Friday, 29 December 2023

मैंने इन शब्दों में सहेज ली है अपनी यादे, ढूंढ लिया है अपने आपको ही अनजाने..बना लिए कुछ रिश्ते एहसासों वाले ,निभा लिया हसरतों वाला प्यार इनमें और जाने देना सीखा है इनसे..लिख कर मिटा देती हूं जब कई शब्द कभी,सोचती हूं काश ऐसा सब के साथ कर पाती कभी..सब्र और इम्तेहान बढ़ते ही रहे जीवन में और हम झूठे मुस्कुराने के आदी हो गए..तन्हाई की न कोई बात अब कीजिये,की महफिलों में भी अक्सर तन्हा रहे है हम..साथ हर वक़्त ही जैसे चलता है कोई साया,पर साये से भी धोखा खाये हुए है हम.. अपनी जिंदगी से ही जब इतने मिले सबक ,तो किसी और से क्या ही शिक़ायत करें अब हम....