जब लाईलाज थे तब संभल गए.अब टीका है, फिर भी फ़िसल गए.कोई दोष नही है महामारी का.दिवाला निकला है समझदारी का.छूट क्या मिली बेपरवाह हो गए.हम खुद ही लापरवाह हो गए.न मास्क पहना न दो गज की दूरी,जिंदगी दांव पर लगा दी पूरी पूरी.अब बढ़े मरीज तो हड़बड़ा रहे हैं.गलती की है....फिर क्यों पछता रहे हैं....समय है अभी भी चेत जाइए .मास्क लगाइये . दो गज की दूरी बनाइए .भीड़ में न जाइए . खुद को बचाइए. समाज को बचाइए और देश को बचाइए