Saturday, 26 February 2022

*पूरी उम्र ससुराल में गुजारी मैंने**फिर भी मायके से कफ़न मंगाना**मुझे अच्छा नहीं लगता*।😢रूपाली टंडन जी की लिखी यह कविता मुझे बहुत पसंद आई that's why, sharing with you all...शादीशुदा महिलाओ को कुछ बाते अच्छी नहीं लगती, पर वे किसी से कहती नहीं ,उन्ही एहसासों को इकट्ठा करके एक कविता लिखी है। 💐*" मुझे अच्छा नही लगता "*💐 मैं रोज़ खाना पकाती हू,तुम्हे बहुत प्यार से खिलाती हूं,पर तुम्हारे जूठे बर्तन उठानामुझे अच्छा नही लगता।😢कई वर्षो से हम तुम साथ रहते है, लाज़िम है कि कुछ मतभेद तो होगे,पर तुम्हारा बच्चों के सामने चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगता।😢हम दोनों को ही जब किसी फंक्शन मे जाना हो,तुम्हारा पहले कार मे बैठ कर यू हार्न बजानामुझे अच्छा नही लगता।😢जब मै शाम को काम से थक कर घर वापस आती हूँतुम्हारा गीला तौलिया बिस्तर से उठानामुझे अच्छा नही लगता।😢माना कि अब बच्चे हमारे कहने में नहीं है,पर उनके बिगड़ने का सारा इल्ज़ाम मुझ पर लगानामुझे अच्छा नही लगता।😢अभी पिछले वर्ष ही तो गई थी,यह कह कर तुम्हारा,मेरी राखी डाक से भिजवानामुझे अच्छा नही लगता।😢पूरा वर्ष तुम्हारे साथ ही तो रहती हूँ,पर तुम्हारा यह कहना कि,ज़रा मायके से जल्दी लौट आनामुझे अच्छा नही लगता।😢तुम्हारी माँ के साथ तोमैने इक उम्र गुजार दी,मेरी माँ से दो बातें करतेतुम्हारा हिचकिचानामुझे अच्छा नहीं लगता।😢यह घर तेरा भी है हमदम,यह घर मेरा भी है हमदम,पर घर के बाहर सिर्फतुम्हारा नाम लिखवानामुझे अच्छा नही लगता।😢मै चुप हूँ कि मेरा मन उदास है,पर मेरी खामोशी को तुम्हारा,यू नज़र अंदाज कर जानामुझे अच्छा नही लगता।😢पूरा जीवन तो मैने ससुराल में गुज़ारा है,फिर मायके से मेरा कफन मंगवानामुझे अच्छा नहीं लगता।😢