Monday, 31 October 2022
READ THIS IT'S BEAUTIFUL The fate of a mother is to wait for her children. You wait for them when you’re pregnant. You wait on them when they get out of school. You wait on for them to get home after a night out. You wait on them when they start their own lives. You wait for them when they get home from work to come home to a nice dinner. You wait for them with love, with anxiety and sometimes with anger that passes immediately when you see them and you can hug them.Make sure your old mom doesn't have to wait any longer. Visit her, love her, hug the one who loved you like no one else ever will. Don't make her wait, she's expecting this from you.Because the membranes get old but the heart of a mother never gets old. Love her as you can. No person will love you like your mother will.Unknown #mom #children
Saturday, 29 October 2022
💐💐एक ही घर की मानसिकता💐💐हम दो भाई बचे थे एक ही मकान में रहते हैं, मैं पहली मंजिल पर और भैया निचली मंजिल पर। पता नही हम दोनों भाई कब एक दूसरे से दूर होते गए, एक ही मकान में रहकर भी ज्यादा बातें न करना, विवाद वाली बातों को तूल देना, यही सब चलता था। भैया ऑफिस के लिए जल्दी निकलते और घर भी जल्दी आते थे, जबकि मैं देर से निकलता और देर से लौटता था, इसलिए मेरी गाड़ी हमेशा उनकी गाड़ी के पीछे खड़ी होती थी। हर रोज सुबह गाड़ी हटाने के लिए उनका आवाज देना मुझे हमेशा अखरता, मुझे लगता कि मेरी नींद खराब हो रही है। कभी रात के वक्त उनका ये बोलना नागवार गुजरता कि बच्चों को फर्श पर कूदने से मना करो, नींद में खलल पड़ता है।ऐसे ही गुजरते दिनों के बीच एक बार मैं बालकनी में बैठा था, कि मुझे नीचे से मकान का गेट खुलने की आवाज सुनाई दी, झांककर देखा, तो पाया कि नीचे कॉलोनी के युवाओं की टोली थी जो किसी त्यौहार का चंदा मांगने आई थी। नीचे भैया से चंदा लेकर वो लोग पहली मंजिल पर आने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, तो भैया बोले," अरे उपर मत जाओ, उपर नीचे एक ही घर है"।युवाओं की टोली तो चली गई पर मेरे दिमाग में भैया कि बात गूँजने लगी, "उपर नीचे एक ही घर है"।मैं शर्मिंदा महसूस करने लगा कि भैया में इतना बड़प्पन हैं, और मैं उनसे बैर रखता हूँ?बात सौ दो सौ रूपयों के चंदे की नहीं बल्कि सोच की थी, और भैया अच्छी सोच में मुझसे कहीं आगे थे।अगले दिन से मैने सुबह जल्दी उठकर गाड़ी बाहर करना शुरू कर दिया, बच्चों को हिदायत दी कि रात जल्दी सोया करें ताकि घर के बड़े चैन से सो सकें, क्योंकि "हमारा घर एक है"।सदैव प्रसन्न रहिये।जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।🙏🙏🙏🙏
Friday, 28 October 2022
Thursday, 27 October 2022
Wednesday, 26 October 2022
Tuesday, 25 October 2022
Monday, 24 October 2022
एक दिया ऐसा भी हो,जो भीतर तलक प्रकाश करे,एक दिया मुर्दा जीवन मेंफिर आकर क़ुछ श्वास भरेएक दिया सादा हो इतना,जैसे सरल साधु का जीवन,एक दिया इतना सुन्दर हो,जैसे देवों का उपवनएक दिया जो भेद मिटाये,क्या तेरा -क्या मेरा है,एक दिया जो याद दिलाये,हर रात के बाद सवेरा हैएक दिया उनकी खातिर हो,जिनके घर में दिया नहीं ,एक दिया उन बेचारों का,जिनको घर ही दिया नहींएक दिया सीमा के रक्षक,अपने वीर जवानों काएक दिया मानवता - रक्षक,चंद बचे इंसानों का !एक दिया विश्वास दे उनको ,जिनकी हिम्मत टूट गयी ,एक दिया उस राह में भी हो ,जो कल पीछे छूट गयीएक दिया जो अंधकार का ,जड़ के साथ विनाश करे ,एक दिया ऐसा भी हो ,जो भीतर तलक प्रकाश करे। ... मेरी ओर से आपको और आपके परिवार को प्रकाशोत्तसव"दीपावली " कीहार्दिक -शुभकामनाएं !!!🙏🙏🙏 *जय सियाराम* 🙏🙏🙏
Sunday, 23 October 2022
Saturday, 22 October 2022
एक औरत को आखिरक्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी: राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।हथकड़ियों में जीते हुए पड़ोसी राजा के सम्मुख पेश किए गए। पड़ोसी देश का राजा अपनी जीत से प्रसन्न था और उसने हर्षवर्धन के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा...यदि तुम एक प्रश्न का जवाब हमें लाकर दे दोगे तो हम तुम्हारा राज्य लौटा देंगे, अन्यथा उम्र कैद के लिए तैयार रहें।प्रश्न है.. एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?इसके लिए तुम्हारे पास एक महीने का समय है हर्षवर्धन ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया..वे जगह जगह जाकर विदुषियों, विद्वानों और तमाम घरेलू स्त्रियों से लेकर नृत्यांगनाओं, वेश्याओं, दासियों और रानियों, साध्वी सब से मिले और जानना चाहा कि एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ? किसी ने सोना, किसी ने चाँदी, किसी ने हीरे जवाहरात, किसी ने प्रेम-प्यार, किसी ने बेटा-पति-पिता और परिवार तो किसी ने राजपाट और संन्यास की बातें कीं, मगर हर्षवर्धन को सन्तोष न हुआ।महीना बीतने को आया और हर्षवर्धन को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला..किसी ने सुझाया कि दूर देश में एक जादूगरनी रहती है, उसके पास हर चीज का जवाब होता है शायद उसके पास इस प्रश्न का भी जवाब हो..हर्षवर्धन अपने मित्र सिद्धराज के साथ जादूगरनी के पास गए और अपना प्रश्न दोहराया।जादूगरनी ने हर्षवर्धन के मित्र की ओर देखते हुए कहा.. मैं आपको सही उत्तर बताऊंगी परंतु इसके एवज में आपके मित्र को मुझसे शादी करनी होगी ।जादूगरनी बुढ़िया तो थी ही, बेहद बदसूरत थी, उसके बदबूदार पोपले मुंह से एक सड़ा दाँत झलका जब उसने अपनी कुटिल मुस्कुराहट हर्षवर्धन की ओर फेंकी ।हर्षवर्धन ने अपने मित्र को परेशानी में नहीं डालने की खातिर मना कर दिया, सिद्धराज ने एक बात नहीं सुनी और अपने मित्र के जीवन की खातिर जादूगरनी से विवाह को तैयार हो गयातब जादूगरनी ने उत्तर बताया.."स्त्रियाँ, स्वयं निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं | "यह उत्तर हर्षवर्धन को कुछ जमा, पड़ोसी राज्य के राजा ने भी इसे स्वीकार कर लिया और उसने हर्षवर्धन को उसका राज्य लौटा दियाइधर जादूगरनी से सिद्धराज का विवाह हो गया, जादूगरनी ने मधुरात्रि को अपने पति से कहा..चूंकि तुम्हारा हृदय पवित्र है और अपने मित्र के लिए तुमने कुरबानी दी है अतः मैं चौबीस घंटों में बारह घंटे तो रूपसी के रूप में रहूंगी और बाकी के बारह घंटे अपने सही रूप में, बताओ तुम्हें क्या पसंद है ?सिद्धराज ने कहा.. प्रिये, यह निर्णय तुम्हें ही करना है, मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया है, और तुम्हारा हर रूप मुझे पसंद है ।जादूगरनी यह सुनते ही रूपसी बन गई, उसने कहा.. चूंकि तुमने निर्णय मुझ पर छोड़ दिया है तो मैं अब हमेशा इसी रूप में रहूंगी, दरअसल मेरा असली रूप ही यही है।बदसूरत बुढ़िया का रूप तो मैंने अपने आसपास से दुनिया के कुटिल लोगों को दूर करने के लिए धरा हुआ था ।अर्थात, सामाजिक व्यवस्था ने औरत को परतंत्र बना दिया है, पर मानसिक रूप से कोई भी महिला परतंत्र नहीं है।इसीलिए जो लोग पत्नी को घर की मालकिन बना देते हैं, वे अक्सर सुखी देखे जाते हैं। आप उसे मालकिन भले ही न बनाएं, पर उसकी ज़िन्दगी के एक हिस्से को मुक्त कर दें। उसे उस हिस्से से जुड़े निर्णय स्वयं लेने दें।
Friday, 21 October 2022
Must readकुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 50 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ... और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि ... *"दुख की बात है .. वह हमारे साथ नहीं रही " ... RIP* दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. _ *सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ* _वह कहती रहती थी .. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, .. मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "।मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि क्या परिवार को किसी सहारे की जरूरत है. मुझे लगा कि उनके पति बहुत परेशान होंगे .. अचानक से सारी ज़िम्मेदारियों को निभाना है, उम्र बढ़ने के साथ साथ .. माता-पिता, बच्चे, अपनी नौकरी , इस पर अकेलापन उम्र .. कैसे होंगे बेचारे ?फोन कुछ समय के लिए बजा ..नही उठाया ... एक घंटे के बाद उन्होंने वापस कॉल किया.. उसने माफी मांगी कि वह मेरे कॉल का जवाब नहीं दे पाए. क्यूँकि अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलना शुरू किया था और दोस्तों से मिलना वग़ैरह भी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका समय ठीक से गुजर जाए। यहां तक कि उन्होंने पुणे में ट्रान्स्फ़र करवा लिया। इसलिए अब ट्रैवल नही करना पड़ता ।"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;उन्होंने जवाब दिया, एक रसोइया रख लिया है .. थोड़ा और पेमेंट किया तो वह किराने का सामान और सब्ज़ी फल वग़ैरह भी ला देगा । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए *फ़ुल टाइम केयर टेकर* रख ली थी। "ठीक चल रहा है ... बच्चे भी ठीक हैं। जीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है “... उन्होंने कहा।मैं मुश्किल से एक-दो वाक्य बोल पायी और हमारी बात पूरी हो गयी ।मेरी आंखों में आंसू आ गए।मेरी सहेली मेरे ख्यालों में आ रही थी ... उसने अपनी सास की छोटी सी बीमारी के लिए हमारे स्कूल के पुनर्मिलन को छोड़ दिया था। वो अपनी भतीजी की शादी में नही गयी क्योंकि उसको अपने घर में मरम्मत के काम की देखरेख करनी थी।वह कई मजेदार पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा थी और उसे खाना बनाना था, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था ...उसने हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।आज मुझे उसका कहने का मन हो रहा है ।।यहाँ कोई भी अपरिहार्य नहीं है।और कोई भी याद नहीं किया जाएगा .. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम है।शायद यह सांत्वना है .. या यूँ कहें की हमारे समझने का तरीक़ा... जब आप दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं *रियालिटी बाइट्स* : _ उसके मरने के बाद उन्होंने दो और नौकरानियाँ रख ली गईं और घर ठीक चल रहा थाइसलिए मन का यह वहम हटा दो कि मैं अपरिहार्य हूं और मेरे बिना घर नहीं चलेगा ..💟 *सभी महिलाओं को मेरा संदेश:**सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए समय निकालें ..*... *अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहें ... बात करें, हंसें और आनंद लें**अपने शौक़ पूरे करो, अपने जुनून को जियो, अपनी जिंदगी को जियो**कभी कभार वो उन चीजों को करें जो करने में हमें मज़ा आता हैं ...*💙 दूसरों में अपनी ख़ुशी मत देखो, *तुम भी कुछ खुशियों के हकदार हो* क्योंकि अगर तुम खुश नहीं हो तो तुम दूसरों को खुश नहीं कर सकते हर किसी को आपकी ज़रूरत है, लेकिन आपको भी अपनी देखभाल और प्यार की ज़रूरत है।जिन्दगी ना मिलेगी दोबारा *हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है**ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है ...*💐💐💐
Thursday, 20 October 2022
तेरे आने से आँगन में चिड़ियों सी आवाज़ गूंजती है,जब जब तूं हंसती है बेटीतेरी मुस्कान गूंजती है,वातावरण होता है कुछ ऐसा कि मन नाचने लगता है,चंचल सी बेटी कहां गई घर में हर कोई ताकने लगता है,छुपकर पूरे घर में फिर तूं आँख मिचौली खेला करती है,शाम ढले फिर पापा की अपनेराह तूं देखा करती है,कहां रह गए पापा मेरेमम्मी से पूछा करती है,आहट सुनकर मेरे कदमों की तूं दौड़ी-दौड़ी आती है,पापा-पापा कहकर मुझमे सिमट जाती है,बस इसी पल का इंतज़ार मुझको हर पल रहता है,बहुत खुशकिस्मत हूँ मैं हर कोई यही कहता है !!
Wednesday, 19 October 2022
तेरे आने से आँगन में चिड़ियों सी आवाज़ गूंजती है,जब जब तूं हंसती है बेटीतेरी मुस्कान गूंजती है,वातावरण होता है कुछ ऐसा कि मन नाचने लगता है,चंचल सी बेटी कहां गई घर में हर कोई ताकने लगता है,छुपकर पूरे घर में फिर तूं आँख मिचौली खेला करती है,शाम ढले फिर पापा की अपनेराह तूं देखा करती है,कहां रह गए पापा मेरेमम्मी से पूछा करती है,आहट सुनकर मेरे कदमों की तूं दौड़ी-दौड़ी आती है,पापा-पापा कहकर मुझमे सिमट जाती है,बस इसी पल का इंतज़ार मुझको हर पल रहता है,बहुत खुशकिस्मत हूँ मैं हर कोई यही कहता है !!
***एक सोच जो जिंदगी बदल दे*** हमें अपने दुख, दर्द, मुश्किल, परेशानियों में किसी ना किसी साथ की जरूरत होती है । जिससे हम अपनी व्यथा कह सकें या किसी के कंधे की जरूरत महसूस होती है जिससे उसके कंधे पर सर रखकर हम रो सकें और खुद को हल्का महसूस करा सकें । परंतु यह संभव नहीं कि हमें यह साथ या यह कंधा हमेशा आसानी से मिल सके। तो क्यों ना खुद को ऐसा बनाया जाए कि जिंदगी के दिए दर्द से अकेले ही (आत्मविश्वास और हिम्मत) के साथ लड़ना सीख जाए। यही आत्मविश्वास और हिम्मत जिंदगी को जीतने में हमारी मदद करेगा और इस तरह हमारी जिंदगी खुशनुमा और सरल बन जाएगी। माना कि कहना जितना आसान है करना उतना ही मुश्किल परंतु फिर भी यदि खुद पर काम किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं।खुद से लड़ना और उससे जीतना सबसे पहली और सबसे बड़ी बात है ,उसके बाद तो कुछ भी असंभव नहीं
Tuesday, 18 October 2022
Monday, 17 October 2022
Sunday, 16 October 2022
❤️ खुद को जानो❤आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ, फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई.... सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पतिदेव की पसंद का बनता है.... अपनी पसंद का कभी नही बनाया.... खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद अगर सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....सभी की चीजों का मुझे ही ख्याल रखना है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है..... जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.... तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....अब इसका जवाब देना तो हम गृहनियों के लिए मुश्किल हीं होगा। रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.....खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं... इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इनकी रीत हीं बना डाली.......लक्ष्मण रेखा सी खींच डाली.........जकड़ डाला हमने खुद को एक रिवाज में.......इसकी दोषी हम खुद हैं...... वर्ना कहाँ लिखा है... किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?सजाओ सब की थाली,वही प्यार वाली।पर एक और बढ़ा दो,खुद के नाम की थाली।काटो तरबूज़, डालो अँगूर,अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।दवाइयाँ देखो है ना सब की,देखो फिर से एक बार,अपनी दवाई भूली तो नहीं इस बार।शाम हुई है,कोई है नहीं पास,फिर भी बनाओ चाय,देखो ना, तुम भी हो ख़ास।कोई कहेगा तब हीं रखोगी,सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ,कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,रखो सब का खयाल तुम...और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।😊😊☺️☺️👍👌💐💐🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Saturday, 15 October 2022
Thursday, 13 October 2022
*वाह रे पैसा!* *तेरे कितने नाम?*मंदिर मे दिया जाये तो*( चढ़ावा )* स्कुल में *( फ़ीस )*शादी में दो तो*( दहेज )* तलाक देने पर *( गुजारा भत्ता )* आप किसी को देतेहो तो *( कर्ज )* अदालत में *( जुर्माना )*सरकार लेती है तो*( कर )* सेवानिवृत्त होने पे *( पेंशन )*अपहर्ताओ के लिए*( फिरौती )* होटल में सेवा के लिए *( टिप )*बैंक से उधार लो तो*( ऋण )* श्रमिकों के लिए *( वेतन )* मातहत कर्मियों के लिए*( मजदूरी )* अवैध रूप से प्राप्त सेवा *( रिश्वत )*और मुझे दोगे तो*(गिफ्ट)* *मैं पैसा हूँ:!*मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते;मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ। *मैं पैसा हूँ:!*मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें। *मैं पैसा हूँ:!*मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते। *मैं पैसा हूँ:!*मैं नमक की तरह हूँ। जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है। *मैं पैसा हूँ:!*इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था;मगर फिर भी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था। *मैं पैसा हूँ:!*मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोगआपको कितनी इज्जत देते है। *मैं पैसा हूँ:!*मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ!आपके पास नहीं हूँ तो,आपका नहीं हूँ! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं। *मैं पैसा हूँ:!*मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ;मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ। *मैं पैसा हूँ:!*मैं सारे फसाद की जड़ हूँ;मगर फिर भी न जाने क्योंसब मेरे पीछे इतना पागल हैं? 🔴एक सच्चाई ये भी है कि.........*बदलता हुआ दौर है साहब ...**पहले "आयु" में बड़े का* *सम्मान होता था...!**अब "आय" में बड़े का* *सम्मान होता है*🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#happykarvachouth करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा।बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह क र वह चली जाती है।सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।हे श्री गणे श- मां गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।
बहुत शानदारलाइन -तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है ... कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.... सुना है तू इस संसार के हर जर्रे में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.... जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है.... तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है....
Wednesday, 12 October 2022
*वाह रे पैसा!* *तेरे कितने नाम?*मंदिर मे दिया जाये तो*( चढ़ावा )* स्कुल में *( फ़ीस )*शादी में दो तो*( दहेज )* तलाक देने पर *( गुजारा भत्ता )* आप किसी को देतेहो तो *( कर्ज )* अदालत में *( जुर्माना )*सरकार लेती है तो*( कर )* सेवानिवृत्त होने पे *( पेंशन )*अपहर्ताओ के लिए*( फिरौती )* होटल में सेवा के लिए *( टिप )*बैंक से उधार लो तो*( ऋण )* श्रमिकों के लिए *( वेतन )* मातहत कर्मियों के लिए*( मजदूरी )* अवैध रूप से प्राप्त सेवा *( रिश्वत )*और मुझे दोगे तो*(गिफ्ट)* *मैं पैसा हूँ:!*मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते;मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ। *मैं पैसा हूँ:!*मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें। *मैं पैसा हूँ:!*मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते। *मैं पैसा हूँ:!*मैं नमक की तरह हूँ। जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है। *मैं पैसा हूँ:!*इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था;मगर फिर भी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था। *मैं पैसा हूँ:!*मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोगआपको कितनी इज्जत देते है। *मैं पैसा हूँ:!*मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ!आपके पास नहीं हूँ तो,आपका नहीं हूँ! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं। *मैं पैसा हूँ:!*मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ;मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ। *मैं पैसा हूँ:!*मैं सारे फसाद की जड़ हूँ;मगर फिर भी न जाने क्योंसब मेरे पीछे इतना पागल हैं? 🔴एक सच्चाई ये भी है कि.........*बदलता हुआ दौर है साहब ...**पहले "आयु" में बड़े का* *सम्मान होता था...!**अब "आय" में बड़े का* *सम्मान होता है*🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Tuesday, 11 October 2022
Monday, 10 October 2022
Sunday, 9 October 2022
Saturday, 8 October 2022
Friday, 7 October 2022
कहाँ गए वो प्यारे दिन जब...➨ रात को सोने से पहले परिवार के सारे सदस्य घंटो बातें किया करते थे और अब सब हाथ में मोबाइल लिए हुए सो जाते हैं..➨ लाइट जाती थी तब पूरा मोहल्ला बड़ के पेड़ के नीचे बैठ कर एक दुसरे की टांग खीचते थे,अब तो inverters की वजह से घर से ही नहीं निकलते...➨ चूल्हे की आग पर डेगची में गुड़ वाली चाह्(चाय) की महक 10 किल्ले दूर तक जाती थी,आज चाय गैस पर बनती है महक छोडो स्वाद का भी पता नहीं लगता...➨ औरतें घूँघट काढती थी और लडकिया चुन्नी लेती थी,अब कवारियां ढाठा मार के सुल्ताना डाकू बन रही हैंऔर ब्याही हुई सर भी नहीं ढक रही..➨ पहले पूरे दिन हारे पर कढोणी में दूध उबलता था और सीपी से खुरचन तार के खाते थे और उस दूध की दही इतनी स्वाद बनती थी,अब तो गए दूकान पर 15 का दही पाउच ले लिया...➨ कच्ची फूस की छान में पानी मार कर झोपडी में सोने में बहोत मज़ा आता थी बिलकुल ठंडी हो जाती थीअब वैसे ठंडक AC भी नहीं दे रहे..➨ दारु बड़े बूढे पीते थे अब तो 8वीं से ही पीना शुरू कर देते हैं..🍺🍺🍺➨ पहले ज़मीन को माँ समझा जाता थाअब एक जमीन का टुकड़ा जिसे बेच कर कोठी बना लो एक कार ले लो और रोज उस कार में बैठ कर दारु और मुर्गा चलने दो..➨पहले सभी एक दूसरे को राम राम बोलते थे अब हेल्लो हायपहले लड़ाइयां इज़्ज़त और सम्मान के लिए लड़ी जाती थी अब दारु पीकर अपने आप हो जाती हैगाय हमारी COW बन गयी, शर्म हया अब WOW बन गयी, काढ़ा हमारा CHAI बन गया, छोरा बेचारा GUY बन गया, योग हमारा YOGA बन गया, घर का जोगी JOGA बन गया, भोजन 100 रु. PLATE बन गया, ..हमारा भारत GREAT बन गया.. घर की दीवारेँ WALL बन गयी, दुकानेँ SHOPING MALLबन गयीँ, गली मोहल्ला WARD बन गया, ऊपरवाला LORD बन गया, माँ हमारी MOM बन गयी, छोरियाँ ITEM BOMB बन गयीँ, तुलसी की जगह मनी प्लांट ने ले ली..! चाची की जगह आंटी ने ले ली..!पिता जी डेड हो गये..! भाई तो अब ब्रो हो गये..! बेचारी बेहन भी अब सिस हो गयी..! दादी की लोरी तो अब टांय टांय फिस्स हो गयी..!टी वी के सास बहू में भी अब साँप नेवले का रिश्ता है..! पता नहीं एकता कपूर औरत है या फरिश्ता है..!!! जीती जागती माँ बच्चों के लिए ममी हो गयी..! रोटी अब अच्छी कैसे लगे मैग्गी जो यम्मी हो गयी..!गाय का आशियाना अब शहरों की सड़कों पर बचा है..! विदेशी कुत्तों ने लोगों के कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..! बहुत दुखी हूँ ये सब देखकर दिल टूट रहा है..! हमारे द्वारा ही हमारी भारतीय सभ्यता का साथ छूट रहा है..... ☝ 🎯 👀 एक मेसेज भारतीय सभ्यता के नाम.,
कहाँ गए वो प्यारे दिन जब...➨ रात को सोने से पहले परिवार के सारे सदस्य घंटो बातें किया करते थे और अब सब हाथ में मोबाइल लिए हुए सो जाते हैं..➨ लाइट जाती थी तब पूरा मोहल्ला बड़ के पेड़ के नीचे बैठ कर एक दुसरे की टांग खीचते थे,अब तो inverters की वजह से घर से ही नहीं निकलते...➨ चूल्हे की आग पर डेगची में गुड़ वाली चाह्(चाय) की महक 10 किल्ले दूर तक जाती थी,आज चाय गैस पर बनती है महक छोडो स्वाद का भी पता नहीं लगता...➨ औरतें घूँघट काढती थी और लडकिया चुन्नी लेती थी,अब कवारियां ढाठा मार के सुल्ताना डाकू बन रही हैंऔर ब्याही हुई सर भी नहीं ढक रही..➨ पहले पूरे दिन हारे पर कढोणी में दूध उबलता था और सीपी से खुरचन तार के खाते थे और उस दूध की दही इतनी स्वाद बनती थी,अब तो गए दूकान पर 15 का दही पाउच ले लिया...➨ कच्ची फूस की छान में पानी मार कर झोपडी में सोने में बहोत मज़ा आता थी बिलकुल ठंडी हो जाती थीअब वैसे ठंडक AC भी नहीं दे रहे..➨ दारु बड़े बूढे पीते थे अब तो 8वीं से ही पीना शुरू कर देते हैं..🍺🍺🍺➨ पहले ज़मीन को माँ समझा जाता थाअब एक जमीन का टुकड़ा जिसे बेच कर कोठी बना लो एक कार ले लो और रोज उस कार में बैठ कर दारु और मुर्गा चलने दो..➨पहले सभी एक दूसरे को राम राम बोलते थे अब हेल्लो हायपहले लड़ाइयां इज़्ज़त और सम्मान के लिए लड़ी जाती थी अब दारु पीकर अपने आप हो जाती हैगाय हमारी COW बन गयी, शर्म हया अब WOW बन गयी, काढ़ा हमारा CHAI बन गया, छोरा बेचारा GUY बन गया, योग हमारा YOGA बन गया, घर का जोगी JOGA बन गया, भोजन 100 रु. PLATE बन गया, ..हमारा भारत GREAT बन गया.. घर की दीवारेँ WALL बन गयी, दुकानेँ SHOPING MALLबन गयीँ, गली मोहल्ला WARD बन गया, ऊपरवाला LORD बन गया, माँ हमारी MOM बन गयी, छोरियाँ ITEM BOMB बन गयीँ, तुलसी की जगह मनी प्लांट ने ले ली..! चाची की जगह आंटी ने ले ली..!पिता जी डेड हो गये..! भाई तो अब ब्रो हो गये..! बेचारी बेहन भी अब सिस हो गयी..! दादी की लोरी तो अब टांय टांय फिस्स हो गयी..!टी वी के सास बहू में भी अब साँप नेवले का रिश्ता है..! पता नहीं एकता कपूर औरत है या फरिश्ता है..!!! जीती जागती माँ बच्चों के लिए ममी हो गयी..! रोटी अब अच्छी कैसे लगे मैग्गी जो यम्मी हो गयी..!गाय का आशियाना अब शहरों की सड़कों पर बचा है..! विदेशी कुत्तों ने लोगों के कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..! बहुत दुखी हूँ ये सब देखकर दिल टूट रहा है..! हमारे द्वारा ही हमारी भारतीय सभ्यता का साथ छूट रहा है..... ☝ 🎯 👀 एक मेसेज भारतीय सभ्यता के नाम.,
Thursday, 6 October 2022
Wednesday, 5 October 2022
Sunday, 2 October 2022
Saturday, 1 October 2022
पत्नी के अंतिम संस्कार व तेरहवीं के बाद रिटायर्ड पोस्टमैन मनोहर गाँव छोड़कर मुम्बई में अपने पुत्र सुनील के बड़े से मकान में आये हुए हैं। सुनील बहुत मनुहार के बाद यहाँ ला पाया है। यद्यपि वह पहले भी कई बार प्रयास कर चुका था किंतु अम्मा ही बाबूजी को यह कह कर रोक देती थी कि 'कहाँ वहाँ बेटे बहू की ज़िंदगी में दखल देने चलेंगे। यहीं ठीक है। सारी जिंदगी यहीं गुजरी है और जो थोड़ी सी बची है उसे भी यहीं रह कर काट लेंगे। ठीक है न!' बस बाबूजी की इच्छा मर जाती। पर इस बार कोई साक्षात अवरोध नहीं था और पत्नी की स्मृतियों में बेटे के स्नेह से अधिक ताकत नहीं थी , इसलिए मनोहर बम्बई आ ही गए हैं।सुनील एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनी में इंजीनियर है। उसने आलीशान घर व गाड़ी ले रखी है।घर में घुसते ही मनोहर ठिठक कर रुक गए। गुदगुदी मैट पर पैर रखे ही नहीं जा रहे हैं उनके। दरवाजे पर उन्हें रुका देख कर सुनील बोला - "आइये बाबूजी, अंदर आइये।"- "बेटा, मेरे गन्दे पैरों से यह कालीन गन्दी तो नहीं हो जाएगी।"- "बाबूजी, आप उसकी चिंता न करें। आइये यहाँ सोफे पर बैठ जाइए।"सहमें हुए कदमों में चलते हुए मनोहर जैसे ही सोफे पर बैठे तो उनकी चीख निकल गयी - अरे रे! मर गया रे!उनके बैठते ही नरम औऱ गुदगुदा सोफा की गद्दी अन्दर तक धँस गयी थी। इससे मनोहर चिहुँक कर चीख पड़े थे।चाय पीने के बाद सुनील ने मनोहर से कहा - "बाबूजी, आइये आपको घर दिखा दूँ अपना।"- "जरूर बेटा, चलो।"- "बाबू जी, यह है लॉबी जहाँ हम लोग चाय पी रहे थे। यहाँ पर कोई भी अतिथि आता है तो चाय नाश्ता और गपशप होती है। यह डाइनिंग हाल है। यहाँ पर हम लोग खाना खाते हैं। बाबूजी, यह रसोई है और इसी से जुड़ा हुआ यह भण्डार घर है। यहाँ रसोई से सम्बंधित सामग्री रखी जाती हैं। यह बच्चों का कमरा है।"- "तो बच्चे क्या अपने माँ बाप के साथ नहीं रहते?"- बाबूजी, यह शहर है और शहरों में मुंबई है। यहाँ बच्चे को जन्म से ही अकेले सोने की आदत डालनी पड़ती है। माँ तो बस समय समय पर उसे दूध पिला देती है और उसके शेष कार्य आया आकर कर जाती है।"थोड़ा ठहर कर सुनील ने आगे कहा,"बाबूजी यह आपकी बहू और मेरे सोने का कमरा है और इस कोने में यह गेस्ट रूम है। कोई अतिथि आ जाए तो यहीं ठहरता है। यह छोटा सा कमरा पालतू जानवरों के लिए है। कभी कोई कुत्ता आदि पाला गया तो उसके लिए व्यवस्था कर रखी है।"सीढियां चढ़ कर ऊपर पहुँचे सुनील ने लम्बी चौड़ी छत के एक कोने में बने एक टीन की छत वाले कमरे को खोल कर दिखाते हुए कहा - "बाबूजी यह है घर का कबाड़खाना। घर की सब टूटी फूटी और बेकार वस्तुएं यहीं पर एकत्र कर दी जाती हैं। और दीवाली- होली पर इसकी सफाई कर दी जाती है। ऊपर ही एक बाथरूम और टॉइलट भी बना हुआ है।"मनोहर ने देखा कि इसी कबाड़ख़ाने के अंदर एक फोल्डिंग चारपाई पर बिस्तर लगा हुआ है और उसी पर उनका झोला रखा हुआ है। मनोहर ने पलट कर सुनील की तरफ देखा किन्तु वह उन्हें वहां अकेला छोड़ सरपट नीचे जा चुका था। मनोहर उस चारपाई पर बैठकर सोचने लगे कि 'कैसा यह घर है जहाँ पाले जाने वाले जानवरों के लिए अलग कमरे का विधान कर लिया जाता है किंतु बूढ़े माँ बाप के लिए नहीं। इनके लिए तो कबाड़ का कमरा ही उचित आवास मान लिया गया है। नहीं.. अभी मैं कबाड़ नहीं हुआ हूँ। सुनील की माँ की सोच बिल्कुल सही था। मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था।'अगली सुबह जब सुनील मनोहर के लिए चाय लेकर ऊपर गया तो कक्ष को खाली पाया। बाबू जी का झोला भी नहीं था वहाँ। उसने टॉयलेट व बाथरूम भी देख लिये किन्तु बाबूजी वहाँ भी नहीं थे। वह झट से उतर कर नीचे आया तो पाया कि मेन गेट खुला हुआ है। उधर मनोहर टिकट लेकर गाँव वापसी के लिए सबेरे वाली गाड़ी में बैठ चुके थे। उन्होंने कुर्ते की जेब में हाथ डाल कर देखा कि उनके 'अपने घर' की चाभी मौजूद थी। उन्होंने उसे कस कर मुट्ठी में पकड़ लिया। चलती हुई गाड़ी में उनके चेहरे को छू रही हवा उनके इस निर्णय को और मजबूत बना रही थी।स्वस्थ रहें व्यस्त रहें मस्त रहें 🥰
जिंदा बाप को रोटी नहीं. मरने के बाद खीर पूड़ीजीवित बाप से लट्ठम-लठ्ठा, मूवे गंग पहुँचईयाँ ।जब आवै आसौज का महीना, कऊवा बाप बनईयाँ ।।देवास। जब वृद्धो के हाथ पैर थक जाते है तब मां बाप बोझ लगने लगते हैं। यदि मां बाप के पास जमीन या पेन्शन है तो ऐसे मां बाप प्रायः अपने घर में जीवन गुजार लेते हैं। यदि कोई सहारा नहीं है तो बहू बेटा को वही मां बाप बोझ लगते हैं। जिन्होंने तिनका तिनका जोड़कर अपने बेटे बहू के लिये मकान बनाया। बच्चों को पढाया लिखाया खिलाया पिलाया जरूरत पड़ने पर और भी शौक पूरे कराये लेकिन आज जमीन या पॅशन ना होने की स्थिति में मां बाप बोझ वह वृद्धा आश्रम में कहां। सब जगह बन गये हैं। सरकार जो भी बेटे बहूयें जिम्मेदार है ऐसी बात वृद्धावस्था पेन्शन देती है उससे दो नहीं। बहुत जून की चटनी रोटी मिल सकती है पर उस रोटी को पकाने के लिये बात बात में नुक्त चीनी की आदत शरीर में ताकत चाहिए । बीमार पड़ने होती है। पर दवा भी। रोटी पकाने को गैस नयी पीढ़ी के युवाओं पर थोपना भी चाय के लिये दूध भी बहुत सी चाहते हैं। वृद्धों को चाहिए अपना राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली पेंशन पर्याप्त नहीं कही जा सकती। भजन करें सत्संग सुने व बात बात में वृद्धों को घर से निकालने के किस्से नुक्ताचीनी आम हैं पर जो सुख घर में मिलता है। 90 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जायेगा । वृद्धावस्था में सन्तयों तो पूरे भारतवर्ष में वृद्धावस्था आश्रम है। किसी में भ्रष्टाचार है तो से मामलों में वृद्ध लोग किसी में शिष्टाचार है। देवास स्थित भी जिम्मेदार हैं। कारण वृद्धों की वृद्धावस्था आश्रम की स्थिति अच्छी कही जाती है राजोदा रोड स्थित इस अपने पुराने संस्कारों को वृद्धावस्था आश्रम में 42 वृद्ध हैं तो 28 महिलायें है। पर बुजगों का इस पितृ पक्ष के महीने में अपना दुख है। सबका मानना था कि जीते जी उनकी की आदत छोड़ दें तो सन्ताने खाने को भोजन नहीं देते मरने के बाद श्राद्ध पिण्डदान तर्पण का लोक दिखावा करेंगे। इससे क्या फायदा ।रामपाल जी महाराज का सत्संग व नाम उपदेश संजीवनी का काम करेगा। सन्त रामपाल जी महाराज के नाम उपदेश से पिछली 7 पीढ़ी व अगली 101 पीढ़ी का उद्धार हो जाता है। खुद का आवागमन का चक्र समाप्त होगा व नाम जाप व सत्संग से समय भी कटेगा । सदबुद्धि भी जगेगी। घर में बच्चे सत्संग सुनेगे तो उनमें भी सुधार होगा।
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