Thursday, 21 January 2021

#मेरी सब सखियांमेरी सब सखियांचाय की माफिक कड़क हैपक पक कर स्वादिष्ट हो गईजिंदगी जीने में माहिर हो गईदूध बनकर ससुराल आयी थीअदरक की तरह कूटी गईवो अपनी चीनी मिलाती रहीऔर तजुर्बा की आंच मे खुद को पकाती रहीऔर आज देखो सबमजे से घर चलाती हैंऔर अपना भी दिल बहलाती‌ हैचालीस के पार होकर भीछब्बीस सी नजर आती हैकोई अब दूध सा उफनता नहींकिसी का हाथ अब जलता नहींसब समेट लेती हैखुद को सहेज लेती हैये उम्र दराज नहीं होतीउम्र को दराज में रख देती हैइनके बच्चे बड़े हो रहेऔर ये इलायची सी महक रहीबूढ़े हो इनके दुश्मनये रोज नए नाम कर रहीइनका नशा कभी कम ना होताकुल्हड़ हो या वोन चाइनाइन्हे कभी कोई गम ना होताये तो अदरक से भीदोस्ती निभाती हैउसे अपने अंदर समाउसका भी स्वाद बढ़ाती हैचाय की माफिकसबकी पहली पसंद कहलाती हैDedicated to all female friends😊👍🏻