Tuesday, 19 January 2021

दुःखद....घर की चक्की ही तो है, ज़्यादा चल गयी तो क्या? रोटियां सेकना काम है उसका, उँगलियाँ गर जल भी गयी तो क्या? अपना घर छोड़ के जाना होगा, ज़िन्दगी जो पूरी बदल गयी तो क्या? पति है परमेश्वर, कुछ भी कहे, ज़ुबान ही तो है, चल गयी तो क्या? तुमको चलना है बच बच कर, आदमी की नीयत मचल गयी तो क्या? ग्रहस्थी संजोना देखो संभल कर, पुरुष से फिसल गयी तो क्या? गाड़ी दो पहियों पे है चलती, मेरी एक पे चल गयी तो क्या? उसकी उम्र बढ़ाने को रखना व्रत, तुम्हारी अपनी उम्र निकल गयी तो क्या? सुनो वो थक जाता है ऑफिस के काम से, तुम दिन भर खट के ढल गयी तो क्या? पैदा तुमने किया, बच्चे पालो भी तुम, बिन सोये कई रातें निकल गयी तो क्या? कल तक चलती थी पति की, अब बच्चों की चल गयी तो क्या? घर की लक्ष्मी हो, है घर ये तुम्हारा , घर के बाहर " नाम की तख़्ती " से, ओंस बनके पिघल गयी... तो क्या??? सुनो, हो कौन तुम? क्या पहचान है? Mrs.....बनके ही दुनियां से निकल गयी तो क्या?Author: Unknown