Thursday, 4 June 2020

Corona मानव का दुश्मन और प्रकृति का दोस्त....कोरोना एक वायरस, जो मनुष्य का दुश्मन बन चला है, पर इस प्रकृति से एक दोस्ती निभा रहा है.....इस वायरस के जानलेवा हमले के डर से मानव आज घरों में कैद है, उसके अहंकार के प्रतीक उसके कल-कारखाने, चमचमाती तेज रफ्तार से दौड़ते उसके बनाये रेल, बस, मेट्रो, हवाई जहाज, जलपोत आज सब यूँ ही खड़े हैं।मानव के बनाये शानदार होटल पब, जिम, मॉल, पार्क जो उसके मनोरंजन के साधन और जगहें हैं, बड़े-बड़े पुल, सड़कें सब सुनसान हैं, मानव डरा दुबका, अपने घरों में बैठा है।पर इस कोरोना से जो न डरा है न सहमा है, वो है प्रकृति !आज प्रकृति खुश है कि वो फिर से मुस्कुरा सकती है, उसकी हवा शुद्ध हो गयी है, प्रकृति के आँचल में बहने वाली अनगिनत नदियों का जल फिर से निर्मल, पावन और स्वच्छ हो गया है, गाँव हो या नगर वहाँ के वृक्षों पर फिर से नन्हें पंछी दुबारा लौट आये हैं, जो न जाने कब से अपने आशियानों को छोड़ दर-दर भटक रहे थे, घने जंगलों में निवास करने वाले पशु-पक्षी अपने आसपास निर्दयी मानवजाती को न देख ईश्वर का आभार कर रहें हैं, वो जंगलों के पास बसे गाँवो और शहरों में आ कर झाँक रहें है कि आखिर ये अंहकारी मानव कहाँ विलुप्त हो गया, जो कभी रुकता नहीं थकता नहीं, रोज प्रकृति का शोषण कर अपनी विलासिता को पूरा करने में लगा रहता है था।आज सम्पूर्ण भारतकी नदियाँ खुश हैं, गोमुख से निकल गंगासागर में समाने वाली गंगा की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं है, गंगा को लग रहा है मानो वो फिर से सतयुग में प्रवेश कर गई है उन्हें खुद नहीं याद की अब से पहले इस कलयुग में उनका जल कब इतना साफ और स्वच्छ था।कोरोना मानव का दुश्मन जरूर बना है पर बस इसलिये की मानव जाति से समझ सके की उसका ज्ञान और विज्ञान तब तक किसी काम का नहीं जब तक वो प्रकृति का विनाश करता रहेगा, निर्दोष पशु-पक्षियों को मार कर खाता रहेगा।जब-जब मानव अपने अहंकार में डूब ये नीच और अमानवीय अपराध करता रहेगा तब तब प्रकृति के लिए कोरोना जैसा वायरस मानव को उसके कर्मों की सजा देने हर शताब्दी में किसी न किसी रूप में आता रहेगा....!पर सच में आज प्रकृति खुश है और मानव अपने कर्मो के कारण डरा-सहमा...