Thursday, 3 November 2022

लफ़्ज़ों की बनावट का यहां हर शख़्स दीवाना है नादान सा जहन सादगी से बेगाना है तेरे मुंह पर तेरी मेरे मुंह पर मेरी इसी चतुराई का ज़माना है झूठ से रूबरू सच से अनजाना है स्वार्थपरता की भीड़ में भावनाओं का न ठिकाना है खोज कमियां दूसरों में ख़ुद को माहिर बताना है खोज कमियां दूसरों में ख़ुद को माहिर बताना है✍️✍️ 🌹Roop 🌹