Monday, 25 January 2021

स्त्रियाँ निपट मूर्ख होती हैं दाँत किटकिटाती ठंड मेंबग़ैर स्वेटर, कार्डीगन, शॉल पहने वैवाहिक उत्सवों में सम्मिलित स्त्रियों पर खूब मीम्ज बनते हैंचुटकले गढ़े जाते हैंक्योंकि हमारी नजरों में स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं।यदि वो घर की चारदीवारी से निकलकुछ पलों के लिए जीना चाहतीं हैंख़ुद के लिएप्रदर्शित करना चाहतीं हैंअपने डिजायनर ब्लाउजबेलबूटेदार साड़ियाँकलात्मक आभूषणतो इसमें भला इतनी आपत्ति क्यों?लेकिन हाड़ कंपाती सर्द सुबह में जब हम रजाई में बैठे-बैठेचाय की चुस्कियां लेते हुएठंड को गरियाकरगर्माहट पा रहे होते हैंतब यही मूर्ख स्त्रियाँनहा धोकर चौके में हमारे लिए चाय-नाश्ता बना रही होतीं हैं।कभी सोचिएये मूर्ख स्त्रियाँ किस मिट्टी की बनी होती हैंजो जेठ-आषाढ़ की झुलसाती हुई गर्मी मेंचूल्हे के सामने खुद को पसीने में डुबोएपेट, पीठ, गर्दन पर घमौरियों की कई-कई परतें चढ़ाएहमारी भूख को शान्त करने का इंतजा़म करतीं हैंग़र्म तैल से छनछनाते परांठे को चिमटे की जगहअंगुलियों से पकड़ गर्मागरम परोस देतीं हैं।तब कोई मीम्ज नहीं बनतेतब कोई चुटकले नहीं गढ़े जातेउस समय हमारी वणिक बुद्धि उन्हें ममत्व की प्रतिमूर्तिगृह-लक्ष्मीत्यागशील देवीऔर ना जाने क्या-क्या उपमाएँ देकर उन्हें छले चली जाती हैतब हमारे हास्य विनोद की सृजनशीलताछद्म वाकपटुताहलक में फंसी रह जाती है।हाँ!स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं जो परिवार को ताजा गर्म और स्वास्थ्यवर्धक खाना देने के लिए अपनी देह को झुलसाती हैंरात के ठिठुरते बर्फ़ीले पानी में अपनी हड्डियों को गलातीं हैं।चुटकुले यहाँ बनने चाहिए थे मगर,,,ख़ैर छोड़िए..!अब रजाई छोड़ उठिएरात के बर्तन धोकरसुबह की चाय ख़ुद ही बनाइये बहुत से चुटकुलों और सवालों के जवाब Author: Unknown