Monday, 21 February 2022

जीवन में 45 पार का मर्द......कैसा होता है ?थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पासखुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बादजिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआअनुभव की पूंजी हाथ में लिएपरिवार को वो सब देने की जद्दोजहद मेंजो उसे नहीं मिल पाया था,बस बहे जा रहा है समय की धारा मेंबीवी और प्यारे से बच्चों मेंपूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,रात को घर आता है, सुकून की तलाश मेंलेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया थानहीं लाए तो क्यों नहीं लाएलाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाएअब वो क्या कहे बच्चों सेकि जेब में पैसे थोड़े कम थेकभी प्यार से, कभी डांट करसमझा देता है उनकोएक बूंद आंसू की जमी रह जाती है, आँख के कोने में,लेकिन दिखती नहीं बच्चों कोउस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों केखाने की थाली में दो रोटी के साथपरोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएंकभीतुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा हैकुछ कहते ही नहींकभीहर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,कभी प्यार से बात भी कर लिया करोलड़की सयानी हो रही हैतुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देतालड़का हाथ से निकला जा रहा हैतुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं हैपड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातेंशिकवे शिकायतें दुनिया भर कीसबको पानी के घूंट के साथगले के नीचे उतार लेता हैजिसने एक बार हलाहल पान कियावो सदियों नीलकंठ बन पूजा गयायहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता हैजिंदा रहने की चाह में,फिर लेटते ही बिस्तर पर,मर जाता है एक रात के लिएक्योंकिसुबह फिर जिंदा होना हैकाम पर जाना हैकमा कर लाना हैताकि घर चल सके .ताकि घर चल सके ताकि घर चल सके..दिलसे सभी पिताओं को समर्पित,,,,,,,,,,,,,,,