Monday, 8 March 2021

औरत बिक जाती हैप्यार के दो बोल सेपति के कह देने भर सेआज खाने में मजा आ गयाबच्चे जब कहते हैमां मुझे समझती हैवो दुगने उत्साह से जुट जाती हैउनकी पसंद को खोज लाती हैसास जब कहती हैमेरी बहू औरो सी नहींवो अपनी मां को उस दिन भूल जाती हैसास से दिल का रिश्ता निभाती हैसच में औरत बहुत सस्ते में बिक जाती हैप्यार के दो बोल को तरस जाती हैबस खोजती है अपने सम्मान कोकभी पति की आंखो मेंकभी बच्चो के सपनो मेंओर कभी रिश्तों ओर अपनो मेंवो सब को देख खुश हो लेती हैबिना विटामिन खाए जी लेती हैसब को मुस्कराया देख खुश हो लेती हैउनके खिले चेहरे में खुद को संजो लेती हैऔरत को देह से अलग जान पाओगेतो सही मायनों में उसके प्यार को पाओगेवो खुद को मिटा कर भी खुश होती हैदर्द झेलकर भी जिंदगी देती