Monday, 28 February 2022

शिव जैसा ध्यानी नहीं है जय शम्भूध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है ? ध्यान का अर्थ होता है : न विचार...न वासना... न स्मृति... न कल्पना ? ध्यान का अर्थ होता है: भीतर सिर्फ होना मात्र । इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का विनाश का देवता कहा है । क्योंकि ध्यान विध्वंस है- विध्वंस है मन का मन ही संसार है। मन ही सृजन है । मन ही सृष्टि है। मन गया कि प्रलय हो गयी। ऐसा मत सोचो कि किसी दिन प्रलय होती है। ऐसा मत सोचो कि एक दिन आयेगा जब प्रलय हो जायेगी और सब विध्वंस हो जायेगा। नहीं, जो भी ध्यान में उतरता है, उसकी प्रलय हो जाती है। जो भी ध्यान में उतरता है, उसके भीतर शिव का पदार्पण हो जाता है । ध्यान है मृत्यु - मन की मृत्यु, 'मैं' की मृत्यु, विचार का अंत । शुद्ध चैतन्य रह जाये दर्पण जैसा खाली! कोई प्रतिबिम्ब न बने....!! (ओशो)