❤💝❤Prem❤ Love❤Pyaar❤💝❤पुरुषों ने प्रेम में ताजमहल बनायापहाड़ तोड़े और पत्थर खायाऔर फिर पूछा गया कि प्रेम में स्त्री ने बताओ क्या बनाया.....स्त्री ने न कोई ताज महल बनायान कभी अपने प्रेम को रखा किसी नुमाइश का सरमायापर हां पहाड़ों से दिन तोड़े विरह मेंऔर तानों का पत्थर भी खायापर इन सबसे पहले उसने ही खुद इस धरा पर प्रेम रचायाऔर खुद को प्रेम के हर रूप मेंफिर सबको ढलकर दिखलायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....फिर कभी राधा बन विरह सह गयीइक ग्वाले को अपना कृष्ण बनायाप्रेम में ही फिर सीता बन कर अपना अग्निपरिक्षण करवायासती सावित्री बनकर कभी उसनेपति को यमदूत से भी छुड़ायाहां,पर उसने कभी प्रेम में अपने कोई ताजमहल नही बनाया.....जब बनी प्रेम में सोहनी कभी तोकच्चे पर ही खुद को तैरायालैला बन गलियों में खुद को पत्थरों से भी था पिटवायामीरा बनकर तो उसने देखोजोग में ही अपना प्रेम रचायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नही बनायाबात आई जब पुत्री प्रेम की तोपिता की खातिर अपना घर छोड़किसी और का आंगन सजायाऔर बनकर बहन जब आई सामनेतो अपना सब हक अधिकार भीअपने भाई के नाम लिखवायाघर की इज्जत मान रखने को उसनेअपना हर सपना दफनायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....अब बात करूं जो सबसे सच्चे प्रेम कीमाँ की ममता को ही मैंने तो इस दुनियांसर्वोपरी निस्वार्थ प्रेम है पायाअपनी संतान के सुख की खातिर जबइक माँ ने खुद को दूजा जन्म दिलायापर राष्ट्रप्रेम के लिए तो पन्ना बन गईऔर खुद ही अपना लाल मरवायाहाँ, पर उसने कभी प्रेम में अपनेकोई ताजमहल नहीं बनाया....स्त्री ने ही तो रचा प्रेम को जग मेंप्रेम के हर रूप में ही बसस्त्री धुर तक समाई हैकोई ताजमहल क्या कर लेगाबराबरी कभी उसकी जोइबारत प्रेम में स्त्री ने बनाई है.....