Saturday, 11 January 2025

जैसा बीज बोयेंगे वैसा ही फल मिलेगा- एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे, लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था। खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉशरूम ले गया। उनके कपड़े साफ किये, उनका चेहरा साफ किया, उनके बालों में कंघी की, चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया। सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे। बेटे ने बिल का भुगतान किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा - क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़कर जा रहे हो ? बेटे ने जवाब दिया, नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़कर नहीं जा रहा हूँ। वृद्ध ने कहा - बेटे, तुम यहाँ बहुत कुछ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा और प्रत्येक पिता के लिए एक उम्मीद। आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीँ करते और कहते हैं क्या करोगे? आपसे चला तो जाता नहीं, ठीक से खाया भी नहीं जाता, आप तो घर पर ही रहो, यही अच्छा होगा। हम भूल जाते हैं कि जब हम छोटे थे और हमारे माता पिता हमें अपनी गोद में उठा कर ले जाया करते थे, हम जब ठीक से खा भी नहीं पाते थे, तो माँ हमें अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नहीं, प्यार जताती थी, फिर वही माँ बाप बुढ़ापे में बोझ क्यों लगने लगते हैं? माँ-बाप भगवान का रूप होते हैं, उनकी सेवा सेवा करना चाहिए और प्यार देना चाहिए, क्योंकि एक दिन हमें भी बूढ़े होना है। जैसा बीज आज हम बो रहे हैं कल उसी के फल हमें खाने को मिलेंगे। प्रस्तुति - जितेन्द्र रघुवंशी