परमात्मा के हुक्म में कैसे रहा जाता है, इसकी सबसे अच्छी उदाहरण है माता गुजर कौर जी और छोटे साहिबज़ादे .... दादी माँ साहिबज़ादों को हर पल गुरबाणी याद कराती रही, और समझती रही कि वह जो करता है उसी को भला समझो, और साहिबज़ादों ने भी दादी माँ की शिक्षा को गाँठ बाँध लिया और जो हुआ उसे ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया I आइए संगत जी हम भी गुरु साहिब के उपदेश को याद करें, जिसमें गुरु साहिब फरमाते हैं किGurbani In Gumukhi And Hindi - ਜੋ ਕਿਛੁ ਹੋਆ ਸੁ ਤੇਰਾ ਭਾਣਾ ॥ जो किछु होआ सु तेरा भाणा ॥ ਜੋ ਇਵ ਬੂਝੈ ਸੁ ਸਹਜਿ ਸਮਾਣਾ ॥੩॥ जो इव बूझै सु सहजि समाणा ॥३॥श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी फरमातें हैं कि जिस मनुष्य को यह समझ आ जाती है कि जो कुछ हो रहा है, वह प्रभू की रज़ा में हो रहा है, वह मनुष्य सदा अडोल अवस्था में टिका रहता है (उसे कभी कोई शंका व संशय नहीं रहता) वह प्रभू प्रमातमा मे लीन हो जाता है।3।धन धन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी महाराज 1349