Thursday, 6 January 2022

जीवन और मृत्यु दो कपाटजीवन और मृत्यु सांसारिक कपाटहैजन्म से शुरू हुई यात्रा मौत पर समाप्त हैजन्म ज्ञात है ,तो मृत्यु अज्ञात हैजन्म नवप्रभात है मृत्यु घोर रात है।। मृत्यु जन्म से बंधी अटूट डोर है जन्म एक छोर है तो मृत्यु दूसरा छोर है जन्म हर्षोल्लास मृत्यु अंतिम श्वास जन्म मधुर राग ,मृत्यु हाहाकार।।मृत्यु नहीं होती तो ...........ईश्वर का अस्तित्व ना होताकभी नहीं करता इंसानअपने प्रारब्ध वाद से समझौता।। ईश्वर प्रतीक है ,प्रमाण और विश्वास है इंसान की लाचारी का मृत्यु अटल है ,सत्य है, तभी तो जाता है वह ईश्वर की शरण में।।जीवन और मरण परस्पर साम्य हैमृत्यु से ही मिला जीवन कोसौंदर्य अपार है,एक रूपवान है ,तो दूसरा महा विधान है तो कैसी फिक्र करें ओ मन सबको एक दिन चिर निंद्रा में सोना है मिट्टी का तन है ,मिट्टी का होना है एक कपाट से आए थे दूजे कपाट से जाना है।। स्वरचित मौलिक रचना सुधा शुक्ला