Wednesday, 6 January 2021

आया दौर फ्लैट कल्चर का,देहरी, आंगन, धूप नदारद।हर छत पर पानी की टंकी,ताल, तलैया, कूप नदारद।।पैकिंग वाले चावल, दालें,डलिया,चलनी, सूप नदारद।।🤨🤨बढ़ीं गाड़ियां, जगह कम पड़ी, सड़कों के फुटपाथ नदारद। *लोग हुए मतलबपरस्त सब,* *मदद करें वे हाथ नदारद।।* मोबाइल पर चैटिंग चालू,यार-दोस्त का साथ नदारद।बाथरूम, शौचालय घर में,कुआं, पोखरा ताल नदारद।।🤨🤨हरियाली का दर्शन दुर्लभ, *कोयलिया की कूक नदारद।* घर-घर जले गैस के चूल्हे,चिमनी वाली फूंक नदारद।।मिक्सी, लोहे की अलमारी,सिलबट्टा, संदूक नदारद।*मोबाइल सबके हाथों में,**विरह, मिलन की हूक नदारद।।*🤨🤨बाग-बगीचे खेत बन गए,जामुन, बरगद, रेड़ नदारद।सेब, संतरा, चीकू बिकतेगूलर, पाकड़ पेड़ नदारद।।ट्रैक्टर से हो रही जुताई,जोत-जात में मेड़ नदारद। *रेडीमेड बिक रहा ब्लैंकेट,* *पालों के घर भेड़ नदारद।।*🤨🤨लोग बढ़ गए, बढ़ा अतिक्रमण,जुगनू, जंगल, झाड़ नदारद।कमरे बिजली से रोशन हैं,ताखा, दियना, टांड़ नदारद।।चावल पकने लगा कुकर में, *बटलोई का मांड़ नदारद।* कौन चबाए चना-चबेना,भड़भूजे का भाड़ नदारद।।🤨🤨पक्के ईंटों वाले घर हैं,छप्पर और खपरैल नदारद।ट्रैक्टर से हो रही जुताई, *दरवाजे से बैल नदारद।।* महंगाई का वह आलम है,एक-पांच के नोट नदारद।।🤨🤨