Wednesday, 28 April 2021

गुजर रही है ज़िन्दगी ऐसे मुकाम से... अपने भी दूर हो जाते हैं जरा से जुकाम से... तमाम कायनात में एक कातिल बीमारी की हवा हो गई... वक़्त ने कैसा सितम ढाया कि दूरियाँ ही दवा हो गई ।