Thursday, 7 January 2021

धीरे धीरे अब रिश्ते बदलने लगे हैं..अपना कहना वालों के दिलों में अब तेरे मेरे के भाव भरने लगे हैं===ज़ुबान पे मिठास और दिलो में कड़वाहट रखते हैं... रिश्तों को अपने पन के भाव से नहीं पैसे से परखते हैं ... खून के रिश्तों की गरीबी अमीरी की तराज़ू में तोलते हैं... पैसों से कमजोर के लिए बेगानापन और पैसों वालो के लिए बातो में शहद घोलते हैं।