Saturday, 30 January 2021

प्रभु कहते हैं तू सोने से पहले सबको माफ कर मैं उठने से पहले तुझे माफ कर दूंगा

ये नफरत है बुरी, ना पालो इसे दिलों में। ना तेरा, ना मेरा, ना इसका, ना उसका, ये सब है वतन का, बचालो इसे, जय हिन्द जय भारत वन्दे मातरम्।

बीता हुआ कल अगर वर्तमान पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगे तो बीते हुये कल को ज़हर समझ कर त्याग देनाचाहिये.।

जिसने भी लिखा है -✍- शानदार लिखा है --👌*MAKE UP....(मेकअप)*💅लोग कहते हैं कि ..औरतें बहुत *मेकअप* करती हैं सच ही तो है ..औरतें सिर्फ चेहरे पर ही नही.. बल्कि घर, परिवार, बच्चे, पति, समाज, सभी की कमियों पर हमेशा *मेकअप* ही करती रहती हैंदोस्तों की गलतियों पर *मेकअप*बेहतर शिक्षा न मिलने पर माता-पिता पर *मेकअप*शादी होने पर ससुराल वालों के तानों पर *मेकअप*मायके की कमियों पर *मेकअप*रिश्तों की बदनीयती पर *मेकअप*बच्चों की कमियों पर *मेकअप* 🤳और उनकी गलतियों पर *मेकअप*बुढ़ापे में दामाद के द्वारा किया गए अनादर पर *मेकअप*तो बहु की बेरुखी पर *मेकअप*🤳पोता-पोती की शरारतों पर *मेकअप*और आखिर में..बुढ़ापे में परिवार में अस्तित्वहीन होने पर *मेकअप*🤳एक औरत जन्म से लेकर मृत्यु तक *मेकअप* ही तो करती रहती हैसिर्फ एक ही आस में कि उसे⬇*""तारीफ के दो बोल मिल जाये""**तभी तो कहते हैं..**बिना #Makeup अधूरी नारी* 🤳*Dedicated to all Beautiful Ladies..*🙏🙏

Tuesday, 26 January 2021

बोलने से पहले सोचना जरुरी है, क्योंकि बोले गए शब्द केवल माफ किये जा सकते है, लेकिन भुलाये नहीं जा सकते ।

सबसे बेहतर नज़र वो है, जो ....अपनी ... कमियों कोदेख सके ।

किसी से दिल लग जाने को मोहब्बत नहीं कहते...जिसके बिना दिल ना लगे उसे मोहब्बत कहते हैं।

अगर कोई भी व्यक्ति आपके साथ मीठा बोल रहा है। बेवजह सहानुभूति दिखा रहा है , आपमें वो कार्बलियत बता रहा है जो आप में है ही नहीं... तो सतर्क हो जाइए । याद रखें मीठे से शूगर हो जाती है।

जो बिन कहे सुन ले, वो दिल के बेहद करीब होते हैं, ऐसे नाजुक एहसास बड़े भाग्य से नसीब होते हैं।

Monday, 25 January 2021

घोड़े के पीछे और पैसे वाले के आगे कभी मत चलो क्योंकि ये कभी भी लात मार सकते है।

स्त्रियाँ निपट मूर्ख होती हैं दाँत किटकिटाती ठंड मेंबग़ैर स्वेटर, कार्डीगन, शॉल पहने वैवाहिक उत्सवों में सम्मिलित स्त्रियों पर खूब मीम्ज बनते हैंचुटकले गढ़े जाते हैंक्योंकि हमारी नजरों में स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं।यदि वो घर की चारदीवारी से निकलकुछ पलों के लिए जीना चाहतीं हैंख़ुद के लिएप्रदर्शित करना चाहतीं हैंअपने डिजायनर ब्लाउजबेलबूटेदार साड़ियाँकलात्मक आभूषणतो इसमें भला इतनी आपत्ति क्यों?लेकिन हाड़ कंपाती सर्द सुबह में जब हम रजाई में बैठे-बैठेचाय की चुस्कियां लेते हुएठंड को गरियाकरगर्माहट पा रहे होते हैंतब यही मूर्ख स्त्रियाँनहा धोकर चौके में हमारे लिए चाय-नाश्ता बना रही होतीं हैं।कभी सोचिएये मूर्ख स्त्रियाँ किस मिट्टी की बनी होती हैंजो जेठ-आषाढ़ की झुलसाती हुई गर्मी मेंचूल्हे के सामने खुद को पसीने में डुबोएपेट, पीठ, गर्दन पर घमौरियों की कई-कई परतें चढ़ाएहमारी भूख को शान्त करने का इंतजा़म करतीं हैंग़र्म तैल से छनछनाते परांठे को चिमटे की जगहअंगुलियों से पकड़ गर्मागरम परोस देतीं हैं।तब कोई मीम्ज नहीं बनतेतब कोई चुटकले नहीं गढ़े जातेउस समय हमारी वणिक बुद्धि उन्हें ममत्व की प्रतिमूर्तिगृह-लक्ष्मीत्यागशील देवीऔर ना जाने क्या-क्या उपमाएँ देकर उन्हें छले चली जाती हैतब हमारे हास्य विनोद की सृजनशीलताछद्म वाकपटुताहलक में फंसी रह जाती है।हाँ!स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं जो परिवार को ताजा गर्म और स्वास्थ्यवर्धक खाना देने के लिए अपनी देह को झुलसाती हैंरात के ठिठुरते बर्फ़ीले पानी में अपनी हड्डियों को गलातीं हैं।चुटकुले यहाँ बनने चाहिए थे मगर,,,ख़ैर छोड़िए..!अब रजाई छोड़ उठिएरात के बर्तन धोकरसुबह की चाय ख़ुद ही बनाइये बहुत से चुटकुलों और सवालों के जवाब Author: Unknown

ना सरकार मेरी है ! ना रौब मेरा है ! ना बड़ा सा नाम मेरा है ! मुझे तो एक छोटी सी बात का गौरव है , मै “हिन्दुस्तान” का हूँ…. और “हिन्दुस्तान” मेरा है…जय हिन्द

ये नफरत है बुरी, ना पालो इसे दिलों में। ना तेरा, ना मेरा, ना इसका, ना उसका, ये सब है वतन का, बचालो इसे, जय हिन्द जय भारत वन्दे मातरम्।

#मेरी सब सखियांमेरी सब सखियांचाय की माफिक कड़क हैपक पक कर स्वादिष्ट हो गईजिंदगी जीने में माहिर हो गईदूध बनकर ससुराल आयी थीअदरक की तरह कूटी गईवो अपनी चीनी मिलाती रहीऔर तजुर्बा की आंच मे खुद को पकाती रहीऔर आज देखो सबमजे से घर चलाती हैंऔर अपना भी दिल बहलाती‌ हैचालीस के पार होकर भीछब्बीस सी नजर आती हैकोई अब दूध सा उफनता नहींकिसी का हाथ अब जलता नहींसब समेट लेती हैखुद को सहेज लेती हैये उम्र दराज नहीं होतीउम्र को दराज में रख देती हैइनके बच्चे बड़े हो रहेऔर ये इलायची सी महक रहीबूढ़े हो इनके दुश्मनये रोज नए नाम कर रहीइनका नशा कभी कम ना होताकुल्हड़ हो या वोन चाइनाइन्हे कभी कोई गम ना होताये तो अदरक से भीदोस्ती निभाती हैउसे अपने अंदर समाउसका भी स्वाद बढ़ाती हैचाय की माफिकसबकी पहली पसंद कहलाती हैDedicated to all female friends😊👍🏻

वाणी में भी अजीब शक्ति होती है... कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता ...और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।

Thursday, 21 January 2021

शुभचिंतक सड़कों पर लगे सुंदर "लैंप" की तरह होते हैं,वह हमारी यात्रा की दूरी को तो कम नहीं कर सकते । लेकिन हमारे पथ को "रोशन" और यात्रा को "आसान" करते हैं...सुप्रभात

जीवन में सबकुछ अच्छा चल रहा हो तब भी जरा सावधान रहिए..क्योंकि सड़क पर "गड्ढे" और जिंदगी में "रगड़े" कभी भी आ सकते हैं। अपने बच्चों को भी अचानक आई परेशानी को झेलने के लिए तैयार कीजिए । उन्हें गमले का पौधा मत बनाइये जो वक़्त पर पानी न मिले तो मुरझा जाए । उन्हें जंगल का झाड़ बनाइये जो आंधी-तुफान और सूखे से संघर्ष कर के अपने वजूद को बचा सके।

माँ शिक्षित हो या अशिक्षित; पर संसार का सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान हमें माँ से ही प्राप्त होता है..

अगर पैसे और सम्बन्ध दोनों में सेएक को महत्व देनापड़े तो जनाब सम्बन्धबचाना, पैसे तो आते जाते रहेंगे..

Dedicated to all ladies*स्त्रियाँ*, कुछ भी बर्बाद नही होने देतीं।वो सहेजती हैं।संभालती हैं।ढकती हैं।बाँधती हैं।उम्मीद के आख़िरी छोर तक।कभी तुरपाई कर के।कभी टाँका लगा के।कभी धूप दिखा के।कभी हवा झला के।कभी छाँटकर।कभी बीनकर।कभी तोड़कर।कभी जोड़कर।देखा होगा ना👱‍♀ ?अपने ही घर में उन्हेंखाली डब्बे जोड़ते हुए। बची थैलियाँ मोड़ते हुए। बची रोटी शाम को खाते हुए।दोपहर की थोड़ी सी सब्जी में तड़का लगाते हुए।दीवारों की सीलन तस्वीरों से छुपाते हुए।बचे हुए खाने से अपनी थाली सजाते हुए।फ़टे हुए कपड़े हों।टूटा हुआ बटन हो। पुराना अचार हो।सीलन लगे बिस्किट,चाहे पापड़ हों।डिब्बे मे पुरानी दाल हो।गला हुआ फल हो।मुरझाई हुई सब्जी हो।या फिरतकलीफ़ देता " रिश्ता "वो सहेजती हैं।संभालती हैं।ढकती हैं।बाँधती हैं।उम्मीद के आख़िरी छोर तक...इसलिए , आप अहमियत रखिये!वो जिस दिन मुँह मोड़ेंगीतुम ढूंढ नहीं पाओगे...।" *मकान" को "घर" बनाने वाली रिक्तता उनसे पूछो जिन घर मे नारी नहीं वो घर नहीं मकान कहे जाते हैं* यही नारी दादी - नानी, मां, बहन, पत्नी, पुत्री - पुत्र वधु के रूप में आप - हम सबके घरों को स्वर्ग बनातीं हैं।"नारी शक्ति का सशक्तिकरण ही सम्पूर्ण मानवीयता का सशक्तिकरण है।"Author: Unknown

मुश्किल है ज़िन्दगी का सफर. दिल में चुभी बातें अगर बोल दी जायें, तो रिश्ते मर जाते हैं.और अगर दिल में रख ली जाये तो इंसान मर जाता है..।

#मेरी सब सखियांमेरी सब सखियांचाय की माफिक कड़क हैपक पक कर स्वादिष्ट हो गईजिंदगी जीने में माहिर हो गईदूध बनकर ससुराल आयी थीअदरक की तरह कूटी गईवो अपनी चीनी मिलाती रहीऔर तजुर्बा की आंच मे खुद को पकाती रहीऔर आज देखो सबमजे से घर चलाती हैंऔर अपना भी दिल बहलाती‌ हैचालीस के पार होकर भीछब्बीस सी नजर आती हैकोई अब दूध सा उफनता नहींकिसी का हाथ अब जलता नहींसब समेट लेती हैखुद को सहेज लेती हैये उम्र दराज नहीं होतीउम्र को दराज में रख देती हैइनके बच्चे बड़े हो रहेऔर ये इलायची सी महक रहीबूढ़े हो इनके दुश्मनये रोज नए नाम कर रहीइनका नशा कभी कम ना होताकुल्हड़ हो या वोन चाइनाइन्हे कभी कोई गम ना होताये तो अदरक से भीदोस्ती निभाती हैउसे अपने अंदर समाउसका भी स्वाद बढ़ाती हैचाय की माफिकसबकी पहली पसंद कहलाती हैDedicated to all female friends😊👍🏻

रिश्तों की जड़े मजबूत हो तो दूरी मायने नही रखतीं..

किसी को छोटा ना समझे; छोटे से मास्क ने, करोड़ों का व्यापार कर दिया और महंगे कपड़े शोरूम में लटकते रह गये..

हम अपनी नज़र में अच्छे हैं... सबकी नजर का ठेका नहीं ले रखा हैं!

Tuesday, 19 January 2021

दुःखद....घर की चक्की ही तो है, ज़्यादा चल गयी तो क्या? रोटियां सेकना काम है उसका, उँगलियाँ गर जल भी गयी तो क्या? अपना घर छोड़ के जाना होगा, ज़िन्दगी जो पूरी बदल गयी तो क्या? पति है परमेश्वर, कुछ भी कहे, ज़ुबान ही तो है, चल गयी तो क्या? तुमको चलना है बच बच कर, आदमी की नीयत मचल गयी तो क्या? ग्रहस्थी संजोना देखो संभल कर, पुरुष से फिसल गयी तो क्या? गाड़ी दो पहियों पे है चलती, मेरी एक पे चल गयी तो क्या? उसकी उम्र बढ़ाने को रखना व्रत, तुम्हारी अपनी उम्र निकल गयी तो क्या? सुनो वो थक जाता है ऑफिस के काम से, तुम दिन भर खट के ढल गयी तो क्या? पैदा तुमने किया, बच्चे पालो भी तुम, बिन सोये कई रातें निकल गयी तो क्या? कल तक चलती थी पति की, अब बच्चों की चल गयी तो क्या? घर की लक्ष्मी हो, है घर ये तुम्हारा , घर के बाहर " नाम की तख़्ती " से, ओंस बनके पिघल गयी... तो क्या??? सुनो, हो कौन तुम? क्या पहचान है? Mrs.....बनके ही दुनियां से निकल गयी तो क्या?Author: Unknown

एयरपोर्ट के बाहर लिखा सुंदर वाक्य : उड़ान बड़ी चीज होती है , रोज उड़ो पर शाम को नीचे आ जाओ क्योंकि आप की कामयाबी पर तालियाँ बजाने वाले और गले लगाने वाले सब नीचे ही रहते हैं ।

गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं, लेकिनसीख हमेशा सही देकर जाते हैं..

बादशाह तोवक्त होता है... इन्सान तो यूँ ही गुरुर करता है।

छोटी छोटी खुशियां ही तोजीने का सहारा बनती हैं ।ख्वाहिशों का क्यावो तो पल-पल बदलती हैं ।

Monday, 18 January 2021

बुराई ढूंढने का शौक है तो शुरुवात खुद से कीजिए दूसरों से नहीं..।

जीवन में इतने व्यस्त हो जाएं कि पछतावा, दुःख, डर और नफरत के लिए समय ही ना बचे ! याद रखें जीवन में खाली व्यक्ति ही सबसे ज्यादा दुःखी रहता है ।

लाख जमाने की डिग्रियां हासिल कर लो , जिस इन्सान में बोलने की तमीज़ नहीं है , वो इन्सान अनपढ़ के बराबर हेै ।

जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसे तो होती हैं पर कोई नाम नहीं होता और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती। इसी सांस और नाम के बीच की यात्रा को "जीवन" कहते हैं।

ज़िन्दगी में कुछ ऐसे दोस्त जरूर बनाएं.. जो दिल की बातों को ऐसे समझे, जैसे मेडिकल स्टोर वाला डॉक्टर की हैंडराइटिंग समझता है।

Sunday, 17 January 2021

बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलतादोस्तों , कुदरत चिड़िया को खानाजरूर देती है, लेकिन घोसले में नहीं।

*माँ कभी वापिस नहीं आती...!**उम्र - दो साल* -- मम्मा कहाँ है ? मम्मा को दिखा दो, मम्मा को देख लूँ, मम्मा कहाँ गयी ?...*उम्र - चार साल* -- मम्मी कहाँ हो ? मैं स्कूल जाऊँ ? अच्छा bye मुझे आपकी याद आती है स्कूल में...*उम्र - आठ साल* -- मम्मा, लव यू, आज टिफिन में क्या भेजोगी ? मम्मा स्कूल में बहुत होम वर्क मिला है... *उम्र - बारह साल* -- पापा, मम्मा कहाँ है ? स्कूल से आते ही मम्मी नहीं दिखती, तो अच्छा नहीं लगता... *उम्र - चौदह साल* -- मम्मी आप पास बैठो ना, खूब सारी बातें करनी है आपसे...*उम्र - अठारह साल* -- ओफ्फो मम्मी समझो ना, आप पापा से कह दो ना, आज पार्टी में जाने दें...*उम्र - बाईस साल* -- क्या माँ ? ज़माना बदल रहा है, आपको कुछ नहीं पता, समझते ही नहीं हो...*उम्र - पच्चीस साल* -- माँ, माँ जब देखो नसीहतें देती रहती हो, मैं दुध पीता बच्चा नहीं...*उम्र - अठाईस साल* -- माँ, वो मेरी पत्नी है, आप समझा करो ना, आप अपनी मानसिकता बदलो...*उम्र - तीस साल* -- माँ, वो भी माँ है, उसे आता हैं बच्चों को सम्भालना, हर बात में दखलंदाजी नहीं किया करो...*और उस के बाद, माँ को कभी पूछा ही नहीं। माँ कब बूढ़ी हो गयी, पता ही नहीं उसे। माँ तो आज भी वो ही हैं, बस उम्र के साथ बच्चों के अंदाज़ बदल जाते हैं...* *उम्र - पचास साल* -- फ़िर एक दिन माँ, माँ चुप क्यों हो ? बोलो ना, पर माँ नहीं बोलती, खामोश हो गयी...*माँ, दो साल से पचास साल के, इस परिवर्तन को समझ ही नहीं पायी, क्योंकि माँ के लिये तो पचास साल का भी प्रौढ़ भी, बच्चा ही हैं, वो बेचारी तो अंत तक, बेटे की छोटी सी बीमारी पर, वैसे ही तड़प जाती, जैसे उस के बचपन में तडपती थी।**और बेटा, माँ के जाने पर ही जान पाता है, कि उसने क्या अनमोल खजाना खो दिया...?**ज़िन्दगी बीत जाती है, कुछ अनकही और अनसुनी बातें बताने कहने के लिए, माँ का सदा आदर सत्कार करें, उन्हें भी समझें और कुछ अनमोल वक्त उनके साथ भी बिताएं, क्योंकि वक्त गुज़र जाता है, लेकिन माँ कभी वापिस नहीं मिलती...!!*** *हर बच्चे तक पहुंचा कर उसे एहसास करवाइए माँ का प्यार क्या होता है।* *Dedicated to all Mothers...!*💐🙏💐

Saturday, 16 January 2021

तुम्हारी किस्मत का लिखा तुमसे कोई नहीं छीन सकता; अगर भरोसा है खुद की मेहनत पर; तो तुम्हें वो भी मिलेगा जो तुम्हारा हो नहीं सकता..

पिता अपने परिवार और अपने बच्चो की खुशियों व उन्हें भविष्य को सुरक्षित बनाने उनकी हर खवाईश पूरी करने के लिए कड़ी मेहनत करता और और इस बिच पिता अपने सपनों व इच्छाओ का बलिदान कर देता है | धरती सा धीरज दिया और आसमान सी उंचाई हैजिन्दगी को तरस के खुदा ने ये तस्वीर बनाई हैहर दुख वो बच्चों का खुद पे वो सह लेतें हैउस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते है

अपनों के साथ रहोगे तो खुश रहोगे।अपनों के अलग होने के बाद हमारी भी स्थिति कुछ इसी सूखे पत्ते की तरह हो जाती है। जिंदा तो हैं पर वो खुशियां कहां, वो प्रेम कहां,वो अपनापन कहां।

Friday, 15 January 2021

👉 कहां थे, कहां पहुँच गये...एक तौलिया से पूरा घर नहाता था, दूध का नम्बर बारी-बारी आता था, छोटा माँ के पास सो कर इठलाता था, पिताजी से मार का डर सबको सताता था, बुआ के आने से माहौल शान्त हो जाता था, पूड़ी खीर से पूरा घर रविवार व् त्यौहार मनाता था, बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इन्तजार रहता था, स्कूल मे बड़े भाई की ताकत से छोटा रौब जमाता था, बहन-भाई के प्यार का सबसे बड़ा नाता था, धन का महत्व कभी कोई सोच भी न पाता था, बड़े का बस्ता किताबें साईकिल कपड़े खिलोने पेन्सिल स्लेट स्टाईल चप्पल सब से छोटे का नाता था, मामा-मामी नाना-नानी पर हक जताता था, एक छोटी सी सन्दुक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था !अबतौलिया अलग हुआ, दूध अधिक हुआ, माँ तरसने लगी, पिता जी डरने लगे, बुआ से कट गये, खीर की जगह पिज्जा बर्गर मोमो आ गये, कपड़े भी व्यक्तिगत हो गये, भाईयो से दूर हो गये, बहन से प्रेम कम हो गया, धन प्रमुख हो गया, अब सब नया चाहिये, नाना आदि औपचारिक हो गये, बटुऐ में नोट हो गये, कई भाषायें तो सीखे मगर संस्कार भूल गये, बहुत पाया मगर काफी कुछ खो गये, रिश्तो के अर्थ बदल गये, हम जीते तो लगते है पर संवेदनहीन हो गये !कृपया सोचें

रिश्ते अगर थोड़े बिखर जाएं... तो समेटने वाले कम औरआग लगाने वाले बढ़ जाते हैं!

गलती हर इंसान से होती है लेकिनगलती सुधारता वहींइंसान है, जो दिल का साफ होता है और रिश्तों को खोना नहीं चाहता...

कभी कभीखुद की गलती भी मान लेनी चाहिए... शायद कोई अपनादूर होने से बच जाये...

बार-बार धोखे को माफ़ मत करिए; वरना आगे वाला व्यक्ति आपको मूर्ख समझने लगजाएगा.

When you are no longer friends with someone, respect the secrets they shared with you. It's call integrity.

Saturday, 9 January 2021

सूर्य पूरे दिन रोशनी देता है, मोमबत्ती चंद घंटे, माचिस चंद लम्हें पर मेरे सतगुरू की रहमतें पूरी जिंदगी रोशन कर देती हैं।

मीठा सा होता है सफ़र यहजिंदगी का; बस कड़वाहट तो किसी से ज़्यादा उम्मीदें रखने से होती है..

ठीक उस खाली लिफ़ाफ़े की तरह होते है कुछ रिश्ते, जिनके भीतर कुछ भी नहीं होता, और हम उन्हें सम्भाल कर रखते है...

दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे.

अब तो खुशी भी मिलती है; तो डर सा लगता है कि पता नहीं इस खुशी की कौन सी कीमत चुकानी पड़ेगी..

Thursday, 7 January 2021

हे वाहेगुरुजी , आपके आगे अरदास करतें हैं की हमारे अन्नदाता,पूरे भारत के किसान भाई , सड़कों पर बैठे अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं !ऊपर से दिसम्बर महीने की जबरदस्त ठण्ड ,बारिश ! उनकी हर तरह से रक्षा करना जी ! देश में अमन शांति बनी रहे!🙏💐

अपनी ख़ुशी टाँगने को, तुम कंधे क्यूँ तलाशती हो..? कमज़ोर हो, ये वहम क्यों पालती हो..??ख़ुश रहो क़ि ये काजल, तुम्हारी आँखों मे आकर सँवर जाता हैं..! ख़ुश रहो क़ि कालिख़ को, तुम निखार देती हों..!!ख़ुश रहो क़ि तुम्हारा माथा, बिंदिया की ख़ुशकिस्मती हैं..! ख़ुश रहो क़ि तुम्हारा रोम-रोम, बेशक़ीमती हैं..!!ख़ुश रहो क़ि तुम न होतीं, तो क्या-क्या न होता..? न मकानों के घर हुए होते, न आसरा होता..!!न रसोइयों से खुशबुएँ ममता की, उड़ रही होतीं..! न त्योहारों पर महफिलें, सज रही होतीं..!!ख़ुश रहो क़ि तुम बिन, कुछ नहीं हैं..! तुम्हारे हुस्न से ये आसमाँ, दिलक़श और ये ज़मीं हसीं हैं..!!ख़ुश रहो क़ि रब ने तुम्हें पैदा ही, ख़ुद मुख़्तार किया..! फ़िर क्यों किसी और को तुमने, अपनी मुस्कानों का हक़दार किया..!!ख़ुश रहो जान लो क़ि, तुम क्या हों..? चांद सूरज हरियाली, हवा हो..!!खुशियाँ देती हो, खुशियाँ पा भी लो..! कभी बेबात, गुनगुना भी लों..!!अपनी मुस्कुराहटों के फूलों को,अपने संघर्ष की मिट्टी में खिलने दो..! अपने पंखों की ताकत को, नया आसमान मिलने दो..!!और हाँ मत ढूँढो कंधे..! क़ि सहारे, सरक जाया करते हैं..!!😊 Dedicated to all women

पिता की दौलत नहीं , पिता का साया ही काफी है..।

कुछ लोग बस दिखावा करते हैं.. कि वो आप के साथ हैं।

कलयुगी दुनिया है साहब; उसकी कदर नहीं होती; जो सच में रिश्तों की कदर करता है; कदर उसकी होती है; जो सबसे ज्यादा दिखावाकरता है..

धीरे धीरे अब रिश्ते बदलने लगे हैं..अपना कहना वालों के दिलों में अब तेरे मेरे के भाव भरने लगे हैं===ज़ुबान पे मिठास और दिलो में कड़वाहट रखते हैं... रिश्तों को अपने पन के भाव से नहीं पैसे से परखते हैं ... खून के रिश्तों की गरीबी अमीरी की तराज़ू में तोलते हैं... पैसों से कमजोर के लिए बेगानापन और पैसों वालो के लिए बातो में शहद घोलते हैं।

"जीवन का एक सत्य" स्त्री का पल पल अपमान करने से, पुरुष के भाग्य से लक्ष्मी कोसों दूर चली जाती है।

Wednesday, 6 January 2021

आया दौर फ्लैट कल्चर का,देहरी, आंगन, धूप नदारद।हर छत पर पानी की टंकी,ताल, तलैया, कूप नदारद।।पैकिंग वाले चावल, दालें,डलिया,चलनी, सूप नदारद।।🤨🤨बढ़ीं गाड़ियां, जगह कम पड़ी, सड़कों के फुटपाथ नदारद। *लोग हुए मतलबपरस्त सब,* *मदद करें वे हाथ नदारद।।* मोबाइल पर चैटिंग चालू,यार-दोस्त का साथ नदारद।बाथरूम, शौचालय घर में,कुआं, पोखरा ताल नदारद।।🤨🤨हरियाली का दर्शन दुर्लभ, *कोयलिया की कूक नदारद।* घर-घर जले गैस के चूल्हे,चिमनी वाली फूंक नदारद।।मिक्सी, लोहे की अलमारी,सिलबट्टा, संदूक नदारद।*मोबाइल सबके हाथों में,**विरह, मिलन की हूक नदारद।।*🤨🤨बाग-बगीचे खेत बन गए,जामुन, बरगद, रेड़ नदारद।सेब, संतरा, चीकू बिकतेगूलर, पाकड़ पेड़ नदारद।।ट्रैक्टर से हो रही जुताई,जोत-जात में मेड़ नदारद। *रेडीमेड बिक रहा ब्लैंकेट,* *पालों के घर भेड़ नदारद।।*🤨🤨लोग बढ़ गए, बढ़ा अतिक्रमण,जुगनू, जंगल, झाड़ नदारद।कमरे बिजली से रोशन हैं,ताखा, दियना, टांड़ नदारद।।चावल पकने लगा कुकर में, *बटलोई का मांड़ नदारद।* कौन चबाए चना-चबेना,भड़भूजे का भाड़ नदारद।।🤨🤨पक्के ईंटों वाले घर हैं,छप्पर और खपरैल नदारद।ट्रैक्टर से हो रही जुताई, *दरवाजे से बैल नदारद।।* महंगाई का वह आलम है,एक-पांच के नोट नदारद।।🤨🤨

It sickens me that there are people who lie and make themselves look good while they destroy someone's reputation all because they are jealous. And so many people believe them without finding out the truth.

ZUBAN KA KAHA DUNIYA SUNTI HAI AUR DIL KA KAHA SIRF MERA "WAHEGURU

आदमी जब थक जाता है ,स्त्री को ढूँढ़ता है । आदमी जब टूट जाता है स्त्री को ढूँढ़ता है । आदमी जब ऊब जाता है स्त्री को ढूँढ़ता है।इसे दूसरे तरीके से कहें तोथके टूटे और ऊबे हुए आदमी को सिर्फ स्त्रियाँ बचाती हैं ।

समस्या जब अपनों से हो तब समाधान खोजना चाहिए न्याय नहीं.. न्याय में एक खुश होता है और दूसरा नाराज.. जबकि समाधान में दोनों खुश होते हैं

Tuesday, 5 January 2021

किसी को परेशान देखकर अगर आपको तकलीफ होती हैतो यकीन मानिए "ईश्वर ने" आपको इंसान बनाकर कोई गलती नहीं की है।

मज़बूत होने का मज़ा तभी आता है; जब सारी दुनिया आपको कमजोर करने पर तुली हो..

मेहनत करनी पड़ती है साहब जिंदगी बनाने के लिए, ये मैगी नहीं जो 2 मिनट में बनजाए..

हमेशा तैयारी के साथ हीरहना साहब... मौसम और इंसान कब बदल जाये इसका कोई भरोसा नहीं...

जिंदगी जीलो साहब....बाकी एक दिन ऐसा आयेगा.. कि आपके ही प्रोग्राम में.. आपकी गैरहाजिरी होगी..!

Monday, 4 January 2021

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में .... जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रहे ....

SabarSabar Rakho, Jo Tumhara Hai Khuda Tumhy Waqat Aane Pe Zaroor Dega...

जो किसान खेत में चोट लगने पर मिट्टी लगा लेता है ,पर घर तक नही जाता, वो किसान दिल्ली तक आया है इसका मतलब किसी ने जख्म गहरा दिया है!

मित्रता आवश्यक है, संबंध भी आवश्यक है; परंतु जीवन की हर कठिन परिस्थिति यह दर्शाती है कि अकेले रहने की कला का आना भी कितना आवश्यक है।

जिंदगी बहुत छोटी है; इसलिए किसी इंसान का पीछा करने से कई गुना बेहतर है; अपने सपनों को पूरा करना..

Saturday, 2 January 2021

भाई भाई का रिश्ता भगवान ने विपत्ति बाँटने के लिए बनाया था; लेकिन अफ़सोस आज ये सिर्फ संपत्ति बाँटने तक सिमट कर रह गया है।

रूह को समझना भी जरूरी है...महज़ हाथो का थामना साथ नहीं होता..।

?? ? माँ की इच्छा ? ??महीने बीत जाते हैं ,साल गुजर जाता है ,वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर ,मैं तेरी राह देखती हूँ।आँचल भीग जाता है ,मन खाली खाली रहता है ,तू कभी नहीं आता ,तेरा मनि आर्डर आता है।इस बार पैसे न भेज ,तू खुद आ जा ,बेटा मुझे अपने साथ ,अपने ? घर लेकर जा।तेरे पापा थे जब तक ,समय ठीक रहा कटते ,खुली आँखों से चले गए ,तुझे याद करते करते।अंत तक तुझको हर दिन ,बढ़िया बेटा कहते थे ,तेरे साहबपन का ,गुमान बहुत वो करते थे।मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,आकर तू देख जा ,बेटा मुझे अपने साथ ,अपने ? घर लेकर जा।अकाल के समय ,जन्म तेरा हुआ था ,तेरे दूध के लिए ,हमने चाय पीना छोड़ा था।वर्षों तक एक कपडे को ,धो धो कर पहना हमने ,पापा ने चिथड़े पहने ,पर तुझे स्कूल भेजा हमने।चाहे तो ये सारी बातें ,आसानी से तू भूल जा ,बेटा मुझे अपने साथ ,अपने ? घर लेकर जा।? घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,झाडू पोछा मैं करूंगी ,खाना दोनों वक्त का ,सबके लिए बना दूँगी।नाती नातिन की देखभाल ,अच्छी तरह करूंगी मैं ,घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।तेरे ? घर की नौकरानी ,ही समझ मुझे ले जा ,बेटा मुझे अपने साथ ,अपने ? घर लेकर जा।आँखें मेरी थक गईं ,प्राण अधर में अटका है ,तेरे बिना जीवन जीना ,अब मुश्किल लगता है।कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,तुझसे तो मैं माँ हुई ,बता ऐ मेरे कुलभूषण ,अनाथ मैं कैसे हुई ?अब आ जा तू मेरी कब्र पर ,एक बार तो माँ कह जा ,हो सके तो जाते जाते ,वृद्धाश्रम गिराता जा।?????????

Friday, 1 January 2021

हवाएँ हो गई है सर्द..आओ धूप में कुछ पलबिता लेंकहें कुछ अपने मन कीरिश्तों पर जमी बर्फपिघला लें ।।चटक से तोड़ें मूंगफलीफैलायें छिलके छत परकुछ दाने खा लें ।।अवसाद भरेजीवन की दौड़ धूप मेंथक से गये होकुछ देर सुस्ता लें।।बातों के तिल काताड़ नहीतिल में थोड़ा गुड़ मिला लेंखाएं गजकवाणी में थोड़ीमिठास बना लें ।।व्यवहार की चादर मेंअहम की सीलन हैदबी रजाई मेंईर्ष्या की दुर्गन्ध हैइन्हें खोलें..ज़राधूप लगा लें ।।... हवाएँ हो गई है सर्दआओ धूप में कुछ पलबिता लें।

इंसान बुरा तब बनता है .. जब उसकी अच्छाई का बहुत से लोगों ने नाजायज़ फायदा उठाया हो..!

भावनाओं में बहकर; किसी के सामने अपनी कमजोरियाँ को बता देना; सबसे बड़ी मूर्खता है..

आज से 365 दिन की किताब का पहला कोरा पन्ना खुलेगा; अब आपके हाथ में है की आप उस किताब में क्या लिखते हो और कैसे लिखते हो; उस किताब का नाम 2021 है..