Wednesday, 30 November 2022

नौ वर्ष के बेटे के हाथ में था #गुरूतेगबहादुरजी का कटा हुआ सिर ! दृश्य बताता है कि #औरंगज़ेब की मजहबी क्रुरता का प्रतिकार करते हुए हिंदू धर्म कैसे विकट स्थितियों में भी ज़िंदा रखा हिंददी चादर कहलाने वाले धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था इसीलिए उनके बारे में कहा जाता है कि सिर दिया पर सार न दिया #24नवंबर1675 की तारीख गवाह बनी थीहिन्दू के हिन्दू बने रहने की दोपहर का समय और जगह चाँदनीचौक दिल्ली लालकिले के सामने जब मुगलिया हुकूमत की क्रूरता देखने के लिए लोग इकट्ठे हुए पर बिल्कुल शांत बैठे थेलोगो का जमघट और सबकी सांसे अटकी हुई थीशर्त के मुताबिक अगर गुरु तेग बहादुरजी इस्लाम कबूल कर लेते हैं तो फिर सब हिन्दुओं को मुस्लिम बनना होगा बिना किसी जोर जबरदस्ती केऔरंगजेब के लिए भी ये इज्जत का सवाल थासमस्त हिन्दू समाज की भी सांसे अटकी हुई थी क्या होगा? लेकिन गुरुजी अडिग बैठे रहेकिसी का धर्म खतरे में था धर्म का अस्तित्व खतरे में था तो दूसरी तरफ एक धर्म का सब कुछ दांवपे लगा थाहाँ या ना पर सब कुछ निर्भर थाखुद चल के आया था औरगजेब,लालकिले से निकलकर सुनहरी मस्जिद के काजी के पासउसी मस्जिद से कुरान की आयत पढ़ कर यातना देने का फतवा निकलता था वो मस्जिद आज भी है गुरुद्वारा शीशगंज, चांदनी चौक,दिल्ली के पास पूरे इस्लाम के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न थाआखिरकार जब इस्लाम कबूलवाने की जिद्द पर इस्लाम ना कबूलने का हौसला अडिग रहा तो जल्लाद की तलवार चली और प्रकाश अपने स्त्रोत में लीन हो गयाये भारत के इतिहास का एक ऐसा मोड़ था जिसने पुरे हिंदुस्तान का भविष्य बदलने से रोक दियाहिंदुस्तान में हिन्दुओं के अस्तित्व में रहने का दिन सिर्फ एक हाँ होती तो यह देश हिन्दुस्तान नहीं होता गुरु तेगबहादुरजी जिन्होंने #हिन्द_की_चादर बनकर सनातन सभ्यता और जीवन दर्शन की रक्षा की उनका अदम्य साहस भारतवर्ष कभी नही भूल सकताकभी एकांत में बैठकर सोचिएगा अगर #गुरुतेगबहादुरजी अपना बलिदान न देते तो करोड़ों सालों के चिंतन से उत्पन्न आपकी ये सभ्यता कराह रही होती#24नवम्बर का यह इतिहास सभी को पता होना चाहिए इतिहास के वो पृष्ठ जो पढ़ाए नहीं गये #गुरूतेगबहादुरजी के बलिदानदिवस पर कोटि कोटि नमन सतनाम श्री वाहेगुरू बोलिये#दग्रेटसनातनी