पत्नी क्या होती है।मुझसे अच्छा कोई नही जान पाएगाएक बार जरूर पड़े।"मै डरता नही उसकी कद्र करता हूँ उसका सम्मान करता हूँ।-" कोई फरक नही पडता कि वो कैसी है पर मुझे सबसे प्यारा रिश्ता उसी का लगता है।"माँ बाप रिश्तेदार नही होते।वो भगवान होते हैं।उनसे रिश्ता नही निभाते उनकी पूजा करते हैं।भाई बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं , दोस्ती का रिश्ता भी मतलब का ही होता है।आपका मेरा रिश्ता भी जरूरत और पैसे का है पर,पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए भी हमेशा के लिये हमारी हो जाती है अपने सारे रिश्ते को पीछे छोडकर।और हमारे हर सुख दुख की सहभागी बन जाती है आखिरी साँसो तक।" पत्नी अकेला रिश्ता नही है, बल्कि वो पूरा रिश्तों की भण्डार है।जब वो हमारी सेवा करती है हमारी देख भाल करती है ,हमसे दुलार करती है तो एक माँ जैसी होती है।जब वो हमे जमाने के उतार चढाव से आगाह करती है,और मैं अपनी सारी कमाई उसके हाथ पर रख देता हूँ क्योकि जानता हूँ वह हर हाल मे मेरे घर का भला करेगी तब पिता जैसी होती है।जब हमारा ख्याल रखती है हमसे लाड़ करती है, हमारी गलती पर डाँटती है, हमारे लिये खरीदारी करती है तब बहन जैसी होती है।जब हमसे नयी नयी फरमाईश करती है, नखरे करती है, रूठती है , अपनी बात मनवाने की जिद करती है तब बेटी जैसी होती है।जब हमसे सलाह करती है मशवरा देती है ,परिवार चलाने के लिये नसीहतें देती है, झगड़े करती है तब एक दोस्त जैसी होती है। जब वह सारे घर का लेन देन , खरीददारी , घर चलाने की जिम्मेदारी उठाती है तो एक मालकिन जैसी होती है।और जब वही सारी दुनिया को यहाँ तक कि अपने बच्चों को भी छोडकर हमारे बाहों मे आती है तब वह पत्नी, प्रेमिका, अर्धांगिनी , हमारी प्राण और आत्मा होती है जो अपना सब कुछ सिर्फ हमपर न्योछावर करती है।"मैं उसकी इज्जत करता हूँ तो क्या गलत करता हूँ!