सफरयूँ ही कटता रहा जिन्दगी का सफर तंज और रंज के बीचदिन ढलता रहा और रात आती रहीये आने जाने और जाने आने के बीचजिन्दगी का सफर बदस्तूर मेरा जारी रहाहार कहाँ माननी थी मैने भी ... चलता रहा मैं वक्त की सीढ़ियों परमानकर सफर को अपना हमसफरपहुँचा जब शिखर परवहाँ अंधियारे को चीर मुस्कुरा रहा था सूरजबाहें पसारे आगोश में लेने को आतुर....