Wednesday, 4 May 2022

#कर्म एक मालन को रोज़ राजा की सेज को फूलों से सजाने का काम दिया गया था, वो अपने काम में बहुत निपुण थी, एक दिन सेज़ सजाने के बाद उसके मन में आया की वो रोज़ तो फूलों की सेज़ सजाती है, पर उसने कभी खुद फूलों के सेज़ पर सोकर नहीं देखा, कौतुहलबस वो दो घड़ी फूल सजे उस बिस्तर पर सो गयी, उसे दिव्य आनंद मिला, ना जाने कैसे उसे नींद आ गयी, कुछ घंटों बाद राजा अपने शयन कक्ष में आये . मालन को अपने बिस्तर पर सोता देखकर राजा बहुत गुस्सा हुआ, उसने मालन को पकड़कर १०० कोड़े लगाने की सजा दी, मालन बहुत रोई विनती की पर राजा ने एक ना सुनी, जब कोड़े लगाने लगे तो शुरू में मालन खूब चीखी चिल्लाई, पर बाद में जोर जोर से हंसने लगी. राजा न कोड़े रोकने का हुक्म दिया और पूछा - अरे तू पागल हो गयी हैं क्या..? हंस किस बात पर रही हैं तू...?मालन बोली-राजन, मैं इस आश्चर्य में हंस रही हूँ कि जब दो घड़ी फूलों की सेज़ पर सोने की सजा १०० कोड़े हैं, तो पुरे ज़िन्दगी हर रात ऐसे बिस्तर पर सोने की सजा क्या होगी...? राजा को मालन की बात समझ में आ गयी , वो अपनी कृत्य पर बेहद शर्मिंदा हुआ और जन कल्याण में अपने जीवन को लगा दिया. सीख - याद रखे जो कर्म हम इस लोक में करते हैं उससे परलोक में हमारी सज़ा या पुरस्कार तय होती हैं..... 🙏🙏🙏