Saturday, 9 December 2023

पिता कभी नहीं कहते मेरे पास पैसे नहीं हैंमाँ ने कभी नहीं कहामेरी तबीयत ख़राब है मैंने कभी नहीं कहाआज खाने में नमक कम हैशायद सच ना बोलने से दुनिया थोड़ी सुंदर बनी रहती हैकविता कभी किसी से नहीं कहतीपृथ्वी वासनाओं का सुंदर विस्तार हैमन कभी अपने गुण नहीं बताताआत्मा कभी नहीं कहती मोक्ष मन को मिली भिक्षा हैउसकी उपलब्धि नहींफूल कभी नहीं बताते उनके चेहरे पर खिला रंग उनका लहू हैजो तितलियों के काटने से बहा हैकिसान कभी नहीं बताते खेती करना उनकी मजबूरी हैऔर किसी दिन मजबूर होकरछोड़ देंगे खेतीसुंदर इमारतें कभी नहीं बताती उन्होंने पिया है मजदूरों का गाया गीत और कोई मोल नहीं दिया उसकापानी कभी नहीं बताता उसकी नमी पहाड़ों के हृदय से लिया गया उधार है सड़कें कभी नहीं बतातीइन पर चलकर बस हम यात्रा नहीं करतेपृथ्वी भी पहुँचती रहती है कहीं हमारे साथ चल करबहुत दूर आ गई है पृथ्वीअब लौटना चाहती हैमगर लौट नहीं सकती लोग इसे सभ्यता का विकास कहते हैं हमारी देह अनंत यात्राओं का वृत्तान्त हैहमारी आँखें कुआँ हैंजो हमारे पूर्वजों ने पानी की खोज में खोदा थाहमारे आँसू समुद्र मंथन से निकला अमृत हैमगर हमारे पूर्वज अब तक अतृप्तवो तमाम पत्थर जिन्हें हम ठोकर मार कर आगे बढ़ जाते हैंउनके भीतर से निकला है अग्नि का सूत्रवो नहीं बताती अपना दुःख कि दुनिया में कितनी आग हैकितनी कम है रौशनी मगरक्या तुम्हारे आँचल ने तुम्हें कभी बताया हैकितने युद्ध लड़े गएकितने लोग शहीद हुएबाँटे गए कितने देशकपास की सियासत मेंहाँ ! तुम्हारा आँचलएक युद्ध का विराम-चिन्ह हैमैं इसे ओढ़ कर एक अनंत निद्रा में लीन हो जाऊँगा मृत्यु कोई उपलब्धि नहीं हैना कोई प्राप्तिना कोई संदेश है ना उपदेशकोई विशिष्टता नहीं है इसमें मृत्यु एक सूक्ति हैजिसे हम जीते जी न सुनते हैं ना पढ़ते हैंइसीलिए कि दुनिया थोड़ी सुंदर लगती रहे -------------#Hindisuvichar