मौके दर मौके याद आती है हरिवंशराय बच्चन की रचना: जो बीत गई सो बात गई........¡¡जीवन में एक सितारा थामाना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गयाअम्बर के आनन को देखोकितने इसके तारे टूटेकितने इसके प्यारे छूटेजो छूट गए फिर कहाँ मिलेपर बोलो टूटे तारों परकब अम्बर शोक मनाता हैजो बीत गई सो बात गई.....जीवन में वह था एक कुसुमथे उसपर नित्य निछावर तुमवह सूख गया तो सूख गयामधुवन की छाती को देखोसूखी कितनी इसकी कलियाँमुर्झाई कितनी वल्लरियाँजो मुर्झाई फिर कहाँ खिलीपर बोलो सूखे फूलों परकब मधुवन शोर मचाता हैजो बीत गई सो बात गई.....जीवन में मधु का प्याला थातुमने तन मन दे डाला थावह टूट गया तो टूट गयामदिरालय का आँगन देखोकितने प्याले हिल जाते हैंगिर मिट्टी में मिल जाते हैंजो गिरते हैं कब उठतें हैंपर बोलो टूटे प्यालों परकब मदिरालय पछताता हैजो बीत गई सो बात गई.....मृदु मिटटी के हैं बने हुएमधु घट फूटा ही करते हैंलघु जीवन लेकर आए हैंप्याले टूटा ही करते हैंफिर भी मदिरालय के अन्दर मधु के घट हैं मधु प्याले हैंजो मादकता के मारे हैंवे मधु लूटा ही करते हैंवह कच्चा पीने वाला हैजिसकी ममता घट प्यालों परजो सच्चे मधु से जला हुआकब रोता है चिल्लाता हैजो बीत गई सो बात गई.....