कई पुरूष चुन लेते हैं...बीमार माता- पिता के बिस्तर के एक कोने में ...सोते- जागते रातें बिताना..भुला देना अपनी नींदें...ऊंघते रात- दिनों के बीच..भूल जाना जीवन की जगमगाहटें..पुरूष बरगद से होते हैं ..कई पुरूष चुन लेते हैं..पिता के कमज़ोर कंधों से...अपने सुकुमार कंधों पर..जिम्मेदारियों की.. चादर ओढ़ लेना,असमय बड़े हो जाना..और दे देनाअपने सपनों को तिलांजलि ..त्याग देना ..अपने हिस्से के सुख..पुरूष मन्नतों वाले धागे से होते हैं ..कई पुरूष चुन लेते हैं, सबकी खुशी के लिए बेवफा होना..समाज की वेदी पर चढ़ा देना अपने इच्छाओं की बलि..स्वीकार कर लेनाअपने लिए, जीवन भर न रोने की सज़ाएं..सच में..पुरूष नीलकंठ होते हैं..#men's