Monday 30 August 2021

#मौली क्या है,क्यों है इसका इतना धार्मिक महत्व"=======================➡️ मौली/कलावा बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है,इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।➡️ "मौली" का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी कई प्रकार हैं। शिवजी के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।➡️मौली बांधने का मंत्र :-‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’ ➡️कैसी होती है मौली:-मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।➡️मौली बांधने के नियम :-शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, अक्षत/चावल लेकर उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।➡️विज्ञान के मतानुसार फायदे:-शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों तक पहुँचने वाली ज्यादातर नसों में से कुछ नसें कलाई से होकर गुजरती है और कलाई पर कलावा बाँधने से इन नसों को नियंत्रण में करने में काफी मदद मिलती है। इससे त्रिदोष को दूर करने में मदद ली जा सकती है । इसके अलावा कलाई पर मौली या कलावा बांधने से रक्त चाप संबंधी समस्या, मधुमेह, हृदय रोग और लकवा जैसे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या दूर करने में फायदा हो सकता है।➡️ मौली का प्रयोग वाहन, बही खाता, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर करने से काफी लाभ लिया जा सता है। इसके अलावा मौली से बनी सजावट की वस्तुएं भी घर में रखने से सुख शांति में वृद्धि होने लगती है।➡️कब बांधी जाती है मौली:-पर्व-त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें।