"महत्वपूर्ण कडी.....बेटे बहु के कमरे से आ रही आवाजो से बुजुर्ग मां कि नींद खुल गई......बेटा कह रहा था उसे मुम्बई मे नौकरी मिल गई है मगर हम तीन (मे और तुम और मां ) वहाँ नहीं रह पायेंगे.. कयोकि कमरा छोटा है ओर दोनो जगह का किराया मे दे नही सकता तो कयो ना मां को वृद्ध आश्रम मे छोड़ दे... बुजुर्ग मां भीगी आँखें लिए सोचने लगी.... अभी साल भी नहीं हुआ बेटे कि शादी को ओर बहु ने उसपर अपना रंग चढा दिया.इस बात के जबाब मे बहु कया कहेगी....वो तो खुश ही होगी उसके मन की जो पूरी हो रही है. हे भगवान.....मगर पति की बात सुनकर पत्नी बोली नही मां ओर मैं यही रहेंगे मै पढी लिखी हूं बच्चो को टयुशन पढाकर इतना तो कम लूगी कि मेरा ओर मां का गुजारा हो जाऐ और आपने तो बताया था की मां ने आपको लोगों के घरों में काम करके पढाया था सोचो अगर मां भी आपको किसी अनाथ आश्रम मे छोड़ कर अपना जीवन शुरू करती तो आज आप कहा होते ... और फिर जब आप वहाँ सेटल होकर बडा कमरा ले ले तो हमें भी बुला लेना वैसे भी मां उस वृक्ष के समान होती हे जो सिर्फ छाया ही नही फल भी देता है मां कि आँखों मे आँसू थे उसे भी समझ आ रहा था कि उसे बहु मे एक बहुत अच्छी बेटी मिली है.दोस्तों कहानी का भाव यही है सास बहु का रिश्ता भी मां बेटी का रिश्ता है दोस्तों अगर दोनों तरफ से प्रेम और सम्मान देने की कोशिश हो तो सचमुच ये रिश्ता बेहद प्यारा है जो घरों को परिवार को जोड़ने में महत्वपूर्ण कडी है ..एक सुन्दर और प्ररेणादायक रचना...