Tuesday, 31 August 2021
डिप्रेशन क्यो ???श्रीकृष्ण से कितना कुछ छूटा..! पहले माँ छूटी, फिर पिता छूटे..! फिर जो नंद-यशोदा मिले, वे भी छूटे...संगी-साथी छूटे.. राधा भी छूटी... गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी... श्रीकृष्ण से जीवन भर, कुछ न कुछ छूटता ही रहा.! नहीं छूटा तो देवत्व, मुस्कान और सकारात्मकता...। श्रीकृष्ण दुःख नहीं, उत्सव के प्रतीक हैं... सब कुछ छूटने पर भी, कैसे खुश रहा जा सकता यह श्री कृष्ण से अच्छा कोई नहीं सीखा सकता ! इसलिए हमेशा खुश रहें, सदा मुस्कुराते रहे...
*औरत के साथ और बाद का जीवन* एक औरत की कमी तब अखरती हैजब वो चली जाती है, और वापस लौट कर नहीं आतीछत पर लगे जाले व आँगन की धूलहटाने में संकोच आता है।" तुम्हारी ये सफाई " कहने का मौकानहीं मिल पाता !!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब कालरों की मैल छुटाने मेंपसीना छूट जाता हैचूडियां साथ में नहीं खनकतीउसका "मेहनतकश" होना याद आता है !!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब घर में देर से आने पररोटियां ठंडी हो जाती है सब्जियों मेंतुम्हारी पसंद का जायका नहीं रहताऔर तुमसे यह कहते नही बनता"मुझे ये पसंद नहीं "!!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब बच्चा रात को ज़ोर से रोता हैआप अनमने से उठ जाते होऔर यह नहीं कह पाते"कितनी लापरवाह हो तुम"!!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप रात में अकेले सोते हैंकरवट बदलते रहते हैं बगल मेंपर हाथ धरने पर कुछ नहीं मिलता!!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब त्यौहारों के मौसम मेंनयी चीज़ों के लिए कोई नहीं लड़ताऔर तुमसे ये कहते नही बनता"और पैसे नहीं हैं "!!एक औरत की कमी तब अखरती हैजब आप गम के बोझ तले दबे होते हैं ,निपट अकेले रोते हैं और आपके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होताआप किसी से कुछ नहीं कह पातेहाँ, औरत की कमी तब अखरती जरूर है!महिलाएं कभी अपने लिए नहीं जीती।। 🙏Author : Unknown,
राख तेरी उड़ जायेगीजब चिट्ठी कटेगी ऊपर वाले की तब समय होगा तेरे जाने का । सगे-सम्बन्धी तेरे सब जमा होकर तुझको चम्मच भर गंगाजल पिलायेंगे । आटे पानी का लड्डु रखेंगे सामने तेरे , जब जरूरत नहीं होगी तेरे खाने की । पाँच पच्चीस मिलकर जल्दी करेंगे तुझको ले जाने की , लकड़ी से अभी जला देंगे तुझको और जल्दी करेंगे नहाने की। अस्थि लेकर तेरी चल पड़ेंगे सब और राख तेरी उड़ जायेगी । दो दिन तक शोक मनायेगी दुनिया और उतावली होगी मिष्ठान खाने को। स्वार्थ की सारी है ये दुनिया सब पल भर में भूल जायेगी...।
Monday, 30 August 2021
जरा सोच कर बताना समाज में 27-28-32 उम्र की कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी हैं *अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो सकती है।* *हमारा समाज आज बच्चों के विवाह को लेकर इतना सजग हो गया है कि आपस मे रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हैं।* *समाज में आज 27-28-32 उम्र तक की बहुत सी कुँवारी लडकियाँ घर बैठी है क्योंकि इनके सपने हैसियत से भी बहुत ज्यादा है इस प्रकार के कई उदाहरण है।**ऐसे लोगो के कारण समाज की छवि बहुत खराब हो रही है।**सबसे बडा मानव सुख,**सुखी वैवाहिक जीवन होता है।**पैसा भी आवश्यक है।* *लेकिन कुछ हद तक।**पैसे की वजह से अच्छे रिश्ते ठुकराना गलत है।* *पहली प्राथमिकता सुखी संसार व अच्छा घर-परिवार होना चाहिये।* *ज्यादा धन के चक्कर मे अच्छे रिश्तों को नजर-अंदाज करना गलत है।* *"संपति खरीदी जा सकती है लेकिन गुण नही।"**मेरा मानना है कि घर- परिवार और लडका अच्छा देखें लेकिन ज्यादा के चक्कर मे अच्छे रिश्ते हाथ से नही जाने दें।**सुखी वैवाहिक जीवन जियें।**30 की उम्र के बाद विवाह नही होता समझौता होता है और मेडिकल स्थिति से भी देखा जाए तो उसमें बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न होती है।**"आज उससे भी बुरी स्थिति कुंडली मिलान के कारण हो गई हैं।"**आप सोचिए जिनके साथ कुंडली मिलती है लेकिन घर और लड़का अच्छा नहीं और जहाँ लड़के में सभी गुण हैं वहां कुण्डली नहीं मिलती और हम सब कुछ अच्छा होने के कारण भी कुण्डली की वजह से रिश्ता छोड़ देते हैं,**आप सोच के देखें जिन लोगो के 36 में से 20 या फिर 36 /36 गुण भी मिल गए फिर भी उनके जीवन मे तकलीफें हो रही है।**क्योंकि हमने लडके के गुण नही देखे।**"कुंडली मिलान के गुण देखे।*आजकल समाज में लोग बेटी के रिश्ते के लिए (लड़के में) चौबीस टंच का सोना खरीदने जाते है,**देखते-देखते चार पांच साल व्यतीत हो जातें है,**उच्च "शिक्षा" या "जॉब" के नाम पर भी समय व्यतीत कर देते हैं।**लड़के देखने का अंदाज भी समय व्यतीत का अनोखा उदाहरण हो गया है?**खुद का मकान है कि नही?**अगर है तो फर्नीचर कैसा है?**घर में कमरे कितने हैं?**गाडी है की नही?**है तो कौनसी है?**रहन-सहन, खान-पान कैसा है?**कितने भाई-बहन हैं?**बंटवारे में माँ-बाप किनके गले पड़े हैं?**बहन कितनी हैं,**उनकी शादी हुई है कि नहीं?**माँ-बाप का स्वभाव कैसा है?**घर वाले, नाते-रिश्तेदार आधुनिक ख्याल के हैं कि नही?**बच्चे का कद क्या है?**रंग-रूप कैसा है?**शिक्षा, कमाई, बैंक बैलेंस कितना है?**लड़का-लड़की सोशल मीडिया पर एक्टिव है कि नहीं?**उसके कितने दोस्त हैं?**सब बातों पर पूछताछ पूरी होने के बाद भी कुछ प्रश्न पूछने में और सोशल मीडिया पर वार्तालाप करने में और समय व्यतीत हो जाता है।**हालात को क्या कहे माँ -बाप की नींद ही खुलती है 30 की उम्र पर।* *फिर चार-पाँच साल कि यह दौड़-धूप बच्चों की जवानी को बर्बाद करने के लिए काफी है।**इस वजह से अच्छे रिस्ते हाथ से निकल जाते हैं।**और माँ-बाप अपने ही बच्चों के सपनों को चूर चूर-चूर कर देते हैं।**"एक समय था जब खानदान देख कर रिश्ते होते थे।"**वो लम्बे भी निभते थे।* *समधी-समधन में मान मनुहार थी।**सुख-दु:ख में साथ था।**रिश्ते-नाते कि अहमियत का अहसास था।**चाहे धन-माया कम थी मगर खुशियाँ घर-आँगन में झलकती थी।**आज समाज की लडकियाँ और लड़के खुले आम दूसरी जाति की तरफ जा रहे है और दोष दे रहे हैं कि समाज में अच्छे लड़के या लड़कियाँ मेरे लायक नही हैं।**कारण लडकियाँ आधुनिकता की पराकाष्ठा पार कर गई है।**"जब ये लड़के-लड़कियाँ मन से मैरिज करते है तब ये कुंडली मिलान का क्या होता हैं तब तो कुंडली की कोई बात नहीं होती"**यही माँ पिता सब कुछ मान लेते हैं।**तब कोई कुण्डली, स्टेटस, पैसा, इनकम बीच में कुछ भी नही आता।**अगर अभी भी माँ पिता नही जागेंगे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो जाएगी।**समाज के लोगो को समझना होगा लड़कियों की शादी 22-23-24 में हो जाये और लड़का 25-26 का*परिवारों का इस पीढ़ी ने ऐसा तमाशा किया है कि आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी "संस्कार"।**"समाज को अब जागना आवश्यक है"**"अन्यथा रिश्ते ढूढते रह जाएंगे।"* कुछ गलत कहा तो क्षमा करना 🙏 *धन्यवाद एवं शुभकामनाएं..* 🙏✍️😊 KL Pareek (कान्हा)
#मौली क्या है,क्यों है इसका इतना धार्मिक महत्व"=======================➡️ मौली/कलावा बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है,इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।➡️ "मौली" का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी कई प्रकार हैं। शिवजी के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।➡️मौली बांधने का मंत्र :-‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’ ➡️कैसी होती है मौली:-मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।➡️मौली बांधने के नियम :-शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, अक्षत/चावल लेकर उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।➡️विज्ञान के मतानुसार फायदे:-शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों तक पहुँचने वाली ज्यादातर नसों में से कुछ नसें कलाई से होकर गुजरती है और कलाई पर कलावा बाँधने से इन नसों को नियंत्रण में करने में काफी मदद मिलती है। इससे त्रिदोष को दूर करने में मदद ली जा सकती है । इसके अलावा कलाई पर मौली या कलावा बांधने से रक्त चाप संबंधी समस्या, मधुमेह, हृदय रोग और लकवा जैसे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या दूर करने में फायदा हो सकता है।➡️ मौली का प्रयोग वाहन, बही खाता, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर करने से काफी लाभ लिया जा सता है। इसके अलावा मौली से बनी सजावट की वस्तुएं भी घर में रखने से सुख शांति में वृद्धि होने लगती है।➡️कब बांधी जाती है मौली:-पर्व-त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें।
Sunday, 29 August 2021
Saturday, 28 August 2021
Friday, 27 August 2021
Thursday, 26 August 2021
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी , पहला चरण - कैंची दूसरा चरण - डंडा तीसरा चरण - गद्दी ...*तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।**"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे*।और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और *"क्लींङ क्लींङ" करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है* ।*आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था*।हमने ना जाने कितने दफे अपने *घुटने और मुंह तोड़वाए है* और गज़ब की बात ये है कि *तब दर्द भी नही होता था,* गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और *अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में* ।मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! *"जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं* ।*इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए* !और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।और ये भी सच है की *हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी* ।हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !*पहला चरण कैंची**दूसरा चरण डंडा**तीसरा चरण गद्दी।*● *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं।● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और नावेल पढ़े हैं।● *हम वही पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं।● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी, किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे।● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। ● *हम निश्चित ही वो आखिर लोग हैं*, जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो और बिनाका जैसे प्रोग्राम सुने हैं।● *हम ही वो आखिर लोग हैं*, जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे। उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे। एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था। सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे। वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं। डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।● *हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं*, जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। *हम ही वो खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!**हम एक मात्र वह पीढी है* जिसने अपने माँ-बाप की बात भी मानी और बच्चों की भी मान रहे है.
Wednesday, 25 August 2021
Tuesday, 24 August 2021
Monday, 23 August 2021
Sunday, 22 August 2021
MAKE UP....(मेकअप)लोग कहते हैं कि ..औरतें बहुत “मेकअप” करती हैं सच ही तो है ..औरतें सिर्फ चेहरे पर ही नही.. बल्कि घर, परिवार, बच्चे, पति, समाज सभी की कमियों पर हमेशा “मेकअप” ही करती रहती हैंबेहतर न मिलने पर माता-पिता पर “मेकअप”शादी होने पर ससुराल वालों के तानों पर “मेकअप”मायके की कमियों पर “मेकअप”बच्चों की कमियों पर “मेकअप”बुढ़ापे में दामाद के द्वारा किये गए अनादर पर “मेकअप”तो बहु की बेरुखी पर “मेकअप”पोता-पोती की शरारतों पर “मेकअप”और आखिर में..बुढ़ापे में परिवार में अस्तित्वहीन होने पर “मेकअप”एक औरत जन्म से लेकर मृत्यु तक “मेकअप” ही तो करती रहती हैसिर्फ एक ही आस में कि उसे “तारीफ के दो बोल मिल जाये"😊
।। पिता का प्यार ।।बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गयामैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था .... जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ...मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ....पता तो चले कितना माल छुपाया है .....माँ से भी ...इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ....मैंने जूता निकाल कर देखा .....मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ...जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..और मुझे जाना ही था घर छोड़कर ...जैसे ही कुछ दूर चला ....मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ....पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था .....जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी .....मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ....मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिएपर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा थाउन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ......ओह....अच्छे जुते पहनना ???पर उनके जुते तो ...........!!!!माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ...और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे .."मैं अब समझा कितने चलेंगे......तीसरी पर्ची ..........पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ...पढ़ते ही दिमाग घूम गया.....पापा का स्कूटर .............ओह्ह्ह्हमैं घर की और भागा........अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ....मैं घर पहुंचा .....न पापा थे न स्कूटर ..............ओह्ह्ह नहीमैं समझ गया कहाँ गए ....मैं दौड़ा .....औरएजेंसी पर पहुंचा......पापा वहीँ थे ...............मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया .......नहीं...पापा नहीं........ मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल...बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..वो भी आपके तरीके से ...।।"माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है...और"पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है.... ।।।।जय श्री राधे राधे जी ।।।।
Saturday, 21 August 2021
Friday, 20 August 2021
ਜੁਆਈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਮਰਜੀ ਨੇਕ ਸੁਭਾਅ ਹੋਵੇ । ਸੱਸ ਦੀ ਬੁੱਕਲ ਚ ਸਿਰ ਨੀ ਰੱਖ ਸਕਦਾ ॥ ਨੂੰਹ ਜਿੰਨੀ ਮਰਜੀ ਸੁੰਗੜ ਸਾਊ ਹੋਵੇ । ਸਹੁਰਾ ਮੰਜੇ ਤੇ ਕੋਲ ਨੀ ਬਿਠਾ ਸਕਦਾ ॥ ਪਰਾਈ ਔਰਤ ਦਾ ਮਨ ਚ ਚਾਹੇ ਸਨਮਾਨ ਹੋਵੇ । ਭੈਣ ਦੀ ਫੀਲਿੰਗ ਨਾਲ ਰੱਖੜੀ ਨੀ ਬਣਾ ਸਕਦਾ ॥ ਭਾਈ ਭਾਈ ਦਾ ਚਾਹੇ ਲੱਖ ਪਿਆਰ ਹੋਵੇ । ਦੋਸਤਾਂ ਵਾਲੀ ਮਸਤੀ ਨੀ ਕੋਈ ਪਾ ਸਕਦਾ॥ ਦੋਸਤ ਭਾਵੇਂ ਹੋਵੇ ਜਿਗਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ । ਭਰਾਵਾ ਵਾਲਾ ਨੀ ਸਾਕ ਨਿਭਾ ਸਕਦਾ ॥ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਚਾਹੇ ਲੱਖ ਹੋਵੇ ਮਾੜੀ । ਬੇਗਾਨੀ ਤੇ ਕੋਈ ਰੋਹਬ ਨੀ ਪਾ ਸਕਦਾ। ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਲੱਖ ਕੋਈ ਆਖੇ ਬਰਾਬਰ । ਪੁਤਰ ਬਿਨਾਂ ਘੁਮੰਡ ਨੀ ਆ ਸਕਦਾ ॥ ਪੁੱਤਾਂ ਨਾਲ ਚਾਹੇ ਲੱਖ ਮੁੱਛ ਖੜਦੀ । ਧੀ ਬਿਨਾ ਅਕਲ ਨੀ ਕੋਈ ਪਾ ਸਕਦਾ ॥ ਇਹ ਰਿਸ਼ਤੇ ਹੈ ਸਭ, ਭਾਵੇ ਹੋਣ ਸਾਰੇ ਝੂਠੇ । ਇਹਨਾਂ ਬਿਨਾ ਜਿੰਦਗੀ ਨੀ ਕੋਈ ਲੰਗਾਹ ਸਕਦਾ ।
*कृपया बिना रोए पढ़ें। यह मेसेज मेरे दिल को छू गया है*जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई! अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया कीजिए। आपकी सुविधा - असुविधा, आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हैं। उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है। वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है !घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था।उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:में अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे।तो मैं जा रही हूँ।जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जीयेंगे ऐसा वचन दिया था पर अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझको पता नहीं था।मुझे जाने दो।अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। बहुत दर्द हो रहा है मुझे।लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती।मुझे जाने दोबेटा और बेटे की मां दोनों रो रहे थे !मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। अपना बेटा बेटी बा बा बा कर रहा है अभी यह 3 साल के हैं और ना समझ है, इनको ऐसे मत बोलना मम्मी मर गई है इनको बोल दो मम्मी आपके लिए ढेर सारी भगवान के पास आइसक्रीम लेने गई है 10 12 दिनों में लौट आएगी हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों।मुझे जाने दोअभी आपकी बहन ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी तब उसे संभालना और शांत करना। और आपभी बिल्कुल नही रोना।मुझे जाने दोजिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम में डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल लेना।मुझे जाने दोआपने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं।मुझे जाने दोआपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नहीं खाना अन्यथा परेशानी होगी। सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो मां पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं यह समझ कर जीना सीख लेना।मुझे जाने दोअपना बेटा बेटी और मां कुछ बोले तोचुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नहीं होना। मुझे जाने दोअपने बेटे बेटी के साथ खूब खेलना अपने दोनों बच्चों को एहसास ही मत होने देना मम्मी की घर में कमी खलकती है जैसे जैसे यह दोनों बड़े हो जाएंगे अपने आप समझदार हो जाएंगे इनको अपने आप मालूम चल जाएगा कि पापा हमसे झूठ बोला करते थे हमारे लिए कोई मम्मी आइसक्रीम लेने नहीं गई भगवान के पास मम्मी तो हमें छोटा सा छोड़कर बिना बताए सदा के लिए भगवान के पास चली गई थी और हां आप भी अपने दोस्तों के साथ थोड़ा बाहर समय बताना अब थोड़ा धार्मिक जीवन जिएं ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना लेकिन कभी कमजोर नही होना।मुझे जाने दोमेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नहीं। सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर मां भूल जाये तो सामने से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।मुझे जाने दोबुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे धीरे से चलना।यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।मुझे जाने दोशाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तभी पानी पी लेना।अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं उसका ध्यान रखना।मुझे जाने दोशादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नहीं मिलेगी।मुझे जाने दोउठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना किसी की प्रतीक्षा नही करना।मुझे जाने दोऔर हाँ .... एक बात तुमसे छिपाई है मुझे माफ कर देना।आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये हैं। मेरी मां ने सिखाया था। एक - एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया। इसमें से पाँच - पाँच लाख बेटे और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना अपने लिए।मुझे जाने दोभगवान की भक्ति और पूजा करना भूलना नही। अब फिर कभी नहीं मिलेंगे !!मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना। *मुझे जाने दो* *मुझे जाने दो*🙏🙏 🙏🙏
नहींआप मेरी बेटी को अपनी इच्छा (सहूलियत) के हिसाब से नहीं रख सकते।मैंने कई पिता को अपने दामाद और उसके परिवार से कहते सुना है कि "अब हमारी बेटी आपकी हुई, आपको जैसे ठीक लगे वैसे उसे रखना।" पर नहीं, आप हमेशा याद रखना की मेरी बेटी आज भी मेरी बेटी है और ताउम्र रहेगी।जैसे आपका बेटा एक अच्छे जीवनसाथी को पाने के लिए शादी के बंधन में बंधा है वैसे ही मेरी बेटी भी एक सच्चे हमसफर को पाने ही चाह लेकर ही आपके बेटे से शादी के बंधन में बंधी है।जैसे आप चाहते है कि मेरी बेटी आपकी सारी अपेक्षाएं पूर्ण करें ऐसे मैं भी चाहता हूँ कि आपका बेटा भी मेरी अपेक्षाओं में खरा उतरे।आप जैसे चाहते हैं कि मेरी बेटी आपके बेटे की हर ख़्वाहिश पूरी करे वैसे मैं भी चाहता हूँ कि आपका बेटा भी मेरी बेटी का हर सपना पूरा करे।आप जैसी अपेक्षाएं मेरी बेटी से रखते हैं वैसे ही अपेक्षाएं मैं आपके बेटे से भी रखता हूँ।जैसे मैंने अपनी बेटी को प्यार से पाला है वैसे ही आपको भी मेरी बेटी को रखना होगा, आप जैसे चाहे वैसे उसे रख नहीं सकते। मेरी नज़र हमेशा उस पर बनी रहेगी।मेरी बेटी अपने पति का प्यार पाने के लिए तरसेगी नहीं, वो उसके जीवन का अविभाज्य अंग है। अगर वो अपने पति को समय देने से कतराती नहीं तो उन दोनों के बीच भी कोई नहीं आएगा।वो आपके घर के किसी कोने में पति के समय और साथ का इंतज़ार करते हुए रोनी नहीं चाहिए और उसकी इस अपेक्षा को गुनाह मानना भी उसे मंजूर नहीं होगा।जमाइराज, अगर आप उसके साथ हो तो वो उस घर में या धरती के किसी भी कोने में अकेली कैसे हो सकती है? और आपकी अर्धांगिनी है तो फिर बाहर से आनेवाली के ताने या उपेक्षा वो क्यों सहे?उसे कभी भी वो जो है जैसी है उस बात के लिए शर्म या संकोच नहीं होना चाहिए, वो हंसमुख है तो खुले दिल से हँसेगी भी। वो सरल, शांत होने के साथ साथ स्वतंत्र भी है।आपने जैसे संस्कार अपने बेटे को दिए है वैसे ही संस्कार मैंने अपनी बेटी को भी दिए हैं इसलिये उसके संस्कारों को निशाना बनाने की गलती मत कीजियेगा।याद रहे वो सिर्फ अपना घर बदल रही है अपना व्यक्तित्व या अस्तित्व नहीं।उसे खुलकर हँसने का, जीने का, अपने विचारों को व्यक्त करने का पूरा हक है और उसके इस हक का सम्मान आपको करना होगा।आपके बेटे से बिल्कुल भी कम मत आँकना मेरी बेटी की ज़िंदगी को, वो ऐसी ज़िन्दगी क्यों जिये जो उसकी नहीं है?..कभी भी ऐसा मत सोचियेगा की अब उसका कोई नहीं है, शादी के बाद बेटियां पराई हो जाती थी वो दिन भी अब पराये (पुराने)हो गए।मैं पिता हूँ उसका और जब जब उसे ज़रूरत होगी उसके साथ खड़ा रहूंगा। उसके पिता के घर के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे और वहाँ का आँगन हमेशा उसकी राह ताकता रहेगा।वो भी आपके परिवार की सदस्य है अब उसका स्वीकार वैसे ही करना जैसे आपने अपने बच्चों का किया है।उसे अकेला या परायेपन का एहसास ना हो इसका ध्यान रखना। क्योंकि मेरी बेटी स्वतंत्र ज़रूर है पर अकेली नहीं।वो हमारी ज़िंदगी का सबसे बड़ा अनमोल खज़ाना है,वो हमारी ज़िंदगी में खुशियां और प्यार लेकर आई है। वैसी ही खुशियाँ और प्यार वो आपके घर में भी बिखेरेगी ऐसे संस्कार दिए है मैंने। उसका सम्मान करना।क्योंकि जिस दिन मेरी बेटी की आँख में आँसू आये, उसका पिता सबकी आंखों से आँसू बहा देगा।#गुजरात के कवि श्री तुषार शुक्ल की लिखी हुई रचना का हिंदी अनुवाद ।
Thursday, 19 August 2021
Post no 3बहन की शादी को 6 साल हो गए हैं।मैं कभी उसके घर नही गया। होली दिवाली भइया दूज पर कभी-2 मम्मी पापा जाते हैं।मेरी बीवी एक दिन मुझे कहने लगी आपकी बहन जब भी आती है उसके बच्चे घर के हाल बिगाड़ कर रख देते हैं। ख़र्च डबल हो जाता है और तुम्हारी मां हमसे छुप, छुपाकर कभी उसको साबुन की पेटी देती है कभी कपड़े कभी सर्फ के डब्बे।और कभी कभी तो चावल का थैला भर देती है अपनी मां को बोलो ये हमारा घर है कोई ख़ैरात सेंटर नही। मुझे बहुत गुस्सा आया मैं मुश्किल से ख़र्च पूरा कर रहा हूँ और मां सब कुछ बहन को दे देती है। बहन एक दिन घर आई हुई थी उसके बेटे ने टीवी का रिमोट तोड़ दिया मैं मां से गुस्से में कह रहा था मां बहन को बोलो कि यहा भैयादूज पर आया करे बस।और ये जो आप साबुन सर्फ और चावल का थैला भर कर देती हैं ना उसको बन्द करें सब। मां चुप रही लेकिन बहन ने मेरी सारी बातें सुन ली थी, बहन कुछ ना बोली 4 बज रहे थे अपने बच्चों को तैयार किया और कहने लगी भाई मुझे बस स्टॉप तक छोड़ आओ मैंने झूठे मुँह कहा रह लेती कुछ दिन और लेकिन वह मुस्कुराई नही भाई बच्चों की छुट्टियां ख़त्म होने वाली है।फिर जब हम दोनों भाईयों में ज़मीन का बंटवारा हो रहा था तो मैंने साफ़ इनकार किया भाई मैं अपनी ज़मीन से बहन को हिस्सा नही दूँगा।बहन सामने बैठी थी।वह खामोश थी कुछ ना बोली मां ने कहा बेटी का भी हक़ होता है लेकिन मैंने गाली दे कर कहा कुछ भी हो जाये मैं बहन को हिस्सा नही दूँगा।मेरी बीवी भी बहन को बुरा भला कहने लगी। वह बेचारी खामोश रही।बड़ा भाई अलग हो गया कुछ वक़्त बाद।मेरे बड़े बेटे को टीवी हो गई मेरे पास उसके इलाज करवाने के पैसे नहीं थे में बहुत परेशान था, एक लाख रुपया कर्ज भी ले लिया था।मैं बहुत परेशान था कमरे में अकेला बैठा अपने हालात पर रो रहा था।उस वक़्त वही बहन घर आ गई मैंने गुस्से से बोला अब ये आ गई है मनहूस।मैंने बीवी को कहा कुछ तैयार करो बहन के लिए तो बीवी मेरी पास आ गई कोई ज़रूरत नही कुछ भी पकाने की इसके लिए।फिर एक घण्टे बाद वह मेरे पास आई भाई परेशान हो.? बहन ने मेरे सर पर हाथ फेरा बड़ी बहन हूँ तुम्हारी।अब देखो मुझसे भी बड़े लगते हो फिर मेरे क़रीब हुई अपने पर्स से सोने की कंगन निकाले मेरे हाथ में रखे और आहिस्ता से बोली पागल तू ऐसे ही परेशान होता है,ये कंगन बेचकर अपना ख़र्चा कर बेटे का इलाज करवा। शक्ल तो देख ज़रा क्या हालत बना रखी तुमने,मैं खामोश था बहन की तरफ देखे जा रहा था वह आहिस्ता से बोली किसी को ना बताना कि कंगन के बारे में तुमको मेरी क़सम है।मेरे माथे पे बोसा किया और एक हज़ार रुपये मुझे दिया जो सौ ,पचास के नोट थे शायद उसकी जमा पूंजी थी मेरी जेब मे डालकर बोली बच्चों को कुछ खाने के लिए ला देना परेशान ना हुआ कर।जल्दी से अपना हाथ मेरे सर पे रखा देख तेरे बाल सफ़ेद हो गए वह जल्दी से जाने लगी उसके पैरों की तरफ़ मैं देखा टूटी हुई जूती पहनी थी,पुराना सा दुपट्टा ओढ़ रखी थी जब भी आती थी वही दुपट्टा ओढ़ कर आती।हम भाई कितने मतलब परस्त होते हैं बहनों को पल भर में बेगाना कर देते हैं और बहनें भाईयों का ज़रा सा दुख बर्दाश्त नही कर सकती।वह हाथ में कंगन पकड़े ज़ोर ,ज़ोर से रो रहा था उसके साथ मेरी आँखें भी नम थी। अपने घर में #भगवान जाने कितने दुख सह रही होती हैं।कुछ लम्हा बहनों के पास बैठकर हाल पूछ लिया करें। शायद उनके चेहरे पे कुछ लम्हों के लिए एक सुकून आ जाये।बहनें मां का रूप होती हैं।😢 नोट। ये पोस्ट उन भाइयों के लिए है जिनकी #sister मर गई है।
Wednesday, 18 August 2021
Tuesday, 17 August 2021
Monday, 16 August 2021
_ननद ने अपनी भाभी को फोन किया और पूछा : भाभी मैंने राखी भेजी थी मिल गयी क्या आप लोगों को ???__भाभी : नहीं दीदी अभी नहीं मिली_ ._ननद : भाभी कल तक देख लो अगर नहीं मिली तो मैं खुद आऊंगी राखी लेकर_ ._अगले दिन भाभी ने खुद फोन किया : हाँ दीदी आपकी राखी मिल गयी है, बहुत अच्छी है Thank you Didi_._ननद ने फोन रखा और आँखों में आंसू लेकर सोचने लगी "लेकिन भाभी मैंने तो अभी राखी भेजी ही नहीं और आपको मिल भी गयी !!!"_._"""यह बहुत पुरानी कहानी कई जगह अब सच होने लगीं हैं दोस्तों कृपया अपने पवित्र रिश्तों को सिमटने और फिर टूटने से बचाएं क्योंकि रिश्ते हमारे जीवन के फूल हैं जिन्हें ईश्वर ने खुद हमारे लिए खिलाया है...__रिश्ते काफी अनमोल होते है इनकी रक्षा करे__बहन बेटी पर किये गए खर्च__से हमेशा फ़ायदा ही होता है__बहने हमसे चंद पैसे लेने नही बल्कि हमे बेसकिमति दुआएं देने आती है, हमारी बलाओं को टालने आती है, अपने भाई भाभी व परिवार को मोहब्बत भरी नज़र से देखने आती है__मायका एक बेटी के लिये_ _मायाजाल की तरह होता है। वह मरते दम तक इसे नही भूला पाती।_ _बाबुल का घर और बचपन की यादें शायद ही कोई बेटी भुला पाती होगी।_ _प्लीज एक बेटी को_ _एक बहिन हो__एक बुआ को__एक ननद को__उसके अधिकार से वंचित मत कीजिए।__उसे प्रेमपूर्वक आमंत्रित कीजिए।__आज ही फोन उठाइये और राखी के लिए इनवाइट कीजिए कि दीदी टाइम पर आ जाइएगा।_ _आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा।__आपके फोन का कमाल ये होगा कि दीदी अगले कुछ दिनों तक चिड़िया की तरह चहक उठेगी।_ _बेसब्री से मायके आने के सपने गुंदने में लग जाएगी।_ यकीन नही तो आप करके देखिए_ _।।।।।एक फोन।।।_ _आप दिल से ननद को बुलाने की तैयारी कीजिए। ईश्वर सब देखता है। एक फोन आपके पास भी आएगा।_ _आपके वजूद को महकाने के लिए।__आपके लबों पर मुस्कान लाने के लिए।__आपके बचपन मे ले जाने के लिए__बाबुल के घर बुलाने के लिए😑 हाँ,, बाबुल के घर,,__खुश रहिए_
Sunday, 15 August 2021
अहमियत-बीबी की.... ❤️सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते है, सुनो चाय लाओ,थोड़ी देर बाद फिर आवाज़, सुनो नाश्ता बनाओ,क्या बात है, अभी तक अखबार नहीं आया....जरा देखो तो,किसी ने दरवाजा खटखटाया,अरे आज बाथरूम में साबुन नहीं....•और देखो तो,तौलिया कितना गीला पड़ा है....अरे ये शर्ट का बटन टूटा गया जरा लगा दो....और मेरे मौजे कहाँ है, जरा ढूंढ के ला दो....•लंच के डब्बे में आलू के परांठे बनाये है ना,दो ज्यादा रख देना....देखो अलमारी पर कितनीधुल जमी पड़ी है....लगता है कई दिनों से डस्टिंग नही की है....गमले में पौधे सूख रहे है, क्या पानी नहीं डालती हो,दिन भर करती क्या हो बस गप्पे मारती हो....•शाम को डोसा खाने का मूड है, बना देना....बच्चों की परीक्षाये आ रही है, पढ़ा देना....•सुबह से शाम तक कर फरमाईशें नचाते है हम, चैन से सोने भी नहीं देते हम....ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती है.....एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता हैरोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त हो जाता हैआटे दाल का सब भाव पतापड़ जाता.....बीबी की अहमियत क्या है....🙌🏻😊ये पता चल जाता हैं....दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई, रात नींद को मनाने मे गुजर गई। जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं, सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई।हरि ऊँ 🙏🙏☺
Saturday, 14 August 2021
Friday, 13 August 2021
10 लाख का दहेज़5 लाख का खानाघड़ी पहनायीअंगूठी पहनाईमंडे का खानाफिर सब सुसरालियो को कपड़े देना ।बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजनाबेटी हो गई कोई सज़ा हो गई।और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता हैफिर कभी नन्द आ रही है, जेठानी आ रही हैकभी चाची सास आ रही है मामी सास आ रही है टोलीया बनाबना के आते हैं और बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सबको आला से आला खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से वेलकमकरती है फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जातेहै फिर मंगनी हो रही है बियाह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तयहो रहे है 500 लाए या 800बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता हैशाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरीवजह से कर्ज में डूबा हैभगवान के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बापअपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके।
।।नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।नागदेव फुफकारो आज कर दो दुष्टों का विनाश विगत वर्षों से निरंतर शोभा कुल की बढ़ाते नाग पंचमी के दिन हम नाम को दूध पिलाते हैं। देश में उपजे कई विकार मानवता पर किया प्रहार पाखंडियों का द्वार द्वार ,कर दो आज सर्वनाश । शिवजी तुमको ध्याते हैं हमको भी तुम भाते हो स्वप्न में कभी काल बनकर हरदम हमें सताते होलुका छुपी का खेल खेल में फिर ओझल हो जाते होहर लो सारे विष को आज कर दो विषाणु का विनाशसबसे कीमती नागमणि अपने कंठ में छुपाते होजब चाहे उसकी चमक से घूम घूम कर इठलाते हो एक बार फिर से जग में दूर करो यह अंधकार बिखेरो चारों ओर प्रकाशकर दो दुष्टों का विनाश
Thursday, 12 August 2021
Wednesday, 11 August 2021
Tuesday, 10 August 2021
Monday, 9 August 2021
#पति_पत्नी_एक_दूसरे_का_शोषण_करते_रहते_हैं । #OSHO सैकड़ो पति-पत्नियोँ को मैं जानता हूं, लेकिन ऐसे पति-पत्नी को मैंने नहीं देखा, जो एक-दूसरे पर क्रोध में न हों । उसका कारण है । होना स्वाभाविक है । क्योंकि जिस पर भी हम निर्भर होते है, उस पर क्रोध आता है । जिस पर भी हम निर्भर होते है, वह मालिक मालूम पड़ता है, हम गुलाम हो गए । और दोनों की यह प्रतीति है, क्योंकि दोनों ही निर्भर है । मालिक कोई भी नहीं, दोनों गुलाम है । और गुलाम की गुलामी, उस पर निर्भर रहना पड़ता है । और निर्भरता का एक-दूसरे पर वे शोषण करते है ।अक्सर अगर घर में विवाद हो, पत्नी जीत जाती है – चाहे गलत हो, चाहे सही हो – क्योंकि पति उस पर निर्भर है कामवासना के लिए । वह डरता है, व्यर्थ का विवाद खड़ा करो, वह कामवासना से इंकार कर देगी । झंझट करो, तो प्रेम मिलना मुश्किल हो जाएगा । और प्रेम चाहिए तो इतना सौदा करना पड़ता है । इसलिए अक्सर पति हार जाता है । और पत्नी जानती है । इसलिए दो ही मौके पर पत्नियां उपद्रव खड़ा करती है – या तो पति भोजन कर रहा हो, या प्रेम करने की तैयारी कर रहा हो । क्योंकि वही दो बातो पर वह निर्भर है । उन्ही दो बातों पर वह गुलाम है । इसलिए पति भोजन की थाली पर बैठा कि पत्नी की शिकायतें शुरू हो जाती है । उपद्रव शुरू हुआ । और पति डरता है कि किसी तरह भोजन… तो हां-हूं भरता है।और ध्यान रहे, भोजन और कामवासना दोनों जुड़े हैं । भोजन तुम्हारे अस्तित्व के लिए जरुरी है, व्यक्ति के; और कामवासना समाज के अस्तित्व के लिए जरुरी है । कामवासना एक तरह का भोजन है, समाज का भोजन । और वह व्यक्ति का भोजन है । दोनों बातों पर पति निर्भर है ।इसलिए बड़े से बड़ा पति, चाहे वह नेपोलियन क्यों न हो, घर लौटकर दब्बू हो जाता है । नेपोलियन भी जोसोफिन से ऐसा डरता है जैसे कोई भी पति अपनी पत्नी से डरता है । वह सब बहादुरी, युद्ध का मैदान, वह सब खो जाता है । क्योंकि यहां किसी पर निर्भर है । कुछ जोसोफिन से चाहिए, जो कि वह इंकार कर सकती है ।वेश्याएं ही अपने शरीर का सौदा करती है, ऐसा आप मत सोचना; पत्नियां भी करती है । क्योंकि यह सौदा हुआ कि इतनी बातों के लिए राजी हो जाओ, तो शरीर मिल सकता है; नहीं तो नहीं मिल सकता । शरीर चाहिए, तो इतनी बातों के लिए राजी हो जाओ ।इसलिए क्रोध पति का पत्नी पर बना रहता है । पत्नी का क्रोध पति पर बना रहता है । क्योंकि वह भी निर्भर है इस पर ।जहां भी निर्भरता है, वहां क्रोध होगा, वहां प्रेम नहीं हो सकता ।प्रेम तुम उसी दिन कर पाओंगे, जिस दिन तुम निर्भर नहीं हो । जिस दिन तुम स्वावलंबी हुए, प्रेम की दिशा में स्वावलंबी हुए । तुम अकेले भी हो सकते हो, और तुम्हारे आनंद में रत्तीभर फर्क नहीं पड़ेगा । बस, उस दिन तुम प्रेम कर सकोगे और उसी दिन पत्नी तुम्हारी तुम्हें सताना बंद करेगी । क्योंकि अब वह जानती है कि अब सताने का कोई अर्थ नहीं रहा, अब झुकाने का कोई उपाय नहीं रहा, निर्भरता समाप्त हो गई है ।#OSHOनहिं राम बिन ठांव, प्रवचन # १२
Sunday, 8 August 2021
Saturday, 7 August 2021
Thursday, 5 August 2021
Wednesday, 4 August 2021
Tuesday, 3 August 2021
ll #स्नेह_के_आँसू ll गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर से बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। "बीबी जी ! सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है?" सब्जी वाले ने चिल्लाकर कहा। "रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ।"उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली - "भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।""कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?" सब्जीवाले ने कहा। "नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है, उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।" महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी। "ओ बहन जी ! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ? सब्जी वाले हैं, कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।" और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा – "भैया ! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते, और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।" महिला ने कहा। "वाह..... ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो .... घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।" और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं। अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं || Is Mahamari Mein Ek dusre ka Sath den ❤️❤️❤️❤️ ✍️✍️✍️✍️ ❤️❤️❤️❤️thanks for reading...🙏🙏
आज की दुनिया में सबसे बड़ा अपराध किसी को पैसा उधार देना है। और उससे भी बड़ा अपराध अपना उधार दिया पैसा वापिस मांगना। आप पैसे मांगते ही तुंरत दुश्मन लगने लगते हो। इसलिए आप उतना ही पैसा किसी को उधार दीजिए जितने को आप भूल सको। क्योंकि रिश्ते, नाते, दोस्ती तभी रह सकती है जब आप दिए हुए पैसे वापिस नही मांगो। ये मेरी निजी व व्यक्तिगत राय है।
Monday, 2 August 2021
अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.***********************भले ही झगड़े, गुस्सा करे, एक दूसरे पर टूट पड़ेएक दूसरे पर दादागिरि करने के लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगेजो कहना हे, वह कह ले, जो करना हे, वह कर लेएक दुसरे के चश्मे और लकड़ी ढूँढने में, अन्त में हम दोनों ही होंगेमैं रूठूं तो तुम मना लेना, तुम रूठो ताे मै मना लूँगाएक दुसरे को लाड़ लड़ाने के लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगेआँखे जब धुँधली होंगी, याददाश्त जब कमजोर होंगीतब एक दूसरे को एक दूसरे मे ढूँढने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगेघुटने जब दुखने लगेंगे, कमर भी झुकना बंद करेगीतब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए,अन्त में हम दोनों ही होंगे"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नॉर्मल है, आइ एम आलराईटऐसा कह कर ऐक दूसरे को बहकाने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगेसाथ जब छूट जायेगा, बिदाई की घड़ी जब आ जायेगीतब एक दूसरे को माफ करने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगे......
Sunday, 1 August 2021
'दोस्त' दोस्त तुम मेरे दोस्त हमेशा ही रहना, सुख हो या दु:ख तुम साथ मेरे चलना।कभी ज़िंदगी में धूप भी आएगी, तुम उस धूप में छावं मेरी बनना।रिश्तों की डोर भले छोटी हो, पर मजबूत दोस्ती का रिश्ता दोनों तरफ से रखना ।तुम हमेशा मेरे सच्चे दोस्त रहना, मैं पास रहो या दूर ये भेद न करना ।दुनियां कहती हैं और कहेगी, पर तुम बिलकुल रंज न करना।दोस्ती हमारी पक्की है और पक्की रहेगी, दोस्ती सच्ची है इसमें शक न करना ।कहते हैं दुनिया में भगवान ने हर रिश्ता बना दिया, पर दोस्ती एक एेसा रिश्ता हैं, जिसे हमें भगवान ने हमें खुद बनाने के लिए छोड़ दिया ।दोस्ती में अवगुण ओर दुर्गुण नही देखे जाते, दोस्त तो वह है जो हर मुश्किल में आगे आते हैं ।दोस्ती न अमीरी ना गरीबी देखती हैं, दोस्ती में न उम्र और न ही कॉसट होती हैं ।दोस्ती हो सच्ची तो अपनी ही होती हैं, दोस्ती तो भगवान के लिए भी एक मिसाल होती हैं ।अजी.........जैसे कृष्ण ओर सुदामा.......... 🌹🌹 मानवी
एक बेटे के अनेक मित्र थे, जिसका उसे बहुत घमंड था। उसके पिता का एक ही मित्र था, लेकिन था सच्चा । एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त है, उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते है। बेटा सहर्ष तैयार हो गया। रात को 2 बजे दोनों, बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे।बेटे ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा नहीं खुला, बार-बार दरवाजा ठोकने के बाद दोनो ने सुना कि अंदर से बेटे का दोस्त अपनी माताजी को कह रहा था कि माँ कह दे, मैं घर पर नहीं हूँ।यह सुनकर बेटा उदास हो गया, अतः निराश होकर दोनों घर लौट आए।फिर पिता ने कहा कि बेटे, आज तुझे मेरे दोस्त से मिलवाता हूँ।दोनों रात के 2 बजे पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई। उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूँ। जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपये की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, यह क्या है मित्र। तब मित्र बोला....अगर मेरे मित्र ने दो बजे रात्रि को मेरा दरवाजा खटखटाया है, तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है, या तो रुपये पैसे की या किसी से विवाद हो गया हो। अगर तुम्हें रुपये की आवश्यकता हो तो ये रुपये की थैली ले जाओ और किसी से झगड़ा हो गया हो तो ये तलवार लेकर मैं तुम्हारें साथ चलता हूँ। तब पिता की आँखे भर आई और उन्होंने अपने मित्र से कहा कि, मित्र मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं, मैं तो बस मेरे बेटे को मित्रता की परिभाषा समझा रहा था।ऐसे मित्र न चुने जो खुद गर्ज हो और आपके काम पड़ने पर बहाने बनाने लगे !!*अतः मित्र, कम चुनें, लेकिन नेक चुनें।*********************सभी बेशकीमती दोस्तों की दोस्ती को समर्पित... 🙏Jai Shri Krishna🙏
एक बेटे के अनेक मित्र थे, जिसका उसे बहुत घमंड था। उसके पिता का एक ही मित्र था, लेकिन था सच्चा । एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त है, उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते है। बेटा सहर्ष तैयार हो गया। रात को 2 बजे दोनों, बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे।बेटे ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा नहीं खुला, बार-बार दरवाजा ठोकने के बाद दोनो ने सुना कि अंदर से बेटे का दोस्त अपनी माताजी को कह रहा था कि माँ कह दे, मैं घर पर नहीं हूँ।यह सुनकर बेटा उदास हो गया, अतः निराश होकर दोनों घर लौट आए।फिर पिता ने कहा कि बेटे, आज तुझे मेरे दोस्त से मिलवाता हूँ।दोनों रात के 2 बजे पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई। उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूँ। जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपये की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, यह क्या है मित्र। तब मित्र बोला....अगर मेरे मित्र ने दो बजे रात्रि को मेरा दरवाजा खटखटाया है, तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है, या तो रुपये पैसे की या किसी से विवाद हो गया हो। अगर तुम्हें रुपये की आवश्यकता हो तो ये रुपये की थैली ले जाओ और किसी से झगड़ा हो गया हो तो ये तलवार लेकर मैं तुम्हारें साथ चलता हूँ। तब पिता की आँखे भर आई और उन्होंने अपने मित्र से कहा कि, मित्र मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं, मैं तो बस मेरे बेटे को मित्रता की परिभाषा समझा रहा था।ऐसे मित्र न चुने जो खुद गर्ज हो और आपके काम पड़ने पर बहाने बनाने लगे !!*अतः मित्र, कम चुनें, लेकिन नेक चुनें।*********************सभी बेशकीमती दोस्तों की दोस्ती को समर्पित... 🙏Jai Shri Krishna🙏
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