Thursday, 11 September 2025

अपनी सत्तर बरस की " माँ " को देखकरक्या सोचा है कभी ...?वो भी कभी कालेज में कुर्ती और ,स्लैक्स पहन कर जाया करती थी..तुम हरगिज़ नहीं सोच सकते .. कितुम्हारी "माँ" भी कभी घर के आँगन मेंचहकती हुई, उधम मचाती दौड़ा करती थी ..तोघर का कोना - कोना गुलज़ार हो उठता था...किशोरावस्था में वो जब कभीअपने गिलों बालों में तौलिया लपेटेछत पर आती गुनगुनानी धूप में सुखाने जाती थी, तो ..न जाने कितनी पतंगे आसमान में कटने लगती थी..क्या सोचा है कभी ...?अट्ठारह बरस की "माँ” नेतुम्हारे चौबीस बरस के पिता कोजब वरमाला पहनाई, तो मारे लाज सेदोहरी होकर गठरी बन, अपने वर को नज़र उठाकर भी नहीं देखा..तुमने तो कभी ये भी नहीं सोचा होगा, कितुम्हारे आने की दस्तक देती उसप्रसव पीड़ा के उठने परकैसे दाँतों पर दाँत रख अस्पताल की चौखट पर गई होगीक्या सोच सकते हो कभी ..?अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धितुम्हें मानकर अपनी सारी शैक्षणिक डिगरियाँ जिस संदूक में अखबार के पन्नो मेंलपेटकर ताला बंद की थीउस संदूक की चाभी आज तक उसने नहीं ढूँढी...और तुमउसके झुर्रिदार काँपते हाथों, क्षीण याददाश्त,कमजोर नज़र और झुकी हुई कमर को देखकरउनसे कतराकर खुद पर इतराते हो ये बरसों का सफ़र है ...!तुम कभी सोच भी नहीं सकते🌏🌏

Tuesday, 9 September 2025

अक्सर हम अतीत की गलतियों, दर्द या अनुभवों को बार-बार याद करते रहते हैं। ऐसा लगता है मानो अगर हम उन्हें दोहराएँगे तो शायद कुछ बदल जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि जितना हम बीते कल में अटके रहते हैं, उतना ही आज की रोशनी और आने वाले कल की संभावनाएँ धुंधली हो जाती हैं।🔑 सीख यह है:अतीत सिर्फ याद दिलाने के लिए है, जीने के लिए नहीं।नई कहानी लिखनी है तो पन्ना पलटना ही होगा।आज खुद से पूछें –क्या मैं अभी भी पुराने पन्नों में खोया हूँ? या मैं हिम्मत करके अपनी जिंदगी की नई किताब शुरू कर रहा हूँ?

हम हर रोज़ किसी न किसी को लेबल कर देते हैं –"ये आलसी है, ये घमंडी है, ये ऐसा ही है…"पर सच्चाई ये है कि जब हम जज करते हैं, तो प्यार की जगह दूरी पैदा करते हैं।जब हम जजमेंट छोड़कर acceptance चुनते हैं, तो दिल हल्का होता है और रिश्ते खूबसूरत।🌸 कम जजमेंट → ज़्यादा कनेक्शन🌸 कम आलोचना → ज़्यादा प्यारआज से प्रैक्टिस करें – हर किसी में एक गुण ज़रूर देखें।यही नज़रिए का बदलाव हमारे भीतर और रिश्तों में प्यार को और गहरा बना देता है।🥰🥰

Sunday, 7 September 2025

कुछ लोग आए थे मेरा दुःख बाँटने…और जब मैं ख़ुश हुईं तो ख़फ़ा होकर चले गए..!!!🫵✅😡

मन की पीड़ा जब हद से गुज़र जाती है, तो वह चुपचाप शरीर के रोग का रूप ले लेती है।अंदर का बोझ, न बोले गए शब्द, और अनसुने आँसू धीरे-धीरे देह में ज़हर की तरह फैल जाते हैं।पर दुख की बात यह है कि इस गहरी सच्चाई को समझने वाले लोग बहुत कम होते हैं। वे अक्सर बस हल्के से कह देते हैं—'तुझे इतनी बीमारी क्यों होती है?'वे यह नहीं समझ पाते कि यह बीमारी केवल शरीर की नहीं, आत्मा की थकान है..यह घाव केवल मांसपेशियों में नहीं, मन के भीतर गहरे बने हुए हैं। जिसे सहारा चाहिए और उसे सवालों के कटाक्ष मिलते हैं।काश, लोग समझ पाते कि किसी की बीमारी अक्सर उसकी चुप्पी का परिणाम होती है। काश, वे सुन पाते उन मौन चीख़ों को, जो शब्दों में कभी निकल ही नहीं पातीं।#hindimotivation#hindiinspirational#hindisuvichar #Goodthoughts #हिंदीविचार #अनमोलवचन #सुविचार #Hindikahani #hindistatus#beautifullife #beautifullife #hindi #suvichar #motivation #Goodthoughts #अच्छी #सच्ची #बातें #highlightseveryonefollowers2025highlightseveryonefollowers2025

Thursday, 4 September 2025

वो स्त्री , जो सचमुच तुमसे प्यार करती है तुमको छोड़कर जाने का फैसला एक पल में नहीं करती। महीनों वो खुद को समझाती है और जिस दिन वो तुम्हारे बिना खुद को सम्हालना और समझाना सीख जाती है , ठीक उसी पल वो तुमको छोड़कर सिर्फ़ ख़ुद की हो जाती है। तुमको उस दिन से डरना चाहिए जिस दिन स्त्री प्रेम और स्वाभिमान में से , स्वाभिमान को चुनती है। क्योंकि उसी दिन स्त्री तुमसे मिले प्रेम को हीरे की तरह दिल में रख लेती है औऱ सारी दुनिया के लिए दिल के दरवाज़े सदा के लिए बंद कर लेती है। ये उसका अंतिम फैसला होता है तुमको छोड़ कर जाने का।स्त्री सहज विद्रोही नहीं होती, विद्रोह करने से पहले वो बार-बार तुमको एहसास कराती है कि " अब पहले जैसा प्रेम महसूस नहीं हो रहा है , प्रेम को कुछ वक्त दिया करो " तुम उसे और उसकी बातों को लापरवाही से टाल देते हो , और एक दिन वो तमाम यादें और प्रेम समेट कर तुमसे दूर चली जाती है।एक बार प्रेम तज कर और प्रेम समेट कर जा चुकी स्त्री कभी पहली सी नहीं रह जाती। तुम्हारे जिस प्रेम ने उसे कोमल और संतुलित बनाया था , तुम्हारा वही प्रेम उसे जीवन भर के लिए कठोर और निष्ठुर बना देता है। तुम लापरवाही में कभी जान ही नहीं पाते कि मरते दम तक वो स्त्री दुबारा वैसी कभी नहीं बन पाती, जैसी वो तुमसे मिलने से पहले थी।अपनी मौज में चलते तुम कभी जान ही नहीं पाते कि -"तुम एक हरी-भरी , खिली औऱ खिलखिलाती स्त्री की हत्या कर चुके हो...# #women #highlightseveryonefollowers2025

*नकारात्मक विचार*किसी भी व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकते हैं। *विचारों में सकारात्मकता रहेगी*तो मुश्किल से मुश्किल हालातों का सामना किया जा सकता है। *सकारात्मकता की वजह*से एकाग्रता बढ़ती है, मन शांत होता है और काम में मन लगा रहता है। *अच्छी सोच वाले लोगों*की संगत में रहेंगे तो हमारीसोच भी अच्छी बन सकती है।‼️💐💞 *श्री राधे राधे* 💞💐‼️‼️💐🍫 *सुप्रभात जी* 🍫💐‼️

यह चुप्पी मूर्खता या अज्ञानता की नहीं, बल्कि एक गहरी समझदारी और संवेदनशीलता की निशानी है।ये समझना कि शब्दों से हमेशा समाधान नहीं निकलता, कभी-कभी चुप रहना ही रिश्तों को, अपने दिल को, और हालात को बचा लेता है।कुछ दर्द, कुछ खुशियाँ, और कुछ प्रेम इतने गहरे और जटिल होते हैं कि शब्द उनका वजन उठा ही नहीं सकते। शब्द उन्हें सीमित और साधारण बना देते हैं। कभी-कभी, सब कुछ कह देने की सबसे शक्तिशाली विधि, कुछ न कहने में ही निहित होती है।यह चुप्पी एक ? नहीं, एक विराम चिह्न है—जो बोले गए और अनकहे के बीच का पूरा का पूरा विशाल इतिहास अपने में समेटे हुए है।💯💐