Monday, 20 April 2020

कल एक झलक जिंदगी को देखा,वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,फिर ढूंढा उसे इधर उधरवो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,एक अरसे के बाद आया मुझे करार,वो सहला के मुझे सुला रही थी…हम दोनों क्यूँ खफा हैं एक दूसरे से,मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,मैंने पूछ लिया – क्यों इतना दर्द दियावो हँसी और बोली – मैं जिंदगी हूँ…..जो की तुझे जीना सिखा रही थी….।