Monday, 31 January 2022

*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे।*मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है।*मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।*मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"।*पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।*अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।*

जंगल कट रहा था लेकिन सारे पेड़ कुल्हाड़ी को वोट दे रहे थे क्योंकि पेड़ सोच रहे थे कि कुल्हाड़ी में लगी लकड़ी उनके समाज की है....

जरूरी नहीं है कि काम से ही इंसान थक जाए ... कुछ ख्यालों का बोझ भी, इंसान को थका देता है।

Sunday, 30 January 2022

पापी इंसान को डर रहता है किभगवान देख रहा है; सच्चे इंसान का भरोसा है कि भगवान देख रहा है।

बेचारा पपीता इकलौता ऐसा फल है ...जो अखबार की खबरें पढ़ पढ़ कर ही पक जाता है...!!!

अपमान करना किसी के स्वभाव में हो सकता है, पर सम्मान करना हमारे संस्कार में होना चाहिए. !! जिंदगी में इतनी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार, कि परदा गिरने के बाद भीतालियाँ बजती रहे

किसी के साथ बुरा करना वो कर्ज है, जो रब आपको दोगुना करके वापिस देता है वो भी ब्याज के साथ..

मेरे अंदर सबसे बड़ी कमी यही है... कोई अगर एक बार अच्छे से मुझसे बात क्या कर ले मैं उसे बहुत अच्छा समझने लगता हूँ ।

चार दिन गायब हो कर देख लो लोग आपका नाम तकभूल जाएंगे,,,इंसान सारी जिंदगी इस धोखे मेंरहता है कि वह सभी लोगों केलिए अहम है,,लेकिन हकीकत यह होती है कि आपके होने और ना होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता...!!

Wednesday, 26 January 2022

खुबसूरती उसमें नहीं है की हम कैसे दिखते हैं, बल्कि खुबसूरती उसमें है की हम औरों के प्रति व्यवहार कैसा करते हैं ।

रोज़ ऐसे ही कई अधुरे काम के कारण हम औरते मरना टाल देती हैं....😢🤣🤣 एक गृहणी की कलम से:- 🤣🤣शाम से ही मेरे सीने में बायीं तरफ़ हल्का दर्द था। पर इतने दर्द को तो औरतें चाय में ही घोलकर पी जाती हैं। मैंने भी यही सोचा कि शायद कोई झटका आया होगा और रात के खाने की तैयारी में लग गई। किचन निपटाकर सोने को आई तो पति को बताया। पति ने दर्द की दवा लेकर आराम करने को कहा। साथ ही ज़्यादा काम करने की बात बोलकर मीठी डॉंट भी लगाई।देर रात को अचानक फिर दर्द बढ़ गया था। साँस लेने में भी तकलीफ़ सी होने लगी थी। “कहीं ये हार्ट अटैक तो नहीं !” ये विचार मन में आते ही मैं पसीने से भर उठी।“हे भगवान! पालक-मेथी तो साफ़ ही नहीं किए, मटर भी छिलने बाक़ी थे। ऊपर से फ़्रीज़ में मलाई का भगोना भी पूरा भरा रखा हुआ है,आज मक्खन निकाल लेना चाहिए था। अगर मर गई तो लोग कहेंगे कि कितना गंदा फ़्रीज़ कर रखा था। कपड़े भी प्रेस को नहीं डाले। चावल भी ख़त्म हो रहे हैं, आज बाज़ार जाकर राशन भर लेना चाहिए था। मेरे मर जाने के बाद जो लोग बारह दिनों तक यहाँ रहेंगे, उनके पास तो मेरे मिसमैनेजमेंट के कितने सारे क़िस्से होंगे।अब मैं सीने का दर्द भूलकर काल्पनिक अपमान के दर्द को महसूस करने लगी। “नहीं भगवान! प्लीज़ आज मत मारना। आज ना तो मैं तैयार हूँ और ना ही मेरा घर।” यही प्रार्थना करते-करते मैं गहरी नींद में सो गई। सुबह फिर गृहकार्य में लग गई।🐦 This is real responsibility of a lady.🐦 🐦 *चैन से मर भी नहीं सकती।* 🐦 सभी गृहणियों को समर्पित।

*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे।*मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है।*मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।*मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"।*पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।*अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।*

*चल सखी*चल सखी, कहीं चलते हैं,हम मिलकर कहीं चलते हैं।पति का ऑफ़िस, बड़ों की सेहत,और पढ़ाई बच्चों की,थोड़ी देर के लिए भूलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। कुछ ग़म, कुछ रोज़ाना के टेंशन,बोरिंग सा रूटीन,इनके जाले तोड़कर,ज़िंदगी में आगे निकलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। रात भर जागेंगे,बिंदास, बिना बात हँसेंगे,यादें मीठी संजोएंगे,और हाँ, करके दुखड़े हल्के,रुमाल भी भिगोएंगे,सबसे जाकर दूर, अब ख़ुद से मिलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। अचानक क्यों आया मटरगश्ती का यह ख़याल,क्योंकि कल देखे सिर पर चार सफ़ेद बाल,बुढ़ापा देने लगा है दस्तक,अब बुढ़ापे के मुँह पर,ज़ोर से दरवाज़ा बंद करते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। तुम सहेलियाँ ही तो मेरी पूँजी हो,हर हाल में जो बेफ़िक्र करे,‌ वह कुँजी हो,ज़िम्मेदारियों ने ज़िंदादिली को बंद किया है ताले में,उस ताले को हम मिलकर तोड़ते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। हम औरतें हैं,अपनों के लिए जीती हैं,और उनपर ही मरती हैं,दो दिन ही सही, अपने लिए जीते हैं,चल सखी, कहीं चलते हैं। हमारी दोस्ती दमदार है,हमारे ठहाकों को ग़म भी ठिठक कर देखने लगता है,परेशानियों की छाती पर मिलकर मूँग दलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। बहुत ठंड जमी है अपने वजूद पर,चलो दोस्ती की धूप में निकलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं।

❤💝❤Prem❤ Love❤Pyaar❤💝❤पुरुषों ने प्रेम में ताजमहल बनायापहाड़ तोड़े और पत्थर खायाऔर फिर पूछा गया कि प्रेम में स्त्री ने बताओ क्या बनाया.....स्त्री ने न कोई ताज महल बनायान कभी अपने प्रेम को रखा किसी नुमाइश का सरमायापर हां पहाड़ों से दिन तोड़े विरह मेंऔर तानों का पत्थर भी खायापर इन सबसे पहले उसने ही खुद इस धरा पर प्रेम रचायाऔर खुद को प्रेम के हर रूप मेंफिर सबको ढलकर दिखलायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....फिर कभी राधा बन विरह सह गयीइक ग्वाले को अपना कृष्ण बनायाप्रेम में ही फिर सीता बन कर अपना अग्निपरिक्षण करवायासती सावित्री बनकर कभी उसनेपति को यमदूत से भी छुड़ायाहां,पर उसने कभी प्रेम में अपने कोई ताजमहल नही बनाया.....जब बनी प्रेम में सोहनी कभी तोकच्चे पर ही खुद को तैरायालैला बन गलियों में खुद को पत्थरों से भी था पिटवायामीरा बनकर तो उसने देखोजोग में ही अपना प्रेम रचायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नही बनायाबात आई जब पुत्री प्रेम की तोपिता की खातिर अपना घर छोड़किसी और का आंगन सजायाऔर बनकर बहन जब आई सामनेतो अपना सब हक अधिकार भीअपने भाई के नाम लिखवायाघर की इज्जत मान रखने को उसनेअपना हर सपना दफनायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....अब बात करूं जो सबसे सच्चे प्रेम कीमाँ की ममता को ही मैंने तो इस दुनियांसर्वोपरी निस्वार्थ प्रेम है पायाअपनी संतान के सुख की खातिर जबइक माँ ने खुद को दूजा जन्म दिलायापर राष्ट्रप्रेम के लिए तो पन्ना बन गईऔर खुद ही अपना लाल मरवायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....स्त्री ने ही तो रचा प्रेम को जग मेंप्रेम के हर रूप में ही बसस्त्री धुर तक समाई हैकोई ताजमहल क्या कर लेगाबराबरी कभी उसकी जोइबारत प्रेम में स्त्री ने बनाई है.....

Monday, 24 January 2022

छोटी सी जिंदगी है, किस किस को खुश करें साहबजलाते हैं ग़र चिराग़, तो अंधेरे बुरा मान जाते हैं!

यदि आप उड़ नही सकते तो दौड़ो, यदि दौड़ नहीं सकते तो चलो, यदि चल भी नहीं सकते तो रेंगते हुए चलो, लेकिन हमेशा आगे बढ़ते रहो।

यदि आप उड़ नही सकते तो दौड़ो, यदि दौड़ नहीं सकते तो चलो, यदि चल भी नहीं सकते तो रेंगते हुए चलो, लेकिन हमेशा आगे बढ़ते रहो।

उम्र से कोई लेना देना नहीं होता , जहां विचार मिलते हैं वहां सच्ची दोस्ती होती है। याद रखिये समझ... ज्ञान से ज्यादा गहरी होती है। बहुत से लोग आपको जानते हैं ,परंतु कुछ ही हैं जो आपको समझते हैं।

चेहरे के रंग देखकर दोस्त ना बनाना दोस्तों..तन का काला चलेगा लेकिनमन का काला नहीं..

"बुद्धिमान इंसान"Hi आपका दिमाग खोलता है "सुंदर इंसान"आपकी आँखें खोलता है।लेकिन.."प्यार करनेवाला इंसान"आपका हृदय खोल देता हैं।

Sunday, 23 January 2022

दान करने से रुपया जाता है! "लक्ष्मी" नहीं!...घड़ी बंद करने से घडी बंद होती है! "समय" नहीं...झूठ छुपाने से झूठ छुपता है! "सच" नहीं ।

When you find no solution to a problem, it's probably not a problem to be solved...but rather a truth to be accepted.

किस्मत करवाती है कटपुतली का खेल जनाब! वरना, ज़िन्दगी के रंगमंच पर कोई भी कलाकार कमज़ोर नहीं होता!! मिट्टी के दीपक सा है ये जीवन. तेल खत्मखेल ख़त्म |

दुष्ट इंसान की मीठी बातों पर कभी भरोसा मत करो, वो अपना मूल स्वभाव कभी नहीं छोड़ सकता, जैसे शेर कभी हिंसा नहीं छोड़ सकता..

उलझी पड़ी है जिंदगी इन रेल की पटरियों की तरह!! रास्ते बहुत हैं पर… समझ नहीं आ रहा है, चलना किस पे है।।

जिस प्रकार एक धूप जलानेसे पूरे घर में खुशबू फैल जाती है... उसी प्रकार परिवार का यदि एक व्यक्ति भी भगवान् की भक्ति से जुड़ जाये , तो इसका असर पूरे परिवार पर हो जाता है।

Saturday, 22 January 2022

इतनी 'खामोशियां' क्यों होती है तेरी 'आगोश' मे.. 'ऐ कब्र' 'लोग' तो 'अपनी' 'जान' देकर 'तुझे' 'आबाद' किया करते हैं।

जीत किसके लिए...हार किसके लिए ... ज़िंदगी भर की ये तकरार किसके लिए ...जो भी आया है वो जाएगा एक दिन ... फिर इंसान को इतना अहंकार किसके लिए।

जब अपनों का साथ हो तो,बुरे से बुरा वक्त भी जल्दी कट जाता है।

कड़वा सत्य..किसी भी व्यक्ति कोज्यादा सुधारने कीकोशिश करोगे तो वोआपका ही दुश्मन बनजायेगा..

कभी कभी दिमाग कहता है कि लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करूँ जैसा वो हमारे साथ करते हैं, लेकिन फिर दिल कहता है की अगर हम भी उनके जैसे बन गए तो उनमें और हम में फर्क क्या रह जाएगा..।

Friday, 21 January 2022

इतनी 'खामोशियां' क्यों होती है तेरी 'आगोश' मे.. 'ऐ कब्र' 'लोग' तो 'अपनी' 'जान' देकर 'तुझे' 'आबाद' किया करते हैं।

दूसरों पर निर्भर रहने वाले लोग कभी खुश नहीं रह पाते हैं। इसलिए इस लायक बनिए कि अपनी जरूरतों और इच्छाओं को खुद पूरा कर सकें।

CONTROLLERS, ABUSERS AND MANIPULATIVE PEOPLE DON'T QUESTION THEMSELVES. THEY DON'T ASK THEMSELVES IF THE PROBLEM IS THEM. THEY ALWAYS SAY THE PROBLEM IS SOMEONE ELSE.

CONTROLLERS, ABUSERS AND MANIPULATIVE PEOPLE DON'T QUESTION THEMSELVES. THEY DON'T ASK THEMSELVES IF THE PROBLEM IS THEM. THEY ALWAYS SAY THE PROBLEM IS SOMEONE ELSE.MEDIAWEBAPPS.COMDARLENE QUIMET

अच्छाई' और 'सच्चाई'चाहे पूरी दुनिया मे ढूंढ लो अगर खुद मे नहीं है तो कहीं नहीं मिलेगी,।

Thursday, 20 January 2022

ऐ मेरे मलिक !!! आशीर्वाद की वर्षा करते रहो ! खाली झोलियां सबकी भरते रहो ! तेरे चरणों में सर को झुका ही दिया हैं। गुनाहों की माफ़ी और दुःखों को दूर करते रहो

सत्य हमेशा पानी में तेल की एक बूंद के समान होता है.....आप कितना भी पानी डालें वह हमेशा ऊपर ही तैरता है। इसलिए सच्चाई और सच्चे संबंध हमेशा कायम रहता है।

कभी कभी "गुस्सा" मुस्कुराहट से भी ज़्यादा 'स्पेशल' होता है,क्योंकि "स्माइल" तो सबके लिए होती है, मगर "गुस्सा" सिर्फ उसके लिए होता है, जिसे हम कभी भी "खोना" नहीं चाहते ।

तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया है यही रह जाना है!कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ वही तेरे जाना है! रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं, लेकिन मुस्कुराने से, पराये भी अपने हो जाते हैं! रिश्ते हमेशा वो ही पसन्द आते हैं, जिनमें "मै" नही "हम" हो !! इन्सानियत दिल में होती है, हैसियत मे नहीं, ऊपर वाला कर्म देखता है, वसीयत नहीं••

सिर्फ धोखा देना ही धोखा नहीं होता...बल्कि किसी के साथअपनेपन का नाटक करना उससे भी बड़ा धोखा होता है !!

मौतमौत का भी समय बदल गया ना तुलसी, ना गंगाजल ना किसी के कंधे का सहारा ना कोई विश्राम, ना राम राम बस सीधा पैकिंग ओर शमशानकडवा सचमाटी का संसार है, खेल सके तो खेल बाज़ी रब के हाथ है, पूरा विज्ञान फेलभगवान दुनिया का सबसे बड़ा डॉक्टर है

किसी का अहसान कितना ही छोटा हो उसे कभी मत भूलना... और अपना अहसान कितना ही बड़ा हो उसे कभीमत जताना..।

जवाब तो हर बात का दिया जा सकता है... मगर जो रिश्तों की अहमियत ना समझ पाया वो शब्दों को क्या समझेगा ।

Tuesday, 18 January 2022

आखिर मरता कौन है?बड़ा ही अजीब है ये सवाल, कि आखिर मरता कौन है। वो जो चुप चाप सो जाता है हमेशा के लिए, या फिर वो जिसकी रातों की नींद मर जाती है उसकी याद में।बड़ा ही अजीब ये सवाल है कि आख़िर मरता कौन है। वो जो अग्नि में जलाया जाता है, या फिर वो जो अपनी आंखों में उसको देखने की तड़प लिए जीता है।जाने वाला तो चला जाता है मरता वो नही है उसको तो मुक्ति मिलती है। मरता तो वो है जो उसके बिना जीता है। अब बताओ मरता कौन है। जाने वाला या फिर उसके बगैर जीने वाला।जाने वाला तो चला गया सब रिश्तों को तोड़ के, लेकिन जीने वाला अब भी आंसुओ को पी के रिश्ते निभाता है। जाने वाला नही मरता है मरता तो जीने वाला है।

ठण्ड इतनी है की लगता है सूरज की मम्मी ने भी उसको बहार निकलने से मना कर दिया है ।

जब दर्द सहने की आदत हो जाती है.. तो आंसू आना खुद ही बंद हो जाते हैं..।

Thursday, 13 January 2022

14 ਜਨਵਰੀ 2022ਸ਼ੁੱਕਰਵਾਰ (1 ਮਾਘ)ਪ੍ਰਮਾਤਮਾ ਕਰੇ ਅੱਜਮਾਘ ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਸੰਗਰਾਂਦਆਪ ਸਭ ਲਈ ਖੁਸ਼ੀਆਂਭਰਿਆ ਮਹੀਨਾ ਲੈ ਕੇ ਆਵੇ

ॐ सूर्याय नमःजय सुर्यदेवकल दिनांक 14 जनवरी को मकर संक्रांति है। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना का दिन है जब सूर्य के धनु राशि से मकर राश‌ि में प्रवेश के साथ उसकी दक्षिण से उत्तर दिशा में गति का आरंभ होता है। हमारा भारत पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में है। साल के छह महीने दक्षिणायन अर्थात दक्षिणी गोलार्द्ध में होने के कारण सूर्य हमसे दूर होता है। तब यहां रातें बड़ी, दिन छोटे, प्रकाश कम और मौसम सर्द होता है। मकर संक्रान्ति के दिन छह महीनों के लिए सूर्य के पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश अर्थात उत्तरायण होने के साथ रातें छोटी, दिन बड़े, प्रकाश प्रखर और मौसम गर्म होने लगता हैं। दक्षिणायन को हमारे शास्त्रों में देवताओं की रात्रि अर्थात अशुभ और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानी शुभ माना गया है। हमें अपने जीवनदायी सूर्य का हर रूप, हर गति, हर अंदाज प्यारा है। शुभ है। सूर्य की स्थित में एक और बदलाव के साथ मकर संक्रांति हमारी प्रकृति में एक और ऋतु परिवर्तन के आरंभ का उद्घोष है। ऋतुराज बसंत की आहटें महसूस करने का दिन। आज के दिन के लिए हम अपनी पवित्र नदियों का जल अर्पित कर सूर्य का आभार प्रकट करते हैं। रंग-बिरंगे पतंगों के साथ आकाश नापने की कोशिशें करते हैं। नए कृषि उत्पादों के भोग के साथ नए मौसम का स्वागत करते हैं। दही-चूड़ा-गुड़, लाई, तिलकुट,चिक्की और खिचड़ी। अपनी प्रकृति के हर रंग, हर परिवर्तन को उत्सव में बदल देना हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है।आप सबको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !2022 ,14 jan

स्वीकार करने की हिम्मत और सुधार करने की नियत हो तो इंसान बहुत कुछ सीख सकता है

लोहड़ी: ‘ईशर आए दलिदर जाए, दलिदर दी जड़ चूल्हे पाए’

पैसा और लोग दोस्ती और रिश्तेदारी में उतने ही पैसे उधार दो जितने भूल जाने की औकात हो वरना दोस्त और रिश्तेदार दोनों खो दोगे।

जिस व्यक्ति को आपके रिश्तों की कदर नहीं है, उसके साथ खड़े होने से र अच्छा, अकेले खड़े रहना है...!! यह अभिमान नहीं स्वाभिमान है।

Wednesday, 12 January 2022

इंसान वो लड़ाई कभी नहीं जीत सकता,जिसमे दुश्मन उसके खुद के अपने हों...

सिर्फ धोखा देना ही धोखानहीं होता...बल्कि किसी के साथअपनेपन का नाटक करना उससे भी बड़ा धोखा होता है !!

चलते चलते पता ही न चला, ज़िन्दगी के सफर में कब अपने ख्वाबों से इतनी दूर चले गए ...जीते रहे जिन अपनों की खातिर उम्र भर...वक़्त पड़ते ही हाथ छोड़ चले गए।

लोग इत्तेफ़ाक़ से सिर्फ मिलते हैं बिछड़ते सब अपनी मर्जी से ही हैं

इंसान मुसीबतों से नहीं हारता वो उस समय हार जाता है जब मुसीबतों में अपने साथ छोड़ देते है..

Sunday, 9 January 2022

At the end of life, what really matters is not what we bought, but what we built; not what we got, but what we shared; not our competence, but our character; and not our success, but our significance. Live a life that matters. Live a life of love.

हमें लोग Hurt नहीं करतेबल्कि हमेंवो उम्मीदें Hurt करती हैं जो हम लोगों से रखते हैं.!

मोदी सरकार का बड़ा फैसला श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर मोदी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हर वर्ष 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है।

कौन कहता है कि बेटियां परायी हैंरसोई की "महक" और मां की "चहक" सेपड़ोसी भी जान जाते हैं"घर में बेटी आयी हुई है

चिड़ियों संग मैं बाज़ लडाऊ सवा लाख से 1 लडाऊ, तब गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ!मानवता व धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सिखों के दसवें गुरु, महान योद्धा एवं खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

आप जितनी संजीदगी सेरिश्ते निभायेंगे,लोग उतनी ही शिद्दत से आपकादिल दुखायेंगे।

Saturday, 8 January 2022

साहिब ए कमाल दशमेश पिता शाह ए शहंशाह धन धन गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व की लाखों बधाई जी।🙏🏼💐#HappyGurpurab ji. सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊंसिख धर्म के दसवें गुरु एवं खालसा पंथ के संस्थापकगुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर शत-शत नमन🙏💐💐"Sach Kaho Sun Leho Sabhe; Jin Prem KioTin Hee Prabh Paio!

आज भी याद आता है स्कूल का वो आखिरी एग्जाम, कई चेहरे नहीं दिखे उस दिन के बाद !

दुनिया का अंत देखो कैसे हो रहा है राजनीति में कानून खत्म, स्कूलों में पढ़ाई खत्म, अस्पतालों में आक्सीजन खत्म, और सब से ज्यादा परिवारों में रिश्ते खत्म....

अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,, सब को मंजिल का शौक है और मुझे सही रास्तों का ..ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है। बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे लोग खामोश है..!

Thursday, 6 January 2022

कल न हम होंगे न गिला होगा। सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा। जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें, जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।

यूँ तो चमचा कहकर,हर कोई चमचे का मजाक उडा देता है,पर वो क्या जानता नहीं,चमचा किस-किस काम आता है,गर चमचा न हो तो,गरमा-गर्म दाल में हाथ कौन डाले,गर चमचा न हो तो,कड़वी दवाई को कौन झेले,चमचा ही तो हर गर्मी को ठंडा कर देता है,चमचा ही तो हर तकलीफ को सहन कर लेता है,देखो चमचा कैसे गर्म दूध में चला जाता है,चावल को मिलाकर खीर पकाकर लाता है,गर चमचा न होता तो, कितनों के हाथ जल गए होते,गर चमचा न होता तो,कितनों को छाले पड़ गए होते,सोचो चमचा की तपस्या कितनी है,सोचते उसमें जान न उतनी है,कैसे बिलकुल निढाल रहता है,तुम्हारी ढाल बनके रहता है,आग में, पानी में, दूध में,चमचा ही तो तपता है,तेरा ही तो ख्याल रख के,हर चीज़ लाकर देता है,चमचा गर्मी, ठंडक झेल लेता है,चाय में डालो की, आइश्क्रीम में,तुम्हें न कुछ अहसास होने देता है,अपनी भावनाओं को संभाल लेता है,चमचे की तपस्या, बहुत बड़ी है मेरे यार,उसी तपस्या से तप-तप कर, तभी तो पाया प्यार,तभी तो खाना बनानेवाली, चमचे को खुशी से चूम लेती है,क्योंकि इसी से, अपनी उंगलियाँ बचा लेती है,चमचा है, बड़े काम की चीज़,पर पता नहीं लोग क्यों करते हैं, खीज,किसी को किसी का चमचा बनते देख,क्यों वो उसमें निकालते मीन और मेख,चमचा बनना, न इतना आसान है,हर मुसीबत झेलना, न इतना आसान है,अपने अरमानों को मारना, न इतना आसान है,अपने-आपको खो देना,न इतना आसान है,चुप वो रहता है, सहता है सब,गर्मी हो, ठंडक हो, सबको देता है, सब,उसकी तपस्या पे गौर करो,हर काम वही तो कर लाता है,तुम्हारे हाथ से पहले,वही तो तुम्हारे मुँह में जाता है,तभी तो चमचे, बड़ों के मुँह लगे होते हैं, इस आदत से पले होते हैं,दूर इनको कैसे करोगे,ये तो बड़े भले होते हैं,चमकता है जो चम-चम,तभी तो वह है चमचा,उसकी चमक, उसकी दमक से है,तभी तो वह है चमचा,अब तो, चमचो की, आदत-सी हो गयी है,न जाने, उंगलियाँ, कहाँ खो गयी हैं,हमें जिन्दगी के, अहसास का क्या पता,हमें न आग की, तपिस का पता,न हमें पानी की, ठंडक का पता,हमें शहद की, चिपचिपाहट का क्या पता,हमें अचार की, चिरपिराहट का, क्या पता,हर चीज़ हम, चमचे से निकालते हैं,उसी चमचे को, मुँह में डालते हैं,हाथों की उँगलियों को, संभाल रखा है,तभी तो हमने चमचा, पाल रखा है,चमकती है,जिसकी चाम,चमकाता है जो,दूसरों की चाम,Lucky Charm है,जो दूसरों के लिए,उसे ही चमचा,बनाया जाता है,चमकती + चाम = चमचाचाम = Charm = चर्मइसलिए चमकते चमचे से,चीजें मुँह में डालते हैं,वस्तु एवं मुँह में चमचे से,संतुलन को साधते हैं ।अंग्रेजों की यही खाशियत है,छुरी-काँटे से खाते हैं,चमचों से दूरी बनाते हैं,कार्य ईमानदारी से कराते हैं । --- ध्यानाचार्य--- शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई ?--- पुस्तक से साभार

जीवन और मृत्यु दो कपाटजीवन और मृत्यु सांसारिक कपाटहैजन्म से शुरू हुई यात्रा मौत पर समाप्त हैजन्म ज्ञात है ,तो मृत्यु अज्ञात हैजन्म नवप्रभात है मृत्यु घोर रात है।। मृत्यु जन्म से बंधी अटूट डोर है जन्म एक छोर है तो मृत्यु दूसरा छोर है जन्म हर्षोल्लास मृत्यु अंतिम श्वास जन्म मधुर राग ,मृत्यु हाहाकार।।मृत्यु नहीं होती तो ...........ईश्वर का अस्तित्व ना होताकभी नहीं करता इंसानअपने प्रारब्ध वाद से समझौता।। ईश्वर प्रतीक है ,प्रमाण और विश्वास है इंसान की लाचारी का मृत्यु अटल है ,सत्य है, तभी तो जाता है वह ईश्वर की शरण में।।जीवन और मरण परस्पर साम्य हैमृत्यु से ही मिला जीवन कोसौंदर्य अपार है,एक रूपवान है ,तो दूसरा महा विधान है तो कैसी फिक्र करें ओ मन सबको एक दिन चिर निंद्रा में सोना है मिट्टी का तन है ,मिट्टी का होना है एक कपाट से आए थे दूजे कपाट से जाना है।। स्वरचित मौलिक रचना सुधा शुक्ला

Saturday, 1 January 2022

#अरदास "नानक नाम चडदीकला तेरे भाने सरबत दा भला " 🙏🏻🌹🙏🏻वाहेगुरु जी 🙏🏻🌹🙏🏻आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं *जिंदगी का सार*एक दिन स्कूल में छुट्टी होने के कारण एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया । वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा ।उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास दबा कर रख देते हैं ।फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उस से रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा.. कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?पापा ने कहा - बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं ,आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया । शिक्षा उत्तर था- बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है ।यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं..!!*सदैव प्रसन्न रहिये।**जो प्राप्त है-पर्याप्त है।* 🙏🏻🌹वाहेगुरु जी 🌹🙏🏻