेँसनतु निरामया:॥ 🔱जयशिवा 🔱#COPY_PASTE
Sunday, 7 June 2020
"ससुराल बना मायका....नंदिनी अलार्म बजते ही उठी ....अलार्म बंद किया और सोची थोड़ा और सो लूं लेकिन जिम्मेदारियों ने उसे झकझोर कर जगा दिया....आज उसे मायके की याद आ गई यह महीना मायके के नाम होता था क्योंकि चीनू की छुट्टी होती थी ..देर तक सोना, देर से नहाना मां के हाथ का बना गरमा गरम नाश्ता खाना ...जी भरकर घूमना-फिरना ...भैय्या और पापा से बतियाना ...वह जल्दी जल्दी तैयार भी हो रही थी और झुंझला भी रही थी इस लाॅकडाऊन पर ....मन ही मन बुदबुदा रही थी क्या बला है ये कोरोना भी हुँह... खैर ...चलो रसोई इंतजार कर रही है मम्मी पापा की चाय बनानी है । बिना नहाए रसोई में नहीं आना है यह निर्देश था मम्मी जी का शुरूआत से जिसे नंदिनी सात सालों मेें कभी नही भूली थी....रसोई की ओर जाने से पहले उसने एक नजर बिंदास सोते पति और बेटे चीनू पर डाली और धीरे से दरवाजा लगा कर सीढ़ियां उतरने लगी...रसोई से आ रही आवाज से उसका दिल धक्क से रह गया क्या मुझे देर हो गई.....जल्दी-जल्दी सीढ़ी उतरने हुए नंदिनी ने हाॅल पर लगी घड़ी पर नजर दौड़ाई .....नही देर कहा हुई मुझे सोचते हुए रसोई पहुंच गई....मम्मी जी को वहां देखकर भय और घबराहट में बोली मम्मी जी .. आप.... सब ठीक है ना...मुझे देर हो गई क्या...शालिनी (सास )ने मुस्कुराकर कहा अरे नही बेटा.... तू तो समय की पक्की है...फिर आपने चाय क्यो चढ़ा दी और कुकर भी लगा दिया ...मुझसे कोई गलती हो गई क्या...सौरी मम्मी जी ....नंदिनी अब भी सहमी हुई थी, क्योंकि ऐसा तभी होता था जब मम्मी जी नाराज होती थी...पर यह क्या जवाब में शालिनी ने नंदिनी को गले लगा लिया और माथा चूमकर बोली गलती तो मुझसे हो रही थी उसे सुधार रही हूं.....यह गर्मी की छुट्टी का समय है इस समय तुम अपने मायके जाती थी और रिंकी अपने बच्चों के साथ यहाँ आती थी मैं भी साल भर इंतजार करती थी बेटा ...इस बार मन बड़ा व्याकुल हो रहा था...कल रात रिंकी का फोन आया था बड़ी चहककर कह रही थी...पता है मम्मी ....आज मैं उदास थी सुबह से ...अम्मा जी ने मेरा चेहरा पढ़ लिया और फिर क्या मुझे बोली सुन बेटी अब हम कुछ दिन मां -बेटी बनकर रहेंगे, घर में तेरी पसंद का ही सब बनेगा और मैं खुद बनाकर तुझे खिलाऊंगी तेरी जो मर्जी वह कर खुलकर जी ले .....मम्मी मैं बहुत खुश हूं ससुराल भी मायका बन गया आज तो..उसकी इन बातों से मुझे भी अपार खुशी हुई और एहसास भी कि बेटी तो मेरे घर भी है ...बेटा नंदिनी चल हम भी मां- बेटी बनकर रहेंगे शुरुआत मेरे हाथ की बनी चाय से करते हैं....नंदिनी और शालिनी दोनो की आंखों में खुशी के आंसू थे और बाहर पापा जी खड़े मुस्कुरा रहे थे, माँ - बेटी के रिश्ते के जन्म पर...एक सुंदर रचना....🙏
Saturday, 6 June 2020
Friday, 5 June 2020
बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है |मौत से आँख मिलाने की जरूरत क्या है ||सबको मालूम है बाहर की हवा है कातिल |फिर कातिल से उलझने की जरूरत क्या है ||जिन्दगी हजार नियामत है, संभाल कर रखे |फिर कब्रगाहो को सजाने की जरूरत क्या है ||दिल को बहलाने के लिये, घर में वजह काफी है |फिर गलियों में बेवजह भटकने की जरूरत क्या है
बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है कोरोना को घर लाने की जरूरत क्या है पूरे देश को मालूम है , लॉक डाउन है फिर घर से बाहर जाने की जरूरत क्या है मनुष्य तन मिला है , चौरासी लाख योनि पार करने परकब्रगाहों में जगह नहीं है , फिर मार करने की ज़रूरत क्या है बड़ी मुश्किल से घर में रहने की आई है घड़ीफिर घर से बाहर जाने की क्या है पड़ी
आजकल आती कहाँ हैं ज्यादा पीहर बेटियां 💃अपनी ही घर गृहस्ती बसाने में लगी रहती है बेटियाँ 💃जिम्मे-दारियों के बोझ तले दबी रहती है बेटियाँ 💃मन पीहर में लगा रहता है शरीर काम करते रहता है, कभी जताती नहीं है बेटियाँ 💃आँखें नम है फिर भी हँसते हुए फोन पर पीहर में सभी से बातें करती रहती हैं बेटियाँ 💃चंचल सी, नाजूक सी, मासूम सी, लेकिन अब सयानी सी हो गयी हैं बेटियाँ 💃जब कभी करते हैं शिकायत क्युं नहीं पीहर आती हैं बेटियांँ 💃 तो उल्टा नाराज होकर ड़ांटने के अंदाज में कहती हैं आपने इतने अच्छे संस्कार ही क्युं दिये ताकि ससुराल की जिम्मैदारी छोड़ कुछ दिनों के लिये सुस्ताने भी नहीं आ पाती है पीहर बेटियाँ 💃हाँ पीहर में किसी को भी कुछ भी हो जाये सब छोड़-छाड़ कर दौड़े चली आती हैं बेटियाँ 💃बाबूल का दिल है तो ससुराल की धड़कन होती हैं बेटियाँ💃 ✍️
#बेटियों पर तो बहुत #कविताएं सुनी हैं, लेकिन #एक_सास_द्वारा_रचित_अपनी_बहू पर यह कविता बहुत ही प्यारी व निराली हैं..🙅👸🙅👸“#मेरी_बेटी”👸🙅👸🙅एक बेटी मेरे घर में भी आई है,सिर के पीछे उछाले गये चावलों को,माँ के आँचल में छोड़कर,पाँव के अँगूठे से चावल का कलश लुढ़का कर,महावर रचे पैरों से, महालक्ष्मी का रूप लिये,बहू का नाम धरा लाई है.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.माँ ने सजा धजा कर बड़े अरमानों से,दामाद के साथ गठजोड़े में बाँध विदा किया, उसी गठजोड़े में मेरे बेटे के साथ बँधी, आँखो में सपनों का संसार लिये सजल नयन आई है.एक बेटी मेरे घर भी आई है.किताबों की अलमारी अपने भीतर संजोये,गुड्डे गुड़ियों का संसार छोड़ कर,जीवन का नया अध्याय पढ़ने और जीने,माँ की गृहस्थी छोड़, अपनी नई बनाने,बेटी से माँ का रूप धरने आई है.एक बेटी मेरे घर भी आई है.माँ के घर में उसकी हँसी गूँजती होगी, दीवार में लगी तस्वीरों में, माँ उसका चेहरा पढ़ती होगी, यहाँ उसकी चूड़ियाँ बजती हैं,घर के आँगन में उसने रंगोली सजाई है.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.शायद उसने माँ के घर की रसोई नहीं देखी,यहाँ रसोई में खड़ी वो डरी डरी सी घबराई है, मुझसे पूछ पूछ कर खाना बनाती है,मेरे बेटे को मनुहार से खिलाकर, प्रशंसा सुन खिलखिलाई है.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.अपनी ननद की चीज़ें देखकर,उसे अपनी सभी बातें याद आई हैं, सँभालती है, करीने से रखती है, जैसे अपना बचपन दोबारा जीती है, बरबस ही आँखें छलछला आई हैं.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.मुझे बेटी की याद आने पर “मैं हूँ ना”,कहकर तसल्ली देती है,उसे फ़ोन करके मिलने आने को कहती है,मायके से फ़ोन आने पर आँखें चमक उठती हैं, मिलने जाने के लिये तैयार होकर आई है.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.उसके लिये भी आसान नहीं था,पिता का आँगन छोड़ना,पर मेरे बेटे के साथ अपने सपने सजाने आई है,मैं खुश हूँ एक बेटी जाकर अपना घर बसा रही, एक यहाँ अपना संसार बसाने आई है.एक बेटी मेरे घर में भी आई है.#Copy_Paste
Thursday, 4 June 2020
तूफान, फिर तूफान, आंधी, ओले, बारिश, बर्फ, टिड्डीदल, भूकंप, और इन सबके साथ कोरोना तो चल ही रहा है। मानो प्रकृति कह रही हो, इंसान अब तो तू गया!! क्या आपको भी ऐसा ही लगता है?ये सब प्राकृतिक घटनाएं, कहीं-कहीं, कभी-कभी घटित हो रही है। पहले वाला तूफान बंगाल, उड़ीसा में आया था, अब महाराष्ट्र, गुजरात में आ रहा है। बर्फ हिमालय में गिरी थी, भूकंप दिल्ली में आया, और टिड्डीदल राजस्थान में। इसी तरह कोरोना के ज्यादातर मामले तो 6-7 शहरों से ही आए है। भारत बहुत बड़ा है। पर आज के कनेक्टेड वर्ल्ड में व्हाट्सएप और न्यूज चैनल्स के जरिये ये तमाम समस्याएं हम सबके घर तक पहुंच जाती है। और लगता है जैसे सारी की सारी समस्याएं सब जगहों पर है।अब एक गहरी सांस लेकर ये समझिये की आपके पांच किलोमीटर के दायरे में क्या क्या समस्याएं है? उससे सावधान रहिए, उस से निपटने के तैयारी कीजिए। और पांच किलोमीटर से ज्यादा दूर होने वाली समस्याओं के लिए, और जिन समस्याओं के लिए आप कुछ कर नहीं सकते, उनके लिए सब का भला हो ऐसी शुभकामनाएं दीजिए।आपको लगेगा उतनी मुश्किलें नहीं है जितना व्हाट्सएप और न्यूज चैनल्स देख कर किसी को लगता होगा!जय हिन्द
Corona मानव का दुश्मन और प्रकृति का दोस्त....कोरोना एक वायरस, जो मनुष्य का दुश्मन बन चला है, पर इस प्रकृति से एक दोस्ती निभा रहा है.....इस वायरस के जानलेवा हमले के डर से मानव आज घरों में कैद है, उसके अहंकार के प्रतीक उसके कल-कारखाने, चमचमाती तेज रफ्तार से दौड़ते उसके बनाये रेल, बस, मेट्रो, हवाई जहाज, जलपोत आज सब यूँ ही खड़े हैं।मानव के बनाये शानदार होटल पब, जिम, मॉल, पार्क जो उसके मनोरंजन के साधन और जगहें हैं, बड़े-बड़े पुल, सड़कें सब सुनसान हैं, मानव डरा दुबका, अपने घरों में बैठा है।पर इस कोरोना से जो न डरा है न सहमा है, वो है प्रकृति !आज प्रकृति खुश है कि वो फिर से मुस्कुरा सकती है, उसकी हवा शुद्ध हो गयी है, प्रकृति के आँचल में बहने वाली अनगिनत नदियों का जल फिर से निर्मल, पावन और स्वच्छ हो गया है, गाँव हो या नगर वहाँ के वृक्षों पर फिर से नन्हें पंछी दुबारा लौट आये हैं, जो न जाने कब से अपने आशियानों को छोड़ दर-दर भटक रहे थे, घने जंगलों में निवास करने वाले पशु-पक्षी अपने आसपास निर्दयी मानवजाती को न देख ईश्वर का आभार कर रहें हैं, वो जंगलों के पास बसे गाँवो और शहरों में आ कर झाँक रहें है कि आखिर ये अंहकारी मानव कहाँ विलुप्त हो गया, जो कभी रुकता नहीं थकता नहीं, रोज प्रकृति का शोषण कर अपनी विलासिता को पूरा करने में लगा रहता है था।आज सम्पूर्ण भारतकी नदियाँ खुश हैं, गोमुख से निकल गंगासागर में समाने वाली गंगा की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं है, गंगा को लग रहा है मानो वो फिर से सतयुग में प्रवेश कर गई है उन्हें खुद नहीं याद की अब से पहले इस कलयुग में उनका जल कब इतना साफ और स्वच्छ था।कोरोना मानव का दुश्मन जरूर बना है पर बस इसलिये की मानव जाति से समझ सके की उसका ज्ञान और विज्ञान तब तक किसी काम का नहीं जब तक वो प्रकृति का विनाश करता रहेगा, निर्दोष पशु-पक्षियों को मार कर खाता रहेगा।जब-जब मानव अपने अहंकार में डूब ये नीच और अमानवीय अपराध करता रहेगा तब तब प्रकृति के लिए कोरोना जैसा वायरस मानव को उसके कर्मों की सजा देने हर शताब्दी में किसी न किसी रूप में आता रहेगा....!पर सच में आज प्रकृति खुश है और मानव अपने कर्मो के कारण डरा-सहमा...
Wednesday, 3 June 2020
"ससुराल बना मायका....नंदिनी अलार्म बजते ही उठी ....अलार्म बंद किया और सोची थोड़ा और सो लूं लेकिन जिम्मेदारियों ने उसे झकझोर कर जगा दिया....आज उसे मायके की याद आ गई यह महीना मायके के नाम होता था क्योंकि चीनू की छुट्टी होती थी ..देर तक सोना, देर से नहाना मां के हाथ का बना गरमा गरम नाश्ता खाना ...जी भरकर घूमना-फिरना ...भैय्या और पापा से बतियाना ...वह जल्दी जल्दी तैयार भी हो रही थी और झुंझला भी रही थी इस लाॅकडाऊन पर ....मन ही मन बुदबुदा रही थी क्या बला है ये कोरोना भी हुँह... खैर ...चलो रसोई इंतजार कर रही है मम्मी पापा की चाय बनानी है । बिना नहाए रसोई में नहीं आना है यह निर्देश था मम्मी जी का शुरूआत से जिसे नंदिनी सात सालों मेें कभी नही भूली थी....रसोई की ओर जाने से पहले उसने एक नजर बिंदास सोते पति और बेटे चीनू पर डाली और धीरे से दरवाजा लगा कर सीढ़ियां उतरने लगी...रसोई से आ रही आवाज से उसका दिल धक्क से रह गया क्या मुझे देर हो गई.....जल्दी-जल्दी सीढ़ी उतरने हुए नंदिनी ने हाॅल पर लगी घड़ी पर नजर दौड़ाई .....नही देर कहा हुई मुझे सोचते हुए रसोई पहुंच गई....मम्मी जी को वहां देखकर भय और घबराहट में बोली मम्मी जी .. आप.... सब ठीक है ना...मुझे देर हो गई क्या...शालिनी (सास )ने मुस्कुराकर कहा अरे नही बेटा.... तू तो समय की पक्की है...फिर आपने चाय क्यो चढ़ा दी और कुकर भी लगा दिया ...मुझसे कोई गलती हो गई क्या...सौरी मम्मी जी ....नंदिनी अब भी सहमी हुई थी, क्योंकि ऐसा तभी होता था जब मम्मी जी नाराज होती थी...पर यह क्या जवाब में शालिनी ने नंदिनी को गले लगा लिया और माथा चूमकर बोली गलती तो मुझसे हो रही थी उसे सुधार रही हूं.....यह गर्मी की छुट्टी का समय है इस समय तुम अपने मायके जाती थी और रिंकी अपने बच्चों के साथ यहाँ आती थी मैं भी साल भर इंतजार करती थी बेटा ...इस बार मन बड़ा व्याकुल हो रहा था...कल रात रिंकी का फोन आया था बड़ी चहककर कह रही थी...पता है मम्मी ....आज मैं उदास थी सुबह से ...अम्मा जी ने मेरा चेहरा पढ़ लिया और फिर क्या मुझे बोली सुन बेटी अब हम कुछ दिन मां -बेटी बनकर रहेंगे, घर में तेरी पसंद का ही सब बनेगा और मैं खुद बनाकर तुझे खिलाऊंगी तेरी जो मर्जी वह कर खुलकर जी ले .....मम्मी मैं बहुत खुश हूं ससुराल भी मायका बन गया आज तो..उसकी इन बातों से मुझे भी अपार खुशी हुई और एहसास भी कि बेटी तो मेरे घर भी है ...बेटा नंदिनी चल हम भी मां- बेटी बनकर रहेंगे शुरुआत मेरे हाथ की बनी चाय से करते हैं....नंदिनी और शालिनी दोनो की आंखों में खुशी के आंसू थे और बाहर पापा जी खड़े मुस्कुरा रहे थे, माँ - बेटी के रिश्ते के जन्म पर...एक सुंदर रचना....🙏
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