Monday, 31 January 2022
*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे।*मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है।*मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।*मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"।*पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।*अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।*
Sunday, 30 January 2022
Thursday, 27 January 2022
Wednesday, 26 January 2022
रोज़ ऐसे ही कई अधुरे काम के कारण हम औरते मरना टाल देती हैं....😢🤣🤣 एक गृहणी की कलम से:- 🤣🤣शाम से ही मेरे सीने में बायीं तरफ़ हल्का दर्द था। पर इतने दर्द को तो औरतें चाय में ही घोलकर पी जाती हैं। मैंने भी यही सोचा कि शायद कोई झटका आया होगा और रात के खाने की तैयारी में लग गई। किचन निपटाकर सोने को आई तो पति को बताया। पति ने दर्द की दवा लेकर आराम करने को कहा। साथ ही ज़्यादा काम करने की बात बोलकर मीठी डॉंट भी लगाई।देर रात को अचानक फिर दर्द बढ़ गया था। साँस लेने में भी तकलीफ़ सी होने लगी थी। “कहीं ये हार्ट अटैक तो नहीं !” ये विचार मन में आते ही मैं पसीने से भर उठी।“हे भगवान! पालक-मेथी तो साफ़ ही नहीं किए, मटर भी छिलने बाक़ी थे। ऊपर से फ़्रीज़ में मलाई का भगोना भी पूरा भरा रखा हुआ है,आज मक्खन निकाल लेना चाहिए था। अगर मर गई तो लोग कहेंगे कि कितना गंदा फ़्रीज़ कर रखा था। कपड़े भी प्रेस को नहीं डाले। चावल भी ख़त्म हो रहे हैं, आज बाज़ार जाकर राशन भर लेना चाहिए था। मेरे मर जाने के बाद जो लोग बारह दिनों तक यहाँ रहेंगे, उनके पास तो मेरे मिसमैनेजमेंट के कितने सारे क़िस्से होंगे।अब मैं सीने का दर्द भूलकर काल्पनिक अपमान के दर्द को महसूस करने लगी। “नहीं भगवान! प्लीज़ आज मत मारना। आज ना तो मैं तैयार हूँ और ना ही मेरा घर।” यही प्रार्थना करते-करते मैं गहरी नींद में सो गई। सुबह फिर गृहकार्य में लग गई।🐦 This is real responsibility of a lady.🐦 🐦 *चैन से मर भी नहीं सकती।* 🐦 सभी गृहणियों को समर्पित।
*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे।*मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है।*मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई।*मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"।*पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।*अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।*
*चल सखी*चल सखी, कहीं चलते हैं,हम मिलकर कहीं चलते हैं।पति का ऑफ़िस, बड़ों की सेहत,और पढ़ाई बच्चों की,थोड़ी देर के लिए भूलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। कुछ ग़म, कुछ रोज़ाना के टेंशन,बोरिंग सा रूटीन,इनके जाले तोड़कर,ज़िंदगी में आगे निकलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। रात भर जागेंगे,बिंदास, बिना बात हँसेंगे,यादें मीठी संजोएंगे,और हाँ, करके दुखड़े हल्के,रुमाल भी भिगोएंगे,सबसे जाकर दूर, अब ख़ुद से मिलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। अचानक क्यों आया मटरगश्ती का यह ख़याल,क्योंकि कल देखे सिर पर चार सफ़ेद बाल,बुढ़ापा देने लगा है दस्तक,अब बुढ़ापे के मुँह पर,ज़ोर से दरवाज़ा बंद करते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। तुम सहेलियाँ ही तो मेरी पूँजी हो,हर हाल में जो बेफ़िक्र करे, वह कुँजी हो,ज़िम्मेदारियों ने ज़िंदादिली को बंद किया है ताले में,उस ताले को हम मिलकर तोड़ते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। हम औरतें हैं,अपनों के लिए जीती हैं,और उनपर ही मरती हैं,दो दिन ही सही, अपने लिए जीते हैं,चल सखी, कहीं चलते हैं। हमारी दोस्ती दमदार है,हमारे ठहाकों को ग़म भी ठिठक कर देखने लगता है,परेशानियों की छाती पर मिलकर मूँग दलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं। बहुत ठंड जमी है अपने वजूद पर,चलो दोस्ती की धूप में निकलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं।चल सखी, कहीं चलते हैं।
❤💝❤Prem❤ Love❤Pyaar❤💝❤पुरुषों ने प्रेम में ताजमहल बनायापहाड़ तोड़े और पत्थर खायाऔर फिर पूछा गया कि प्रेम में स्त्री ने बताओ क्या बनाया.....स्त्री ने न कोई ताज महल बनायान कभी अपने प्रेम को रखा किसी नुमाइश का सरमायापर हां पहाड़ों से दिन तोड़े विरह मेंऔर तानों का पत्थर भी खायापर इन सबसे पहले उसने ही खुद इस धरा पर प्रेम रचायाऔर खुद को प्रेम के हर रूप मेंफिर सबको ढलकर दिखलायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....फिर कभी राधा बन विरह सह गयीइक ग्वाले को अपना कृष्ण बनायाप्रेम में ही फिर सीता बन कर अपना अग्निपरिक्षण करवायासती सावित्री बनकर कभी उसनेपति को यमदूत से भी छुड़ायाहां,पर उसने कभी प्रेम में अपने कोई ताजमहल नही बनाया.....जब बनी प्रेम में सोहनी कभी तोकच्चे पर ही खुद को तैरायालैला बन गलियों में खुद को पत्थरों से भी था पिटवायामीरा बनकर तो उसने देखोजोग में ही अपना प्रेम रचायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नही बनायाबात आई जब पुत्री प्रेम की तोपिता की खातिर अपना घर छोड़किसी और का आंगन सजायाऔर बनकर बहन जब आई सामनेतो अपना सब हक अधिकार भीअपने भाई के नाम लिखवायाघर की इज्जत मान रखने को उसनेअपना हर सपना दफनायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....अब बात करूं जो सबसे सच्चे प्रेम कीमाँ की ममता को ही मैंने तो इस दुनियांसर्वोपरी निस्वार्थ प्रेम है पायाअपनी संतान के सुख की खातिर जबइक माँ ने खुद को दूजा जन्म दिलायापर राष्ट्रप्रेम के लिए तो पन्ना बन गईऔर खुद ही अपना लाल मरवायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....स्त्री ने ही तो रचा प्रेम को जग मेंप्रेम के हर रूप में ही बसस्त्री धुर तक समाई हैकोई ताजमहल क्या कर लेगाबराबरी कभी उसकी जोइबारत प्रेम में स्त्री ने बनाई है.....
Monday, 24 January 2022
Sunday, 23 January 2022
Saturday, 22 January 2022
Friday, 21 January 2022
Thursday, 20 January 2022
तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है, जो भी कमाया है यही रह जाना है!कर ले कुछ अच्छे कर्म, साथ वही तेरे जाना है! रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं, लेकिन मुस्कुराने से, पराये भी अपने हो जाते हैं! रिश्ते हमेशा वो ही पसन्द आते हैं, जिनमें "मै" नही "हम" हो !! इन्सानियत दिल में होती है, हैसियत मे नहीं, ऊपर वाला कर्म देखता है, वसीयत नहीं••
Tuesday, 18 January 2022
आखिर मरता कौन है?बड़ा ही अजीब है ये सवाल, कि आखिर मरता कौन है। वो जो चुप चाप सो जाता है हमेशा के लिए, या फिर वो जिसकी रातों की नींद मर जाती है उसकी याद में।बड़ा ही अजीब ये सवाल है कि आख़िर मरता कौन है। वो जो अग्नि में जलाया जाता है, या फिर वो जो अपनी आंखों में उसको देखने की तड़प लिए जीता है।जाने वाला तो चला जाता है मरता वो नही है उसको तो मुक्ति मिलती है। मरता तो वो है जो उसके बिना जीता है। अब बताओ मरता कौन है। जाने वाला या फिर उसके बगैर जीने वाला।जाने वाला तो चला गया सब रिश्तों को तोड़ के, लेकिन जीने वाला अब भी आंसुओ को पी के रिश्ते निभाता है। जाने वाला नही मरता है मरता तो जीने वाला है।
Monday, 17 January 2022
Sunday, 16 January 2022
Saturday, 15 January 2022
Friday, 14 January 2022
Thursday, 13 January 2022
ॐ सूर्याय नमःजय सुर्यदेवकल दिनांक 14 जनवरी को मकर संक्रांति है। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना का दिन है जब सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के साथ उसकी दक्षिण से उत्तर दिशा में गति का आरंभ होता है। हमारा भारत पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में है। साल के छह महीने दक्षिणायन अर्थात दक्षिणी गोलार्द्ध में होने के कारण सूर्य हमसे दूर होता है। तब यहां रातें बड़ी, दिन छोटे, प्रकाश कम और मौसम सर्द होता है। मकर संक्रान्ति के दिन छह महीनों के लिए सूर्य के पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश अर्थात उत्तरायण होने के साथ रातें छोटी, दिन बड़े, प्रकाश प्रखर और मौसम गर्म होने लगता हैं। दक्षिणायन को हमारे शास्त्रों में देवताओं की रात्रि अर्थात अशुभ और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानी शुभ माना गया है। हमें अपने जीवनदायी सूर्य का हर रूप, हर गति, हर अंदाज प्यारा है। शुभ है। सूर्य की स्थित में एक और बदलाव के साथ मकर संक्रांति हमारी प्रकृति में एक और ऋतु परिवर्तन के आरंभ का उद्घोष है। ऋतुराज बसंत की आहटें महसूस करने का दिन। आज के दिन के लिए हम अपनी पवित्र नदियों का जल अर्पित कर सूर्य का आभार प्रकट करते हैं। रंग-बिरंगे पतंगों के साथ आकाश नापने की कोशिशें करते हैं। नए कृषि उत्पादों के भोग के साथ नए मौसम का स्वागत करते हैं। दही-चूड़ा-गुड़, लाई, तिलकुट,चिक्की और खिचड़ी। अपनी प्रकृति के हर रंग, हर परिवर्तन को उत्सव में बदल देना हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है।आप सबको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !2022 ,14 jan
Wednesday, 12 January 2022
Tuesday, 11 January 2022
Monday, 10 January 2022
Sunday, 9 January 2022
Saturday, 8 January 2022
साहिब ए कमाल दशमेश पिता शाह ए शहंशाह धन धन गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व की लाखों बधाई जी।🙏🏼💐#HappyGurpurab ji. सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊंसिख धर्म के दसवें गुरु एवं खालसा पंथ के संस्थापकगुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर शत-शत नमन🙏💐💐"Sach Kaho Sun Leho Sabhe; Jin Prem KioTin Hee Prabh Paio!
Friday, 7 January 2022
Thursday, 6 January 2022
यूँ तो चमचा कहकर,हर कोई चमचे का मजाक उडा देता है,पर वो क्या जानता नहीं,चमचा किस-किस काम आता है,गर चमचा न हो तो,गरमा-गर्म दाल में हाथ कौन डाले,गर चमचा न हो तो,कड़वी दवाई को कौन झेले,चमचा ही तो हर गर्मी को ठंडा कर देता है,चमचा ही तो हर तकलीफ को सहन कर लेता है,देखो चमचा कैसे गर्म दूध में चला जाता है,चावल को मिलाकर खीर पकाकर लाता है,गर चमचा न होता तो, कितनों के हाथ जल गए होते,गर चमचा न होता तो,कितनों को छाले पड़ गए होते,सोचो चमचा की तपस्या कितनी है,सोचते उसमें जान न उतनी है,कैसे बिलकुल निढाल रहता है,तुम्हारी ढाल बनके रहता है,आग में, पानी में, दूध में,चमचा ही तो तपता है,तेरा ही तो ख्याल रख के,हर चीज़ लाकर देता है,चमचा गर्मी, ठंडक झेल लेता है,चाय में डालो की, आइश्क्रीम में,तुम्हें न कुछ अहसास होने देता है,अपनी भावनाओं को संभाल लेता है,चमचे की तपस्या, बहुत बड़ी है मेरे यार,उसी तपस्या से तप-तप कर, तभी तो पाया प्यार,तभी तो खाना बनानेवाली, चमचे को खुशी से चूम लेती है,क्योंकि इसी से, अपनी उंगलियाँ बचा लेती है,चमचा है, बड़े काम की चीज़,पर पता नहीं लोग क्यों करते हैं, खीज,किसी को किसी का चमचा बनते देख,क्यों वो उसमें निकालते मीन और मेख,चमचा बनना, न इतना आसान है,हर मुसीबत झेलना, न इतना आसान है,अपने अरमानों को मारना, न इतना आसान है,अपने-आपको खो देना,न इतना आसान है,चुप वो रहता है, सहता है सब,गर्मी हो, ठंडक हो, सबको देता है, सब,उसकी तपस्या पे गौर करो,हर काम वही तो कर लाता है,तुम्हारे हाथ से पहले,वही तो तुम्हारे मुँह में जाता है,तभी तो चमचे, बड़ों के मुँह लगे होते हैं, इस आदत से पले होते हैं,दूर इनको कैसे करोगे,ये तो बड़े भले होते हैं,चमकता है जो चम-चम,तभी तो वह है चमचा,उसकी चमक, उसकी दमक से है,तभी तो वह है चमचा,अब तो, चमचो की, आदत-सी हो गयी है,न जाने, उंगलियाँ, कहाँ खो गयी हैं,हमें जिन्दगी के, अहसास का क्या पता,हमें न आग की, तपिस का पता,न हमें पानी की, ठंडक का पता,हमें शहद की, चिपचिपाहट का क्या पता,हमें अचार की, चिरपिराहट का, क्या पता,हर चीज़ हम, चमचे से निकालते हैं,उसी चमचे को, मुँह में डालते हैं,हाथों की उँगलियों को, संभाल रखा है,तभी तो हमने चमचा, पाल रखा है,चमकती है,जिसकी चाम,चमकाता है जो,दूसरों की चाम,Lucky Charm है,जो दूसरों के लिए,उसे ही चमचा,बनाया जाता है,चमकती + चाम = चमचाचाम = Charm = चर्मइसलिए चमकते चमचे से,चीजें मुँह में डालते हैं,वस्तु एवं मुँह में चमचे से,संतुलन को साधते हैं ।अंग्रेजों की यही खाशियत है,छुरी-काँटे से खाते हैं,चमचों से दूरी बनाते हैं,कार्य ईमानदारी से कराते हैं । --- ध्यानाचार्य--- शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई ?--- पुस्तक से साभार
जीवन और मृत्यु दो कपाटजीवन और मृत्यु सांसारिक कपाटहैजन्म से शुरू हुई यात्रा मौत पर समाप्त हैजन्म ज्ञात है ,तो मृत्यु अज्ञात हैजन्म नवप्रभात है मृत्यु घोर रात है।। मृत्यु जन्म से बंधी अटूट डोर है जन्म एक छोर है तो मृत्यु दूसरा छोर है जन्म हर्षोल्लास मृत्यु अंतिम श्वास जन्म मधुर राग ,मृत्यु हाहाकार।।मृत्यु नहीं होती तो ...........ईश्वर का अस्तित्व ना होताकभी नहीं करता इंसानअपने प्रारब्ध वाद से समझौता।। ईश्वर प्रतीक है ,प्रमाण और विश्वास है इंसान की लाचारी का मृत्यु अटल है ,सत्य है, तभी तो जाता है वह ईश्वर की शरण में।।जीवन और मरण परस्पर साम्य हैमृत्यु से ही मिला जीवन कोसौंदर्य अपार है,एक रूपवान है ,तो दूसरा महा विधान है तो कैसी फिक्र करें ओ मन सबको एक दिन चिर निंद्रा में सोना है मिट्टी का तन है ,मिट्टी का होना है एक कपाट से आए थे दूजे कपाट से जाना है।। स्वरचित मौलिक रचना सुधा शुक्ला
Tuesday, 4 January 2022
Monday, 3 January 2022
मनुष्य कितना मूर्ख है। ••• प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है, पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है। पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है, पर पाप करते समय ये भूल जाता है। • दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है। ••• प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है, पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है। और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।
Sunday, 2 January 2022
Saturday, 1 January 2022
#अरदास "नानक नाम चडदीकला तेरे भाने सरबत दा भला " 🙏🏻🌹🙏🏻वाहेगुरु जी 🙏🏻🌹🙏🏻आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं *जिंदगी का सार*एक दिन स्कूल में छुट्टी होने के कारण एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया । वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा ।उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास दबा कर रख देते हैं ।फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उस से रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा.. कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?पापा ने कहा - बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं ,आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया । शिक्षा उत्तर था- बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है ।यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं..!!*सदैव प्रसन्न रहिये।**जो प्राप्त है-पर्याप्त है।* 🙏🏻🌹वाहेगुरु जी 🌹🙏🏻
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