Monday, 28 February 2022
शिव जैसा ध्यानी नहीं है जय शम्भूध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है ? ध्यान का अर्थ होता है : न विचार...न वासना... न स्मृति... न कल्पना ? ध्यान का अर्थ होता है: भीतर सिर्फ होना मात्र । इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का विनाश का देवता कहा है । क्योंकि ध्यान विध्वंस है- विध्वंस है मन का मन ही संसार है। मन ही सृजन है । मन ही सृष्टि है। मन गया कि प्रलय हो गयी। ऐसा मत सोचो कि किसी दिन प्रलय होती है। ऐसा मत सोचो कि एक दिन आयेगा जब प्रलय हो जायेगी और सब विध्वंस हो जायेगा। नहीं, जो भी ध्यान में उतरता है, उसकी प्रलय हो जाती है। जो भी ध्यान में उतरता है, उसके भीतर शिव का पदार्पण हो जाता है । ध्यान है मृत्यु - मन की मृत्यु, 'मैं' की मृत्यु, विचार का अंत । शुद्ध चैतन्य रह जाये दर्पण जैसा खाली! कोई प्रतिबिम्ब न बने....!! (ओशो)
एक बार एक पिता ने अपनी बेटी की सगाई करवाई ।लड़का बड़े अच्छे घर से था , इसलिए माता पिता दोनों बहुत खुश थे ।लड़के के साथ लड़के के पूरे परिवार का स्वभाव भीबड़ा अच्छा था !पिता को अपनी बेटी की शादी अच्छे घर में पक्का होने पर राहत भी महसूस हो रहा था ।शादी से एक सप्ताह पहले लड़के वालों ने लड़की के पिता को अपने घर खाने पर बुलाया....!उस लड़की के पिता की तबीयत ठीक नहीं थी फिर भी वे ना न कह सके!लड़के वालों ने बड़े ही आदर सत्कार से उनका स्वागत किया ।फ़िर लडकी के पिता के लिए चाय आई ।लेकिन शुगर की वजह से लडकी के पिता को चीनी वाली चाय से दूर रहने के लिए कहा गया था ।पिता अपनी लड़की के होने वाली ससुराल में थे , इसलिए उन्होंने बिलकुल चुप रह कर चाय अपने हाथ में ले ली ।चाय कि पहली चुस्की लेते ही वो चौक से गये ! चाय में चीनी बिल्कुल ही नहीं थी और इलायची भी डली हुई थी!वो सोच मे पड़ गये कि ये लोग भी हमारी जैसी ही चाय पीते हैं शायद ।जब दोपहर में उन्होंने खाना खाया , वो भी बिल्कुल उनके घर जैसा । उसके बाद दोपहर में आराम करने के लिए दो तकिये , पतली चादर मौजूद थे । उठते ही उन्हें निम्बू पानी का शर्बत दिया गया ।वहाँ से विदा लेते समय उनसे रहा नहीं गया तो वे हैरानी वश पूछ बैठे.....श्रीमान जी, मुझे क्या खाना है , क्या पीना है , मेरी सेहत के लिए क्या अच्छा है या डॉक्टरों ने मेरे लिए क्या वर्जित किया है , ये परफेक्टली आपको कैसे पता है ??पिता की पूरी बात सुनने के बाद बेटी कि सास ने धीरे से कहा कि कल रात को ही आपकी बेटी का फ़ोन आ गया था औऱ उसने बेहद विनम्रता से कहा था कि मेरे पापा स्वभाव से बड़े सरल हैं , बोलेंगे कुछ नहीं लेकिन प्लीज अगर हो सके तो आप उनका ध्यान रखियेगा !पूरी बात सुनकर पिता की आंखों में पानी भर आया....!लड़की के पिता जब अपने घर पहुँचे तो घर के ड्राइंग रूम में लगी अपनी स्वर्गवासी माँ के फोटो से हार निकाल दिया ।जब पत्नी ने उनसे पूछा कि ये क्या कर रहे हो तो लडकी के पिता बोले-मेरा आजीवन ध्यान रखने वाली मेरी माँ इस घर से कहीं नहीं गयी है , बल्कि वो तो मेरी बेटी के रुप में इस घर में ही रहती है!और फिर पिता की आंखों से आंसू छलक गये ओर वो फफक कर रो पड़े...साथ में माँ भी रोने लगी ।दुनिया में सब कहते हैं ना कि बेटी है , एक दिन इस घर को छोड़कर चली जायेगी लेकिन बेटियां कभी भी अपने माँ-बाप के घर से नहीं जाती, बल्कि वो हमेशा उनके दिल में रहती हैं ।
*100 टके की बात**"मिडिल-क्लास"* का होना भी किसी वरदान से कम नहीं है कभी बोरियत नहीं होती।जिंदगी भर कुछ ना कुछ आफ़त लगी ही रहती है। मिडिल क्लास वालों की स्थिति सबसे दयनीय होती है, न इन्हें तैमूर जैसा बचपन नसीब होता है न अनूप जलोटा जैसा बुढ़ापा, फिर भी अपने आप में उलझते हुए व्यस्त रहते है । मिडिल क्लास होने का भी अपना फायदा है चाहे BMW का भाव बढ़े या AUDI का या फिर नया i phone लांच हो जाऐ, घंटा फर्क नही पङता। मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िंदगी तो झड़ते हुए बाल और बढ़ते हुए पेट को रोकने में ही चली जाती है। इन घरों में पनीर की सब्जी तभी बनती है जब दुध गलती से फट जाता है और मिक्स-वेज की सब्ज़ी भी तभी बनती हैं जब रात वाली सब्जी बच जाती है।इनके यहाँ फ्रूटी, कॉल्ड ड्रिंक एक साथ तभी आते है जब घर में कोई बढ़िया वाला रिश्तेदार आ रहा होता है। मिडिल क्लास वालों के कपड़ों की तरह खाने वाले चावल की भी तीन वेराईटी होती है; डेली,कैजुवल और पार्टी वाला। छानते समय चायपत्ती को दबा कर लास्ट बून्द तक निचोड़ लेना ही मिडिल क्लास वालों के लिए परमसुख की अनुभुति होती है। ये लोग रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल नही करते, सीधे अगरबत्ती जला लेते है। मिडिल क्लास भारतीय परिवार के घरों में Get- together नहीं होता, यहां *'सत्यनारायण भगवान की कथा'* होती है। इनका फैमिली बजट इतना सटीक होता है कि सैलरी अगर 31के बजाय 1 को आये तो गुल्लक फोड़ना पड़ जाता है। मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िन्दगी तो "बहुत महँगा है" बोलने में ही निकल जाती है। इनकी *"भूख"* भी होटल के रेट्स पर डिपेंड करती है, दरअसल महंगें होटलों की मेन्यू-बुक में मिडिल क्लास इंसान 'फूड-आइटम्स' नहीं बल्कि अपनी "औकात" ढूंढ रहा होता है। इश्क़ मोहब्बत तो अमीरों के चोचलें है, मिडिल क्लास वाले तो सीधे "ब्याह" करते हैं। इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता। *"जिम्मेदारियां"* ज़िंदगी भर बजरंग-दल सी पीछे लगी रहती हैं। मध्यम वर्गीय दूल्हा- दुल्हन भी मंच पर ऐसे बैठे रहते हैं मानो जैसे किसी भारी सदमे में हो। अमीर शादी के बाद हनीमून पे चले जाते है और मिडिल क्लास लोगो की शादी के बाद टेंन्ट- बर्तन वाले ही इनके पीछे पड़ जाते है। मिडिल क्लास बंदे को पर्सनल बेड और रूम भी शादी के बाद ही अलाॅट हो पाता है। मिडिल क्लास बस ये समझ लो कि जो तेल सर पे लगाते है वही तेल मुंह में भी रगड़ लेते है। एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी गीजर बंद करके तब तक नहाता रहता है जब तक कि नल से ठंडा पानी आना शुरू ना हो जाए। रूम ठंडा होते ही AC बंद करने वाला मिडिल क्लास आदमी चंदा देने के वक्त नास्तिक हो जाता है और प्रसाद खाने के वक्त आस्तिक। दरअसल मिडिल-क्लास तो चौराहे पर लगी घण्टी के समान है, जिसे लूली-लगंड़ी, अंधी-बहरी, अल्पमत-पूर्णमत हर प्रकार की सरकार पूरा दम से बजाती है। मिडिल क्लास को आज तक बजट में वही मिला हैं जो अक्सर हम मंदिर में बजाते हैं। फिर भी हिम्मत करके मिडिल क्लास आदमी की पैसा बचाने की बहुत कोशिश करता हैं लेकिन बचा कुछ भी नहीं पाता। हक़ीक़त में मिडिल मैन की हालत पंगत के बीच बैठे हुए उस आदमी की तरह होती है जिसके पास पूड़ी-सब्जी चाहे इधर से आये, चाहे उधर से, उस तक आते-आते खत्म हो जाती है। मिडिल क्लास के सपने भी लिमिटेड होते है "टंकी भर गई है, मोटर बंद करना है, गैस पर दूध उबल गया है, चावल जल गया है" इसी टाईप के सपने आते है।...✍🏻
Sunday, 27 February 2022
Saturday, 26 February 2022
खून अपना हो या पराया होनस्ल ए आदम का खून है आखिरजंग मशरिक में हो या मगरिब मेंअम्न ए आलम का खून है आख़िरबम घरों पर गिरें कि सरहद पररूहे-तामीर जख्म खाती हैखेत अपने जलें या औरों केजीस्त फाकों से तिलमिलाती हैटैंक आगे बढ़ें या पीछे हटेंकोख धरती की बांझ होती हैफतेह का जश्न हो या हार का सोगजिंदगी मय्यतों पे रोती हैजंग तो खुद ही एक मसला हैजंग क्या मसअलों का हल देगीखून और आग आज बरसेगीभूख और एहतियाज कल देगीइसलिए ए शरीफ इंसानोंजंग टलती रहे तो बेहतर हैआप और हम सभी के आंगन मेंशम्मा जलती रहे तो बेहतर है।✍️…साहिर लुधियानवी
*पूरी उम्र ससुराल में गुजारी मैंने**फिर भी मायके से कफ़न मंगाना**मुझे अच्छा नहीं लगता*।😢रूपाली टंडन जी की लिखी यह कविता मुझे बहुत पसंद आई that's why, sharing with you all...शादीशुदा महिलाओ को कुछ बाते अच्छी नहीं लगती, पर वे किसी से कहती नहीं ,उन्ही एहसासों को इकट्ठा करके एक कविता लिखी है। 💐*" मुझे अच्छा नही लगता "*💐 मैं रोज़ खाना पकाती हू,तुम्हे बहुत प्यार से खिलाती हूं,पर तुम्हारे जूठे बर्तन उठानामुझे अच्छा नही लगता।😢कई वर्षो से हम तुम साथ रहते है, लाज़िम है कि कुछ मतभेद तो होगे,पर तुम्हारा बच्चों के सामने चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगता।😢हम दोनों को ही जब किसी फंक्शन मे जाना हो,तुम्हारा पहले कार मे बैठ कर यू हार्न बजानामुझे अच्छा नही लगता।😢जब मै शाम को काम से थक कर घर वापस आती हूँतुम्हारा गीला तौलिया बिस्तर से उठानामुझे अच्छा नही लगता।😢माना कि अब बच्चे हमारे कहने में नहीं है,पर उनके बिगड़ने का सारा इल्ज़ाम मुझ पर लगानामुझे अच्छा नही लगता।😢अभी पिछले वर्ष ही तो गई थी,यह कह कर तुम्हारा,मेरी राखी डाक से भिजवानामुझे अच्छा नही लगता।😢पूरा वर्ष तुम्हारे साथ ही तो रहती हूँ,पर तुम्हारा यह कहना कि,ज़रा मायके से जल्दी लौट आनामुझे अच्छा नही लगता।😢तुम्हारी माँ के साथ तोमैने इक उम्र गुजार दी,मेरी माँ से दो बातें करतेतुम्हारा हिचकिचानामुझे अच्छा नहीं लगता।😢यह घर तेरा भी है हमदम,यह घर मेरा भी है हमदम,पर घर के बाहर सिर्फतुम्हारा नाम लिखवानामुझे अच्छा नही लगता।😢मै चुप हूँ कि मेरा मन उदास है,पर मेरी खामोशी को तुम्हारा,यू नज़र अंदाज कर जानामुझे अच्छा नही लगता।😢पूरा जीवन तो मैने ससुराल में गुज़ारा है,फिर मायके से मेरा कफन मंगवानामुझे अच्छा नहीं लगता।😢
Friday, 25 February 2022
Thursday, 24 February 2022
*🌝आज की प्रेरणादायक कहानी*📖*कहानी आप📷 कैमरे के निगरानी में है।* हमारे घर के पास एक डेरी वाला है| वह डेरी वाला एसा है कि आधा किलो "घी"में, अगर 'घी' 502 ग्राम तुल गया तो 2 ग्राम 'घी, निकाल लेता था। एक बार मैं आधा किलो 'घी' लेने गया। उसने मुझे 90 रूपय ज्यादा दे दिये। मैंने कुछ देर सोचा और पैसे लेकर निकल लिया। *मैंने मन में सोचा,कि 2-2 ग्राम से तूने जितना बचाया था, 'बच्चू,अब एक ही दिन में निकल गया|*मैंने घर आकर "अपनी गृहलक्ष्मी" को कुछ नहीं बताया और घी दे दिया। उसने जैसे ही 'घी,डब्बे में पलटा आधा 'घी, बिखर गया, मुझे झट से “बेटा चोरी का माल मोरी में” वाली कहावत याद आ गयी, और साहब यकीन मानीये वो 'घी', किचन की सिंक में ही गिरा था। इस वाकये को कई महीने बीत गये थे। परसों शाम को मैं वेज रोल लेने गया, उसने भी मुझे सत्तर रूपए ज्याद दे दिये, मैंने मन ही मन सोचा चलो बेटा!!आज फिर चैक करते हैं की *क्या वाकई भगवान हमें, देखता है!* मैंने रोल पैक कराये और पैसे लेकर निकल लिया।आश्चर्य तब हुआ जब एक रोल अचानक रास्ते में ही गिर गया।घर पहुँचा, बचा हुआ रोल टेबल पर रखा, जूस निकालने के लिये अपना मनपसंद काँच का गिलास उठाया, अरे•••यह क्या •••गिलास हाथ से फिसल कर टूट गया। मैंने हिसाब लगाय करीब-करीब सत्तर में से साठ रूपय का नुकसान हो चुका था। मैं,बड़ा आश्चर्यचकित था। और अब सुनिये••• ये भगवान तो••• मेरे पीछे ही पड़ गया। जब कल शाम को 'सुभिक्षा वाले, ने मुझे तीस रूपये ज्याद दे दिये। मैंने अपनी धर्म-पत्नी से पूछा क्या कहती हो!!! एक ट्राई और मारें।? उन्होने मुस्कुराते हुये कहा– जी नहीं, और हमने पैसे वापस कर दिये। बाहर आकर हमारी धर्म-पत्नी जी ने कहा– वैसे एक ट्राई और मारनी चाहिये थी।कहना था••• कि••• उन्हें एक ठोकर लगी••• और वह गिरते-गिरते बचीं!!? मैं सोच में पड गया कि क्या वाकई भगवान हमें देख रहा है? *हाँ भगवान हमें हर पल हर क्षण देख रहा है||* हम बहुत सी जगह पोस्टर लगे देखते हैं, *"आप कैमरे की नजर में"* हैं। पर याद रखना हम हर क्षण पलप्रतिपल उसकी नजर में हैं। *वो हर पल गलत कार्य करने से पहले*और बाद में भी हमें आगाह करता है।*लेकिन यह समझना न समझना हमारे**विवेक पर निर्भर करता है।*नित याद करो मन से शिव परमात्मा
Wednesday, 23 February 2022
Tuesday, 22 February 2022
बहुत सुंदर 🤷♂ॐ शांति*एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।**वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा। दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई।**वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया। तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था। उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था।* *उन दोनों के बीच की दूरी काफी कम थी। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे-धीरे धंसने लगी। वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं सका। वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा। दोनों ही करीब -करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फंस गए।**दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे। गाय के करीब होने के बावजूद वह बाघ उसे पकड़ नहीं पा रहा था।**थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा..., क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है....!!??* *बाघ ने गुर्राते हुए कहा..., मैं तो जंगल का राजा हूं। मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं।**गाय ने कहा..., लेकिन तुम्हारी उस शक्ति का यहां पर क्या उपयोग है....!!??* *उस बाघ ने कहा..., तुम भी तो फंस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी भी तो हालत मेरे जैसी ही है।**गाय ने मुस्कुराते हुए कहा.... बिलकुल नहीं।**मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहां पर नहीं पाएगा तो वह ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। तुम्हें कौन ले जाएगा....!!??* *थोड़ी ही देर में सच में ही एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले गया।**जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञता पूर्वक देख रहे थे। वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे..., क्योंकि उनकी जान के लिए वह खतरा था।**गाय-समर्पित ह्रदय का प्रतीक है।**बाघ-अहंकारी मन है।**और.......**मालिक- ईश्वर का प्रतीक है।* *कीचड़- यह संसार है।* *और........**यह संघर्ष — अस्तित्व की लड़ाई है।* *किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है..., लेकिन मैं ही सब कुछ हूं..., मुझे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं है..., यही अहंकार है..., और यहीं से विनाश का बीजारोपण हो जाता है।**ईश्वर से बड़ा इस दुनिया में सच्चा हितैषी कोई नहीं होता..., क्यौंकि वही अनेक रूपों में हमारी रक्षा करता है.......* 🙏🙏🙏🙏
The fate of a mother is to wait for her children. You wait for them when you’re pregnant. You wait on them when they get out of school. You wait on for them to get home after a night out. You wait on them when they start their own lives. You wait for them when they get home from work to come home to a nice dinner. You wait for them with love, with anxiety and sometimes with anger that passes immediately when you see them and you can hug them.Make sure your old mom doesn't have to wait any longer. Visit her, love her, hug the one who loved you like no one else ever will. Don't make her wait, she's expecting this from you.Because the membranes get old but the heart of a mother never gets old. Love her as you can. No person will love you like your mother will. ♥️
Monday, 21 February 2022
*पिता का आशीर्वाद!*.एक व्यापारी की यह सत्य घटना है। जब मृत्यु का समय सन्निकट आया तो पिता ने अपने एकमात्र पुत्र धनपाल को बुलाकर कहा कि.. .बेटा मेरे पास धनसंपत्ति नहीं है कि मैं तुम्हें विरासत में दूं। पर मैंने जीवनभर सच्चाई और प्रामाणिकता से काम किया है। .तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि, तुम जीवन में बहुत सुखी रहोगे और धूल को भी हाथ लगाओगे तो वह सोना बन जायेगी।.बेटे ने सिर झुकाकर पिताजी के पैर छुए। पिता ने सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और संतोष से अपने प्राण त्याग कर दिए।.अब घर का खर्च बेटे धनपाल को संभालना था। उसने एक छोटी सी ठेला गाड़ी पर अपना व्यापार शुरू किया। .धीरे धीरे व्यापार बढ़ने लगा। एक छोटी सी दुकान ले ली। व्यापार और बढ़ा।अब नगर के संपन्न लोगों में उसकी गिनती होने लगी। उसको विश्वास था कि यह सब मेरे पिता के आशीर्वाद का ही फल है। .क्योंकि, उन्होंने जीवन में दु:ख उठाया, पर कभी धैर्य नहीं छोड़ा, श्रद्धा नहीं छोड़ी, प्रामाणिकता नहीं छोड़ी इसलिए उनकी वाणी में बल था। .और उनके आशीर्वाद फलीभूत हुए। और मैं सुखी हुआ। उसके मुंह से बारबार यह बात निकलती थी। .एक दिन एक मित्र ने पूछा: तुम्हारे पिता में इतना बल था, तो वह स्वयं संपन्न क्यों नहीं हुए? सुखी क्यों नहीं हुए?.धर्मपाल ने कहा: मैं पिता की ताकत की बात नहीं कर रहा हूं। मैं उनके आशीर्वाद की ताकत की बात कर रहा हूं।.इस प्रकार वह बारबार अपने पिता के आशीर्वाद की बात करता, तो लोगों ने उसका नाम ही रख दिया बाप का आशीर्वाद! .धर्मपाल को इससे बुरा नहीं लगता, वह कहता कि मैं अपने पिता के आशीर्वाद के काबिल निकलूं, यही चाहता हूं।.ऐसा करते हुए कई साल बीत गए। वह विदेशों में व्यापार करने लगा। जहां भी व्यापार करता, उससे बहुत लाभ होता। .एक बार उसके मन में आया, कि मुझे लाभ ही लाभ होता है !! तो मैं एक बार नुकसान का अनुभव करूं।.तो उसने अपने एक मित्र से पूछा, कि ऐसा व्यापार बताओ कि जिसमें मुझे नुकसान हो। .मित्र को लगा कि इसको अपनी सफलता का और पैसों का घमंड आ गया है। इसका घमंड दूर करने के लिए इसको ऐसा धंधा बताऊं कि इसको नुकसान ही नुकसान हो।.तो उसने उसको बताया कि तुम भारत में लौंग खरीदो और जहाज में भरकर अफ्रीका के जंजीबार में जाकर बेचो। धर्मपाल को यह बात ठीक लगी।.जंजीबार तो लौंग का देश है। वहां से लौंग भारत में लाते हैं और यहां 10-12 गुना भाव पर बेचते हैं। .भारत में खरीद करके जंजीबार में बेचें, तो साफ नुकसान सामने दिख रहा है।.परंतु धर्मपाल ने तय किया कि मैं भारत में लौंग खरीद कर, जंजीबार खुद लेकर जाऊंगा। देखूं कि पिता के आशीर्वाद कितना साथ देते हैं।.नुकसान का अनुभव लेने के लिए उसने भारत में लौंग खरीदे और जहाज में भरकर खुद उनके साथ जंजीबार द्वीप पहुंचा।.जंजीबार में सुल्तान का राज्य था। धर्मपाल जहाज से उतरकर के और लंबे रेतीले रास्ते पर जा रहा था ! वहां के व्यापारियों से मिलने को। .उसे सामने से सुल्तान जैसा व्यक्ति पैदल सिपाहियों के साथ आता हुआ दिखाई दिया।.उसने किसी से पूछा कि, यह कौन है?.उन्होंने कहा: यह सुल्तान हैं।.सुल्तान ने उसको सामने देखकर उसका परिचय पूछा। उसने कहा: मैं भारत के गुजरात के खंभात का व्यापारी हूं। और यहां पर व्यापार करने आया हूं। .सुल्तान ने उसको व्यापारी समझ कर उसका आदर किया और उससे बात करने लधर्मपाल ने देखा कि सुल्तान के साथ सैकड़ों सिपाही हैं। परंतु उनके हाथ में तलवार, बंदूक आदि कुछ भी न होकर बड़ी-बड़ी छलनियां है। .उसको आश्चर्य हुआ। उसने विनम्रता पूर्वक सुल्तान से पूछा: आपके सैनिक इतनी छलनी लेकर के क्यों जा रहे हैं।.सुल्तान ने हंसकर कहा: बात यह है, कि आज सवेरे मैं समुद्र तट पर घूमने आया था। तब मेरी उंगली में से एक अंगूठी यहां कहीं निकल कर गिर गई। .अब रेत में अंगूठी कहां गिरी, पता नहीं। तो इसलिए मैं इन सैनिकों को साथ लेकर आया हूं। यह रेत छानकर मेरी अंगूठी उसमें से तलाश करेंगे।.धर्मपाल ने कहा: अंगूठी बहुत महंगी होगी।.सुल्तान ने कहा: नहीं! उससे बहुत अधिक कीमत वाली अनगिनत अंगूठी मेरे पास हैं। पर वह अंगूठी एक फकीर का आशीर्वाद है। .मैं मानता हूं कि मेरी सल्तनत इतनी मजबूत और सुखी उस फकीर के आशीर्वाद से है। इसलिए मेरे मन में उस अंगूठी का मूल्य सल्तनत से भी ज्यादा है।.इतना कह कर के सुल्तान ने फिर पूछा: बोलो सेठ, इस बार आप क्या माल ले कर आये हो।.धर्मपाल ने कहा कि: लौंग!.सुल्तान के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। यह तो लौंग का ही देश है सेठ। यहां लौंग बेचने आये हो? किसने आपको ऐसी सलाह दी।.जरूर वह कोई आपका दुश्मन होगा। यहां तो एक पैसे में मुट्ठी भर लोंग मिलते हैं। यहां लोंग को कौन खरीदेगा? और तुम क्या कमाओगे?.धर्मपाल ने कहा: मुझे यही देखना है, कि यहां भी मुनाफा होता है या नहीं। .मेरे पिता के आशीर्वाद से आज तक मैंने जो धंधा किया, उसमें मुनाफा ही मुनाफा हुआ। तो अब मैं देखना चाहता हूं कि उनके आशीर्वाद यहां भी फलते हैं या नहीं।.सुल्तान ने पूछा: पिता के आशीर्वाद? इसका क्या मतलब?.धर्मपाल ने कहा: मेरे पिता सारे जीवन ईमानदारी और प्रामाणिकता से काम करते रहे। परंतु धन नहीं कमा सकें। .उन्होंने मरते समय मुझे भगवान का नाम लेकर मेरे सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिए थे, कि तेरे हाथ में धूल भी सोना बन जाएगी।.ऐसा बोलते-बोलते धर्मपाल नीचे झुका और जमीन की रेत से एक मुट्ठी भरी और सम्राट सुल्तान के सामने मुट्ठी खोलकर उंगलियों के बीच में से रेत नीचे गिराई तो...धर्मपाल और सुल्तान दोनों का आश्चर्य का पार नहीं रहा। उसके हाथ में एक हीरेजड़ित अंगूठी थी। यह वही सुल्तान की गुमी हुई अंगूठी थी।.अंगूठी देखकर सुल्तान बहुत प्रसन्न हो गया। बोला: वाह खुदा आप की करामात का पार नहीं। आप पिता के आशीर्वाद को सच्चा करते हो।धर्मपाल ने कहा: फकीर के आशीर्वाद को भी वही परमात्मा सच्चा करता है।सुल्तान और खुश हुआ। धर्मपाल को गले लगाया और कहा: मांग सेठ। आज तू जो मांगेगा मैं दूंगा।धर्मपाल ने कहा: आप 100 वर्ष तक जीवित रहो और प्रजा का अच्छी तरह से पालन करो। प्रजा सुखी रहे। इसके अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए।सुल्तान और अधिक प्रसन्न हो गया। उसने कहा: सेठ तुम्हारा सारा माल में आज खरीदता हूं और तुम्हारी मुंह मांगी कीमत दूंगा।इस कहानी से शिक्षा मिलती है, कि पिता के आशीर्वाद हों, तो दुनिया की कोई ताकत कहीं भी तुम्हें पराजित नहीं होने देगी। पिता और माता की सेवा का फल निश्चित रूप से मिलता है। आशीर्वाद जैसी और कोई संपत्ति नहीं।बालक के मन को जानने वाली मां और भविष्य को संवारने वाले पिता यही दुनिया के दो महान ज्योतिषी है। अपने बुजुर्गों का सम्मान करें! यही भगवान की सबसे बड़ी सेवा है।🙏🙏🌹🌹
जीवन में 45 पार का मर्द......कैसा होता है ?थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पासखुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बादजिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआअनुभव की पूंजी हाथ में लिएपरिवार को वो सब देने की जद्दोजहद मेंजो उसे नहीं मिल पाया था,बस बहे जा रहा है समय की धारा मेंबीवी और प्यारे से बच्चों मेंपूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,रात को घर आता है, सुकून की तलाश मेंलेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया थानहीं लाए तो क्यों नहीं लाएलाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाएअब वो क्या कहे बच्चों सेकि जेब में पैसे थोड़े कम थेकभी प्यार से, कभी डांट करसमझा देता है उनकोएक बूंद आंसू की जमी रह जाती है, आँख के कोने में,लेकिन दिखती नहीं बच्चों कोउस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों केखाने की थाली में दो रोटी के साथपरोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएंकभीतुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा हैकुछ कहते ही नहींकभीहर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,कभी प्यार से बात भी कर लिया करोलड़की सयानी हो रही हैतुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देतालड़का हाथ से निकला जा रहा हैतुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं हैपड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातेंशिकवे शिकायतें दुनिया भर कीसबको पानी के घूंट के साथगले के नीचे उतार लेता हैजिसने एक बार हलाहल पान कियावो सदियों नीलकंठ बन पूजा गयायहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता हैजिंदा रहने की चाह में,फिर लेटते ही बिस्तर पर,मर जाता है एक रात के लिएक्योंकिसुबह फिर जिंदा होना हैकाम पर जाना हैकमा कर लाना हैताकि घर चल सके .ताकि घर चल सके ताकि घर चल सके..दिलसे सभी पिताओं को समर्पित,,,,,,,,,,,,,,,
Saturday, 19 February 2022
Friday, 18 February 2022
Thursday, 17 February 2022
Give a thought 🤔!Last words spoken by Lata Mangeshkar.There is nothing in this world more real than death!The most expensive branded car in the world is parked in my garage. But I'm taken on a wheelchair!Expensive clothes, expensive shoes, expensive things all kinds of designs and colors in the world. But I'm in a small gown provided by the hospital!I have lot of money in my bank accounts but nothing is useful to me!My house is like a castle, like a palace but I'm lying on a small bed in the hospital.I kept traveling to five star hotels in the world. But I'm transferred from labs in hospital to other labs!Some day 7 hair stylists used to do me everyday. But today my head has no hair.Had food in many star hotels around the world. But today two tablets in the day and a drop of salt at night!Flying around the world on a private jet. But today two people help me to come to hospital veranda?Not all facilities helped me. Not consoling in any way! But the faces of some lovely onesAnd their prayers kept me alive!This is how life is...Not helping anyone...Avoid respecting people who have just money, position and power.Love people with good humanity.😔😔😔
Wednesday, 16 February 2022
Tuesday, 15 February 2022
Monday, 14 February 2022
Love is when your mom hugs you and says -Meri bacchi lakhon me ek hai... Love is when you return home and dad says 'Arey beta,aaj bahut der ho gayi ! Love is when your brother says,"Tu tension naa lè, main hoon na..."Love is when your child says you are the Best Love is when your friend hugs you and says,"Arrey,teré bagair mazaa nahi aata yaar ! These all are best moments of love.....don't let them slip away ! Love is not only having a boyfriend or girlfriend. Give love,Get love!HAPPY VALENTINE DAY !🌷💕
Sunday, 13 February 2022
Saturday, 12 February 2022
.. ︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵ ✧ हंस और कौआ ✧ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ एक गाँव में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे. एक गरीब था, तो दूसरा अमीर. दोनों पड़ोसी थे. गरीब ब्राम्हण की पत्नी ... उसे रोज़ ताने देती , झगड़ती. एक दिन गरीब ब्राह्मण झगड़ों से तंग आकर जंगल की ओर चल पड़ता है. ये सोच कर, कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मार कर खा जायेगा. उस जीव का पेट भर जायेगा और मरने से वो रोज की झिक-झिक से मुक्त हो जायेगा. वो ग्यारस (एकादसी) का दिन था. जंगल में उसे एक गुफ़ा नज़र आती है. वो गुफ़ा की तरफ़ जाता है. गुफ़ा में एक शेर सोया होता है, और शेर की नींद में ख़लल न पड़े, इसलिये हंस का पहरा होता है. हंस ज़ब दूर से ब्राह्मण को देखता है तो चिंता में पड़ , सोचता है ~ ये ब्राह्मण आयेगा, शेर जगेगा और इसे मार कर खा जायेगा. ग्यारस के दिन मुझे पाप लगेगा. इसे बचायें कैसे ? उसे उपाय सुझता है , और वो शेर के भाग्य की तारीफ़ करते कहता है ~ ओ जंगल के राजा ..!! उठो, जागो. आज आपके भाग्य खुले हैं, ग्यारस के दिन खुद विप्रदेव आपके घर पधारे हैं, जल्दी उठें और इन्हे दक्षिणा दें रवाना करें. आपका मोक्ष हो जायेगा. ये दिन दुबारा आपकी जिंदगी में शायद ही आये, आपको पशु योनी से छुटकारा मिल जायेगा. शेर दहाड़ कर उठता है. हंस की बात उसे सही लगती है, और पूर्व में शिकार मनुष्यों के गहने वो ब्राह्मण के पैरों में रख, शीश नवाता है, जीभ से उनके पैर चाटता है. हंस ब्राह्मण को इशारा करता है .... विप्रदेव, ये सब गहने उठाओ और जितना जल्द हो सके वापस अपने घर जाओ. ये सिंह है. न जाने ... कब मन बदल जाय. ब्राह्मण बात समझता है घर लौट जाता है. पड़ौसी अमीर ब्राह्मण की पत्नी को जब सब पता चलता है तो वो भी अपने पति को जबरदस्ती अगली ग्यारस को जंगल में उसी शेर की गुफा की ओर भेजती है. अब शेर का पहेरादार बदल जाता है. नया पहरेदार होता है ~ "कौवा" जैसी कौवे की प्रवृति होती है ... वो सोचता है ... बढ़िया है ब्राह्मण आया .. शेर को जगाऊँ. शेर की नींद में ख़लल पड़ेगी, गुस्साएगा .. ब्राह्मण को मारेगा, तो कुछ मेरे भी हाथ लगेगा, मेरा पेट भर जायेगा. ये सोच वो काँव.. काँव.. चिल्लाता है. शेर गुस्सा हो, जगता है. ब्राह्मण पर उसकी नज़र पड़ती है, उसे हंस की बात याद आ जाती है. वो समझ जाता है, कौवा क्यों .. काँव.. काँव.. कर रहा है.वो अपने, पूर्व में हंस के कहने पर किये गये धर्म को खत्म नहीं करना चाहता. पर फिर भी, शेर, शेर होता है .. जंगल का राजा. वो दहाड़ कर ब्राह्मण को कहता है ~ हंस उड़ सरवर गये, और अब काग भये प्रधान. थे तो विप्रा थांरे घरे जाओ, मैं किनाइनी जिजमान.अर्थात ~ हंस जो अच्छी सोच वाले अच्छी मनोवृत्ति वाले थे, उड़ के सरोवर को चले गये हैं, और अब कौवा प्रधान पहरेदार है जो मुझे तुम्हें मारने के लिये उकसा रहा है. मेरी बुध्दि घूमें उससे पहले ही, हे ब्राह्मण, यहाँ से चले जाओ. शेर किसी का जजमान नहीं हुआ है. वो तो हंस था, जिसने मुझ शेर से भी पुण्य करवा दिया.दूसरा ब्राह्मण सारी बात समझ जाता है और डर के मारे तुरंत प्राण बचाकर अपने घर की ओर भाग जाता है.🎯 कहने का मतलब है, दोस्तों ..!! ये कहानी आज के परिपेक्ष्य में भी सटीक बैठती है. हंस और कौवा कोई और नहीं हमारे ही चरित्र हैं. कोई किसी का दु:ख देख दु:खी होता है, और उसका भला सोचता है, --> वो हंस है. और जो किसी को दु:खी देखना चाहता है, किसी का सुख जिसे सहन नहीं होता, --> वो कौवा है. जो आपस में मिल जुल, भाईचारे से रहना चाहते हैं , वे हंस प्रवृत्ति के हैं. जो झगड़े कर ... एक दूजे को मारने लूटने की प्रवृत्ति रखते हैं वे कौवे की प्रवृति के हैं. ❗ स्कूल या आफिसों में ❗ जो किसी साथी कर्मी की गलती पर अफ़सर को बढ़ा-चढ़ा के बताते हैं, उस पर कार्यवाही को उकसाते हैं. वे कौवे जैसे है. और जो किसी साथी कर्मी की गलती पर भी अफ़सर को बड़ा मन रख माफ करने को कहते हैं, वे हंस प्रवृत्ति के हैं. अपने आस-पास छुपे बैठे कौवौं को पहचानों, उनसे दूर रहो, और जो हंस प्रवृत्ति के हैं ... उनका साथ करो. ★ सदैव प्रसन्न रहिये ★ ࿇ ══━━━━══ ࿇
Friday, 11 February 2022
*कृपया बिना रोए पढ़ें*_जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की अंतिम विदाई_ अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया। आपका फुला-फला परिवार सब पत्नि की मेहरबानी हैं |आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। मेरा चश्मा व मोबाईल लाओ |ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हो। उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है।समाज मे सिर ऊँचा ,सीना तानकर चलते हों | वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है !सब तरफ सन्नाटा है|घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था।उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:*मैं अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे*तो पति देव मैं जा रही हूँ।जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था |पर इस समय अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझ को पता नहीं था।*मुझे जाने दो।*अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। आप अकेले पड़ जायेंगे |बहुत दर्द हो रहा है मुझे।लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मै कुछ नहीं कर सकती।*मुझे जाने दो*बेटा और बहु रो रहे है देखो। मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता दादी दादी दादी माँ कर रहा है ,उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों।आँखों से आँसू मत बहने देना |*मुझे जाने दो*अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी , तड़प - तड़प कर रोयेगी ,बैहोश हो जायेगी |तब उसे संभालना और शांत करना। और आपभी बिल्कुल भी नही रोना। बस इतनी हिम्मत रखना |*मुझे जाने दो*जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। यह प्रकृति का नीयम हैं |धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल देना। गुमसुम न रहना |*मुझे जाने दो*आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं।विधाता ने इतने दिन ही साथ रहने का लेख लिखा है |*मुझे जाने दो*आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नही खाना ,न ही कही कार्यक्रम में खाना खाने जाना ,अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहु पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं ,यह समझ कर जीना सीख लेना।*मुझे जाने दो*बेटा और बहू कुछ बोले तोचुपचाप सब सह और सुन लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नही होना,कि मैं अकेला हूँ |मुझे जाने दोअपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जिएं ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना ,लेकिन कभी कमजोर नही होना।*मुझे जाने दो*मेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नही। सब कुछ चयन से रखना और याद रखने की आदत करना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहु भूल जाय तो सामने से याद कर लेना। जो भी रूखा - सूखा खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।मुझे जाने दोबुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे धीरे से चलना।यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।तो आप चुपचाप अनाथ आश्रम चले जाना ,बच्चे व बहू की बुराई मत करना |*मुझे जाने दो*शाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तभी पानी पी लेना।एक पुरानी टार्च है ,उसे ठीक करा लेना अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नही , उसका ध्यान रखना।*मुझे जाने दो*शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नही मिलेगी।आप बगीयन को मेरी जगह ,प्यार से निहारते रहना |*मुझे जाने दो*उठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना , किसी की प्रतीक्षा नही करना।चाय-नाश्ता मिले न मिले तो ,चुपचाप सह लेना |*मुझे जाने दो*और हाँ .... एक बात तुमसे छिपाई है ,मुझे माफ कर देना।आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये है। बचत करना मेरी दादी ने सिखाया था। एक एक रुपया जमा कर के कोने में रख दिया। इसमें से पाँच पाँच लाख बहु और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना आपके लिए।*मुझे जाने दो*भगवान की भक्ति और पूजा सामयिक स्वाध्याय करना भूलना नही। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे !!मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना। *मुझे जाने दो* *मुझे जाने दो*आपकी जीवन संगिनी*आइए, हम वर्ष 2021में संकल्प करते हैं कि अपनी धर्म-पत्नी के साथ आजीवन सम्मानपूर्ण व्यवहार करते हुए उसे लक्ष्मी,सरस्वती और दुर्गा स्वरूप समझेंगे।* _नारी नर की खान है,_ _हिन्दूस्थान की शान है||🌸_
उम्र को दराज़ में रख देंउम्रदराज़ न बनें।खो जाएं ज़िन्दगी में,मौत का इन्तज़ार न करें।जिनको आना है आए,जिसको जाना है जाए,पर हमें जीना है,हैं ये न भूल जाएं।जिनसे मिलता है प्यार,उनसे ही मिलें बार बार,कभी बचपन को जीएंतो कभी जवानी को,पर न छोड़ें बुढापे में भी सपने संजोने को।महफिलों का शौक रखें,दोस्तों से प्यार करें,जो रिश्ते हमें समझ सकेंउन रिश्तों की कद्र करें।बंधें नहीं किसी से भी,ना किसी को बँधने परमजबूर करें।दिल से जोड़ेंहर रिश्ता, औरउन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें।हँसना अच्छा होता है,पर अपनों के लिये रोया भी करें।याद आएं कभी अपने तो आँखें अपनी नम भी करें,ध्यान रखें कि ज़िन्दगी चार दिन की है,तो फिर शिकवे शिकायतेंकम ही करें .।उम्र को दराज़ में रख देंउम्रदराज़ न बनें.।
माता पिता का छोटा सा पैगाम एक बेटे के नाम :1. जिस दिन तुम हमे बूढ़ा देखो तब सब्र करना और हमे समझने की कोशिश करना.2. जब हम कोई बात भूल जाए तो हम पर गुस्सा ना करना और अपना बचपन याद करना.3. जब हम बीमार हो जाए तो वो दिन याद करके हम पर अपने पैसे खर्च करना जब हम तुम्हारी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए अपनी ख्वाहिशे कुर्बान करते थे.4. जब हम बूढ़े होकर चल ना पाए तो हमारा सहारा बनना और अपना पहला कदम याद करना.5. जब हमारे आँखों मे आँसू देखना तो वह दिन याद करना, जब तुम रोते थे, तो सीने से लगाकर चुप कराते थे ।
Thursday, 10 February 2022
Wednesday, 9 February 2022
Tuesday, 8 February 2022
पुरुष होने का अर्थपुत्र की भूमिका निभाते वक्त, माता-पिता के उम्मीदों पर खरा उतरना।पति की भूमिका निभाते वक्त पत्नी के हर अनकहे जज़्बात समझना।पिता की भूमिका निभाते वक्त, अपने बच्चों की हर जरूरतें पूरी करना ।अपने दर्द, अपनी जरूरतों को परे रख सभी जिम्मेदारियों को भली-भाँति पूरा करना ।इन भूमिकाओं में पुरुष न हो, तो फिर जीवन हो जाये व्यर्थ । इतना भी आसान नहीं समझना "पुरुष होने का अर्थ " ।
Monday, 7 February 2022
Sunday, 6 February 2022
Saturday, 5 February 2022
Friday, 4 February 2022
Thursday, 3 February 2022
Wednesday, 2 February 2022
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