आज आपसे कुछ ऐसी बातें करता हूं, जो कोरोना की वर्तमान परिस्थितिथी में नहीं करनी चाहिए।अमेरिका कह रहा है कि चीन ने कोरोना फैलाया। चीन कोरोना फैलाने का आरोप अमेरिका पर लगा रहा है। किसी ने भी फैलाया हो, या प्राकृतिक तरीके से फैला हो। दुनिया तो गंभीर परिणाम भुगत रही है।कुछ लोग इसे आधुनिक लाइफ स्टाइल से और अजीबोगरीब खानपान से जोड़कर देख रहे है। तो कोई इसे जानबूझकर बनाया हुआ जैविक हथियार बता रहे है। सच क्या है, वो तो जांच से ही पता चल सकता है।महामारियां इस से पहले भी फैलती रही है। कुछ तो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक थी। 1920 में स्पेनिश फ्लू, उस से पहले 1820 में कॉलरा और 1720 में प्लेग ने करोडों लोगों को अकाल मौत मार दिया था। ये सब तो हमें मालूम है और महामारियां इनसे पहले भी फैलती रहीं होगी। तब तो लोग आर्गेनिक फ़ूड ही खाते थे, लाइफ स्टाइल भी नेचर के काफी करीब था। क्या जेनेटिकली मॉडिफाइ करके नया घातक बैक्टीरिया या वायरस बनाने की तकनीक तब किसी के पास रही होगी? क्या किसी देश ने किसी दूसरे देश को बर्बाद करने के लिए स्पेनिश फ्लू या प्लेग तब फैलाया होगा? क्या पता? और क्या पता कोरोना भी जानबूझ कर बनाया गया हो, फैलाया गया हो? पता हो भी तो अभी की परिस्थिति में इस बहस से क्या फायदा होगा? अभी तो कोरोना से लड़ना है।एक बात तय है कि इंसान को सर्वाइवल के लिए कई बीमारियों से निरंतर लड़ना पड़ता है। जिन बीमारियों का इलाज हम कर सकते है, उनसे ज्यादा डर नहीं लगता। ऐसी अनगिनत बीमारियों का इलाज हमने ढूंढ लिया है जिनसे मौत निश्चित थी, जिनसे करोड़ों की जान गयी। अभी अगर कोरोना का इलाज संभव हो तो ये एक न्युमोनिआ जैसी आम बीमारी है, जिसके मरीज हर अस्पताल में मिल जाते है, रोज ठीक होते है। समय की बात है, कोरोना का टीका भी ईजाद हो जायेगा, और इलाज भी। और लोगों में इसके प्रति प्रतिरोध की क्षमता भी डेवेलोप हो जाएगी। पर अभी के लिए बचाव ही एकमात्र इलाज है। और हर हाल में रोकथाम इलाज से बेहतर होता है।ये हमारी सर्वाइवल की लड़ाई है। जितने सचेत, जितने प्रिपेयर्ड होंगे उतने ही बचे रहेंगे।दोस्तों, इस वक्त कोरोना त्रासदी में घर पर ही रहो, सावधानी पूर्वक रहो। बाकी चर्चा, विश्लेषण, वाद-विवाद जिंदा रहेंगे तो चलते ही रहेंगे!